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दिमाग की गड़बड़ी Alzheimer के कारण लक्षण और औषधियों द्वारा आयुर्वेदिक इलाज !!

Alzheimer’s रोग होने का मुख्य कारण अभी तक पता नहीं चला हैं और इस पर अभी भी शोध चल रहा हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है की हमारे मस्तिष्क में दिमाग (Brain) के अंदर कुछ कोशिकाओ (Cells) की उम्र के साथ मृत्यु होने के कारण दिमाग में कुछ संदेश (signal) पहुचने में गड़बड़ी होने से Alzheimer’s होता हैं। अगर आपके परिवार में किसी को यह रोग होने का इतिहास है तो आपको यह रोग होने के संभावना बढ़ जाती हैं।  Alzheimer, Alzheimer का इलाज, Alzheimer ka ilaj,

आपके डॉक्टर आपको दिमाग की गड़बड़ी पता करने के लिए CT Scan, MRI या PET जैसे परिक्षण करने की सलाह  दे सकते हैं। मधुमेह (Diabetes), ह्रदय रोग (Heart Disease), अनुवांशिकता (Hereditary), मोटापा (Obesity) और सिर में चोट (Head Injury) के इतिहास होने वाले व्यक्तिओ में Alzheimer’s होने का खतरा अधिक रहता हैं। Alzheimer, Alzheimer का इलाज, Alzheimer ka ilaj,

Alzheimer’s रोग जैसे लक्षण कुछ अन्य रोगो में भी हो सकते है जैसे की :

  1. Hyperthyroidism – ज्यादा प्रमाण में Thyroxine हार्मोन के निर्मिति होना
  2. Vitamin B12 या Folic acid की कमी
  3. Parkinson’s Disease
  4. Brain Tumour
  5. Subdural Hematoma

पीड़ित की जांच कर डॉकटर योग्य निदान कर अगर लक्षण ऊपरी कारणों से है तो उनका इलाज कर सकते हैं। हालाँकि Alzheimer से पूर्णत्यः मिलती किसी व्याधि का वर्णन आयुर्वेद के ग्रंथों में नही है परंतु इससे काफ़ी मिलते जुलते रोगों के निदान को अंकित किया गया है. इसके अलावा मिर्गी, मस्तिष्क की कमज़ोरी से उत्पन्न मनोभ्रन्श, पागलपन, उन्माद, बेहोशी, इन सब रोगों के उपचार को करने की विधा आयुर्वेद में मौजूद है. Alzheimer, Alzheimer का इलाज, Alzheimer ka ilaj,

अल्ज़इमर रोग के लक्षण ( Symptoms of Alzheimer’s Disease in Hindi )

  1. यादाश्त का लगातार कमज़ोर होना
  2. व्यवहार में परिवर्तन
  3. थोड़ी देर पहली हुई घटनायें भूल जाना
  4. बातचीत करने में असमर्थता
  5. रोज़मर्रा के कार्यों को करने में असमर्थता
  6. प्रतिक्रिया देने में विलंभ
  7. सामान्य कार्यों को करने में देरी करना
  8. व्यक्तियों एवं जगहों के नाम भूल जाना
  9. सामाजिक व्यवहार में अवरोध
  10. सामान्य प्रश्नों के जवाब ना दे पाना.

अल्ज़इमर रोग के कारण ( Causes of Alzheimer’s Disease in Hindi )

आयुर्वेद के अनुसार तीनों दोषों में उत्पन्न विकृति से यह रोग उत्पन्न होता है. प्रधान रूप तंत्रिका तंत्र में वात के असंतुलित होने से मस्तिष्क के रोग पैदा होते हैं. स्व-प्रतिरक्षक रोग है जिसमें अनेक कारणों से मस्तिष्क की कोशिकाएँ आपस में ही उलझकर, प्लॅक्स (plaques) का निर्माण कर देती हैं. ये प्लॅक्स मस्तिष्क की कार्यप्रणाली में अवरोध उत्पन्न करते हैं.

