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अनेक रोगों के लिए बहुत काम की चीज है मंजीठ – मंजिष्ठा !!

अनेक रोगों के लिए बहुत काम की चीज है मंजीठ – मंजिष्ठा

Manjeeth – manjishtha ke laabh

मंजिष्ठा को आयुर्वेद में चेहरे के दाग धब्बे, दाद, खाज, खुजली, सोरायसिस, जली त्वचा पर, गुर्दे और पित्त की पथरी, स्त्री रोगों में, हड्डियों की मजबूती, दस्त, पथरी, सूजन, स्त्रियों के गर्भधारण कराने जैसे अनेक रोगों में प्रयोग किया जाता है. आइये जानते हैं इसके विभिन्न रोगों में विभिन्न प्रयोग.

परिचय : मजीठ (मंजिष्ठा) भारत के पर्वतीय प्रदेशों में पाई जाती है। मजीठ बेल के पत्ते झाड़ीनुमा होते हैं, जिसकी जड़ें जमीन में दूर-दूर तक फैली होती हैं। इसकी टहनियां कई फुट लंबी, नर्म, खुरदरी और जड़ की तरफ कठोर होती हैं। टहनियों का आंतरिक रंग तोड़ने पर जड़ की तरह ही लाल ही लाल निकलता है। इसकी बेलें अक्सर दूसरे पेड़ों पर सहारा लेकर चढ़ जाती हैं। मजीठ की पत्तियां चारों तरफ लगती हैं, जिसकी 2 छोटी और 2 बड़ी पत्तियां होती हैं। इसके फूल गुच्छों में छोटे-छोटे होते हैं। इसके फल चने के आकार के होते हैं। मजीठ की जड़ लंबी होती है।

वैज्ञानिक मतानुसार मजीठ की रासायनिक संरचना का विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है कि मजीठ की जड़ में राल, शर्करा, गोन्द, चूने के योग, और रंजक पदार्थ पाए जाते हैं। रंजक पदार्थों में मुख्य रूप से गेरेनसिन, पर्पुरिन, मंजिष्ठिन, अलाजरिन और जेन्थीन मिलते हैं।

मंजीठ – मंजिष्ठा के विभिन्न भाषाओं में नाम :

हिन्दी  – मजीठ
संस्कृत – मंजिष्ठा
मराठी  – मंजिष्ठा
गुजराती  – मजीठ
बंगाली  – मंजिष्ठा
अंग्रेजी –  मेडर रूट
लैटिन – Rubia cordifolia

मंजीठ का रंग :

मजीठ के फूलों का रंग सफेद और फल का रंग काला होता है।

मंजीठ का स्वाद :

इसका रस मधुर (मीठा), तीखा और कषैला होता है।

मंजीठ का स्वभाव :

इसकी तासीर गर्म होती है।

मंजीठ की सेवन मात्रा :

मजीठ की जड़ का चूर्ण 1-3 ग्राम, जड़ का काढ़ा 20 से 50 मिलीलीटर को खुराक में ले सकते हैं।

मंजीठ के गुण :

मंजीठ भारी, कडुवी, विष, कफ और सूजननाशक होती है। यह पीलिया (कामला), प्रमेह, खून की खराबी (रक्तविकार), आंख और कान के रोग, कुष्ठ (कोढ़), खूनी दस्त (रक्तातिसार), पेशाब की रुकावट, वात रोग, सफेद दाग, मासिक-धर्म के दोष, चेहरे की झांई, त्वचा के रोग, पथरी, आग से जले घाव में अत्यन्त गुणकारी है।

मंजीठ के विभिन्न रोगों में प्रयोग.

1. चेहरे के दाग-धब्बे के लिए मंजीठ.

मजीठ की जड़ का काढ़ा 4 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम कुछ दिन नियमित रूप से पीने और जड़ को शहद में घिसकर दाग-धब्बों पर लगाते रहने से चेहरे पर निखार आ जाएगा।

2. जले हुए घाव  के लिए मंजीठ.

मंजीठ की जड़ तथा चंदन को घी में घिसकर बने लेप को जले हुए अंग पर 2 से 3 बार लगाएं। इससे जलन शान्त होगी और घाव जल्दी भर जाएगा।

3. चूहे के काटने पर  मंजीठ.

मंजीठ की जड़ तथा चंदन को घी में घिसकर बने लेप को चूहे के काटे अंग पर 2 से 3 बार लगाने से जहर का असर कम हो जाता है।

4. पथरी  के लिए मंजीठ.

2 ग्राम मंजीठ की जड़ का चूर्ण 4 चम्मच पानी के साथ दिन में 3 बार कुछ सप्ताह तक सेवन करने से पथरी गलकर बाहर निकल जाती है।
10-10 ग्राम मजीठ, तिवर्सी के बीज, सफेद जीरा, सौंफ, आंवला, बेर की मींगी, शोधी हुई गंधक तथा मैनसिल को लेकर पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। यह 2 चुटकी चूर्ण रोजाना सुबह-शाम शहद के साथ खाने से पथरी रोग में आराम मिलता है।
5. दांतों के रोग: इसकी जड़ को पीसकर मंजन की तरह सुबह-शाम प्रयोग करने से दांतों के रोगों में लाभ होता है।

6. सूजन के लिए मंजीठ.

मंजीठ की जड़ और मुलेठी को समान मात्रा में पानी में पीसकर लेप बना लें। इस तैयार हुए लेप को सूजन पर मालिश करने से सभी प्रकार की सूजन और दर्द में लाभ होता है।

7. हड्डी टूटने पर मंजीठ.

