सर्दी में तिल के फायदे क्यों और कैसे लें ?
तिल Til हजारो सालों से उपयोग में लाया जा रहा है। इसे अंग्रेजी में सेसेमी (Sesame) कहते है। तिल का तेल विशेष औषधीय गुणों से युक्त होता है तथा इसमें बहुत से लाभदायक एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते है।
तेल के लिए उगाई जाने वाली यह दुनिया की सबसे पुरानी फसल है। जिन कठिन परिस्थितियों में दूसरी कोई फसल नहीं होती वहाँ भी Til उगाया जा सकता है। दुनिया का सबसे अधिक Til एक्सपोर्ट करने वाला देश भारत है।
आयुर्वेद में तिल को गर्म प्रकृति का , गैस मिटाने वाला तथा दिमाग और हृदय को ताकत देने वाला बताया गया है। यह मूत्राशय और प्रजनन अंगों को स्वस्थ करता है। Til के तेल में पॉलीअनसेचुरेटेड तथा मोनोअनसेचुरेटेड फैटी एसिड होते है जो हृदय के लिए लाभदायक होते है।
तिल सफेद , पीले , भूरे , लाल और काले रंग के होते है। अधिकतर सफ़ेद और काले तिल ही उपयोग में लाये जाते है। काले Til में आयरन की मात्रा अधिक होती है। इसे “राम तिल” के नाम से भी जाना जाता है।
मकर संक्रांति वाले दिन तिल और इससे बने सामान जैसे तिल के लडडू , रेवड़ी , तिल पपड़ी आदि का दान करना शुभ माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन TIL KE TEL से मालिश करना , इससे हवन करना , इसे खाना अच्छा समझा जाता है।
तेज सर्दी के मौसम में Til से बने लडडू , गजक , रेवड़ी , तिलपट्टी आदि जरूर खाने चाहिए। इससे कफ और वात नष्ट होते है। इसका लाभ पूरे वर्ष भर मिलता है। शादी ब्याह या हवन आदि शुभ कार्य में भी तिल का उपयोग जरूर किया जाता है। इससे Til के महत्त्व का पता चलता है |
तिल की की तासीर गर्म होती है , इसलिए गर्भवती स्त्री को इसे नहीं खाना चाहिए।
तिल के पोषक तत्व – Sesame Nutrients
तिल में प्रोटीन , विटामिन , फाइबर और खनिज भरपूर मात्रा में पाए जाते है। इसमें कॉपर प्रचुर मात्रा में होता है। मेगनीज का भी यह अच्छा स्रोत होता है। इनके अलावा तिल में कैल्शियम , फास्फोरस , मैग्नेशियम , आयरन , विटामिन बी 1 , बी 3 , बी 6 तथा फोलेट की भरपूर मात्र होती है।
इसमें कोलेस्ट्रॉल कम करने वाले फीटोस्टेरोल की मात्रा सभी मेवे , फलियां या अनाज से अधिक पाई जाती है। फीटोस्टेरोल की वजह से आंतें कोलेस्ट्रॉल का अवशोषण नहीं कर पाती। Til के छिलकों में कैल्शियम , फाइबर , पोटेशियम तथा आयरन अधिक मात्रा में होता है। अतः इसे छिलके सहित काम में लेना अधिक फायदेमन्द होता है।
तिल कैसे खाये जाते है – Uses Of Sesame Seeds
Til khane ke tareeke hindi me
सर्दी के मौसम में तिल का उपयोग जरूर करना चाहिए। तिल और गुड़ के लडडू बना कर खा सकते है। तिलपपड़ी , तिलमावा बाटी , गजक , रेवड़ी आदि के रूप में तिल खाये जा सकते है। सब्जी में डालकर इसका उपयोग कर सकते है। गुजराती व्यंजन जैसे मुठिये , हांडवा , पातरा आदि में Til का उपयोग किया जाता है।
तिल के उपयोग का एक आसान तरीका यह भी है कि इसे तवे पर भून लें। इसमें थोड़ा सा नमक डालकर कूट लें। इसे सुबह शाम गरम पानी के साथ एक एक चम्मच फांक लें। इस तरह कुछ दिन लेने से शारीरिक कमजोरी , सिरदर्द , बदन दर्द आदि दूर होते है।
तिल के फायदे – Sesame Benifits in hindi
सेक्स हार्मोन
तिल के उपयोग से महिलाओं और पुरुषों में बनने वाले सेक्स हार्मोन पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। इसका कारण Til में पाया जाने वाले लिग्नेन्स नामक तत्व होते है। ये कोलेस्ट्रॉल कम करने के अलावा सेक्स हार्मोन्स की कमी के कारण होने वाले प्रभाव से बचा सकते है।
महिलाओं के लिए मेनोपॉज के बाद ये विशेष रूप से फायदेमंद साबित होते है। मेनोपॉज के बाद होने वाली स्तन कैंसर , गर्भाशय का कैंसर या मूत्राशय के कैंसर की संभावना Til के नियमित उपयोग से कम हो सकती है।
स्तन में दूध बढ़ाने के लिए , माहवारी चक्र को ठीक करने में , अनिद्रा , स्मरण शक्ति कम होने पर तिल के उपयोग से बहुत लाभ होता है। पुरुषों को होने वाले प्रोस्टेट कैंसर में भी इससे बचाव हो सकता है।