अल्ज़इमर रोग से बचने के साधन और इसे घटाने हेतु कुछ लाभदायक प्रयोग ( Preventions and Helpful Treatments In Alzheimer’s in Hindi ) Alzheimer, Alzheimer का इलाज, Alzheimer ka ilaj, 

हर रोज़ तेल से मालिश करने से और सिर में तेल से चम्पी करने से वात को शांत किया जाता है. यह रोग बढ़ती हुई उमर के साथ उत्पन्न होता है. मानसिक क्रियाशीलता, नये-नये कार्यों को करने में रूचि लेना, दिमाग़ को चुनौती देनेवाले कार्य (शतरंज खेलना, नयी भाषा सीखना) करने से इस रोग के होने की संभावना कम हो जाती है. Alzheimer, Alzheimer का इलाज, Alzheimer ka ilaj,

अल्ज़इमर रोग में लाभदायक आयुर्वेदिक प्रयोग (Ayurvedic Treatments Beneficial in Alzheimer’s Disease in Hindi)

  • पंचकर्म: इस आयुर्वेदीय प्रणाली से शरीर में मौजूद जीव विष (toxins) को बाहर निकाला जाता है. इस क्रिया में पाँच प्रकार से शरीर की शुद्धि एवं मस्तिष्क की कोशिकायों की पुष्टि की जाती है: Alzheimer, Alzheimer का इलाज, Alzheimer ka ilaj,
    शिरोधाराशिरो बस्तीनास्य( medication via nose),शिरो लेप, निरूहावस्ती (enema to detoxify colon)

शिरोधारा: इस क्रिया में औषधियों से सीधह तेल को एक पात्र द्वारा धारावॅट रोगी के मस्तक पर प्रवाहित किया जाता है. यह मस्तिष्क को पुष्टि देने में सहायक. इस प्रक्रिया से मस्तिष्क में ऑक्सिजन, रक्त तथा ग्लुकोइसे की मात्रा बढ़ती है जिससे नवीन उर्जा क अनिर्माण होता है. Alzheimer, Alzheimer का इलाज, Alzheimer ka ilaj,

नास्य: इस प्रयोग में औषधि को नाक के माध्यम से दिया जाता है. फलस्वरूप औषधि का विस्तार पूरे मस्तक प्रदेश तथा दिमाग़ में हो जाता है और रोगग्रस्त क्षेत्रों दवाई सीधा असर करती है. Alzheimer, Alzheimer का इलाज, Alzheimer ka ilaj,

शिरो बस्ती: यह प्रणाली अत्यंत लाभकर है और इसमें एक टोपी के मध्यम से औषधीय तेल को रोगी के मस्तक पर रखा जाता है. यह प्रयोग पारकिनसन रोग (Parkinson’s disease), अधरंग, सेरेब्रल अट्रोफी (cerebral atrophy) में लाभदायक सिद्ध होता है.

शिरो लेप: इस प्रयोग में औषधि का लेप बनाकर रोगी के सिर में लगाया जाता है. यह विभिन्न प्रकार के मानसिक रोगों का उपचार करने में सहायक विधि है. Alzheimer, Alzheimer का इलाज, Alzheimer ka ilaj,

  • पौष्टिक भोजन लेना तथा परिपक्व जीवन शैली का निर्वाह करना शरीर और मन दोनो के लिए लाभदायक है. विवेक शक्ति का यथोचित प्रयोग करना और उचित निर्णय के साथ विधायक कर्म करना भी आयुर्वेद की दृष्टि में महत्वपूर्ण कारक हैं. प्राणायाम का अभ्यास ख़ासकर नाड़ी शोधन करने से मस्तिष्क की कोषों में तेजस्विता आती है. प्राणायाम और योगाभ्यास से तंत्रीकेयों पर स्करात्मक प्रभाव पड़ता है तथा जमा जीवववीश भी निष्कासित होतें हैं. श्वास को ठीक प्रकार से लेने से मस्तिष्क में ऑक्सिजन की वृद्धि होती है और रक्त का दौरा भी बढ़त है जिससे ग्लूकोस और पोशाक तत्व दिमाग़ में जाते हैं.
  • ब्राहमी के प्रयोग से बहुत सारे चमत्कारिक लाभ देखने को मिलते हैं. यह तंत्रिकासंचारक (neorotransmitter) के स्राव को बढ़ाता है और मस्तिष्क को स्फूर्ति प्रदान करता है. Alzheimer, Alzheimer का इलाज, Alzheimer ka ilaj,

