२१ वी सदी के भागदोड़ भरी जिंदगी में तनाव से बचना आसान नहीं है, पर आज हम आप को तनाव से बचने के कुछ महत्वपूर्ण उपाय बताने जा रहे है, साथ ही जाने तनाव के लक्षण , कारण, उपचार एवं तनाव से जीवन में यौन संबंधो से जुड़े खतरे. तो आइये जानते है….
लक्षण-
- सदैव उत्तेजित रहना
- एकाग्र होने में मुश्किले आना
- नींद नहीं आना
- थकन महसूस करना
- जीवन में उत्साह की कमी आना
- सदा परेसान रहना
- सिरदर्द मेसूस करना
- सैक्स के पार्टी रूचि समाप्त होना
- भूख नहीं लगाना, उलटी का मन करना, पेट ठीक नहीं रहना, कभी दस्त तो कभी कब्ज रहना.
- नीरस रहना
- गुस्सा बहुत अधिक आना
कारण-
तनाव के अनेक कारण हो सकते है. जैसे आर्थिक समश्यायें, परवारिक समश्यायें, कार्य स्थल के तनाव, गंभीर बीमारी इत्यादी .
प्रसंगवस यह उल्लेखनीय है की जब भी हम तनाव ग्रस्त होते है, तो हमारे सरीर में एक निराली सी व्यवस्था होती है, जिसके अंतर्गत हमारे सरीर में स्तिथ एंड्रीनल ग्रंथि सक्रीय हो उठती है. दोनों गुर्दों के ऊपर स्थित यही दो छोटी छोटी ग्रंथियां एंड्रीनल नामक अति महत्वपूर्ण हारमोन का स्त्राव करती है, जिसे स्ट्रेस हारमोन के नाम से भी जाना जाता है, जो विविध परिस्तिथियों में सरीर को उर्जा एवं शक्ति प्रदान करता है. यह हारमोन फाइट, फ्लाइट अथवा फ्राईट नमक स्तिथियों के लिए सरीर को तैयार करता है. तनाव इत्यादी परिस्तिथियों में सरीर की रक्षा हेतु यही हारमोन अधिक मात्र में स्त्रावित होने लगता है.
उपचार–
- अधिक मात्र में चाय कॉफ़ी एवं शराब के सेवन से बचे. इनके सेवन से आपके सरीर में नर्वसनेस बढती है, तथा नींद में कमी आती है.
- भारतीय योग-साधना विधियों का नियमित अभ्यास करें. ध्यान का नियमित अभ्यास भी विषेस लाभ देता है. अनुलोम-विलोम जैसे अति प्रभावशाली प्रणायामो का नित्य अभ्यास करें.
- सरीर की नियमित मालिश करवाएं.
- नियमित रूप में विटामिन ब कोम्पल्क्स की उच्च मात्राओ में सेवन करते रहें.प्रसंगवास उल्लेखनीय है की बी समूह वाली विटामिन सरीर की नशों एवं नाडियों को शक्ति प्रदान करता है, साथ ही सरीर की रोगप्रतिकारक क्षमता को भी बाधा देता है, इसी प्रकार कैल्शियम एवं मेग्नीसियम का नियमित सेवन करना भी तनाव के संदर्भो में बेहद जरुरी है, क्योंकि इन के सेवन से विविध मांसपेशियों का तनाव दूर होने के साथ साथ हदय को भी अपार शक्ति प्राप्त होती है.
- सायबेरियन जिंसेंग भी तनाव मुक्त करने वाली बूटी है
- यदि तनाव के साथ हल्का डिप्रेशन भी रहता है तो “सेंट जोन वार्ट” का सेवन भी किया जा सकता है.
एंटी स्ट्रेस हर्ब —
जड़ी बूटियां भी बखूबी मूड फ्रेशनर का कार्य करती है, मूड को ठीक करने में अश्वगंधा एवं शतवारी का भी बेहतरीन योगदान रहता है अश्वगंधा (विथेनिया सम्निफेरा) की जड़ें कार्टिसोल हारमोन को सरीर में ही रोकते हुए तनाव से मुक्ति दिलाती है, इसलिए इसे एंटी स्ट्रेस हर्ब भी कहा जाने लगा है. नूतन-अनुसंसाधन कर्त्ताओं ने अश्वगंधा को उत्तम “सीडेटिव” कहा है. इसमें विधमान “सोम्निफेरी” नमक तत्व ब्लड प्रेसर को नियंत्रित करता हैं तथा अच्छी नींद लता है, अश्वगंधा की जड़ों के सूक्ष्म चूरण का नियमित सेवन करने से चक्कर आना, नींद नहीं आना,इत्यादी विकार सहज ही दूर हो जातें है. तुरंत शक्तिदाई होने के कारण अश्वगंधा को ” इंडियन जिनसेंग” भी कह दिया जाता है. शतावरी ( एसपेरेगस रेसिमोसस ) की जड़ें भी उत्तम ट्रैक्विलायज़र प्रभाव रखती है. दूध में शतावरी से बने हुए ग्रेनुल्स मिलकर सेवन करने से नाडीयों को तत्काल बल प्राप्ति होती है. आयुर्वेद विशेषज्ञ भी शतावरी का उपयोग मष्तिष्क दोर्बल्य, बेहोशी, दोर्बल्य (जनरल डेबिलिटी) नमक विकारो की शांति के लिए सदियों से करते आ रहे है. एकाग्रता एवं मूड बनाने के लिए भी शतावरी परम उपयोगी बताई जाती है.
इम्युनिटी को बढाती है अश्वगंधा
अश्वगंधा इम्यून-सिस्टम पर भी उत्तम प्रभाव देती है. यह हमारे सरीर की रोगों से लड़ने क्षमता को बढ़ने वाले टी-सैल एवं बी -सैल के कार्य को बढाती है.
तनाव से यौन जीवन खतरे में
शहरी जीवन बेहद थकन भरा है , इस थकन के काफी बुरे परिणाम आ रहे है. विशेषज्ञों की मने तो तनाव के कारण बड़ी हुई थकान से यौन-जीवन बेहद प्रभावित हो रहा है, इस से आमिर तबका अधिक प्रभावित हो रहा है. युनिवर्सिटी ऑफ़ सिंगापुर के एक इस्त्री रोग के विशेषज्ञ के अनुसार दिन भर कमरतोड़ मेहनत करने के बाद शाम को घर पर लोग इतना थक चुके होते है की शारारिक संबंध बनाने के लिए उनमे उर्जा ही नहीं बचती है.