कृपया ध्यान दें : किसी भी लाल अक्षर वाले शब्द पर क्लीक करके उसके बारे में विस्तार से जान सकते हैं।
त्वचा
तिल स्किन के लिए बहुत लाभदायक होता है। इससे मिलने वाली कॉपर और जिंक की भरपूर मात्रा शरीर में कॉलेजन के निर्माण के लिए आवश्यक होती है।
कॉलेजन हमारे शरीर का वह महत्वपूर्ण प्रोटीन है जो पूरे शरीर को जोड़े रखता है। यह हड्डी , मांसपेशी , त्वचा में बहुतायत में होता है। हड्डी को मांसपेशी से जुड़ाव या लिगामेंट्स आदि सभी के कार्य करने में इन तत्वों की अहम् भूमिका होता है।
इसके अलावा TIL KE TEL की मालिश करने से त्वचा का रूखापन मिट जाता है। शरीर में स्फूर्ति आती है तथा रक्त संचार में वृद्धि होती है।
वजन कम करने के लिए
हमें भूख लगने के लिए घ्रेलिन नामक हार्मोन जिम्मेदार होता है। Til के विशेष तत्व इस हार्मोन में कमी लाते है। भूख नहीं लगना वजन कम करने में बहुत मदद करता है। इसकी अतिरिक्त तिल के कुछ विशेष फिटो केमिकल तत्व के कारण शरीर में फैट कम होता है। ये तत्व
मेटाबोलिज्म को सुधारते है और लीवर की फैट को जलाने की शक्ति को बढ़ा देते है। इस प्रकार तिल का उपयोग वजन कम करने में बहुत सहायक हो सकता है।
ब्लड प्रेशर
तिल में पाये जाने वाले खनिज तथा विटामिन रक्त वाहिकाओं पर दबाव कम करने में सहायक होते है। इससे ब्लड प्रेशर संतुलित रहने में मदद मिलती है तथा कई प्रकार के ह्रदय रोग से बचाव होता है। इसमें मौजूद मैग्नेशियम को लंबे समय से ब्लड प्रेशर कम करने वाले तत्व के रूप में जाना जाता है।
हड्डी
Til में कैल्शियम होने के साथ ही जिंक तथा फास्फोरस की भी भरपूर मात्रा होती है। इनका संयोग हड्डियों को मजबूती देने के लिए बहुत अनुकूल होता है। ये खनिज तत्व हड्डियों के बनने , हड्डी की चोट दूर करने में आवश्यक होते है तथा हड्डियों की सघनता में कमी लाने वाली ओस्टेपोरोसिस नामक बीमारी को दूर रखते है।
पाचन तंत्र
तिल में पाई जाने वाली फाइबर की प्रचुर मात्रा के कारण ये पेट और आंतें साफ करने में बहुत सहायक होते है। फाइबर वे तत्व होते है आँतों की क्रियाशीलता बढ़ाते है। इससे कब्ज से तो बचाव होता ही है , साथ ही इसका प्रभाव दस्त को रोकने पर भी होता है।
Til के लाभदायक खनिज तत्व आँतों को स्वस्थ बनाते हैं। इसके अतिरिक्त आँतों में होने वाली कई प्रकार की बीमारियों से यहाँ तक की कैंसर जैसे गंभीर रोग से भी बचाते है ।
ह्रदय रोग
तिल में तथा TIL KE TEL में कोलेस्ट्रॉल को कम करने की अनोखी शक्ति होती है। Til में पाये जाने वाले फीटोस्टेरोल की मात्रा सभी मेवे , अनाज , फलियों आदि से अधिक होती है। फिटोस्टेरॉल पेड़ पौधों से मिलने वाला कोलेस्ट्रॉल से मिलता जुलता तत्व है जो कोलेस्ट्रॉल को कम करके ह्रदय रोग से बचाता है।
Til में विशेष प्रकार के लाभदायक तत्व लिग्नेन्स भी होते है जो कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकते है। ये तत्व हानिकारक कोलेस्ट्रॉल LDL को कम करके HDL नामक लाभदायक कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाते हैं। इस प्रकार तिल हृदय के लिए हितकारी होते है।
तिल के घरेलु नुस्खे – Sesame Home Remedies
— बच्चों का बिस्तर में पेशाब करना Til के उपयोग से ठीक हो जाता है। इसके लिए 100 ग्राम गुड़ पिघला लें। इसमें 50 ग्राम तिल और 25 ग्राम अजवायन डालकर लडडू बना लें। सुबह शाम एक छोटा लडडू खाने से बिस्तर में पेशाब करने की आदत छूट जाती है।
— बार बार पेशाब जाना पड़ता हो ( डायबिटीज नहीं हो तो भी ) तो आधा चम्मच तिल और आधा चम्मच अजवायन चबाकर खा लें। एक सप्ताह तक सुबह शाम इसे लेने से पेशाब की परेशानी से मुक्ति मिल जाती है।
— Til ke Tel से गण्डूष क्रिया – तिल का तेल एक चम्मच मुंह में भर लें। इसे लगभग दस मिनट तक मुंह में धीरे धीरे चलाते रहें। फिर थूक दें। यह गण्डूष क्रिया कहलाती है। इससे दांत , मसूड़े और और जबड़ा मजबूत होते है। होंठ फटने बंद होते है , गले का सूखापन खराश आदि ठीक होते है।
— बालों का झड़ना व रुसी के लिए तिल के तेल की सिर में मालिश और Til खाने से लाभ होता है। बालों का सफ़ेद होना मिटता है। बाल घने और मुलायम बनते है।