Friday , 15 November 2024
Home » VARIOUS » अगर लग जाए करंट तो करें ये काम ताकि किसी कि बच जाए जान.

अगर लग जाए करंट तो करें ये काम ताकि किसी कि बच जाए जान.

भारत जैसे देश, जहा घरों में दो पिन वाले बिजली उपकरणों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल होता है. घरों में घटिया क्वालिटी के स्विच बोर्ड, और बिजली उपकरणों की खुली तारें, ये सब बहुत हानिकारक है. मगर भारतीय लोग इस पर बहुत कम ध्यान देते हैं. मानसून के मौसम में हवा में नमी के कारण करंट लगने की आशंका ज्यादा रहती है करंट से लोगों की मौत हो जाती है लेकिन ज्यादातर मौतों को टाला जा सकता है

हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल ने बताया कि अगर करंट लगने से मौत हो भी जाए तो पीड़ित को कार्डियोप्लमनरी रिससिटेशन (सीपीआर) की पारंपरिक तकनीक का 10 का फार्मूला प्रयोग करके 10 मिनट में होश में लाया जा सकता है इसमें पीड़ित का दिल प्रति मिनट 100 बार दबाया जाता है

सबसे पहले तो बिजली के स्रोत को बंद करना जरूरी है. भारत में ज्यादातर मौतें अर्थ के अनुचित प्रयोग की वजह से होती हैं भारत में अर्थिंग या तो स्थानीय स्रोत से प्राप्त की जा सकती है या घर पर ही गहरा गड्ढा खोदकर खुद बनाई जा सकती है

अर्थिंग को न ले हल्के में

तीन पिन के सॉकेट के ऊपर वाले छेद में लगी मोटी तार अर्थिंग की होती है किसी बिजली सर्किट में हरी तार अर्थिंग की, काली तार न्यूट्रल और लाल तार करंट वाली तार होती है आसानी से पहचान हो सके इसलिए अर्थ की तार शुरू से ही हरी रखी गई है

आम तौर पर करंट वाले तार को जब न्यूट्रल तार से जोड़ा जाता है, तब बिजली प्रवाहित होती है. करंट वाले तार को अर्थिंग मिल जाने से बिजली प्रवाहित होती है जब अर्थिंग का तार न्यूट्रल से जुड़ा होगा, तब बिजली प्रवाहित नहीं होती है

अर्थिंग सुरक्षा के लिए की जाती है जो लीक होने वाली बिजली को बिना नुकसान पहुंचाए शरीर के बजाय सीधी जमीन में भेज देती है अर्थिंग की जांच हर छह महीने बाद करते रहना चाहिए, क्योंकि समय व मौसम के साथ यह घिसती रहती है, खासकर बारिश के दिनों में

टेस्ट लैंप से भी अर्थिंग की जांच हो सकती है. करंट और अर्थिंग वाले तार से बल्ब जलाकर देखा जा सकता है. अगर इन दो तारों के जोड़ने से बल्ब न जले तो समझिए, अर्थिंग में खराबी है

लोग आमतौर पर अर्थिंग को हलके में लेते हैं और इसका गलत प्रयोग करते हैं करंट वाले और अर्थिंग के तार को अक्सर अस्थायी तौर पर एक साथ जोड़ दिया जाता है, जो खतरनाक हो सकता है

 

बिजली से होने वाली दुर्घटनाओं से बचाओ के लिए इन बातो का रखे खास ध्यान

घर में अर्थिंग की उचित व्यवस्था का ध्यान रखें हरे तार को हमेशा याद रखें, इसके बिना कभी बिजली उपकरण का प्रयोग न करें, खास कर जब यह पानी के स्रोत को छू रहा हो. पानी करंट के प्रवाह की गति को बढ़ा देता है, इसलिए नमी वाले माहौल में अतिरिक्त सावधानी रखें दो पिन वाले बिना अर्थिंग के उपकरणों का प्रयोग न करें, इन पर पाबंदी होनी चाहिए तीन पिन वाले प्लग का प्रयोग करते समय ध्यान रखें कि तीनों तार जुड़े हों और पिनें खराब न हों

तारों को सॉकेट में लगाने के लिए माचिस की तीलियों का प्रयोग न करेंकिसी भी तार को तब तक न छुएं, जब तक बिजली बंद न कर दी गई हो अर्थिंग के तार को न्यूट्रल के विकल्प के तौर पर ना प्रयोग करें सभी जोड़ों पर बिजली वाली टेप लगाएं, न कि सेलोटेप या बेंडेडगीजर के पानी का प्रयोग करने से पहले गीजर बंद कर दें हीटर प्लेट का प्रयोग नंगी तार के साथ न करें

घर पर सूखी रबड़ की चप्पलें पहनें घर पर मिनी सर्कट ब्रेकर और अर्थ लीक सर्कट ब्रेकर का प्रयोग करें मैटेलिक बिजली उपकरण पानी के नल के पास मत रखेंरबड़ के मैट और रबड़ की टांगों वाले कूलर स्टैंड बिजली उपकरणों को सुरक्षित बना सकते हैं केवल सुरक्षित तारें और फ्यूज का ही प्रयोग करें किसी भी आम टैस्टर से करंट के लीक होने का पता लगाया जा सकता है फ्रिज के हैंडल पर कपड़ा बांध कर रखें

प्रत्येक बिजली उपकरण के साथ बताए गए निर्देश पढ़े यूएस में प्रयोग होते 110 वोल्ट की तुलना में भारत में 220 वोल्ट का प्रयोग होने से करंट से मौत की दुर्घटनाएं ज्यादा होती हैं डीसी की तुलना में एसी करंट ज्यादा खतरनाक होता है 10 एमए से ज्यादा का एसी करंट इतनी मजबूती से हाथ पकड़ लेता है कि हटा पाना असंभव हो जाता है

करंट लगने पर 5 मिनट के अंदर करें ये इलाज बच सकती है जान

करंट लगने की हालत में उचित तरीके से इलाज करना बेहद जरूरी होता है. मेन स्विच बंद कर दें या तारें लकड़ी के साथ हटा दें कार्डियो प्लमनरी सांस लेने की प्रक्रिया तुरंत शुरू कर दें क्लीनिक तौर पर मृत व्यक्ति की छाती में एक फुट की दूरी से एक जोरदार धक्के से ही होश में लाया जा सकता है.

पुराने समय में गाँवों में करते थे ऐसे उपचार.

पुराने समय में गाँवों में जब किसी को करंट लग जाता था तो उसको लोग गाय के गोबर में लीप देते थे, या देसी घी की मालिश किया करते थे, और उसके शरीर पर मिटटी भी रगड़ते थे. ऐसा ही एक अनुभव लेखक के गाँव का भी है. जब उनके सामने किसी लड़के को करंट लगा और उसकी पूरी बॉडी की अच्छे से घी से मालिश की और फिर उसको मिटटी में काफी देर तक दबाये रखा. और फिर उसके बाद उसको देसी गाया का गोबर भी लीपा. जिस से उस लड़के की जान बच गयी. उसके तुरंत बाद उसको हस्पताल ले जाया गया.

डॉ. अग्रवाल ने बताया कि तीव्र करंट लगने से क्लिनिकल मौत 4 से 5 मिनट में हो जाती है, इसलिए कदम उठाने का समय बहुत कम होता है. मरीज को अस्पताल ले जाने का इंतजार मत करें. वहीं पर उसी वक्त कदम उठाएं.

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

DMCA.com Protection Status