देवो के देव महादेव को प्रसन्न करने के लिए शिवरात्रि का दिन बेहद ही उचित माना जाता है. मान्यता है कि शिवरात्रि के दिन सच्चे मन से भोलेनाथ को फूल, भांग और प्रसाद अपर्ति करने से वह खुश होते हैं और मन चाहा वर देते हैं।
मान्यता है कि इस दिन शिव उपासना के साथ उपवास करने से जीवन में सुख, समृद्धी, निरोगी शरीर और बेहतर जीवन का आर्शीवाद मिलता है और इस जीवन में सभी सुखों को भोगने के बाद जीवन-मृत्यु के चक्र से छुटकारा मिलता है और परमपद की प्राप्ति होती है।
शिवरात्रि के दिन पूजा तो हर कोई करता है कि, लेकिन पूजा के बाद कुछ चीजों का ध्यान रखना अति आवश्यक है. आज हम आपको बताएंगे कि शिवरात्रि के दिन पूजा करते वक्त किस बात का ध्यान रखना चाहिए. ताकि भोलेनाथ को प्रसन्न किया जा सके. महादेव की पूजा विधि की तमाम जानकारी देने वाले शिवपुराण में कुछ ऐसी बातें बताई गई हैं, जो अगर शिवरात्रि के दिन किए जाए तो भक्त पर कृपा के स्थान पर क्रोध बरसता है. तो चलिए शिवरात्रि से एक दिन पहले जानते हैं कि पूजा करने के साथ ऐसे कौन से काम है, जिनको करने से शिवजी आपसे नाराज हो सकते है।
शिवरात्रि पर ना करें ये काम :
- अपमान न करें : शिवरात्रि की पूजा करें या ना करें हमें कभी भी अपने से बुजुर्ग को किसी भी हालात में अपमानित नहीं करना चाहिए. किसी बुजुर्ग व्यक्ति, गुरु, भाई-बहन, जीवन साथी, माता-पिता, मित्र और ज्ञानी लोगों का अपमान गलती कभी हो जाता है तो हमें वक्त रहते क्षमा मांग लेनी चाहिए. ऐसा कहा जाता है कि शिवरात्रि के दिन बड़े-बुजुर्गों का अपमान करने से शिवजी नाराज हो जाते हैं।
- शिवलिंग पर ना चढ़ाएं तुलसी : शास्त्रानुसार मान्यता है कि शिवलिंग पर कभी भी तुलसी नहीं अर्पित करनी चाहिए. शास्त्रों में तुलसी को भगवान विष्णु पर चढ़ाने के लिए शुद्ध माना गया है लेकिन शिवलिंग पर इसे चढ़ाना वर्जित माना गया है।
- हल्दी से करिए परहेजः शिवजी की पूजा करते वक्त ध्यान रखिए की आप शिवलिंग पर हल्दी नहीं चढ़ानी चाहिए. शास्त्रानुसार शिवलिंग पुरुष तत्व से संबंधित है और ये शिवजी का प्रतीक है. इस कारण शिवलिंग पर नहीं, बल्कि जलाधारी पर हल्दी चढ़ानी चाहिए।
- प्रातःकाल करें पूजाः शिवरात्रि के दिन जितनी सुबह हो सके शिवजी की अराधना करें. जल्दी जागें और स्नान आदि कार्यों के बाद शिवजी की पूजा करें. अगर आप देर तक सोते हैं और इस कारण देर से पूजा करते हैं तो आपको भी शिवजी की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है।
महाशिवरात्रि को शिवभक्ति का परमोत्कर्ष माना जाता है। इस दिन शिव उपासना कई तरीकों से की जाती है और शिव को प्रसन्न कर मनोकामना सिद्धी के उपाय किए जाते हैं।
- सबसे पहले महाशिवरात्रि के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठ जाएं। उसके बाद किसी नदी या पवित्र सरोवर में स्नान करें। नदी या सरोवर में संभव नहीं हो तो घर पर तिल के बीज पानी में डालकर स्नान करें। इससे शरीर की अशुद्धियां दूर होती हैं। उसके बाद शिव मंदिर जाएं।
