दुनिया का सबसे Healthiest भोजन – पालक
World’s Healthiest food Spinach.
आपने बचपन में एक कार्टून देखा होगा पोपेय द सेलर मैन, उसमे जब हीरो कमज़ोरी महसूस करता है तो तुरंत पालक खाता है और तुरंत सुपरमैन बन जाता है। कुछ ऐसे ही फायदे है इस पालक के।
पालक विटामिन K, विटामिन A (करोटेनॉइड्स के रूप में), मैंगनीज, मैग्नीशियम, आयरन, कैल्शियम, एमिनो एसिड तथा फोलिक एसिड फोलेट, कॉपर, विटामिन B2, विटामिन B6, विटामिन E, कैल्शियम, पोटैशियम, और विटामिन C का अति उत्कृष्ट स्त्रोत है। कच्चा पालक खाने से कड़वा और खारा ज़रूर लगता है, परन्तु ये गुणकारी होता है। गुणों के मामले में पालक का शाक सब शाकों से बढ़ चढ़कर है। इसका रस यदि पीने में अच्छा न लगे तो इसके रस में आटा गूंथकर रोटी बनाकर खानी चाहिए। पालक रक्त में लाल कण बढ़ाता है। कब्ज दूर करता है। पालक, दाल व् अन्य सब्जियों के साथ खाएं।
पालक की प्रकृति।
पालक की प्रकृति पाचक, तर और ठंडी है। पालक में दालचीनी डालने से इसकी प्रकृति बदल जाती है, और पालक को पकाने से भी इसके गुण नष्ट नहीं होते।
शरीर क्रिया विज्ञान – फिसिओलॉजी में पालक का महत्व।
सम्पूर्ण पाचन तंत्र की प्रणाली (पेट, छोटी बड़ी आंते) के लिए पालक का रस सफाई कारक एवं पोषण करता है। कच्चे पालक के रस में प्रकृति ने हर प्रकार के शुद्धिकारक तत्व रखे है। पालक संक्रामक रोग तथा विषाक्त कीटाणुओं से उप्तन्न रोगों से रक्षा करता है। पालक में पाया जाने वाला विटामिन ए म्यूकस मेम्ब्रेन्स की सुरक्षा के लिए उपयोगी है।
गिरते बालों को रोकने के लिए पालक।
पालक में विटामिन ए विशेष मात्रा में होता है, जो सिर के बालों के लिए अत्यंत ज़रूरी होता है। जिसके सिर के बाल झड़ते हों, उन्हें प्रतिदिन कच्चे पालक का सेवन करना चाहिए, जिससे बालों का झड़ना बंद हो जाता है।
खांसी।
एक चम्मच कच्चे पालक का रस, एक चम्मच अदरक का रस और एक चम्मच शहद तीनों मिलाकर नित्य तीन बार पीने से खांसी ठीक हो जाती है।
दमा, खांसी, गले की जलन, फेफड़ों की सूजन और यक्ष्मा (टी. बी) के लिए पालक।
दमा, खांसी, गले की जलन, फेफड़ों की सूजन और यक्ष्मा (टी. बी) के लिए पालक के रस के कुल्ले करने से लाभ होता है। इसके साथ ही दो चम्मच दाना मेथी कूटकर दो कप पानी में तेज़ उबालते हुए एक कप पानी रहने पर छानकर इसमें एक कप पालक का रस और स्वादानुसार शहद मिलाकर नित्य दो बार पीने से इन सभी रोगों में लाभ होता है। फेफड़ों को शक्ति मिलती है। बलगम पतला होकर बाहर निकल जाता है।
रक्त विकार।
रक्तविकार और शरीर की खुश्की पालक के सेवन से दूर होती है।
रक्तक्षीणता एनीमिया।
आधे गिलास पालक के रस में दो चम्मच शहद मिलाकर ५० दिन पियें। शरीर में इससे रक्त की वृद्धि होगी। गर्भिणी स्त्रियों में इससे लोहे की पूर्ति होती है।
रक्तक्षय।
रक्त की कमी दूर करने हेतु पालक सर्वोत्तम है। रक्तक्षय सम्बन्धी विकृतियों में यदि प्रतिदिन पालक का रस नित्य ३ बार १२५ ग्राम की मात्रा में लिया जाए तो समस्त विकार दूर होकर चेहरे पर लालिमा, शरीर में स्फूर्ति, उत्साह एवं शक्ति का संचार, रक्तभ्रमण तेज़ी से होता है। निरंतर सेवन से चेहरे के रंग में निखार आ जाता है। रक्त बढ़ता है। इसका रस, कच्चे पत्ते या छिलके सहित मूंग की दाल में पालक की पत्तियां डालकर सब्जी खानी चाहिए। यह रक्त साफ़ और बलयुक्त करता है।
