Tuesday , 17 December 2024
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क्या है एनिमा – कैसे करते हैं और क्या हैं इसके लाभ.

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एनिमा सदियों से चली आ रही एक ऐसी स्वास्थ्य प्रक्रिया है जिसका विशेष उपयोग अनेक जटिल रोगों के इलाज से पहले बड़ी आंत और पेट के अन्दर जमी हुयी गंदगी को बाहर निकालने के लिए किया जाता है. इसको आप ऐसे समझ सकते हैं के जैसे एक बोतल को साफ़ करने के लिए उसमे पानी डालकर थोड़ी देर रखा जाए और फिर उस गंदे पानी को निकाल दिया जाए. ठीक इसी प्रकार से शरीर के मलद्वार अर्थात गुदा मार्ग से एक पानी की पाइप डालकर पानी को पेट बड़ी आंत तक पहुँचाया जाता है और जितनी देर तक रोगी सहन कर सके उसके बाद शौच के जरिये इसको खाली कर दिया जाता है.

इस प्रक्रिया को करने से पेट और बड़ी आंत की सबसे अच्छी तरह सफाई होती है, ऐसा करने से अनेक रोगों से बचा जा सकता है जैसे कब्ज, एसिडिटी, गैस, बवासीर इत्यादि. इसके अलावा कई रोगों में डॉक्टर या वैद लोग इलाज करने से पहले पेट और बड़ी आंत को बिलकुल साफ़ करते हैं जिसमे एनिमा काफी महत्वपूर्ण है. चरम रोगों, गठिया, यूरिक एसिड इत्यादि रोगों और शरीर में मौजूद विजातीय पदार्थों को बाहर निकालने के लिए इसको किया जाता है.

भारतीय स्वास्थय पद्धति आयुर्वेद में एनिमा को विशेष स्थान प्राप्त है, हर बड़े रोग में पहले पेट और आंत की सफाई पर ध्यान दिया जाता है और इसमें विशेष एनिमा प्रक्रिया की जाती है. एनीमा शारीर से दूषित पदार्थो को बहुत आसानी से बाहर कर सकता है और शारीर को रोगों से मुक्त कर सकता है. इससे पेट साफ़ होता है भूख बढती है और पाचन तंत्र सुचारू रूप से काम करने लगता है. इसे आयुर्वेद, एलॉपथी, वैकल्पिक चिकित्सा, प्रकृतिक चिकित्सा सभी में स्थान दिया गया है.

एनिमा के लिए पूरी किट बाजार में मौजूद हैं और ऑन लाइन भी मौजूद है जिसे आप खरीद सकते हैं और घर पर एनीमा कर सकते हैं.
इसके अंतर्गत एनीमा बैग, एनीमा मग, एक ट्यूब , एक नोजल होता है.

एनिमा करने की विधि. Enema Kaise kare.

How to perform an enema at home in hindi

enema-1एनिमा काफी सावधानी के साथ दिया जाता है. एनिमा देने के लिए सबसे पहले रोगी को एक तरफ बायीं और लिटा दें. एक पैर आगे की और मोड़ दें और एक पैर सीधा रहने दें. अभी एनिमा पॉट के द्वारा मलाशय के अंदर पानी भरना होता है. अगर किसी रोग विशेष के लिए कोई विशेष एनिमा बताया गया है तो वो पानी तैयार कर लीजिये, अन्यथा अगर सिर्फ सफाई के उद्देश्य से ये किया जा रहा है तो फिर आप पानी को नमक, या निम्बू या नीम की पत्तियां आदि डालकर पहले अच्छे से उबाल लीजिये. अभी इसको उतना गर्म रखें जितना आप से सहन हो सके. इसके बाद इस पानी को एनिमा के बर्तन में डाल कर किसी ऊँची जगह पर रख दें जिससे की पानी तेज़ गति से नीचे की तरफ आए. अभी एनिमा की पाइप को सरसों का तेल लगा कर पाईप को मलद्वार के अंदर डालें. दस मिनट के अन्दर सारा पानी मलाशय के अंदर चला जाना चाहिये.

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ध्यान रखने की कुछ बातें – सावधानी. Enema me savdhani.

