Tuesday , 19 March 2024
Home » हमारी संस्कृति » पाकिस्तान के इस खुबसूरत मंदिर में 20 साल बाद हिन्दुओं को मिला पूजा करने का अधिकार!

पाकिस्तान के इस खुबसूरत मंदिर में 20 साल बाद हिन्दुओं को मिला पूजा करने का अधिकार!

पाकिस्तान के शानदार हिन्दू मंदिर:

[ads4]

पाकिस्तान में हिन्दू जनसंख्या अल्पसंख्यक है, और वहां की सरकार की दमनकारी नीतियों और बहुसंख्यक जनता के बड़े हिस्से के कट्टरपंथी होने के कारण हिन्दू जनसंख्या को बहुत से मानवीय अधिकारों से वंचित रहना पड़ता है. जैसा कि आप जानते हैं ब्रिटिश शासन के दौरान हिंदुस्तान और पाकिस्तान दो मुल्क नहीं थे. बल्कि दुनिया में पाकिस्तान के बारे में कभी सोचा भी नहीं गया था.

अंग्रेजों ने भारत को आजादी दी और दो भागों में बांट दिया. पाकिस्तान में बहुत से ऐसे इलाके थे जहां हिन्दू आबादी बड़ी संख्या में रहती थी. ऐसे में हिन्दू लोग हिंदुस्तान तो आ गए ,मगर अपनी संपत्ति, अपने देवालय और अपने मंदिरों को तो नहीं ला सकते थे. बहुत से लोग अपनी जन्मभूमि का मोह नहीं त्याग पाए और संघर्षों के बीच पाकिस्तान में ही रुके रह गए.

बाद में जब दोनों मुल्कों में जम्हूरियत आबाद होने लगी तो कई दिक्कतें भी सामने आयीं भारत में जम्हूरियत यानी कि लोकतंत्र सर्वोपरि हुआ, मगर पाकिस्तान में जम्हूरियत से भी ऊपर हुयी सेना. राष्ट्र का सर्वाधिकार सेना के पास चला गया. लोकतंत्र तो है मगर उसपर सेना के तख्तापलट करने का डर मंडराता रहता है. ऐसे में वहां लोकतान्त्रिक व्यवस्था के सिरमौर लोग भी सेना के आगे झुके रहते हैं.

सेना का रूप पूरी दुनिया में दमनकारी होता है. इस पूरे विश्व में शायद ही कहीं की सेना होगी जिसका उद्देश्य शांति की स्थापना हो. सेना का आधार ही दमन है. अब ऐसे में जिस देश में दमनकारी शक्ति यानी कि सेना सर्वाधिक महत्वपूर्ण और शक्तिशाली हो उस देश के लोकतान्त्रिक मूल्य क्या होंगे. किसी भी सेना में अनुशासन होता है मगर लोकतंत्र नहीं.

Image source News Trend

20 साल के बाद हिन्दुओं को पूजा करने का मौका :

[ads3]

ऐसे में पाकिस्तान से एक ऐसी खबर आई है जो फिलहाल वहां के दमनकारी और कट्टरपंथी रवैये के खिलाफ है. पाकिस्तान में एक शिव मंदिर में 20 साल के बाद हिन्दुओं को पूजा करने का मौका और पूजा करने की अनुमति मिली है. खास बात यह है कि इसके लिए एक हिन्दू एनजीओ लगातार प्रयास कर रहा था. यह मामला एबटाबाद बाद जिले में स्थित शिव मंदिर का है.

बताया जाता है कि मंदिर की संपत्ति को लेकर विवाद था जिसके चलते इस मंदिर में किसी भी तरह की धार्मिक गतिविधियों पर रोक लगा दी गई थी. इसके विरोध में एक हिन्दू एनजीओ ने याचिका दाखिल की थी. यह याचिका साल 2013 में पेशावर हाई कोर्ट की एबटाबाद बेंच में दाखिल की गयी थी. एनजीओ ने अपनी याचिक अमे बताया था कि इस मंदिर के असली मालिक से मंदिर की प्रॉपर्टी लीज के जरिये ली गई थी. और एनजीओ ने भारत पाकिस्तान बंटवारे के समय से ही इस मंदिर की देखरेख की है.

फिलहाल इस मामले में कोर्ट ने हिन्दुओं को पूजापाठ और धार्मिक गतिविधियां करने की इजाजत दे दी है. गौरतलब है कि पाकिस्तान में ऐसे कई मामले में जिनमें कट्टरपंथियों ने हिन्दू मंदिरों और समाधियों को नष्ट कर दिया था. ऐसे कई मामलों में वहां की सुप्रीम कोर्ट और अन्य न्यायालयों ने समाधी के पुनर्निर्माण और मंदिर के संरक्षण का फैसला भी सुनाया है.

Source :-

One comment

  1. Bhot achi jagah hain, par indians ja rahi sakte hain 🙁

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

DMCA.com Protection Status