Soojak ke gharelu raambaan nuskhe aur sampurn jaankaari.
जिस रोग में लिं गे न्द्रि य के भीतर ज़ख्म या घाव हो जाते हैं, पेशाब करते समय जलन होती है और भीतर से पीब निकलती है, उसे आजकल सर्व साधारण जानकार लोग और यूनानी हकीम ‘सूजाक’ कहते हैं. अंग्रेज और हिन्दुस्तानी डॉक्टर्स इसे ‘गनोरिया’ Gonorrhoea कहते हैं.
क्षय और हैजे रोग जैसे सूजाक के भी छोटे छोटे कीटाणु होते हैं. जिनको “गोनोकोकाई” Gonococci कहते हैं. इस के कारण ही इसको ‘गनोरिया’ Gonorrhoea कहते हैं. ये कीटाणु खराब या सूजाक वाली स्त्री के साथ प्रसंग करने से, मूत्र नाली के द्वारा मूत्र मार्ग की अन्दर की चमड़ी की तह में घुस कर वहां रोग फैलाते हैं. इसी से मूत्र नाली में दाह – जलन होती है, और चंद रोज़ बाद शीघ्र ही घाव हो कर पीब आने लगती है.
सूजाक के ज़हरीले कीड़े मूत्र नली से आगे भी बढ़ जाते हैं. बहुत करके ये पुरुष के मूत्र मार्ग, स्त्रियों के मूत्र मार्ग, यो नि, ग र्भ स्था न, स्त्री अ ण्ड एवम अनेक नाड़ियों द्वारा हमला करते हैं. अनेक बार ये नाक, कान और मुख की रसीली तहों में पहुँच जाते हैं. इन कीटाणुओं या जीवाणुओं का चेप अँगुलियों और मैले कपड़ों द्वारा भी फैलता है.
सूजाक और उपदंश में फर्क. Sujak aur updansh me fark.
यद्यपि सूजाक और उपदंश या गर्मी रोग दोनों सगे भाई बहन हैं. तथापि इनमे भी फर्क है. सूजाक में लिं गे न्द्रि य में भीतर, पर उपदंश में बाहर घाव होते हैं. सूजाक में लिं गे न्द्रि य के मुख के पास और गर्मी में सुपारी के ऊपर ज़ख्म होते हैं. सूजाक वाले का चेप यदि किसी के लगा दिया जाए, तो सूजाक ही होता है उपदंश नहीं होता. इसी तरह उपदंश का चेप लगा देने से उपदंश ही होता है सूजाक नहीं.
सूजाक के कारण. Soojak ke kaaran
सूजाक प्रायः दूषित संसर्ग से ही होता है ये रोग जीवनसाथी से जीवनसाथी को हो जाता है. अर्थात सूजाक वाली स्त्री से संसर्ग करने से पुरुष और सूजाक वाले पुरुष से संसर्ग करने से स्त्री को ये रोग हो जाता है. इसलिए सूजाक वाले रोगी को प्रायः संसर्ग नहीं करना चाहिए. बाजारू स्त्रियों से संसर्ग करने से गर्मी का भभका लगता है, ऐसे में तुरंत अलग हो कर पेशाब कर लेना चाहिए. ऐसा करने से लिंग के अनेक रोग होने से बच जाते हैं. मगर गर्मी खायी हुयी स्त्री या बाजारू स्त्री गमण करने से ये रोग अनेक पुरुषों में हो जाता है.
सूजाक के और भी अनेक कारण हैं जैसे स्वपन दोष होना – अभी आप लोग सोचेंगे के स्वपन दोष से कैसे सूजाक होता है. कभी कभी जब स्वपन में अपने आप को संसर्ग करता हुआ देखते हैं और बीच में ही नींद खुल जाती है तो वीर्य सही बाहर नहीं निकल पाता और ये अन्दर ही नाड़ियों में फंसा रह जाता है जो बाद में वीर्यनाली में घाव कर देता है.
इसके अलावा चलते वीर्य को अधिक आनंद पाने के लिए रोक देना, नशीली वस्तुएं खा कर वीर्य को रोकना, सूजाक वाले व्यक्ति के किये गए पेशाब के ऊपर ही पेशाब करना, रजस्वला स्त्री (जिसको पीरियड्स – माहवारी आ रही हों) के साथ संसर्ग करना.
