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कमल – हर्दय, मष्तिष्क, कमजोरी, बुखार एवं बवासीर से लेकर सोंदर्य व स्त्रियों के रोगों में रामबाण औषधी

आयुर्वेद के अनुसार : कमल ( LOTUS ) शीतल और स्वाद में मीठा होता है। यह कफपित्तखून की बीमारीप्यासजलन,फोड़ा व जहर  को खत्म करता है। हृदय के रोगों को दूर करने और त्वचा का रंग निखारने के लिए यह एक अच्छी औषधि है।

जी मिचलनादस्तपेचिशमूत्र रोगत्वचा रोगबुखारकमजोरीबवासीरवमनरक्तस्राव आदि में इसका प्रयोग लाभकारी होता है।

विभिन्न भाषाओं में नाम : HERBAL USE OF LOTUS 

संस्कृत-अम्बुजपद्मपुंडरीक। हिन्दी .कमलसफेद कमललाल कमलनीला कमल। अंग्रेजी .लोटस। लैटिन .निलुम्बों न्यूसिफेरा।मराठी .कमलतांबलेपांढरे कमल। गुजराती धोला कमल। बंगाली .पद्म।

वैज्ञानिकों के अनुसार : कमल का रासायनिक विश्लेषण करने से पता चला है कि इसके पत्ते में न्यूसिफेरिन व रोमेरिन रस होता है। HERBAL USE OF LOTUS

कमल के सूखे बीज में विभिन्न तत्त्व पाए जाते हैं- HERBAL USE OF LOTUS 

कार्बोहाइड्रेट – 66.6 %, प्रोटीन – 17.2 %, वसा- 2.4 %, लोहा – थोड़ी मात्रा में, कैल्शियम – थोड़ी मात्रा में, शर्करा – थोड़ी मात्रा में

एस्कार्बिक एसिड – थोड़ी मात्रा में, विटामिन- ´बी´- थोड़ी मात्रा में, विटामिन- ´सी´- थोड़ी मात्रा में
विभिन्न रोगों में सहायक: HERBAL USE OF LOTUS 

सिर व आंखों की ठंडक के लिए: कमल की जड़ को 2 गुना नारियल के तेल में उबालकर छान लें और इसे सिर पर लगाएं। इससे सिर और आंखो को ठंडक मिलती है। HERBAL USE OF LOTUS

हृदय व मस्तिष्क की शक्ति बढ़ाना: कमल की जड़ का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में एक चम्मच मिश्री के साथ नियमित रूप से सेवन करें। इससे हृदय और मस्तिष्क को शक्ति मिलती है। HERBAL USE OF LOTUS

पित्तातिसार: पित्त की अधिकता के कारण दस्त रोग होने पर कमलगट्टा के गिरी का हलवा खाने से बहुत लाभ मिलता है।

चेहरे की सुन्दरता: कमल के फूल की पंखुडियां और पत्ते बराबर मात्रा पीसकर लेप बना लें। इस तैयार लेप को रात को सोने से पहले चेहरे पर लगाने से चेहरा सुन्दर व कोमल बनता है। HERBAL USE OF LOTUS

खूनी बवासीर:

  • खूनी बवासीर रोग से पीड़ित रोगी को 5 ग्राम केसर और 5 ग्राम मक्खन को मिलाकर दिन में 2 बार खाना चाहिए। इससे खूनी बवासीर ठीक होता है। HERBAL USE OF LOTUS
  • मक्खन, मिश्री और केसर को एक साथि मिलाकर नियमित सेवन करने से खूनी बवासीर में लाभ मिलता है।

गीली खांसी: कमल के बीजों के 1 से 3 ग्राम चूर्ण को शहद के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से गीली खांसी ठीक होती है।

बुखार: कमल के फूल की एक से दो पंखुड़ियांसफेद चन्दन का चूर्णलाल चन्दन का चूर्णमुलेठी एवं मुस्तक आदि को मिलाकर सुबह-शाम बुखार से पीड़ित रोगी को सेवन कराएं। इसके सेवन करने से बुखार कम होता है और शरीर की कमजोरी दूर होती है।

कांच निकलना (गुदाभ्रंश):

  • कमल के पत्ते 5 ग्राम और चीनी 5 ग्राम को मिलाकर महीन पीसकर 10 ग्राम पानी के साथ पीएं। इससे गुदाभ्रंश ठीक होता है। HERBAL USE OF LOTUS
  • कमल के पत्तों का एक चम्मच चूर्ण और एक चम्मच मिश्री को मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करने से गुदाभ्रंश रोग में लाभ मिलता है। HERBAL USE OF LOTUS

