ढाक पलाश के औषधीय प्रयोग।
पलाश को शास्त्रों में ब्रह्मा के पूजन अर्चन हेतु पवित्र माना है। पलाश के तीन पत्ते भारतीय दर्शनशास्त्र के त्रित्व के प्रतीक है। इसके त्रिपर्नकों में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का निवास माना जाता है। पलाश का वृक्ष समस्त भारत में मैदानी इलाकों से लेकर 1200 मीटर कि ऊंचाई तक पाए जाते हैं। इसका तना प्राय: टेढ़ा मेढ़ा तथा पत्तियां 3-3 के समूह में लगी होकर कुछ मोटी व् एक तरफ से खुरदुरी व् दूसरी तरफ से कुछ चिकनी व् अधिक गहरी होती है। इसके फूल गहरे केशरिया लाल वर्ण के होते हैं। जिनके दलपत्र गहरे गहरे कत्थई वर्ण के अवम मोटे व् मखमली होते हैं। बसंत के आगमन पर जब वे वृक्ष पतझड़ के पश्चात फूलों से लड़ते है, तब दूर से देखने पर वृक्ष समूह अग्निज्वाला कि भाँती दिखाई देते हैं, इसलिए इसे जंगल कि आग भी कहते हैं।
विभिन्न भाषाओँ में इसके नाम .
हिंदी – पलाश, परास, ढाक, टेसू, छिडल, संस्कृत – पलाश, किंशुक, क्षार श्रेष्ठ, बंगला – पलाश गाछ, मराठी – पलस, गुजरती – खासरो, फारसी – दरख्तेपल, अंग्रेजी – बस्टर्ड टीक
पलाश की प्रजातियाँ
पलाश की दो प्रजातियाँ पायीं जाती हैं, सफ़ेद और लाल, लाल पलाश तो सर्व सुलभ है मगर सफ़ेद पलाश दुर्लभ ही मिलता है। पलाश ढेरों आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर है।
आइये जानते हैं इसके स्वास्थय लाभ .
छाल : नाक, मल-मूत्र मार्ग या योनि द्वारा रक्तस्त्राव होता हो तो छाल का काढ़ा (50 मि.ली.) बनाकर ठंडा होने पर मिश्री मिला के पिलायें।
पलाश का गोंद : पलाश का 1 से 3 ग्राम गोंद मिश्रीयुक्त दूध या आँवला रस के साथ लेने से बल-वीर्य की वृद्धी होती है तथा अस्थियाँ मजबूत बनती हैं। यह गोंद गर्म पानी में घोलकर पीने से दस्त व संग्रहणी में आराम मिलता है।
श्वेत कुष्ठ उपचार में .
प्रारंभिक अवस्था का श्वेत कुष्ठ पलाश कि जड़ के चूर्ण के सेवन से ठीक हो जाता है। उसके लिए पलाश की जड़ को भली प्रकार सुखाकर उसके चूर्ण कि 5 ग्राम मात्रा जल से लेनी चाहिए। जड़ को घिसकर उस स्थान पर लगाया भी जा सकता है।
रक्त एवम पित्त विकार में .
