वायु प्रदूषण रोकने व वर्षा के पानी को आकाश मे ही शुद्ध करने का एक ही उपाय है – यज्ञ हवन
बदबू/दुर्गन्ध/प्रदूषण क्या है ?
दुर्गन्ध या प्रदूषण और कुछ नहीं बल्कि परमाणुओं का एक संघटन (अणु) ही है उसी से दुर्गन्ध आती है. हमारे शरीर की दुर्गन्ध को दूर करने के लिये हम क्या करते है?
पर्फ्यूम लगाते है! उसी प्रकार यज्ञ भी पर्यावरण/वायुमण्डल का पर्फ्यूम/सेन्ट ही है।
जब अग्नि मे शुद्ध घी डाला जाता है तो वो अपने परमाणुओं मे टूट कर वायु मे व्याप्त प्रदूषण के परमाणुओं का स्थाई ईलाज करता है और जितनी मात्रा मे घी डाला है उसी के अनुरूप सर्वत्र फैलता है तथा साथ ही साथ अग्नि वायु को हल्का कर देती है हल्की वायु उपर उठती है और शुद्ध वायु को व्याप्त होने का अवसर मिलता है।
जैसे जब माताएं रसोई मे भोजन मे मिर्च आदि का छोंक लगाती है तो मिर्च की गंध सर्वत्र फैलती है और सभी खांसते है ; उसी का विपरीत कार्य यज्ञ का है वायु शुद्धिकरण के साथ साथ स्वच्छ वायु को प्रवेश करवाना|
यदि वायु स्वच्छ रहेगी तो अम्ल वर्षा, फसलो का नाश होना, कई प्रकार की बीमारियाँ आदि से मुक्ति होगी।
इसके अतिरिक्त दूसरा उपाय परमात्मा ने सुगंधित पुष्प आदि रच कर किया है परंतु मूर्ख लोग उन पुष्पों को समय से पूर्व ही तोड़ डालते है और पत्थरों, कब्रों, मजारों को भगवान, अल्लाह मान कर चडाते है जिससे वो सड़ कर महादुर्गन्ध पैदा करते है|
ध्यान रहे जैसा प्रदूषण का उपचार ये प्राकृतिक तत्व कर सकते है वैसा ये कत्रिम (ओडोनिल एयर & रूम फ्रेशनर्स) आदि कभी नहीं कर सकते , क्यू की ये दूषित परमाणुओं का नाश नहीं करते अपितु सुगंधित परमाणु अधिक मात्रा मे फैला देते है जिससे दुर्गन्ध दब जाती है
प्रत्येक व्यक्ति चाहे लाख प्रयास कर ले परंतु वायु को प्रदूषित होने से रोक नहीं सकता परंतु यज्ञ द्वारा उसका उपचार कर सकता है।
sahi pakde hai