लोहड़ी : जानिए क्यों मनाया जाता है यह त्यौहार और क्या है इससे जुड़ी अनूठी मान्यताएं
[ads4]मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है लोहड़ी का त्योहार। लोहड़ी के दिन से माघ का महीना शुरू हो जाता है। ऐसा कहा जाता है कि लोहड़ी की रात सबसे सर्द रात होती है। लोहड़ी हंसने-गाने, एक-दूसरे से मिलने-मिलाने और खुशियां बांटने का त्योहार है। इसके पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं। यही नहीं उत्तर भारत में इसे मकर संक्रांति के नाम से मनाया जाता है। आज हम आपको बता रहे हैं लोहड़ी से जुड़ी 5 खास बातें:
1.लोहड़ी को अलग-अलग जगह अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। इसे पहले लोई कहा जाता था जो संत कबीर के पत्नी का नाम है। आज भी पंजाब के ग्रामीण इलाकों में इसे लोही कहकर पुकारा जाता है। कुछ लोग कहते हैं लोहड़ी शब्द को पहले लोह कहते थे, जिसका मतलब हुआ लोहे का तवा जिस पर रोटियां बनाई जाती हैं।
2.एक और कथा में कहा गया है कि होलिका और लोहड़ी दोनों बहनें थी। कई जगह लोहड़ी को पहले तिलोड़ी कहा जाता था। यह शब्द तिल और रोड़ी (गुड़ की रोड़ी) शब्दों के मेल से बना है, जो समय के साथ बदल कर लोहड़ी के रुप में प्रसिद्ध हो गया।
3.लोहड़ी से जुड़ी कई मान्यताएं है लेकिन सबसे प्रचलित कहानी है दुल्ला भट्टी की। सुंदरी और मुंदरी नामक दो अनाथ लड़कियां थीं। उस समय लड़कियों को अमीरों को बेच दिया जाता था। सुंदरी और मुंदरी को बेचे जाने का पता लगने पर दुल्ला भट्टी जिन्हें मुगल शासक डाकू मानते थे, उन्होंने दोनों लड़कियों को छुड़ाकर उनकी शादी कराई। एक जंगल में आग जलाकर सुंदरी और मुंदरी का विवाह कराया गया।
4.पंजाबी किसानों के लिए लोहड़ी इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं कि लोहड़ी से अगला दिन इनके लिए फाइनेंशियल न्यू ईयर होता है। जो इन लोगों के काफी महत्वपूर्ण है। दरअसल लोहड़ी फसलों का त्योहार है। इस समय गन्ने की फसल की कटाई की जाती है। यही वजह है कि इस त्योहार में गुड़ और गजक का इस्तेमाल किया जाता है।
5.लोहड़ी के दिन लोग आग के चारों ओर बैठकर लोग आग में तिल, चावल, रेवड़ी, खील, गज्जक, डालते हैं। इस दौरान कहा जाता है कि घर में सम्मान आए और गरीबी दूर जाए। जिस घर में नई शादी हुई हो या बच्चा हुआ हो उनके लिए लोहड़ी बहुत खास होती है। लोहड़ी के दिन सबसे ज्यादा लोकगीत गाए जाते हैं। दरअसल लोकगीतों के तहत सूर्य भगवान को धन्यवाद दिया जाता है जिससे कि आने वाले साल में भी लोगों को उनका सरंक्षण मिलता रहे। इसके अलावा महिलाएं गिद्दा गाती हैं। इस दिन पतंग भी उड़ाई जाती है।