पलाश कि ताज़ा निकाली हुई छाल के काढ़े का सेवन कुछ दिनों तक करें। काढ़ा जल में बनाये .इस हेतु २०० मि. ली. जल में १० ग्राम छाल को प्रयाप्त उबालकर काढा तैयार करें।
आंखों के रोग :-
पलाश की ताजी जड़ का 1 बूंद रस आंखों में डालने से आंख की झांक, खील, फूली मोतियाबिंद तथा रतौंधी आदि प्रकार के आंखों के रोग ठीक हो जाते हैं।
पलाश की जड़ का प्रयोग रतौंधी (रात में दिखाई न देना) को ठीक करने, आंख की सूजन को नष्ट करने तथा आंखों की रोशनी को बढ़ाने के लिए किया जाता है।
नकसीर (नाक से खून आना) :-
पलाश के 5 से 7 फूलों को रात भर ठंडे पानी में भिगोएं। सुबह के समय में इस पानी से निकाल दें और पानी को छानकर उसमें थोड़ी सी मिश्री मिलाकर पी लें इससे नकसीर में लाभ मिलता है।
मिर्गी :-
4 से 5 बूंद टेसू की जड़ों का रस नाक में डालने से मिर्गी का दौरा बंद हो जाता है।
गलगण्ड (घेंघा) रोग :-
पलाश की जड़ को घिसकर कान के नीचे लेप करने से गलगण्ड मिटता है।
अफारा (पेट में गैस बनना) :-
पलाश की छाल और शुंठी का काढ़ा 40 मिलीलीटर की मात्रा सुबह और शाम पीने से अफारा और पेट का दर्द नष्ट हो जाता है।
उदरकृमि (पेट के कीड़े) :-
पलश के बीज, कबीला, अजवायन, वायविडंग, निसात तथा किरमानी को थोड़े सी मात्रा में मिलाकर बारीक पीसकर रख लें। इसे लगभग 3 ग्राम की मात्रा में गुड़ के साथ देने से पेट में सभी तरह के कीड़े खत्म हो जाते हैं। टेसू के बीजों के चूर्ण को 1 चम्मच की मात्रा में दिन में 2 बार सेवन करने से पेट के सभी कीड़े मरकर बाहर आ जाते हैं।
प्रमेह (वीर्य विकार) :-
पलाश की मुंहमुदी (बिल्कुल नई) कोपलों को छाया में सुखाकर कूट-छानकर गुड़ में मिलाकर लगभग 10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम खाने से प्रमेह नष्ट हो जाता है।
टेसू की जड़ का रस निकालकर उस रस में 3 दिन तक गेहूं के दाने को भिगो दें। उसके बाद दोनों को पीसकर हलवा बनाकर खाने से प्रमेह, शीघ्रपतन (धातु का जल्दी निकल जाना) और कामशक्ति की कमजोरी दूर होती है।
वाजीकरण (सेक्स पावर) :-
5 से 6 बूंद टेसू के जड़ का रस प्रतिदिन 2 बार सेवन करने से अनैच्छिक वीर्यस्राव (शीघ्रपतन) रुक जाता है और काम शक्ति बढ़ती है।
टेसू के बीजों के तेल से लिंग की सीवन सुपारी छोड़कर शेष भाग पर मालिश करने से कुछ ही दिनों में हर तरह की नपुंसकता दूर होती है और कामशक्ति में वृद्धि होती है।
लिंग कि दृढ़ता हेतु .
पलाश के बीजों के तेल कि हल्की मालिश लिंग पर करने से वह दृढ होता है. यदि तेल प्राप्त ना कर सकें तो पलाश के बीजों को पीसकर तिल के तेल में जला लें तथा उस तेल को छानकर प्रयोग करें .इससे भी वही परिणाम प्राप्त होते है।
स्तम्भन एवम शुक्र शोधन हेतु .
इसके लिए पलाश कि गोंद घी में तलकर दूध एवम मिश्री के साथ सेवन करें . दूध यदि देसी गाय का हो तो श्रेष्ठ है।
हाथी पाँव में.