सूजाक के लक्षण. Soojak ke lakshan.
सूजाक की आरंभिक अवस्था – सूजाक होते ही पेशाब की इन्द्रिय में घोर दाह – जलन होती है. इन्द्रिय का मुख थोडा सा सूज या फूल जाता है. ऊपर की खाल सिमट जाती है. पीड़ा होती है और खाज चलती है. लिं गि न्द्रि य का मुंह लाल हो जाता है और सूज जाता है. मुंह के दबाने से गाढ़ा सफ़ेद चेप सा निकलता है. शुरू में ये थोडा निकलता है. इतना पता लगते ही इसका इलाज शुरू कर देना चाहिए. अन्यथा ये रोग धीरे धीरे बढ़ने लगता है. पेशाब के समय इतना भयंकर दर्द होता है के मानो जान ही निकल जाए. घावों से पीला लाल या हल्का हरा पदार्थ निकलना शुरू होता है. कई लोग इस पीड़ा के डर के मारे पेशाब ही नहीं करते, ऐसा करने से उनके घाव अन्दर फट जाते हैं जो के अत्यंत बुरा है इस से रोग अपने चरम पर पहुँच जाता है.
शुरुवात के 10 – 15 दिन पीली मवाद आती है, सुबह सुबह ये इन्द्रिय के ऊपर जम जाती है, इसको हटाये बिना पेशाब नहीं होता. जैसे जैसे ये सही होता जाता है मवाद पहले सफ़ेद रंग की होती जाती है और ये सही होने लगता है. अगर सफ़ेद रंग की मवाद निरंतर कई महीनो तक निकलती रहे तो ये पुराना सुजाक या क्रोनिक गनोरिया (Chronic Gonorrhoea) कहलाता है. इस पुराने सुजाक का इलाज करना कठिन होता है. चंद महीनो में घावों के मुंह बंद हो जाते हैं. रोगी समझता है के रोग सही हो गया मगर जैसे ही कुछ गर्म पदार्थ, तीक्ष्ण लाल मिर्च आदि का सेवन करता है तो फिर से मवाद आने लगती है. पेशाब की नली में गाँठ बंध जाती है. इससे रोगी को बड़ा कष्ट होता है. पेशाब महीन धार में बूँद बूँद निकलता है. इसको डॉक्टर स्ट्रिकचर कहते हैं. इस अवस्था में चीरा लगवा कर पेशाब करवाना पड़ता है.
अभी जानिये इस रोग के लिए इलाज.
सूजाक रोग के रामबाण घरेलू नुस्खे.
इस रोग में डॉक्टरी जांच व् निर्देशन में कई औषधियां प्रयोग में लायी जाती है. जिनमे पुराने व् नए एंटी बायोटिक दोनों ही इंजेक्शन कैप्सूल या टिकियों के रूप में हैं जैसे –
पेनिसिलिन Penicillin
अम्पिसिलिन Ampicilin
अमोक्सिलिन Amoxycillin
प्रोबेनेसिड Probenecid
डोक्सीसाईकलिन Doxycycline
टेट्रासाईकलिन tetracycline
स्पेक्टिनोम्य्सिन Spectinomycin
इन दवाओं का प्रयोग रोगी की और विभिन्न जगहों से निकलने वाले स्त्राओं की जांच करवाने के बाद डॉक्टरी निर्देशन में ही इनका प्रयोग होता है.
सूजाक की घरेलु चिकित्सा.
- सबसे पहले रोगी को अरंडी का तीन या चार तोले तेल दूध में मिला कर पिला देना चाहिए. दस्त साफ़ करा कर, पेट शुद्ध करके सूजाक की दवा देने से जल्दी फायदा होता है. इतना ही नहीं सूजाक नाशक दवाओं में भी हल्का जुलाब मिला कर देना चाहिए. जिससे पेट बिलकुल साफ़ रहे. अगर बीच बीच में कब्ज मालूम हो तो गुलकंद 2 तोले, और मुनक्का (बीज निकाल कर) 25 दाने, इन दोनों को औटा कर और अच्छे से छान कर, रात को सोते समय पिला देना चाहिए. सनाय और गुलाब के फूलों को उबाल कर देना भी अच्छा है.
