थायरायड Thyroid के बचाव में आयुर्वेदिक, प्रणायाम और एक्यूप्रेशर संबन्धी उपाए।
थायरायड ग्रंथि में विकार आने से और ठीक से काम न करने से थारायड की बीमारी होती है। थायरायड एक अंत: स्रावी ग्रंथि है और सभी मनुष्यों के गले के भीतर मध्यभाग में स्वसंलि के दोनों तरफ इसका एक-एक खंड स्थित रहता है। थायरायड ग्रंथि से थायरोकिसन नमक हार्मोन्स निकलता है जिसका पाचन-क्रिया से सीधा सम्बन्ध है और यह ग्रंथि भोजन को रक्त, मांस, मज्जा, हडियों एवं वीर्य में बदलने में सहयोग करती है। थायरोकिसन के निर्माण में आयोडीन नमक खनिज लवण की मुख्य भूमिका है। डॉक्टर कहते है की यह जिंदगी भर ठीक नही होती परन्तु स्वामी रामदेवजी का मानना है की निचे लिखे प्रणायाम से यह बीमारी जड़ से समाप्त हो सकती है।
बचाव विधि
थारायड ग्रंथि बढ़ जाय, उसकी क्रिया उच्च या निम्न हो जाएँ तो पांच चम्मच सुखा साबुत धनिया एक गिलास पानी में तेज उबालकर छानकर पिएं। यह सुबह-शाम दो बार नित्य पिलाने से लाभ होता है। दो सप्ताह लेकर देखें। लाभ होने पर कुछ दिन और लें। साथ ही एक घंटे का अंतर देकर एक मुनक्का रात में भिगोई हुई एक बादाम तथा एक कालीमिर्च- इन तीनो को खूब चबा-चबाकर दिन में एक बार खाएं। चबाने में असमर्थ हो तो बरिक्तम पीसकर चाट लें।
प्रणायाम
स्वामी रामदेव जी के अनुसार कपालभाति प्रणायाम और उज्जायी प्रणायाम के नियमित अभ्यास करने से थायराइड ग्रंथि के अल्पस्राव( Hypo Thyoidism ) और अतिस्राव( Hypo Thyroidism ) दोनों पूरी तरह ठीक होते है और सारी उम्र दवाएं खाने की जरूरत नही रहती।
सूर्यमुद्रा का अभ्यास
सिध्दासन में सूर्य मुद्रा जिसमे दोनों हाथ के अंगूठे की जड़ में अनामिका ( सबसे छोटी अंगुली के पास वाली अंगुली ) को अंगूठे की जस में लगाकर अंगूठे से दबाने से सुरे मुद्रा बनती है। अंगुली का अर्गबाघ स्पर्श कर दबाया जाता है और शेष अंगुलिया फैली रहती है। इस मुद्रा का दस मिनट ( गर्मी के दिनों में ), बीस मिनट ( सर्दी के दिनों में ) अभयास करने से थायरायड सम्बन्धी रोग दूर होते है क्योंकि अंगूठे के मूल में थायरायड ग्लैंड का सांकेतिक बिंदु होता है।
एक्यूप्रेशर थेरपी
प्रतेयक हाथ के अंगूठे की जड़ के निचे उभरे हुए भाग में थायरायड का एक्यूप्रेशर बिंदु ( जहा दबाने से अधिकतम दर्द प्रतीत हो ) ढूंढ़कर रोजाना सोने से पहले या खाली पेट उस बिंदु पर हाथ के अंगूठे से 60 बार या एक मिनट दबाव देने और छोड़ने से बहुत लाभ होता है।
थायरायड में पथ्य
सेव, मौसमी, संतरा, आवला, जामुन, अनार, अमरुद, अन्नानास, सिंघाड़ा, मुलहठी, बहेड़ा, त्रिफला, करेला, मूली, गाजर, टमाटर, पालक, आलू, मात्र, प्याज, ककड़ी, टिंडा, परवल, दूध, दही, छाछ, पनीर आदि। जड़ा आयोडीन वाले पदार्थ जैसे सिघाड़े विशेष रूप से सेवनीय है।
उपथ्य
तले, खटे, और जयदा ठंडे पदार्थ, सभी प्रकार के बोतलबंद ठंडे पेय, सीताफल, अधिक मात्रा में आम, मुगफली के लाल छिलके, सुपारी की ऊपरी परत, काजू, शराब, धूम्रपान तथा नशीले व सिंथेटिक और कृत्रिम पदार्थ।