इसके साथ ही साथ इंद्रियों को पुष्ट करना भी इस रोग के उपचार में निहित है (Tending The Sensory Organs And Their Re-sensitisation)

  • कानों के लिए उचित आहार है सत्संग श्रवण एवं ईश्वर नाम भजन को सुनना. आयुर्वेद के अनुसार निंदा , तीक्ष्ण ध्वनियों तथा अप्रीतिकर संगीत को सुनना कानों के लिए घातक है. इसके साथ ही साथ ध्वनि प्रयोग द्वारा चिकित्साका प्रावधान भी आयुर्वेद में है. कामचू राग के श्रवण से स्मृति शक्ति बढ़ती है. इसी तरह केदार, धन्यासी, वसंत, मुकरी तथा हुस्सैनी रागों के श्रवण से मानसिक व्याधियाँ शांत होती हैं. जंजुती से मानसिक प्रसन्नता उत्पन्न होती है जबकि बिलाहारी से मानसिक शुद्धीकरण घटित होता है. शाहाना राग से शुभ विचार आते है. सौराष्ट्र तथा साम राग द्वारा मानसिक शांति उत्पन्न होती है. राग नायकी से विभिन्न प्रकार की मानसिक व्याधियों का निराकरण संभव है.Alzheimer, Alzheimer का इलाज, Alzheimer ka ilaj,
  • त्वचा का उचित आहार है कोमल स्नेहयुक्त स्पर्श. साथ ही साथ यदि संतरी रंग के कपड़े पहनने से मान में शांति का अनुभव होता है. खुरदरे, कठोर और जलन करने वाले पदार्थों से स्पर्श नही करना चाहिए.
    रंगों द्वारा चिकित्सा की पद्धति को भी आयुर्वेद में मानता दी गयी है. संतरी के साथ नीले रंग के प्रयोग से शांति के साथ सुरक्षा की भावना भी निर्मित होती है. Alzheimer, Alzheimer का इलाज, Alzheimer ka ilaj,
    पीले रंग द्वारा आलर्जीस के प्रकोप को बढ़ाता है जबकि नीले रंग से शांति प्राप्त होती है. नाड़ी गति को नियंत्रित कर, श्वास को गहरा बनाकर यह रंग मानसिक शांति प्रदान करता है. हरे रंग के प्रभाव से चय्पचय (metabolism) में सुधार आता है. भूरे रंग से प्राकृतिक सामंजस्य उत्पन्न होता है. इससे चिड़चिड़ापन, मानसिक मन्द्ता दूर होती है और शरीर में थकावट दूर होती है. लाल रंग निम्न रक्तचाप(low blood pressure) को ठीक करता है तथा नाड़ी गति, श्वसन प्रणाली में भी गति प्रदान करता है.
  • नासिका का आहार है शुद्ध सुगंधियों का सेवन करना. इसके विपरीत जब तीक्ष्ण, दुर्गंध युक्त गंध नासिका के लए नुक़सानदायक है. जॅसमिन की सुगंध से घबराहट शांत होती  है. जबकि मानसिक कमज़ोरी में एलाईची और बेसिल की गंध लाभदायक है.
    हिंसक एवं पाशविक वृत्तियों के निरोध में कस्तूरी की सुगंधी अति सहायक हैं. शून्यचित्ति (absent-mindedness) के निवारण में बेसिल, संतरा या नींबू की खुशु फलदायी सिद्ध होती है. ब्राहमी के उपयोग कुंठा का निवारण करता है. विषाद की स्थिति में हरी चाय की पत्ती , चकोतरा एवं संतरे की खुश्बू अत्यंत कारगर हैं.
  • जिव्हा : उचित खानपान द्वारा मानसिक थकान दूर होती है और उर्जा में अभिवृद्धि मिलती है. ताज़े फलों और सब्जियों के रस से शरीर को बल मिलता तथा मानसिक स्फूर्ति प्राप्त होती है. ख़ासकर जब खाली पेट रसों का सेवन नित्य किया जाए. माँसाहर का सेवन उचित नहीं. Alzheimer, Alzheimer का इलाज, Alzheimer ka ilaj,