- सूजाक रोगी को ज्यादा पेशाब लाने वाली दवाएं देनी चाहिए. दूध और पतली लस्सी इस रोग में अच्छी है.
- गोखरू, इसबगोल, मुलहठी या बिहीदाना इनमे से किसी एक को, रात को भिगो कर, सवेरे ही मल छान कर, यही जल पिलाना चाहिए, इन दवाओं से पेशाब साफ़ होता है और पेशाब की जलन कम हो जाती है.
- ककड़ी के बीजों की मींगी (बीजों के अन्दर की गिरी) दारुहल्दी और मुलहठी – इन तीनो का चूर्ण, चवाल के धोवन के साथ पिलाना चाहिए. इससे सूजाक और मूत्रकच्छ की जलन एकदम कम हो जाती है.
- ककड़ी के बीज 3 माशे और कलमी शोरा डेढ़ माशे इन दोनों को पीस कूट कर फांक जाना चाहिए और ऊपर से उसी समय गाय के एक पाँव कच्चे दूध में पाव भर जल मिला कर पी जाना चाहिए. पेशाब लाने में यह नुस्खा परमोत्तम और परीक्षित है. पर इसे खड़े खड़े पीना चाहिए और पी कर बैठना नहीं चाहिए. बल्कि टहलते रहना चाहिए. इससे पेशाब की गर्मी एक दम निकल कर सूजाक में बड़ा लाभ होता है.
- ककड़ी के बीज, गुलाब के फूल और सफ़ेद कमल की पंखडी इंक ओजल के साथ सिल पर पीस कर चीनी मिला कर छान लेना चाहिए और पी जाना चाहिए.
- ककड़ी के बीजों की मींगी 1 तोला और सफ़ेद कमल की पंखडी 1 तोला इनको पीस कर पानी में छान लेना चाहिए. ऊपर से 2 माशे सफ़ेद जीरा और 3 तोले मिश्री मिला कर पीना चाहिए. इस से पेशाब साफ़ और खुल कर आता है. स्त्रियों का श्वेत प्रदर भी इस से सही होता है. उनको यह सात दिन तक करना चाहिए.
- दो तोले शीतल चीनी को जौ कूट करके 16 तोले पानी में पकाना चाहिए. चार तोले रहने पर उतार कर छान लेना चाहिए. ठंडा हो जाने पर उसमे 8 से 10 बूँद सफ़ेद चन्दन का तेल डालकर उसे पी जाना चाहिए. इस नुस्खे को सवेरे दोपहर और शाम के समय 5 दिन तक पीने से सूजाक की जलन मिट जाती है. पेशाब साफ़ होता है और सूजाक के ज़ख्म मिट जाते हैं. इसका सेवन करते समय गेंहू की पतली रोटी और घी, चीनी खानी चाहिए.
- सूजाक रोगी को तेल लगा कर नहाना चाहिए और ज्यादा पानी पीना चाहिए. दूध पानी की लस्सी थोड़ी थोड़ी कई बार में खड़े खड़े पीना चाहिए. अगर सर्दी का मौसम हो और रोगी कमज़ोर हो तो नारायण तेल की मालिश करा कर नहाना चाहिए. इस तेल को लगा कर नहाने से गठिया होने का भय नहीं रहता. अगर रोगी को ज्वर हो या वह स्नान सह ना सकता हो तो स्नान ना कराना चाहिए.
- इस रोग में पेशाब के अमल या खट्टे होने के कारण जलन होती है, इसलिए इस रोग में एक अल्कली (Alkali) या सोडा पोटाश आदि क्षार देना अच्छा है.
- रोगी को अलसी के दानों की चाय बनवा कर पिलानी चाहिए. अगर ज़रूरत हो तो उसमे ज़रा सा सोडा मिला देना चाहिए. जौ का काढ़ा भी इस रोग में अच्छा है.
सूजाक नाशक आयुर्वेदिक नुस्खे.
