पांडू रोग के लिए अनुभूत और परीक्षित नुस्खे अनुभव करे अवश्य लाभ मिलेगा |
इस भयानक रोग के कारण पहले नाख़ून और आँखे पीली हो जाती है|फिर धीरे-धीरे सारा शरीर ही पिला हो जाता है|मल तथा मूत्र का रंग भी पिला हो जाता है|यह रोग प्रायः दो कारणों से हुआ करता है प्रथम तो यह की पित अधिक होकर और खून में मिलकर सारे शरीर का रंग पिला बना देता है|दूसरा यह की पित की नालियों में सुद्दा पड़ जाने के कारण से यह रोग उत्पन होता है| निचे कुछ इसके लिए कुछेक अनुभूत एवं परीक्षित योग प्रस्तुत किये जा रहे है अवश्य लाभप्रद होंगे|
1 .-पांडूहर गुटी – अत्यन्त सरल और लाभप्रद योग है अनेको बार अनुभव में आ चूका है|हर बार सफल रहा है विधि- आवश्यकतानुसार भुने हुए और बिना छिलके के चने ले|3 दिनों तक इसपन्द के दूध में खरल करके जंगली बेर के बराबर गोलिया बनाकर खुश्क कर ले आवश्यकता के समय निराहार मुख गोली ठंडे पानी के साथ दिया करे यह एक साधारण सी वस्तु है,परन्तु गुणों की खान है|
2 .-पुडिया का चमत्कार – यह योग भी बड़ा लाभप्रद है और अनेको बार अनुभव में आ चूका है| विधि – सफेद फिटकडी आवश्यकतानुसार ले और लोहे के तवे पर रखकर भुन ले शीशी में डाल ले|नित्य प्रातः काल एक से तीन ग्राम की पुडिया 125 ग्राम दही में मिलाकर दिया करे|अनेको बार का अनुभूत योग है| दिन में और भी दही पिलाते रहे ,यदि दही न मिल सके तो छाछ से ही काम चलावे |रोग मिट जायेगा
3 .-शंख जीरक भस्म – यह पांडू रोग का अंतिम उपचार है अपने गुणों में शानदार है और सदा अचूक है विधि – 15 ग्राम शंख जीरक लेकर सिरस के पत्तो के रस रखकर कपरोटी करे|तीन चार किलो उपलों की आग दे ठंडा होने पर निकालकर बारीक़ पीसकर शीशी में रख ले ,आवश्यकता के समय निम्नलिखित विधि से ले रात के समय आधा किलो गरम दूध एक कोरे कूजे में डालकर और किसी रुमाल आदि से मुख बंद करके रात भर हवा में पड़ा रहने दे ,प्रातः समय एक से दो ग्राम तक ओषधि इस दूध के साथ निराहार मुख दिया करे|एक ही सप्ताह में यह रोग मिट जायेगा|
4 .-सरलोपचार – यह ओषधि भी पांडू रोग के लिए गुणकारी है|कई बार तो यह बड़े-बड़े योगो से अधिक प्रभाव दिखाती है | बिल्कुल आसान और तुच्छ सी वस्तु है | विधि – आवश्यकतानुसार सुहागा लेकर बारीक़ पिस रखे|जरूरत पड़ने पर एक ग्राम ओषधि प्रातः दही के साथ दे|
5 .-पांडूहारी नश्य – विधि – आवश्यकतानुसार कंवलगट्ठा लेकर छिलके सहित खूब बारीक़ पीसकर रखे|प्रातः समय एक से दो रती तक नस्य के रूप में सुंघाया करे|तीन चार दिनों में रोग में लाभ होना शुरू हो जायेगा|
अपथ्य -तेल और चिकनाई की तथा वात प्रधान वस्तुओ से एंव लहसुन ,लाल मिर्च से परहेज करे|
आहार -जहा तक हो सके नर्म और सुपाच्य वस्तुए खिलाई जाये