पलाश कि जड़ का चूर्ण अरंडी के तेल में मिलाकर लगाने से लाभ होता है.इस हेतु आवश्यकतानुसार जड़ का चूर्ण एवम तेल का प्रयोग करें।
रक्तार्श (खूनी बवासीर) :-
टेसू के पंचाग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) की राख लगभग 15 ग्राम तक गुनगुने घी के साथ सेवन करने से खूनी बवासीर में आराम होता है। इसके कुछ दिन लगातार खाने से बवासीर के मस्से सूख जाते हैं।
अतिसार (दस्त) :-
टेसू के गोंद लगभग 650 मिलीग्राम से लेकर 2 ग्राम तक लेकर उसमें थोड़ी दालचीनी और अफीम (चावल के एक दाने के बराबर) मिलाकर खाने से दस्त आना बंद हो जाता है।
टेसू के बीजों का क्वाथ (काढ़ा) एक चम्मच, बकरी का दूध 1 चम्मच दोनों को मिलाकर खाने के बाद दिन में 3 बार खाने से अतिसार में लाभ मिलता है।
सूजन :-
टेसू के फूल की पोटली बनाकर बांधने से सूजन नष्ट हो जाती है।
सन्धिवात (जोड़ों का दर्द) :-
टेसू के बीजों को बारीक पीसकर शहद के साथ दर्द वाले स्थान पर लेप करने से संधिवात में लाभ मिलता है।
बंदगांठ (गांठ) :-
टेसू के पत्तों की पोटली बांधने से बंदगांठ में लाभ मिलता है।
टेसू के जड़ की तीन से पांच ग्राम छाल को दूध के साथ पीने से बंदगांठ में लाभ होता है।
अंडकोष की सूजन :-
टेसू के फूल की पोटली बनाकर नाभि के नीचे बांधने से मूत्राशय (वह स्थान जहां पेशाब एकत्रित होता हैं) के रोग समाप्त हो जाते हैं और अंडकोष की सूजन भी नष्ट हो जाती है।
टेसू की छाल को पीसकर लगभग 4 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सुबह और शाम देने से अंडकोष का बढ़ना खत्म हो जाता है।
हैजा :-
टेसू के फल 10 ग्राम तथा कलमी शोरा 10 ग्राम दोनों को पानी में घिसकर या पीसकर लेप बना लें। फिर इसे रोगी के पेडू पर लगाएं। यह लेप रोगी के पेड़ू पर बार-बार लगाने से हैजा रोग ठीक हो जाता है।
गर्भनिरोध :-
टेसू के बीजों को जलाकर राख बना लें और इस राख से आधी मात्रा हींग को इसमें मिलाकर रख लें। इसमें से तीन ग्राम तक की मात्रा ऋतुस्राव (माहवारी) प्रारंभ होते ही और उसके कुछ दिन बाद तक सेवन करने से स्त्री की गर्भधारण करने की शक्ति खत्म हो जाती है।
टेसू के बीज दस ग्राम, शहद बीस ग्राम और घी 10 ग्राम सब को मिलाकर इसमें रुई को भिगोकर बत्ती बना लें और इसे स्त्री प्रसंग से 3 घंटे पूर्व योनिभाग में रखने से गर्भधारण नहीं होता है।
बांझपन में .
बांझपन में पलाश कि फली को सुखाकर जलाकर इसकी राख बना लें .इस राख को देसी गाय के दूध के साथ सेवन करने से बांझपन दूर होता है .
ढाक पलाश का पत्ता भी गर्भधारण करने में बहुत सहयोगी हैं। गर्भधारण के पहले महीने १ पत्ता, दूसरे महीने २ पत्ते, इसी प्रकार नौवे महीने ९ पत्ते ले कर १ गिलास दूध में पकाकर प्रात: सांय लेना चाहिए। ये प्रयोग जिन्होंने भी किया हैं उनको चमत्कारिक फायदा हुआ हैं।
पलाश के पत्तल .
पलाश के पत्तों से बने पत्तल पर नित्य कुछ दिनों तक भोजन करने से शारीरिक व्याधियों का शमन होता है। यही कारण है के प्राचीनकाल
श्री कामदेव रस – कामी पुरुषों का अमृत – स्त्री के गर्व को हरने वाला कामिनी गर्वहारी रस
श्री कामदेव रस – कामी पुरुषों के लिए अमृत – स्त्री के गर्व को हरने वाला कामिनी गर्वहारी रस
जब तक गृहस्थी जीवन है तब तक व्यक्ति मैथुन करेगा, अगर मैथुन के समय पुरुष स्त्री को संतुष्ट ना करवा सके तो ऐसा पुरुष स्त्री के नज़रों से गिर जाता है. आजकल के माहौल में ना तो कोई पुरुष वाजीकरण औषधियां सेवन करता है और ना ही उसके द्वारा खाए जाना वाला भोजन इतना गुणकारी है के उसके शरीर में वीर्य के भण्डार को भर पाए.