- जिस सेमल के वृक्ष में फल ना आयें हो उस सेमल के वृक्ष की नयी या कच्ची मूली या मूसली को खोद कर धुलाई कर लीजिये. इसको सिल पर खूब कूटो और महीन पीसो. पिस जाने पर रेजी के कपड़े में रख कर, किसी मिटटी या कांच के बर्तन में निचोड़ लें. बस, यही सेमल का स्वरस है. इसमें से दो तोले स्वरस ले कर पी जाओ. इसका नित्य सेवन करने से प्रमेह और सूजाक निश्चित ही आराम हो जाते हैं. आराम ही नहीं जड़ से आराम हो जाते हैं. पर लगातार कुछ दिन तक इसका सेवन करना पड़ता है. सूजक रोग में सेमल की नयी मूसली के स्वरस की पिचकारी देने से बहुत जल्दी सूजाक आराम हो जाता है.
- बिजोरे का सत्, सफ़ेद पपरिया कत्था, कलमी शोरा, भुनी हुयी फिटकरी, सफ़ेद चन्दन का बुरादा, केवड़े के अर्क में घुटा हुआ मूंगा, रेवन्दचीनी, गिलेअरमनी, संगजराहत, गेरू और हज्रल यहूद, इन सब को एक एक तोले ले कर, कूट पीसकर महीन चूर्ण कर लो और तराजू में तोलें. जितना चूर्ण का वजन हो, उतनी ही मिश्री उसमे पीसकर मिला दो और चौड़े मुंह की साफ़ शीशी या कोरी हांडी में रख दो. इस चूर्ण को पथ्य सहित सेवन करने से सूजाक और उसके सारे उपद्रव ही नष्ट हो जाते हैं. इसकी मात्रा जवान को चार माशे की है. एक मात्रा सवेरे और एक मात्रा शाम को फांक कर, ऊपर से गाय का थन दुहा कच्चा दूध पीना चाहिए.
- केले के खंभ को कूट पीसकर कपडे में रख कर इसको निचोड़ लो. इसमें से जो पानी सा निकलेगा, उसे ही केले का पानी या रस कहते हैं. यह रस अमूल्य औषधि है. इस रस को 4 तोले पीने से पेशाब खूब साफ़ होता है और सूजाक में आराम हो जाता है. हर दिन ताज़ा रस निकाल कर पीना चाहिए. बासी रस हानिकारक होता है.
- दो तोले कुकरोंधे के रस में ज़रा सी मिश्री मिला कर पीने से सूजाक नष्ट हो जाता है. कुकरौंधा को कुकुरमुत्ता भी कहते हैं बंगाल में कुकुरशोंका या कुकसीमा कहते हैं. मराठी में कुकुरबंदा कहते हैं. लैटिन में ब्लूमिया ओडोरेटा कहते हैं. इसके पौधे गलीज स्थानों और पुराने खंडहरों में अधिक होते हैं. इसका पौधा दो तीन हाथ लम्बा होता है. पत्ते तम्बाकू के समान लम्बे और गहरे रंग के होते हैं. पत्तों को मलने में बहुत बुरु बदबू निकलती है. पौधे पर लाल रंग की एक चोटी सी होती है. यह कड़वा, तीखा, पचने में मधुर, शीतल, ज्वर नाशक है. पारे के विकार और खून के दोष में दो तोले रस पीने और शरीर पर मलने से बड़ा उपकार होता है. खांसी में कुकरोंधे की जड़, मिश्री के साथ, मुंह में रखने से कंठ में जमा हुआ कफ निकलता है और मुंह का सूखना मिट जाता है. 1 तोले रस में 6 माशे मिश्री मिला कर पीने से खूनी बवासीर जाती रहती है.
- बेल की जड़ को कूट कर रात के समय जल में भिगो दें. सवेरे ही उसे छान कर, चीनी मिला कर पियो. इससे पेशाब की चिनग और जलन नष्ट होती है.
- अगर सुजाक रोग नया है तो लौकी की खीरे खाने से शीघ्र लाभ होता है.
- नीम की गौंद और मिश्री बराबर मात्रा में मिलाकर खाने से सुजाक में अत्यंत लाभ होता है.
- फालसे की गीली जड़ 10 तोले (अगर गीली ना मिले तो सूखी जड़ 5 तोले) कुचल कर रात के समय एक पाव जल में भिगो दें. सुबह उसे मल कर छान लीजिये इसमें मिश्री मिला कर पी जाओ. इस नुस्खे से एक हफ्ते में ही सुजाक नष्ट हो जाता है.
