शरीरिक वेग शरीरिक क्रिया का हिस्सा है, इनको हमारा शरीर अपने आप ही अपनी आवश्यकता के अनुसार शरीर से निकालता या लेने की कोशिश करता है, जैसे खांसी, मूत्र, जम्भाई, आंसू, वीर्य, भूख, प्यास, पाद, टट्टी, उल्टी, छींक डकार आदि. इन वेगों को रोकने से शरीर में बहुत बड़े नुक्सान हो सकते हैं. कुछ वेग तो ऐसे हैं के जिनको रोकने मात्र से आपको लकवा तक हो सकता है. आज हम आपको इन्ही वेगों के बारे में बताने जा रहें हैं. आइये जाने.
1. मूत्र (urine) का वेग.
इसको रोकने सबसे बड़ा नुक़सान है मुत्र थैली में सक्रंमण होना का ख़तरा। लिंगेन्द्रियो मे दर्द होता है, मूत्र रुक रुक कर और कष्ट से होता है, सिर मे पीड़ा होतीं है, शरीर सीधा नहीं होता है, पेट मे आफरा तथा जांघोँ के जोड़ो मे शूल से चलतें है। आंखें की रोशनी कमजोर होती है। इससे प्रोस्टेट की समस्या भी हो सकती है.
2. पाखाना (toilet) का वेग.
मल रूकने से गैस बनती है और गैंस से पेट फूल जाता है। पाखाना य मल के वेग रोक्ने से पेट मे गड़गड़ाहट और दर्द होता है, मल साफ़ नही होती है, डकारे आती है, ये लक्षण मध्वाचार्य ने लिखे है। मष्तिक में दर्द होता है। और जिस गंदगी को शरीर से बाहर निकलना था वो अभी आपके पेट में सड़ने लगती है और ये धीरे धीरे पुरे शरीर में फ़ैल कर दूसरी नस नाड़ियों को प्रभावित करती है.
3. निन्द्रा (sleep) का वेग.
इसके वेग को रोकने से जम्भाई, अंग टूटना, नेत्र और मस्तक का जङ हो जाना और तन्द्रा ये रोग होते है। निन्द्रा को रोकने से प्रतिरोधात्मक शक्ति कम होती है और चिड़चिड़ापन आता है। इसलिए जब भी नींद आये तो सो जाना चाहिए.
4. आंसुओ. (crying in tears) का वेग.
दुख में आँसू न निकले तो व्यक्ति पागल हो सकता है या किसी सदमे से उसकी मृत्यु भी हो सकती है। इस वेग को रोकने से मस्तक का भारीपन, नेत्र दोष, जुकाम, आँखों क रोग, ह्रदय रोग, अरुचि और भरम आदि रोग हो सकते है।
5. शुक्र (Semen ejaculation) अर्थात वीर्य का वेग.
वीर्य के रूकने से प्रोसट्रेट का कैंसर होने का ख़तरा होता हैं। मध्वाचार्य ने लिखा है की शुक्र यानि वीर्य को रोकने से मुत्राशय मे सूजन, गुदे और फोतो मे पीङा, पेशाब का कष्ट से होना ,शुक्र की पथरी और वीर्य का रिसना, जैसे अनेक रोग होते हैं। चरक सहिंता मे लिखा है है कि मैथुन करते समय छूटते वीर्य को रोकने से लिंग और फोतो मे दर्द होता है। अंगड़ाई आना, हृदय में पीङा और पेशाब का रुक रुक के आना आदि बीमारी हो सकती है।
6. प्यास (thirst) का वेग.
प्यास को रोकने से शरीर में कफ प्रबल हो जाता है। इसके वेग को रोकने से कंठ और मुँह सूखते है, कानोँ मे कम सुनाई देता है, क़ब्ज़ होती है, मधुमेह का रोग और हृदय मे पीड़ा होती है।
7. भूख (hunger) का वेग.
इसके वेग को रोकने से तन्द्रा, शरीर टूटना, अरुचि, थकान और नजर कम होना और शरीर मे दुर्बलता आना आदि रोग उत्पन्न होते हैं। भोजन शरीर के लिये महत्वपूर्ण है। भोजन समय पर ग्रहण करे। भोजन को एक साथ ना खाकर दिन मे थोड़ा थोडा खाये। पौष्टिक आहार ही ले।
8. अधोवायु (flatulence) अर्थात पाद का वेग
अधोवायु यानि गुदा द्वारा निकलने वाली हवा को शर्म और लज्जावश रोकने से अधोवायु, मल और मूत्र दोनो रुक जाते है, गैंस से पेट फूल ज़ाता है, बड़ी आंत मे संक्रमण, मल का आँतों में रूकना और थकान सीं महसूस लगती है। पेट मे बादी से दर्द होने लगता है, तथा वायु विकार होने लगता है।
9. वमन (Vomiting) अर्थात उल्टी का वेग.
इसके वेग को रोकने से यानी आती हुईं क़य (उल्टी) को रोकने से खुजली, चकते, अरुचि, मुँह पर झांई सूजन ,पीलिया ,सुखी ओकारी आदि उपद्रव होते है, इन रोगों को दुर करने के लिये भोजन के बाद वमन करना चाहिये । इनके अलावा रूखे पदार्थो का सेवन, कसरत जुलाब ये सभी उत्तम उपाय है।
10. छींक (Sneezing) का वेग
इसके वेग को रोकने से गर्दन के पीछे की मन्या नामंक नस जकड़ जातीं है, सिर मे शूल से चलतें है आधा मूँह टेड़ा अर्थात लकवा तक हो सकता है, और अर्धांग वात रोग हो जाता है, चरक सहिंता मे लिखा है के इस वेग को रोकने से गर्दन का जकड़ना, मस्तक शूल, लकवा, आंधा सीसी इन्द्रियोँ कि दुर्बलता होती है।
11. डकार (burp) का वेग
डकार हमारी पाचन तन्त्र की ख़तरे की घण्टी है जो हमें चेतावनी देती है के भोजन हम जल्दी जल्दी खा रहे या ज़रूरत और क्षमता से ज्यादा खा रहे हैं। इसके वेग को रोकने से बादी के रोग होते है, कंठ और मुँह का भारी सा मालूम होंना, हिचकी खॉंसी, अरुचि, हृदय तथा छाती का बन्धा सा महसूस करना, डकार को रोकने से गैस से संबधित बीमारी होती है।
12. जम्भाई (Yawning) का वेग
इसके वेग को रोकने से गर्दन के पीछे की नस और गले का जकड़ जाना, मस्तक मे विकार होना, नेत्र रोग, मुख रोग और कान के रोग का होना का ख़तरा होता है।
तो आपने जाना दोस्तों के ये वेग रोकने शरीर के लिए कितने खतरनाक हो सकते हैं. ये वेग शरीरिक क्रिया का हिस्सा है, शरीर को अपनी क्रियाएं करने दीजिये. इसको रोकिये मत. हमारा शरीर अपने आप में भगवान् द्वारा बनायीं गयी बहुत बड़ी प्रयोगशाला है. अगर हम इसकी क्रियाओं को रोकेंगे तो हमको इसके बेहद बुरे परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.
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