आजकल के दौर में किड़नी की छोटी सी समस्या को अगर हम समय रहते ध्यान नहीं देते, तो किडनी की गंभीर समस्याएं जैसे क्रोनिक किड़नी Diseases नेप्रोटिक सिंड्रोम, किड़नी फेल का रूप धारण कर लेती है। आधुनिक चिकित्सा पद्धति में इन बिमारियों को सिर्फ कण्ट्रोल करने की कोशिश की जाती है। लेकिन फिर भी ये धीरे धीरे बढ़ती रहती है। इसके इलावा CKD के मरीजो में जो Predialysis (जिनका डायलिसिस कभी भी शुरू हो सकता है) या जिनका Dialysis चल रहा है उनमे मुख्यता VITAMIN D की कमी पाई गयी है, जो इस बीमारी के प्रोग्रेस का एक बहुत बड़ा कारण बन रही है।
जब हम एलोपैथिक में किडनी की इन बीमारियों का उपचार करवाने जाते हैं तो एलोपैथी में सिर्फ बीमारी की progress को सीमित या रोकने के ऊपर ध्यान केंद्रित करते हमें मुख्यता ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए और कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए दवाइयाँ दी जाती हैं, ताकि किसी भी तरीके से किड़नी में रक्त संचार सही तरीके से बनाया जा सके। इनमें से निम्न लिखित दवाइओं से आप ज़रूर परिचित होंगे जैसे की “ACE inhibitor जैसे Captopril, Resenopril इत्यादि” और “angoitensin receptor antagonist जैसे Losartan और statin जैसे simvastatin” और atorvastatin जैसी दवा दी जाती है, जो किडनी डैमेज होने की मुख्य कारण ब्लड प्रेशर को कण्ट्रोल करती है। ये दवाएँ भी पूरी तरह से किडनी diseases की प्रोग्रेस को नहीं रोक पाती है। जिसका अगला चरण या तो dialysis होता है या किडनी ट्रांसप्लांट जो कि CKD या chronic kidney diseases का समाधान नहीं है।
अगर आप किड़नी की बिमारियों मूल कारण को नष्ट करना चाहते हैं, जो न केवल किडनी की बीमारियों की प्रोग्रेस को रोके बल्कि किडनी की कार्यक्षमता को भी सुधारे तो आपको ज़रूरत है शरीर में विटामिन D की पूर्ती और साथ ही इसके साथ विटामिन D के किडनी पर होने वाले लाभदायक गुण ।
Benefits of Vitamin D in Kidney Disease
“Vitamin D” renal Fibrosis ( किडनी में extracellular matrix यानि कोलेजन का इकठा होना ) को रोकता है।
“Vitamin D” apoptosis (cell death) को रोकता है।
“Vitamin D” inflammation यानि सुजन को रोकता है।
“Vitamin D” Proteinuria( यूरिन में प्रोटीन आना ) को रोकता है।
“Vitamin D” RAAS (Renin angeotensin aldosterone system) को ब्लाक कर देता है । जिससे ब्लड प्रेशर कण्ट्रोल रहता है जो की हार्ट और CKD के मरिजो के लिए बहुत जरुरी है।
“Vitamin D” Endothelial cardiovascular marker में भी सुधार करता है जो हार्ट हेल्थ और BP को मेन्टेन रखते है।
Sources of Vitamin D
- “Vitamin D “मुख्यता दो रूप में मिलता है डाइट में (विटामिन D2)
- डायरेक्ट सूर्य की रौशनी विटामिन D3 (सुबह जब सूर्या लाल रंग के प्रकाश में हो)सूर्योदय होने के 1 या डेढ़ घंटे तक सूर्य की धूप का सेवन जरूर करें। इसके लिए शरीर पर कम से कम कपडे पहनें, सूर्य की रोशनी सीधे आप की त्वचा पर पडे।
इनमे मुख्य रूप से विटामिन D सूर्य की रौशनी से मिलता है जो लोग सूर्य की रौशनी में कम जाते है या जो लोग SUNSCREEN का इस्तेमाल ज्यादा करते है उनमे मुख्यता VITAMIN डी की कमी पाई जाती है।
Sources of Vitamin D as Tablet and Sachet
मार्किट में VITAMIN D3 (CHOLECALCIFEROL) 60000 IU के सचेत या टेबलेट भी आते है जो सप्ताह में एक बार लेने होते है।
for more details see references
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4101586/#!po=49.3243
http://www.jbn.org.br/export-pdf/1609/en_v35n4a12.pdf