स्त्री के स्खलित होने के बाद ही पुरुष का स्खलित होना यही पुरुष का धर्म है, जो पुरुष स्त्री को स्खलित नहीं कर सकता, वो स्त्री को खुश नहीं कर सकता, ऐसे ही लोगों की औरतें अपना दिल खुश करने दुसरे पुरुषों की चाहना करने लगती है.
वीर्य का महत्व
साद्रक्तं ततो मांसं मांसान्मेदः प्रजायते।
मेदस्यास्थिः ततो मज्जा मज्जायाः शुक्र संभवः।।
अर्थात जो भोजन पचता है, उसका पहले रस बनता है। पाँच दिन तक उसका पाचन होकर रक्त बनता है। पाँच दिन बाद रक्त से मांस, उसमें से 5-5 दिन के अंतर से मेद, मेद से हड्डी, हड्डी से मज्जा और मज्जा से अंत में वीर्य बनता है। स्त्री में जो यह धातु बनती है उसे ‘रज’ कहते हैं। इस प्रकार वीर्य बनने में करीब 30 दिन व 4 घण्टे लग जाते हैं। वैज्ञानिक बताते हैं कि 32 किलो भोजन से 800 ग्राम रक्त बनता है और 800 ग्राम रक्त से लगभग 20 ग्राम वीर्य बनता है।
जो लोग मैथुन तो दिन रात करते हैं, पर शक्ति वर्धक, धातु पौष्टिक, वाजीकरण पदार्थों का सेवन करने की जगह गर्म चीजों का सेवन करते हैं, उनका वीर्य भण्डार तो कम होता ही है, अपितु नवीन वीर्य नहीं बन पाता, ऐसे लोगों का गृहस्थी जीवन बहुत जल्दी ख़राब हो जाता है. आयुर्वेद में 80 साल की आयु में वीर्य का बनना बंद होना लिखा गया है, मगर आजीवन जीवन शैली में तो लोगों को इतनी आयु ही भोगने को मिल जाए वो ही काफी है, आज 60 वर्ष की औसत बिमारियों से घिरी हुई आयु में 30 साल का नौजवान भी वीर्य की कमी से जूझ रहा है.
वीर्य बढाने का महत्व
लोग शादी में तो लाखों खर्च कर लेते हैं, मगर जिस वीर्य से शादी और गृहस्थी जीवन का आनन्द है उसके लिए कोई प्रयास नहीं करते. जिस तरह शरीर में वीर्य की कमी के कारण पुरुष नामर्द हो जाता है, उसी प्रकार वीर्य में विकार या दोष होने पर भी नामर्दी होती है. ऐसे नामर्द का वीर्य एकदम पानी की तरह पतला होता है.
जिस शरीर से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है, उस शरीर की रक्षा की कोई प्रयास नहीं कर रहा, लोग जाने अनजाने में नाना प्रकार के प्रकृति विरुद्ध, नियम विरुद्ध या शास्त्र विरुद्ध कर्म करके, अपने शरीर, पुंसत्व, अपने वीर्य का नाश कर रहें हैं. सृष्टि के नियम के विरुद्ध हस्त मैथुन का प्रचलन बढ़ रहा है, गुदा मैथुन, अयोनि मैथुन और मुख मैथुन भी तेज़ी से बढ़ रहा है, इन्ही कुकर्मो के कारण से ही आज प्रायः 75 फीसदी भारतीय पुरुष बल वीर्यविहीन नपुंसक हो रहें हैं.
जिस तरह कीड़े मकोड़ों का खाया हुआ, आग से जला हुआ, काला और जलसे दूषित हुआ बीज हरा नहीं होता, उसी तरह दूषित वीर्य से गर्भ नहीं ठहरता, और अगर रह भी जाए तो संतान रोगी हो कर अल्पायु होती है. जिस प्रकार से अच्छी ज़मीन और उत्तम बीज से उत्तम फल देने वाला वृक्ष लगता है, उसी तरह उत्तम और शुद्ध रज वीर्य से उत्तम संतान होती है, दूषित रज वीर्य से दूषित या ख़राब औलाद होती है.
