Friday , 8 November 2024
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भस्त्रिका प्राणायाम एक प्रभावशाली योग

भस्त्रिका प्राणायाम एक प्रभावशाली योग

भस्त्रिका प्राणायाम अस्थमा, टीबी, कैंसर जैसे रोगों में उपयोगी हैं, ये वजन और पेट की चर्बी को कम करता हैं, फेफड़ो की कार्यक्षमता बढ़ा मन और प्राण को स्फूर्ति देता हैं।  भस्त्रिका जिसका अर्थ ‘ धौकनी ‘ हैं। भस्त्रिका एक संस्कृत शब्द है जिस प्रकार एक लोहार धौकनी की सहायता से तेज हवा छोडकर उष्णता निर्माण कर लोहे को गर्म कर उस मे की अशुद्धता को दूर करता है, उसी प्रकार भस्त्रिका प्राणायाम में हमारे शरीर और मन की अशुद्धता को दूर करने के लिए धौकनी की तरह वेग पूर्वक अशुद्ध वायु को बाहर निकाला जाता है और शुद्ध प्राणवायु को अंदर लिया जाता हैं। इसीलिए इसे अंग्रेजी में ‘ Bellow’s Breath ‘ भी कहा जाता हैं।

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भस्त्रिका करने की विधि

सबसे पहले एक स्वच्छ और समतल जगह पर दरी / चटाई बिछाकर बैठ जाए। पद्मासन या सुखासन में बैठे। मेरुदंड, पीठ, गला तथा सिर को सीधा रखे और अपने शरीर को बिलकुल स्थिर रखे। मुंह बंद रखे। इसके बाद दोनों नासिका छिद्रों (Nostrils) से आवाज करते हुए श्वास लेना है और आवाज करते हुए श्वास बाहर छोड़ना हैं। श्वास लेने और छोड़ने की गति तीव्र होनी चाहिए। श्वास लेते समय पेट बाहर फुलाना है और श्वास छोड़ते समय पेट अन्दर खींचना हैं।

इस प्रणायाम को करते समय पहले श्वास की गति धीमे रखें, अर्थात दो सेकंड में एक बार श्वास भरना। फिर माध्यम गति से श्वास भरे और छोड़ें, अर्थात एक सेकंड में स्वास भरे और छोड़ें। फिर गति और भी तेज कर दीजिये और एक सेकंड में दो बार स्वास भरें और छोड़ें। स्वास लेते समय और छोड़ते समय एक जैसे गति बनाकर रखे।

वापस समान्य अवस्था में आने के लिए श्वास की गति धीरे-धीरे कम करते जाएँ और आखिर में एक गहरी श्वास लेकर फिर श्वास छोड़ते हुए शरीर को ढीला छोड़ दें। इसके बाद योगाचार्य पांच बार कपालभाती करने की सलाह देते है।

सावधानियां

भस्त्रिका प्राणायाम करने से पहले नाक साफ़ कर लेना चाहिए। यह प्रणायाम दिन में सिर्फ एक बार ही करना चाहिए। नए अभ्यासी शुरू में सिर्फ दस बार ही करें, और फिर धीरे-धीरे प्राणायाम के समय को बढ़ा दें। उच्च रक्तचाप, हृदय रोगी, हर्निया, अल्सर, मिर्गी स्ट्रोक वाले और गर्भवती महिलाएं इसका अभ्यास ना करें।

भस्त्रिका प्राणायाम के लाभ

1. शरीर के सभी अंगो को रक्त संचार में सुधार होता हैं।
2. अस्थमा / दमा, टीबी और कर्करोग के रोगियो में लाभ होता हैं।
3. फेफड़ो की कार्यक्षमता बढती हैं।
4. शरीर में प्राणवायु (Oxygen) की मात्रा संतुलित रहती हैं।
5. पेट का उपयोग अधिक होने से पेट के अंग मजबूत होते है और पाचन शक्ति में वृध्दि होती हैं।
6. वजन कम करने और पेट की चर्बी कम करने में सहायक हैं।
7. शरीर, मन और प्राण को स्फूर्ति मिलती हैं।

3 comments

  1. Paralysis leftsid hand

  2. Paralysis lefsidhand oen year muze treatmat bt ma elopathik medicin leraha hu uses koe fayata nhi ho rah

  3. mera naak ka maas badha hua hai uske liye raambaan ielas chahiye.plese ……..plese help me….. . ……!!!!!

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