पानी इतना ही गरम इस्तेमाल करें जितना की मरीज सहन कर सके. शुरू शुरू में आधा लीटर तक पानी का इस्तेमाल करें फिर धीरे धीरे इसको बढ़ा सकते हैं. एनिमा लेते समय पानी का बर्तन किसी ऊँचे स्थान पर रख दें. पानी आसानी से मलाशय के अंदर पहुंचना चाहिये. एनिमा का पानी जब पेट में पहुँचता है तो ऐसा महसूस होता है जैसे की लैट्रिन आ रही है. यदि एसा महसूस हो तो पेट पर धीरे-धीरे हाथ फिर लें. एनिमा लेने के एक दम बाद बाथरूम न जायें. इसके बाद दस मिनट तक घूमना फिरना चाहिये. एनिमा खाली पेट दें. खाना खाने के बाद एनिमा न दें. उपवास में एनिमा ज्यादा लाभ पहुंचता है. एनिमा लेने से पहले दो गिलास पानी पीने से और भी अधिक लाभ मिलता है.  जब भी एनिमा लेना हो तो इसके एक दिन पहले उपवास कर लें और अगली सुबह एनिमा लीजिये तो बहुत फायदा होगा.

एनिमा लेने के बाद भूख लगने पर भी अधिक कुछ ना खाएं. कोशिश करें के 2-3 घंटे बिना खाए रहा जाए. इसके बाद भी बिलकुल हल्का सुपाच्य भोजन लें.

विशेष सावधानी – एनीमा कब नहीं लेना चाहिए ?

1. अगर कोई महिला पेट से है तो एनिमा न ले.
2. अगर किसी का ऑपरेशन हुआ हो तो एनिमा न ले.
3. अगर किसी का पेट दुःख रहा हो और कारण का पता न हो तो भी एनिमा न ले.
4. ह्रदय रोगियों को भी एनिमा नहीं लेना चाहिए या सिर्फ डॉक्टर की सलाह पर ही लें.

बहुत सारे केसेस में डॉक्टर से सलाह कर ही एनीमा लेना चाहिए. डिहाइड्रेशन से बचने के लिए खूब पानी पीना चाहिए.

एनिमा को लेकर कुछ सवाल.

क्या घर में एनीमा करना सुरक्षित होता है ?

अगर जानकारी के साथ एनीमा किया जाए तो ये पूरी तरह से सुरक्षित होता है क्यूंकि इसमे कोई दवाई नहीं ले रहे है अपितु पानी को अन्दर डाल के पेट की सफाई की जा रही है. अतः बिना किसी हिचक के इसे घर में किया जा सकता है.

एनीमा कब करना चाहिए ?

इसके लिए सबसे उपयुक्त समय सुबह का होता है क्यूंकि इस समय पेट प्राकृतिक तौर पर भी खाली होने को तैयार रहता है. और एनीमा के बाद व्यक्ति पूरा दिन बहुत अच्छा महसूस करता है.

पहली बार में कितना द्रव्य एनीमा से लेना चाहिए ?

इसका जवाब तो ये है की हर व्यक्ति की अपनी कषमता होती है परन्तु फिर भी 500 ml शुरू में उपयुक्त होता है. जिसे धीरे धीरे बढ़ाया जा सकता है.

एनीमा के लिए अपने आपको कैसे तैयार करे ?

एनीमा का मुख्या उद्देश्य है बड़ी आंत को साफ़ करना अतः ये अच्छा है की हम एक दिन पहले उपवास करे और सिर्फ फल खाए साथ ही ज्यादा से ज्यादा जल पीये. पेट जीतना खाली होगा , एनीमा उतना अच्छा होगा.

कितनी देर तक एनेमा को अपने अन्दर रखना है?

इसका उत्तर ये है की जितनी देर आपकी क्षमता हो उतनी देर उसे रोके रखे. हालांकि शुरू में ये बहुत कठिन होता है. अतः जितनी देर तक रोकना संभव हो रोके फिर उसे निकाल दे.

एनीमा के बाद क्या खाए ?

जैसा की उपवास के बाद एनीमा करना बेहतर है, अतः पेट पूरा खाली हो जाता है अतः अगर ज्यादा खा लिया जाए तो पाचन तंत्र पर जोर पड़ता है अतः ये सलाह दी जाती है की हल्का भोजन करे और धीरे धीरे खुराक बढाए.

धैर्य रखे और भूख बहुत लगने पर भी जायदा न खाए अन्यथा नुक्सान हो सकता है.

 

 

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