लौह भस्म की जानकारी और उपयोग। Loh Bhasm
लौह भस्म आयरन का ऑक्साइड है और आयुर्वेद में इसका बहुत अधिक प्रयोग होता है। लौह भस्म का सेवन शरीर को ताकत देता है और रक्त धातु की वृद्धि करता है। शरीर में रक्त की कमी के कारण शरीर पीला दिखता है। रक्त की कमी के कारण शरीर में सूजन, चक्कर आना, याददाश्त की कमी, बालो का गिरना और घबराहट होती है। खून की कमी से मासिक धर्म पर भी असर होता है। मासिक बहुत कम या बहुत अधिक आता है। ऐसे में लौह भस्म का सेवन शरीर में रक्त की कमी को पूरा करता है। लौह भस्म एक उत्तम रसायन है जो पूरे स्वास्थ्य को बेहतर करता है।
आयुर्वेद में लौह कल्प बनाये जाते हैं। लौह कल्प वह दवाएं हैं जिनमे लौह भस्म मुख्य घटक है। लौह के अतिरिक्त इन दवाओं में हर्बल घटक जैसे की आंवला, शहद आदि भी होते हैं। लौह कल्प के नाम में ‘लौह’ शब्द का प्रयोग होता है। लौह कल्प को क्रोनिक बिमारियों के इलाज़ के लिए प्रयोग किया जाता है।
लोहा या लौह आयुर्वेद में
आयुर्वेद में कई तरह के लोहों का वर्णन है। ऐसी कथा है की प्राचीन काल में देवताओं के द्वारा मारे हुए लोमिन नामक दैत्यों के शरीर से कई प्रकार के लोहे पैदा हुए।
लौह भस्म में निम्लिखित अवयव पाए जाते हैं:
- फेरिक ऑक्साइड Ferris oxide Fe2O3 87.930%
- फेरस ऑक्साइड Ferrous oxide FeO 2.850%
- सिलिका Silica SiO2 7.338 %
- फॉस्फोरस पेंटाऑक्साइड Phosphorous pentoxide P2O5 0.338%
- मग्नेसिया Magnesia MgO 0.083 %
- लाइम Lime CaO 0.363 %
- पोटाश Potash K2O 0.012 %
लौह भस्म के लाभ/फ़ायदे Benefits of Lauha Bhasma
यह शक्तिशाली हीमैटिनिक दवा है। हीमैटिनिक Hematinic वो दवा होती है जो की रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा को बढ़ाती है।
- यह पांडू रोग को नष्ट करता है।
- यह आयु बढ़ाने वाला है, बल एवं वीर्य बढ़ाने वाला है।
- यह रोगनाशक, वाजीकारक तथा शक्तिवर्धक है ।
- यह श्रेष्ठ रसायन है।
- यह वयस्थापना (anti-ageing) और लेखन (emaciating) है।
- यह कान्तिजनना (complexion improving) है।
- यह अग्निवर्धक है।
- यह भूख बढ़ाता है।
- यह कफ और पित्त रोगों का नाश करता है।
- यह रक्त स्तंभक Blood coagulating और रक्तवर्धक है।
- लोहा कड़वा, कसैला, भारी, रूखा, और वातकारक है। यह आँखों के लिए हितकारी है।
लौह भस्म के चिकित्सीय उपयोग Uses of Lauha Bhasma
- खून की कमी, कमजोरी, थकावट
- रक्त प्रदर, श्वेत प्रदर
- रक्तार्श bleeding piles
- अग्निमांद्य, अतिसार, अम्लपित्त
- तिल्ली बढ़ जाना, प्लीहा रोग, यकृत विकार, पीलिया
- कृमि
- त्वचा विकार
- पूरे शरीर में सूजन, शरीर का फूला हुआ दिखना
- मेदोदोष
- अस्थमा,
लौह के सेवनकाल में सफ़ेद कोहंड़ा, तिल का तेल, उड़द, राई, शराब, खटाई, मछली, बैंगन, करेला नहीं खाना चाहिए, ऐसा आयुर्वेद में लिखा है।
सेवन विधि और मात्रा Dosage of Lauha Bhasma
- 125 mg – 250 mg, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
- इसे शहद या घी के साथ लें।
- दवा का अनुपान रोग पर निर्भर है।
- इसे भोजन करने के बाद लें।
- या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।
इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।
This medicine is manufactured by Baidyanath (Lauha Bhasma), Dabur (Lauh Bhasma), Patanjali Divya Pharmacy (Lauh Bhasma), Rasashram (Loha Bhasma, Shri Dhootapapeshwar Limited (Loha Bhasma) and many other Ayurvedic pharmacies.
Hello sir im shyam sahu , sir mere shoulder yaniki hath ke uper bhut sari dhariya hai iska ilaj kya hai kya is me loha bhasm ka upyog kar sakta hu
Sir aap k yaha medicine mil jati h
By Lou bhasm