विश्व और समस्त भारत में बढ़ती आबादी और शहरीकरण के साथ-साथ डायाबिटीज Diabetes (मधुमेह) के रोगियों की संख्या भी बढ़ रही है। डायाबिटीज के मरीजों में क्रोनिक किडनी डिजीज – CKD ( डायाबिटीक नेफ्रोपैथी ) Diabetic Nephropathy Treatment और पेशाब में संक्रंमण के रोग होने की संभावना ज्यादा होती है।
डायाबिटिक किडनी डिजीज क्या है ? what is diabetic kidney disease
लम्बे समय से चली आ रही मधुमेह की बीमारी में लगातार उच्च शर्करा से किडनी की छोटी रक्त वाहिकाओं को काफी नुकसान होता है। शुरू में इस नुकसान के कारण पेशाब में प्रोटीन की मात्रा दिखाई देती है। जिसके फलस्वरूप उच्च रक्तचाप, शरीर में सूजन जैसे लक्षण भी उत्पन्न हो जाते हैं जो धीरे-धीरे किडनी को ओर नुकसान पहुँचते हैं। किडनी की कार्य क्षमता में लगातार गिरावट होती जाती है और किडनी, विफलता की ओर अग्रसर हो जाती हैं। (एण्ड किडनी डिजीज)। मधुमेह Diabetes के कारण जो किडनी की समस्या होती है उसे डायाबिटिक किडनी डिजीज कहते हैं। इसका मेडिकल शब्द डायाबिटिक नेफ्रोपौथी Diabetic Nephropathy है।
डायाबिटीज के कारण होनेवाले किडनी डिजीज के विषय में प्रत्येक मरीज को जानना क्यों जरुरी है?
Diabetic Nephropathy
- क्रोनिक किडनी डिजीज के विभिन्न कारणों में सबसे महत्वपूर्ण कारण डायाबिटीज है जो अत्यंत विकराल रूप से फैल रहा है। Diabetic Nephropathy Treatment
- डायालिसिस करा रहे क्रोनिक किडनी डिजीज के 100 मरीजों में 35 से 40 मरीजों की किडनी खराब होने का कारण डायाबिटीज होता है। Diabetic Nephropathy Treatment
- डायाबिटीज के कारण मरीजों की किडनी पर हुए असर का जरूरी उपचार यदि जल्दी करा लिया जाए, तो भयंकर रोग किडनी डिजीज को रोका जा सकता है। Diabetic Nephropathy Treatment
- डायाबिटिक किडनी डिजीज से पीड़ित रोगियों में ह्रदय रोगों के होने एवं उनसे मृत्यु होने का खतरा बढ़ जाता है।
- डायाबिटीज के कारण किडनी खराब होना प्रारंभ होने के बाद यह रोग ठीक हो सके ऐसा संभव नहीं है। परन्तु शीघ्र उचित और परहेज द्वारा डायालिसिस और किडनी प्रत्यारोपण जैसे महंगे और मुश्किल उपचार को काफी समय के लिए (सालों तक भी) टाला जा सकता है। Diabetic Nephropathy Treatment
डायाबिटीज के मरीजों की किडनी खराब होने की संभावना कितनी होती है।
डायाबिटीज के मरीजों को दो अलग-अलग भागों में बाँटा जा सकता है:
टाइप – 1, अथवा इंसुलिन डीपेन्डेन्ट डायाबिटीज (IDDM-Insulin Dependent Diabetes Mellitus) साधारणतः कम उम्र में होनेवाले इस प्रकार के डायाबिटीज के उपचार में इंसुलिन की जरूरत पडती है। इस प्रकार के डायाबिटीज में बहुत ज्यादा अर्थात 30 से 35 प्रतिशत मरीजों की किडनी खराब होने की संभावना रहती है। Diabetic Nephropathy Treatment
टाइप – 2 , अथवा नॉन- इंसुलिन डीपेन्डेन्ट डायाबिटीज (N.I.D.D.M.-Non-Insulin Dependent Diabetes Mellitus) डायाबिटीज के अधिकतर मरीज इसी प्रकार के होते हैं। वयस्क (Adults) मरीजों में इसी प्रकार की डायाबिटीज होने की संभावनाएँ ज्यादा होती हैं, जिसे मुख्यतः दवा की मदद से नियंत्रण में लिए जा सकता है। इसी प्रकार के डायाबिटीज के मरीजों में 10 से 40 प्रतिशत मरीजों की किडनी खराब होने की संभावना रहती है। Diabetic Nephropathy Treatment
मधुमेह के रोगी में डायाबिटिक किडनी डिजीज कब शुरू होती है?मधुमेह के रोगी में डायाबिटिक किडनी डिजीज होने में कई साल लग जाते हैं। इसलिए मधुमेह होने के बाद पहले 10 साल में यह बीमारी शायद ही कभी हो। टाइप 1 मधुमेह की शुरुआत के 15 से 20 साल के बाद किडनी की बीमारी के लक्षण प्रगट हो सकते है। मधुमेह की शुरुआत से ही सही उपचार से एक मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति को शुरू के 25 वर्षों में डायाबिटिक किडनी डिजीज होने का खतरा कम हो सकता है। Diabetic Nephropathy Treatment
डायाबिटीज किस प्रकार किडनी को नुकसान पहुंचा सकती है?