सिर की रूसी: कमल त्रिफलासातलभांगरलोहचूर्ण और गोबर आदि को एक साथ तेल में पका लें और इसे प्रतिदिन बालों में लगाएं। इससे रूसी नश्ट हो जाती है। HERBAL USE OF LOTUS

वमन (उल्टी):

  • कमल के बीजों का रस निकालकर रोगी को पिलाने से उल्टी बंद होती है।
  • कमल के बीजों को भून लें और इसके अन्दर मौजूद हरे रंग के अंकुरों को निकालकर पीस लें और इसे शहद के साथ रोगी को चटाएं। इससे वमन ठीक होता है। HERBAL USE OF LOTUS

हिचकी: कमल के बीजों को पानी में उबालकर पीने से हिचकी दूर होती है। HERBAL USE OF LOTUS

गर्भपात को रोकना:

  • गर्भावस्था में रक्तस्राव होने पर कमल के फूल की एक से दो पंखुड़ियों को पीसकर काढ़ा बनाकर सेवन करने से रक्तस्राव बंद होता है और गर्भपात नहीं होता है। HERBAL USE OF LOTUS
  • जिन महिलाओं को बार-बार गर्भपात हो उसे कमल के बीजों का सेवन करना चाहिए। इसका सेवन गर्भधारण के पहले महीने में करने से गर्भपात नहीं होता। HERBAL USE OF LOTUS
  • कमल की डंडी और नागकेसर को बराबर मात्रा में पीसकर गर्भधारण के पहले महीन में सेवन करने से गर्भस्राव रुकता है।

 कान के बाहर की फुंसियां: कमल ( LOTUS ) की जड़ों में लगने वाले फल को पीसकर फुंसियों पर लगाने से फुंसियां ठीक होती है।

मासिकधर्म का रुक जाना: कमल ( LOTUS ) की जड़ को पीसकर खाने से मासिकधर्म सम्बंधी गड़बड़ी दूर होती है और मासिकधर्म नियमित होता है।

प्रदर रोग: कमल के बीजों का रस निकालकर सुबह-शाम सेवन करने से प्रदर रोग में लाभ मिलता है। HERBAL USE OF LOTUS

दूसरे महीने के गर्भ विकार:

  • यदि गर्भधारण के दूसरे महीने में गर्भ में किसी प्रकार की गड़बड़ी हो या होने की आशंका दिखाई दे तो कमलसिंघाड़ा व कसेरू को चावल के पानी के साथ पीसकर तथा चावल के पानी में ही घोलकर पीएं। इससे गर्भ विकार व गर्भाशय का दर्द ठीक होता है।
  • पषाण भेदकाले तिलमंजीठ और शतावरी को समान मात्रा में लेकर दूध के साथ काढ़ा बनाकर सेवन करने से गर्भशय से खून का निकलनादर्द व अन्य विकार दूर होते हैं। HERBAL USE OF LOTUS

स्तनों का कठोर होना: कमल ( LOTUS ) के बीजों को पीसकर 2 चम्मच की मात्रा में मिश्री मिलाकर 4-6 सप्ताह तक सेवन करने से स्तनों का कठोर होना ठीक होता है।

 स्तनों में दूध कम होना:

  • कमल ( LOTUS ) की जड़ की सब्जी बनाकर खाने से स्तनों में दूध की मात्रा बढ़ाती है।
  • कमल ( LOTUS ) के बीजों को रात के समय पानी में भिगो दें। दूसरे दिन सुबह बीजों के ऊपर से छिलके उतार लें और अन्दर के हरी पत्तियों को निकाल कर फेंक दें। इसके बाद बीजों को सुखाकर कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को लगभग 3 से 6 ग्राम की मात्रा में दूध या दही के साथ लगातार कुछ दिनों तक सेवन करने से स्तनों में दूध खूब आता है। HERBAL USE OF LOTUS

स्तनों का सुडौल होना: कमल के बीजों के अन्दर की मींगी को पीसकर चूर्ण बना लें और दही के साथ दिन में एक बार सेवन करने से स्तनों का आकार सुडौल होता है। HERBAL USE OF LOTUS

योनि संकोचन: कमल ( LOTUS ) की जड़ को पानी में पीसकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर सोते समय 1-1 गोली प्रतिदिन खाने से योनि सिकुड जाती हैं।

योनि की जलन व खुजली: कमल की जड़ को पानी के साथ अच्छी तरह से पीसकर पेस्ट बनाकर दाद और योनि की खुजली वाले भाग पर लगाने से खुजली व जलन शांत होती है। HERBAL USE OF LOTUS

मूत्र रोग: सफेद कमल की गांठ का चूर्ण एक चम्मचजीरे का चूर्ण आधा चम्मच तथा घी 10 ग्राम को मिलाकर सुबह-शाम खाने से लाभ होता है। HERBAL USE OF LOTUS

One comment

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