वीर्य बढाने वाली चीजें.
- वीर्य बढाने के लिए दूध, घी, रबड़ी, मोहनभोग, उडद की दाल के लड्डू, उडद की खीर, आम्रपाक, असगंध पाक, गोखरू पाक, बादाम का हलवा, मलाई का हलवा, मूसली पाक इत्यादि का सेवन करना चाहिए.
- पका मीठा आम, दूध मिला हुआ आमरस, पका केला, नारियल की गिरी, कच्चे नारियल का पानी, पके अंगूर, दाख, खजूर, बादाम, सेब, नाशपाती, खरबूजा, पका हुआ ताडफल, मीठा बेर, चिरौंजी, खिरनी, सिंघाड़ा, फालसा, मीठा अनार, इत्यादि.
- दालचीनी, तेजपात, इलायची, काली मिर्च, प्याज, घी, शहद, मूंग और चावल की खिचड़ी, ताज़ा जलेबी, सूजी का हलवा, पेठे की मिठाई, परवल इत्यादि.
- श्रृंगार रस की पुस्तक, गाना बजाना, बाग़ की सैर, फूलों की मालाएँ पहनना, सुगन्धित द्रव्यों का इस्तेमाल, सुंदर स्त्रियों से बात करना. चुम्बन करना इत्यादि.
मैथुन करते समय सावधानी.
मैथुन करते समय पुरुष को मन में किसी भी प्रकार का भय(पता नहीं मै कर पाउँगा या नहीं, मुझसे होगा या नहीं, पहले तो नहीं छूट जाऊंगा इत्यादि विचार), लज्जा, शोक अथवा क्रोध नहीं होना चाहिए. स्त्रियों को चाहिए के सम्भोग के बाद वो अपने पुरुषों की तारीफ करें. जिस से उनको मानसिक शक्ति मिलती है. अगर इसके विपरीत वो उनको कहेंगे के वो उनको संतुष्ट नहीं कर पाए, या “जाओ तुम तो किसी काम के नहीं” “तुमसे कुछ नहीं हो पायेगा” इत्यादि तो ऐसे में पुरुष के मन में मानसिक नपुंसकता के विचार आ जायेंगे और वो अच्छे से मैथुन नहीं कर पायेगा.
स्त्री प्रसंग करते ही शीतल जल पीना, शीतल जल से लिंगेन्द्रिय को धोना और स्नान करना हानिकारक है. प्रसंग के समय शरीर गर्म हो जाता है, उस दशा में शीतल जल या शरबत पीने से जुकाम, कंपरोग या जलोदर हो जाता है या बदन दुखने या ज्वर चढ़ जाता है.शीतल पानी से लिंग को धोने से वो निकम्मा हो जाता है. इसकी गर्मी मारी जाती है और ढीलापन हो जाता है.
रसायन और वाजीकरण
जिन औषधियों का सेवन करने से मनुष्य मृत्यु और बुढापे से बच सकता है उन्हें रसायन कहते हैं और जिन औषधियों या आहार विहार का सेवन करने से मनुष्य स्त्रियों के साथ, बिना हारे, घोड़े की तरह मैथुन कर सकता है उनको वाजीकरण कहते हैं. अतः व्यक्ति को आजीवन रसायण का सेवन करते रहना चाहिए और जब तक सम्भोग सुख भोगना चाहे तब तक वाजीकरण औषधियों का सेवन करना चाहिए.
श्री कामदेव रस क्या है – shri kamdev ras kya hai?
श्री कामदेव 33 जड़ी बूटियों को मिला कर बना गया एक बहुपयोगी दवा है, इसमें उत्तम किस्म की औषधियां जैसे अकरकरा, अश्वगंधा, केसर, जावित्री, जायफल, मालकांगनी, सफ़ेद मुस्ली, कृष्ण मुस्ली, कौंच बीज, उटंगन, शतावरी, विधारिकंद, सेमल की मूसली, कबाबचीनी, गोखरू, सालमपंजा, मकरध्वज, अभ्रक भस्म इत्यादि हैं. इसके सेवन से नपुंसक भी कामदेव के समान रतिक्रिया करेगा.