- किडनी में सामान्यतः प्रत्येक मिनट में 1200 मिली लीटर खून प्रवाहित होकर शुद्ध होता है।
- डायाबिटीज नियंत्रण में नहीं होने के कारण किडनी में से प्रवाहित होकर जानेवाले खून की मात्रा 40 प्रतिशत तक बढ़ जाती है, जिससे किडनी को ज्यादा श्रम करना पड़ता है, जो नुकसानदायक है। यदि लम्बे समय तक किडनी को इसी तरह के नुकसान का सामना करना पड़े, तो खून का दबाव बढ़ जाता है और किडनी को नुकसान भी पहुँच सकता है। Diabetic Nephropathy Treatment
डायालिसिस करानेवाले हर तीन मरीजों में से एक मरीज की किडनी खराब होने का कारण डायाबिटीज होता है।
- उच्च रक्तचाप खराब हो रही किडनी पर बोझ बन किडनी को ज्यादा कमजोर बना देता है।
- किडनी के इस नुकसान से शुरू -शुरू में पेशाब में प्रोटीन जाने लगता है, जो भविष्य में होनेवाले किडनी के गंभीर रोग की प्रथम निशानी है। Diabetic Nephropathy Treatment, diabetic-nephropathy ka ilaj
- इसके बाद शरीर से पानी और क्षार का निकलना जरूरत से कम हो जाता है, फलस्वरूप शरीर में सूजन होने लगती है, (शरीर का वजन बढ़ने लगता है) और खून का दबाव बढ़ने लगता है। किडनी को अधिक नुकसान होने पर किडनी का शुद्धीकरण का कार्य कम होने लगता है और खून में क्रीएटिनिन और यूरिया की मात्रा बढ़ने लगती है। इस समय की गई खून की जाँच से क्रोनिक किडनी डिजीज का निदान होता है। ( Diabetic Nephropathy Treatment, diabetic-nephropathy ka ilaj )
डायाबिटीज के कारण किडनी पर होनेवाले असर कब और किस मरीज पर हो सकता है?
सामान्यतः डायाबिटीज होने के सात से दस साल के बाद किडनी को नुकसान होने लगता है। डायाबिटीज से पीड़ित किस मरीज की किडनी को नुकसान होनेवाला है यह जानना बडा कठिन और असंभव है। नीचे बताई गई परिस्थितियों में किडनी डिजीज होने की संभवना ज्यादा होता है: ( Diabetic Nephropathy Treatment, diabetic-nephropathy ka ilaj )
- डायाबिटीज कम उम्र में हुआ हो, लम्बे समय से डायाबिटीज हो, उपचार में शुरू से ही इंसुलिन की जरूरत पड़ रही हो, डायाबिटीज और खून के दबाव पर नियंत्रण नहीं हो, पेशाब में प्रोटीन का जाना, पेशाब में प्रोटीन और बढ़ा हुआ सीरम लिपिड डायाबिटिक किडनी डिजीज के मुख्य लक्षण है जो पेशाब व रक्त जाँच में दिखाई पड़ते हैं, मोटापा और धूम्रपान इसे और बढ़ा देते हैं, डायाबिटीज के कारण रोगी की आँखों में कोई नुकसान हुआ हो (Diabetic Retinopathy), परिवारिक सदस्यों में डायाबिटीज के कारण किडनी डिजीज हुई हो। ( Diabetic Nephropathy Treatment, diabetic-nephropathy ka ilaj )
पेशाब में प्रोटीन, खून का ऊँचा दबाव और सूजन किडनी पर डायाबिटीज की असर के लक्षण हैं।
डायाबिटीज से किडनी को होने वाले नुकसान के लक्षण:
- प्रांभिक अवस्था में किडनी के रोग के कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। डॉक्टर द्वारा कराये गये पेशाब की जाँच में आल्ब्यूमिन (प्रोटीन) जाना, यह किडनी के गंभीर रोग की पहली निशानी है और धीरे-धीरे खून का दबाव बढ़ता है और साथ ही पर और चेहरे पैर सूजन आने लगती है, डायाबिटीज के लिए जरुरी दवा या इन्सुलिन की मात्रा में क्रमशः कमी होने लगती है, बार-बार खून में चीनी की मात्रा कम होना, कई मरीज, डायाबिटीज खत्म हो गया है, यह सोच कर गर्व और खुशी का अनुभव करते हैं, पर दरअसल यह किडनी डिजीज की चिंताजनक निशानी हो सकती है, आँखों पर डायाबिटीज का असर हो और इसके लिए मरीज द्वारा लेजर का उपचार कराने वाले प्रत्येक तीन मरीजों में से एक मरीज की किडनी भविष्य में खराब होती देखी गई है। ( Diabetic Nephropathy Treatment, diabetic-nephropathy ka ilaj )
किडनी खराब होने के साथ-साथ खून में क्रीएटिनिन और यूरिया की मात्रा भी बढ़ने लगती है। क्रोनिक किडनी रोग के लक्षण जैसे कमजोरी, थकान, मितली, भूख में कमी, उल्टी, खुजली, पीलापन और सांस लेने में तकलीफ आदि बीमारी के बाद के चरणों में दिखाई पड़ते हैं।
( Diabetic Nephropathy Treatment, diabetic-nephropathy ka ilaj )
डायाबिटीज द्वारा किडनी पर होनेवाले असर को किस प्रकार रोका जा सकता है?
यह दोनों दिला सकता है डायाबिटीक नेफ्रोपैथी से राहत !! Diabetic Nephropathy Treatment