- घीग्वार के गूदे में मिश्री मिला कर खाने से नए सूजाक में 3-4 दिन में आराम आ जाता है.
- रेवन्दचीनी का चूर्ण 1 तोला दोनों समय (सुबह शाम) पानी के साथ सेवन करने से पेशाब सुर्ख आटा है और इन्द्रिय के भीतर घाव आराम हो कर पुराना सुजाक नष्ट हो जाता है.
- गिलोय की अढाई तोले रस में 6 माशे शहद मिला कर पीने से पेशाब की जलन और दाह प्रमेह और सूजाक नष्ट होता है.
- हरे आमलों का रस निकाल कर उसमे पीसी हुई हल्दी और शहद मिला कर पीने से प्रमेह और सूजाक नष्ट होता है. (अगर हरे आंवले ना मिले तो सूखे आंवलो का काढ़ा कर लो)
- हल्दी और आंवले बराबर मात्रा में ले कर पीस छान लो. इसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिला कर रख लो. इस चूर्ण का एक तोला हिस्सा पानी के साथ सेवन करने से नया सूजाक आठ दिन में नष्ट हो जाता है.
- बरगद की कोंपले छाया में सुखा लीजिये. इनको पीसकर बराबर मात्रा में शक्कर मिला कर रख लो.एक तोला इस चूर्ण को दूध की लस्सी के साथ सात दिन तक सेवन करने से सूजाक सही हो जाता है.
- बरगद के दूध की 8-10 बूंदे पताशे में रख कर सवेरे सवेरे खाने से कुछ ही दिनों में सूजाक सही हो जाता है.
- 20 ग्राम अलसी को रात के समय आधा सेर जल में भिगो दें. सवेर मल कर छान कर इसका लुआब निकाल लीजिये.फिर इसमें 20 ग्राम मिश्री मिला कर पी जाओ. इस नुस्खे से स्वपंदोश से सूजाक आराम हो जाता है. गरम चीजों से परहेज करें.
- कतीरे में ज़रा सी चीनी मिला कर खाओ और ऊपर से गाय का दूध पियो. इस नुस्खे से सूजाक नष्ट हो जायेगा.
- त्रिफला के पानी में चने भिगो कर नित्य सवेरे खाने से सूजक रोग दूर हो जाता है.
- राल और शक्कर दोनों को बराबर बराबर मात्रा में पीस लें. इसका तीन तीन माशे चूर्ण सुबह शाम खाने से पीब निकलना बंद होता है.
- सफ़ेद चन्दन पत्थर पर घिसकर एक तोला पानी में मिला दो और चीनी मिलाकर दिन में तीन बार पियो. इससे सूजाक नष्ट होता है.
- सवेरे शाम तीन तीन रत्ती भुनी हुयी फिटकरी शहद में खाने से पुराना सूजाक चला जाता है.
- सिरस के नर्म पत्ते 1 तोले लेकर पीस लो. और आधा पाव जल में भर कर दो तोले मिश्री मिला कर पियो. कुछ ही दिनों में सूजाक नष्ट हो जायेगा.
- सहजन की गोंद एक तोला गाय के एक पाव दही में मिला कर 21 दिन खाने से सूजाक नष्ट हो जाता है.
- अगर सूजाक में पेशाब के साथ खून भी आता है तो चाकसू के 21 बीज चबा कर ऊपर से भिगोये हुए चन्दन का पानी पी लो. खून आना बंद हो जायेगा. चन्दन का जल बनाने के लिए सफ़ेद चन्दन का बुरादा दो तोले ले कर मिटटी की हांडी में 125 ग्राम पानी में भिगो कर रख दीजिये. सवेरे मल कर छान कर इस पानी को निकाल लो यही चन्दन का जल है.
- तालाब की काई निचोड़ कर उसका पानी लिंग के छेद में टपकाने से सूजाक में लाभ होता है.
- अगर सूजाक में पेशाब ना उतर रहा हो तो कपूर जला कर लिंग के छेद में रखो.
- बकरी के गुनगुने दूध में लिंग को रखने से पेशाब आ जाता है.