पालक पीलिया, उन्माद, हिस्टीरिया, प्यास, जलन और पित्त ज्वर में लाभ करता है।
पायोरिया।
पालक का रस दाँतो और मसूढ़ों को मज़बूत बनाता है। पायोरिया के रोगी को कच्चा पालक दाँतो से चबाकर खाना चाहिए। प्रात: भूखे पेट पालक का रस पीने से पायोरिया ठीक हो जाता है। इसमें गाजर का रस मिलाने से मसूढ़ों से रक्तस्त्राव होना बंद हो जाता है।
नेत्रज्योति।
पालक के रस का नियमित सेवन से नेत्रज्योति बढ़ती है।
पथरी।
पालक में ऑक्जेलिक एसिड होता है जो पानी में घुल जाता है, पालक में कैल्शियम और फास्फोरस होता है जो मिलकर कैल्शियम फॉस्फेट बनाता है। बहुत से लोग मानते हैं के पालक के सेवन से पथरी की समस्या होती है। जिन लोगों को पालक के सेवन से पथरी का सामना करना पड़ता है वो पालक में हरी पत्ते वाली मेथी मिलाकर साग खाएंगे तो पथरी बनने का खतरा नहीं रहेगा।
एड़ियां फटना – बिवाइयां।
कुछ लोगों की एड़ियां फटती हैं, बिवाइयां होती है। पैरों में चीर चीर दरारें होती हैं। पालक को कच्चा ही पीसकर पैरों में लेप करें। दो चार घंटे बाद धोएं, लाभ होगा।
पुराने दस्त।
दस्त जो कई महीनों से हो रहे हों, अच्छी, प्रभावशाली दवाओं से भी पूर्ण लाभ नहीं होता हो, ऐसे पुराने दस्त शरीर में लोहा, फोलिक एसिड की कमी से होते है। पालक का रस आधा आधा कप नित्य चार बार पीने से पुराने दस्त बंद हो जाते हैं। शरीर में शक्ति का संचार होता है।
पेशाब कम आना।
शरीर में पोटैशियम और नाइट्रेट की पर्याप्त मात्रा पहुँचती रहे तो पेशाब खुलकर और पर्याप्त मात्रा में आता है। हरे नारियल के पानी में पालक का रस समान मात्रा में मिलाकर नित्य दो बार पीने से पेशाब खुलकर आता है। इससे ऊपर बताये गए तत्व इनमे मिल जाते हैं।
ग्रहणी रोग।
ग्रहणी रोग में पालक का सेवन लाभप्रद है।
पाचन संस्थान के रोग।
कच्चे पालक का रस आधा गिलास प्रात: पीते रहने से कब्ज कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है। आँतों के रोगों में इसकी सब्जी लाभदायक है। पालक और बथुआ की सब्जी खाने से भी कब्ज दूर होती है। कुछ दिन लगातार पालक अधिक मात्रा में खाने से पेट के रोगों में लाभ होता है। आमाशयिक व्रण (गैस्ट्रिक अल्सर), आँतों के घाव आदि में पालक का रस लाभदायक है।
बार बार पेशाब आना।
रात को बार बार पेशाब जाने की समस्या हो तो शाम को पालक की सब्जी खाने से ये समस्या दूर होती है।
गले का दर्द।
पालक के पत्ते उबालकर पानी छान लें और पत्ते भी निचोड़ लें। इस गर्म गर्म पानी से गरारे करने से गले का दर्द ठीक हो जाता है।
नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के अलसी के बारे में ज़रूर पढ़ें।
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Very good Sir job aapne virtue hue balo ke bare me jankari di
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