स्त्री भोग का आनंद अधिक स्तम्भन शक्ति में है, और अधिक स्तम्भन तभी हो सकता है जब के वीर्य निर्दोष, पुष्ट, बलवान और अधिक हो. इसलिए जो लोग इस आनंद को भोगना चाहते हैं वो यह कामदेव रस ज़रूर इस्तेमाल करें.
श्री कामदेव के फायदे. shri kamdev ke fayde
- श्री कामदेव के निरंतर सेवन से रति शक्ति बढ़कर पुरुष कामदेव हो जाता है. जिस प्रकार से मदोन्मत घोडा सैंकड़ों घोड़ियों पर दौड़ता है, उसी तरह कामदेव का निरंतर सेवन करने से व्यक्ति मदोन्मत होकर अच्छे से गृहस्थी भोग करता है.
- श्री कामदेव के निरंतर सेवन करने से व्यक्ति में वाजीकारक ताक़त आती है, वाजीकरण देह में अत्यंत बल पराक्रम करता है, निर्बल या कमज़ोर पुरुषों के दुःख दूर करने, उनका प्रेम निबाहने और उनके शरीर की रक्षा करता है. यह संतान पैदा करने और तत्काल आनंद देने वाला है.
- श्री कामदेव रस का सेवन करने वाले व्यक्ति की स्त्री सदैव दासी बन कर रहेगी. कभी गलती से भी दुसरे पुरुष की तरफ मुंह नहीं करेगी.
- श्री कामदेव का सेवन करने से होने वाली संतान रूपवती, बलवती और बुद्धिमती होगी.
- श्री कामदेव के सेवन करने से शरीर निरोगी रहेगा और गाहे बगाहे डॉक्टर या वैद्य का मुंह भी देखना नहीं पड़ेगा.
आपको श्री कामदेव की ज़रूरत क्यों है ? shri kamdev
- कामोत्तेजना और वीर्य बढाने के लिए..
- सम्भोग में समय बढाने और आनंद बढाने के लिए..
- अगर आपका सम्भोग समय एक मिनट तक भी नहीं रहता..
- संतान पैदा करने की शक्ति लाने के लिए…
- स्त्री को संतुष्ट और तृप्त करने के लिए..
- अगर आप मैथुन करने से पहले ही ढीले पड़ जाते हैं तो आपको कामदेव की ज़रूरत है…
- अगर आपका वीर्य पतला हो गया हो तो.
- अगर वीर्य कम हो गया हो तो..
- अगर रुकावट ना रहती हो तो..
- स्वप्न दोष होता हो तो…
- जिन लोगों में वीर्य तो बहुत है, मगर वीर्य में गर्मी अधिक होने से स्त्री की योनी देखने मात्र से वीर्य निकल जाए ऐसे रोगियों को श्री कामदेव की बहुत ज़रूरत है.
श्री कामदेव इस्तेमाल करने की विधि. Shri kamdev
अगर आपको कब्ज़ रहती हो तो यह दवा लेने से पहले कब्ज़ का यथा संभव इलाज कीजिये, अन्यथा आप जितनी भी दवा करवा लो कोई भी दवा आपके काम नहीं आएगी. जब कब्ज़ ख़त्म हो कर शरीर से सारा मल निकल जायेगा तो उसके बाद आपका लीवर बलशाली होना चाहिए, अन्यथा यह दवा आपको हज़म नहीं होगी और सब व्यर्थ चला जायेगा. इसलिए पहली बार आप श्री कामदेव के साथ में लीवर के लिए आप Only Ayurved का Liver Reactivator 15 से 20 दिन तक अवश्य पियें. सुबह खाली पेट शौच से मुक्त हो कर श्री कामदेव रस 15 ml लीजिये, और इसके 1 घंटे तक कुछ भी सेवन नहीं करें. और सुबह शाम 15 – 15 ml Liver Reactivator खाने के आधा घंटा पहले लीजिये. और पेट साफ़ करने की दवा रात्रि को सोते समय लीजिये. श्री कामदेव को रात्रि को सोने से कम से कम घंटा पहले और खाने के कम से कम एक घंटा बाद में लेना है.