अल्ज़इमर रोग में उपयोग होने वाली कुछ जड़ी-बूटियाँ (Herbs Useful for Alzheimer’s Disease in Hindi)

ब्राहमी (Bacopa monnieri): ब्राहमी की चमत्कारिक गुण से मस्तिष्क में नवीन उर्जा उत्पन्न होती है तथा कोशिकायों को पुष्टि मिलती है. इसका प्रयोग तनाव, घबराहट, चिड़चिड़ेपन, आपसमर, स्मृति को बढ़ाने के लिए तथा बालों को झड़ने से रोकने के लिए.
ब्राहमी के सेवन से व्यक्ति के मानसिक व बौद्धिक क्षमता में चमत्कारिक वृद्धि होती है. यह तंत्रिकायों को शांत करता है.
बच (Acorus calamus) : इस जड़ी के प्रयोग तंत्रिका तन्त्र को मज़बूत करता है और स्मृति में वृद्धि लाता है. यह औशद्धि धारणा, और धृति (retention) दोनो को ही मजबूत करती है. इस औषधि का प्रयोग मेध्य रसायन में किया जाता है.
शंख पुष्पी (Convovulus pluricaulis) : यह स्मृतिवर्धक, तनावरोधक औषधि है जिसके प्रयोग से उच्च रक्तचाप की समस्या में भी लाभ मिलता है. Alzheimer, Alzheimer का इलाज, Alzheimer ka ilaj,

मुलेठी (Glycyrrhiza glabra): यह औषधि तनावरोधक और पेट के अल्सर से आराम देती है. इसके नित्य सेवन से आँखों की नज़र बढ़ती है, शरीर में ताक़त आती है और सर्दी, खाँसी , नजला इत्यादि व्याधियों से राहत मिलती है.

हल्दी (Curcuma longa): यह घरेलू प्रयोग में आने वाली मसालों में से एक है. हल्दी में आंटीयाक्सिडंट्स प्रचुर मात्रा में पायें जाते हैं तथा इसमें संक्रामक रोगों से लड़ने की शक्ति में वृद्धि होती है. ताज़ा शोथ के अनुसार यह कॅन्सर को जड़ से उखाड़ने में भी सहायक है.

अश्वगंधा (Withania somnifera) यह एक पुष्टिवर्धक , बहुप्रयोगशील औषधि है जो तनावरोधक, पुष्टिवर्धक, स्मृतिवर्धक औषधि है. यह रोग-प्रतिकारक शक्ति को बढ़ाने वाली औषधि हैज़ो शरीर को पुष्टि प्रदान करती है. Alzheimer, Alzheimer का इलाज, Alzheimer ka ilaj,

सोंठ (Zingiber officinale): यह मानसिक और भावनात्मक व्याधियों को शांत करने में अत्यंत लाभकारी औषधि है. इससे भूख में वृद्धि तथा शारीरिक एवं मानसिक तनाव मेी कमी आती है. यह शरीर के अन्य अंगों पर भी विभिन्न लाभकारी प्रभाव डालती है.

गोटू कोला (Indian Pennywort): यह पोशक तत्वों से भरपूर औषधि नाड़ी दोषों के क्षमन के लिए प्रयुक्त होती है. डाइयबिटीस स उत्पन्न होने वाले तंत्रिका संबंधी रोग इस औषधि से निवृत्त होते हैं. Alzheimer, Alzheimer का इलाज, Alzheimer ka ilaj,

इसके अलावा किन्ही लोगों ने यह बताया है कि नारियल तेल का एक चम्मच रोज लेने से इस रोग का पूर्णतया निवारण किया जा सकता है.

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