- शिवमंदिर में शिवलिंग की पंचामृत से पूजा करें और फूल, गुलाल, कुमकुम, हल्दी, मेहंदी, अबीर, इत्र, वस्त्र आदि समर्पित करते हुए आसन पर बैठकर शिव की किसी स्तुति का पाठ करें। शिव स्तुति में रुद्राष्टक, शिवपंचाक्षरस्त्रोत, तांडवस्त्रोत और शिव चालीसा का विशेष विधान है।
- महाशिवरात्रि में शिव की रात्रि पूजा का विशेष विधान है। इसलिए रात्रि के चारों प्रहर में शिव की विधि-विधान से पूजा करें। हर प्रहर का पूजा विधान अलग है और कोशिश करें कि प्रत्येक प्रहर में स्नान करने के बाद ही शिवपूजा में संलग्न हो।
- महाशिवरात्रि की सबसे मुख्य उपासना उपवास मानी जाती है। इसके लिए संध्याकाल से ही व्रत का संकल्प कर लें और उसके बाद खाने-पीने में विशेष सावधानी बरतें। यानी हल्की और कम मात्रा में सात्विक आहार ग्रहण करें जैसे दूध, फल आदि। रात्रि के समय शिवसाधना में गुजारें। इसके लिए मंदिर या घर कहीं पर भी शिवसाधना कर सकते हैं।
व्रत में कुछ सावधानियां भी बरती जानी जरूरी है। व्रत के समय ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए, बुरी आदतों जैसे बुराई करना और अपशब्दों के इस्तेमाल से परहेज करें।
13 और 14 फरवरी को लेकर भ्रमित न हों, इस दिन रखें महाशिवरात्रि का व्रत :
महाशिवरात्रि के व्रत का फायदा तभी मिलेगा जब आप महाशिवरात्रि के दिन और रात दोनों समय सात्विक रहें अपने मन से आहार से विचार से और शिव साधना में रत होकर अपनी दिनचर्या को व्यतीत करे।
अवगुणों का त्याग करे, सदगुणों का संकल्प लें और जगत कल्याण की भावना के साथ दूसरे दिन व्रत का पारायण करें, जिससे इहलोक में सभी सुखों को भोगने के बाद मोक्ष प्राप्त करें और देवादिदेव महादेव के श्रीचरणों में आपको जगह मिले।
महाशिवरात्रि का व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। भगवान शिव भौतिक समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाले है। इस वर्ष यह पावन पर्व 13 फरवरी 2018 मंगलवार को है यद्यपि कतिपय पंचागकारों ने 14 फरवरी को भी व्रत करने के लिए कुछ तर्क दिये हैं पर वह तर्क ही है शास्त्र सम्मत नहीं कहा जा सकता क्योंकि इस व्रत मे निशीथ व्यापिनी चतुर्दशी ही मान्य है और इस वर्ष दोनों दिन निशीथ व्यापिनी चतुर्दशी है।
शिवरात्रि व्रतं तत्र कुर्याज्जागरणं तथा इस अनेक शास्त्रीय प्रमाणों से यह निर्णीत है कि 13 फरवरी को ही व्रत करना उचित है वैसे भी ज्योतिषीय दृष्टि से मंगलवार को त्रयोदशी तिथी पड़ने से सिद्ध योग होता है। यह जया तिथि है भौम युक्ता जया विशेष शुभकारक है। उपर्युक्त प्रमाणानुसार समस्त सनातन धर्मावलम्वी महानुभाव औढरदानी भगवान शिव के प्रसन्नतार्थ 13 फरवरी मंगलवार 2018 को ही शिवरात्रि व्रत करके भगवती सती के पति प्रभु शिव की अक्षुण्ण कृपा प्राप्त करें।