नोट – अगर कमजोरी अधिक हो तो दवा सेवन करने के 5 दिन तक स्त्री संसर्ग ना करे.
दवा सेवन करते समय परहेज – shri kamdev
जिस रोगी का पित्त बढ़ा हुआ हो ऐसे कामी पुरुषों को सदैव चरपरे, खट्टे, लाल मिर्च, गरम और खारे पित्त बढाने वाले अधिक पदार्थ सेवन नहीं करने चाहिए. बढ़ा हुआ पित्त वीर्य पैदा करने वाली धातुओं को कुपित कर देता है, जिस कारण से वीर्य नहीं बन पाता. ऐसे रोगी को किसी मुर्ख की बातों में आकर कच्ची पक्की वंग भस्म, सीसा भस्म, लोहा भस्म आदि ना खाएं, अथवा तेज़ी लाने को अफीम, भांग और कुचला सेवन नहीं करना चाहिए. नशे से जल्दी चेतना तो आ जायेगा, मगर फिर जल्दी ही नामर्दी आ जाएगी.
कब तक करें श्री कामदेव रस का सेवन. shri kamdev
कामी और कमज़ोर पुरुषों को इसका सेवन 12 महीने करना चाहिए, अगर 12 महीने सेवन ना कर सकें तो उपरोक्त लिखी हुई वीर्य बढाने की चीजें निरंतर इस्तेमाल करते हुए इसको साल में कम से कम 4 महीने ज़रूर इस्तेमाल करें.
तुरंत असर के लिए क्या करें.
वैसे इस दवा से हफ्ते दस दिन में असर दिख जाता है, मगर आप इसका जल्दी नतीजा पाना चाहते हैं तो इसके साथ में Only Ayurved की Wonder Berry का सेवन करे. यह कामदेव रस के आधे घंटे के बाद में रात्रि को सोते समय लीजिये. ध्यान रहे सम्भोग इसके कम से कम आधे घंटे के बाद ही करना है. wonder berry दुनिया की सर्वश्रेष्ठ बेरियों से निर्मित है, जैसे अकाई बेरी, ब्लूबेरी,मल्बेरी, रसबेरी, ब्लैकबेरी इत्यादि. इसके सेवन से शरीर में ऐसे मिनरल और विटामिन की पूर्ति होती है जो शरीर को भोजन से नहीं मिल पाते, यह एंटी ऑक्सीडेंट का भरपूर खजाना है. इसलिए श्री कामदेव रस के साथ लेने से यह दोनों तुरंत प्रभाव दिखाते हैं.
श्री कामदेव का मूल्य – shri kamdev
श्री कामदेव का मूल्य 970 रुपैये हैं, यह 500 ml की पैकिंग में आता है. वंडर बेरी भी 970 रुपैये की है और यह भी 500 ml की पैकिंग में आती है. Liver Reactivator भी 500 ml में आता है, इसका मूल्य सिर्फ 380 रुपैये है.
