अलसक (आंतो में रोग) और वायुगोला रोग के लिए सरल और घरेलू प्रयोग -लाभ ले
कई बार रोगी का पेट फूलता जाता है इसी कारण भी दस्त लगते है रोगी को ऐसा लगता है जेसे उसका पेट फट
जायेगा.मरीज मछली की तरह तडपता है इसमें गुदा के रस्ते गेस नही निकलती है .
1.- आंतो में शोथ के कर्ण उल्टी व दस्त –
विधि —- जसद भस्म 1 रती ,मिश्री 6 रती दोनों को मिला ले तथा इसकी 6 मात्राये बनाये .2-2 घंटे पर 1-1
पुडिया छाछ या दूध के साथ देने से सत्वर लाभ होने लगता है .जो छाछ या दूध सहन न कर सके ,उन्हें जो या
धान की खिलो का युष दे .
2 .- पेट की सुजन आदि पर –
विधि —- गोमूत्र का सेवन करने से आंतो की सुजन ,पेट दर्द ,बढ़ी हुई यकृत व तिल्ली ठीक होती है .गोमूत्र
का सेवन करने ऐ गुर्दे के विकार भी ठीक होते है ..खून की खराबी अथार्त रक्तविकार में गोमूत्र को छानकर
15 बूंद से एक चम्मच तक दिन में दो बार लेने से खून साफ होता है .
3.- अलसक ,आंतो में सुजन –
विधि —– अग्निमुख चूर्ण 1-2 ग्राम गुनगुने पानी संग दे .पेट से खूब गेस निकलेगी
4 .- वायु गोला रोगी मछली की तरह तडफता है –
विधि —- पान वाला चुना 1-2 रती ,गुड छोटे बेर बराबर लेकर चुने को गुड में रख गोली बना ले .यह गोली
1-2 घूंट पानी के साथ रोगी को नीगलवा दे . लाभ हो जाएगा .
5 .- गुल्म रोग –
15 ग्राम सोंठ के चूर्ण को 250 ग्राम दूध में उबाले .8-10 मिनट उबलने के बाद छान ले .अब इसमें 20 -25
ग्राम एरंड तेल डाल गुनगुना रहने पर पी कर सों जाये .कुछ दिनों तक प्रयोग करने से बहुत लाभ होगा .