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आपके नजदीकी Only Ayurved Dealer list और उनकी Location
बिहार
पटना – 7677551854, 7480099296
छपरा – 9473221039
गोपालगंज – 9431059379
मधेपुरा – 9546552233
छत्तीसगढ़
बिलासपुर – 9584891808, 9926758959, 9300333438
रायपुर – 9644133772
दुर्ग भिलाई – 9691305217
झारखण्ड
मनिका – लातेहार – 9801290105
पश्चिम बंगाल – West Bengal
कोलकाता – 7003386968
असम
सिलचर – 9954000321
महाराष्ट्र
मालेगांव (नासिक) – डॉ. फरीद शेख 9860785490
धुले – 9270558484
नासिक – 9270928077
पुणे – 9209211786
अकोला – 7020579564
वर्धा – 9579997503
नागपुर – 8830998853
शोलापुर – 8308604642
कोल्हापुर – 9923280004
कल्याण – 8454050864
टिटवाला – 9821315415
मलाड – 9967293444
घाटकोपर – 07738350032
बोरीवली – 9004316923
भंडारा – 9422174853
औरंगाबाद – 8208266068
विरार – 9892967369
अमरावती – 9765332255
कर्नाटक – Karnataka
धारवाड़ (Dharwad) – 9844984103
बैंगलोर (Bangalore) – 7019098485
तामिलनाडू
चेन्नई – 9884164854
तेलंगाना
हैदराबाद – 08374457775
गुजरात
अहमदाबाद – 9974019763, 7874559407
पालनपुर ( डॉ. हिदायत मेमन ) – 9428371583
द्वारिका – 9033790000
चिकली – 9427869061
अमरेली – 9427888387
अंकलेश्वर – भरूच – 8460090090
बड़ोदा – 9725245318
सूरत – 8866181846, 9879157588
भुज / मुंद्रा – 9974576143
जामनगर – 9974199748
मध्यप्रदेश
भोपाल – 7987552689
इटारसी – 6260342004
सारणी – 8989831927
इंदौर – 9713500239
विदिशा – 9131055585
जबलपुर – 9039868554
ग्वालियर – 9229239248
कटनी – 9074901083
उत्तर प्रदेश
मेरठ – 8449471767
हाथरस ( U. P. ) – 9997397043, 7017840020
मथुरा ( वैध रविकांत जी ) – 9259883028
अलीगढ – 9027021056
आगरा – 9027143749, 8923234014
फ़िरोज़ाबाद – 8445222786 वैध रविन्द्र सिंह
मैनपुरी – 8449601801
फ़र्रुख़ाबाद – 9839196374
रायबरेली – 9236038215
वाराणसी – 9125349199
इलाहाबाद ( डॉ. सी. पी. सिंह ) – 9520303303
गोरखपुर – 9792960999
सिद्धार्थ नगर – 9936404080
महाराजगंज – 9455426806
लखनऊ – 9140546350
इटावा – 9557463131 डॉ. कौशलेन्द्र सिंह
दिल्ली – NCR
सराय कालें खां – 9015439622, 9871490307
सुभाष नगर – 9911006202
गाज़ियाबाद – 9719077555
Greater Noida – 9310299100
गुडगाँव – 9310330050
फ़रीदाबाद – 9315154682
हरियाणा
हिसार – 9518884444
हसनपुर पलवल – 9050272757
पानीपत – 9812126662
रोहतक – 9467770773
बाढ़डा ( चरखी दादरी ) – 9813210584
फ़रीदाबाद – 9315154682
चंडीगढ़ – 9877330702
डबवाली – 9416218182
पंजाब
मोगा – 9988009713
बठिंडा – 9779566697
डबवाली – 9416218182
कोट कपूरा – 9872320227
मलोट – 9878100518
मलेर कोटला – 9872439723
लुधियाणा – 9803772304
रोपड़ – 9478391123, 8528386098
जालंधर – 9814832828
अमृतसर – 8872295800
होशियारपुर उड़मुड टांडा – 9803208718
गुरदासपुर – 9815483791
मोहाली – 09216411342
मुकेरियां – 9815296322
चंडीगढ़ – 9877330702
राजस्थान
जयपुर – 8290706173
दौसा – 7737497140
जोधपुर – 8005724956
अजमेर – 7976779225
सिरोही – 9875238595
उदयपुर – 9875238595
टोंक – 9509392472
फतेहपुर शेखावाटी – 9636648998
चुरू – 7976194800
उदयपुर वाटी (झुंझुनू) डॉ राकेश कुमार – 9351606755
संगरिया – 7597714736
हिमाचल प्रदेश
नालागढ़ – 9816022153
कुल्लू – 8219500630
चिन्तपुरणी – 9816414561
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पलास