मंजीठ की जड़, महुए की छाल और इमली के पत्तों को बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें, इसे गुनगुना गर्मकर टूटी हड्डी के ऊपर लगाएं और बांध लें।

8. त्वचा के रोग  के लिए मंजीठ.

मंजीठ की जड़ को शहद में घिसकर चंदन की तरह पेस्ट बना लें, इस बने पेस्ट को सभी प्रकार के त्वचा विकारों पर नियमित रूप से 2 से 3 बार लगाने से आराम मिलता है।

9. सोरायसिस  के लिए मंजीठ.

मंजीठ का काढ़ा 2-2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम रोजाना पीते रहने से कुछ हफ्तों में सोरायसिस के रोग में पूरा आराम मिलेगा।

10. मासिक-धर्म की गड़बड़ी के लिए मंजीठ.

मंजीठ की जड़ का चूर्ण आधा चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम नियमित रूप से कुछ दिनों तक सेवन करने से मासिक-धर्म के सारी परेशानी दूर हो जाती है।

11. गर्भवती स्त्री का अतिसार (दस्त)  के लिए मंजीठ.

मंजीठ, मुलेठी और लोध्र को बराबर लेकर एक साथ पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 2 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार रोगी को खिलाने से अतिसार (दस्त) और रक्तातिसार (खूनी दस्त) में आराम मिलता है।

12. गर्भधारण  के लिए मंजीठ.

मंजीठ, मुलहठी, कूठ, त्रिफला, खांड, खरैटी, मेदा, महामेदा दुधी, काकोली, असगंध की जड़, अजमोद, हल्दी, दारूहल्दी, लाल चंदन सभी 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर पानी में उबाल लें। इसके बाद एक रंग की गाय (जिस गाय के बछडे़ न मरते हो) का घी लगभग 2 किलो, दूध 8 किलो, शतावरी रस 8 किलो मिलाकर गर्म कर लें, फिर इसे 20 से 40 ग्राम लेकर गाय के दूध के साथ सेवन करें। इसके सेवन से बांझ स्त्री को भी पुत्र की प्राप्ति होती है।

मंजीठ, मुलहठी, कूठ, हरड़, बहेड़ा, आमला, खांड, खिरेटी, शतावर, असगंध, असगंध की जड़, हल्दी, दारूहल्दी, प्रियंगु के फूल, कुटकी, कमल, कुमुदनी, अंगूर, काकोली, क्षीर काकोली, दोनों चंदन सभी 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर मिश्रण तैयार कर लें। इसके बाद इसमें 640 ग्राम गाय का घी, और 2.5 लीटर दूध मिलाकर गर्म करें। जब केवल घी मात्र ही शेष बचा रह जाए तो उसे उतारकर छान लें। इसे 20 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में रोजाना सेवन करने से बांझपन दूर हो जाता है और स्त्रियां गर्भधारण करने के योग्य हो जाती हैं।

13. दस्त  के लिए मंजीठ.

1 ग्राम से 3 ग्राम मंजीठ का पिसा हुआ चूर्ण रोजाना दिन में 3 बार खुराक के रूप में रोगी को पिलाने से काफी पुराने दस्त में आराम मिल जाता है।
मंजीठ, पीपल, काकड़ासिंगी और नागरमोथा को अच्छी तरह बारीक पीसकर चूर्ण बना लें, इसका 1-2 ग्राम चूर्ण शहद के साथ चाटने से अतिसार (दस्त) का आना बंद हो जाता है।

14. हड्डी कमजोर होने पर मंजीठ.

1 से 3 ग्राम मजीठ का पाउडर शहद के साथ सुबह-शाम खाने से हड्डी की मृदुता, हड्डी की कमजोरी आदि दूर हो जाती हैं।
मंजीठ और मुलहठी को चावलों के पानी के साथ पीसकर लगाने से टूटी हुई हड्डी की सूजन और दर्द में लाभ होता है।
मंजीठ और महुआ को खटाई के साथ पीसकर लेप करने से टूटी हुई हड्डी जुड़ जाती है।
मंजीठ, अर्जुन, मुलेठी और सुगन्धबाला का मिश्रित लेप करने से और इन्हीं औषधियों के काढ़े के सेवन से टूटी हड्डी जल्दी जुड़ जाती है। केवल मंजीठ के साथ मुलहठी पीसकर लेप किया जाये तो भी दर्द एवं सूजन खत्म होती है।
10-10 ग्राम मजीठ और महुआ को पानी में मिलाकर लेप करने से कमजोर हड्डी ठीक हो जाती है।

15. एडिसन  के लिए मंजीठ.

मंजीठ का काढ़ा 20 से 40 मिलीलीटर रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से त्वचा पर उभरे दाग-धब्बे खत्म हो जाते हैं।

16. आमाशय का जख्म  के लिए मंजीठ.

1 ग्राम से 3 ग्राम मंजीठ के चूर्ण को खुराक के रूप में रोजाना दिन में 3 बार सेवन करने से आमाशय के जख्म के दर्द में आराम मिलता है।

17. पित्त की पथरी  के लिए मंजीठ.

मंजीठ को कपड़े में छानकर 1 ग्राम रोजाना 3 बार खाने से सभी तरह की पथरियां गलकर निकल जाती है।

18. विसर्प (छोटी फुंसियों का दल)  के लिए मंजीठ.

मजीठ, पद्याख, खस की जड़, लाख, चंदन, मुलहठी और नीलकमल को दूध में पीसकर लेप करने से विसर्प रोग ठीक हो जाता है।

19. नाखून का रोग  के लिए मंजीठ.

20 से 40 मिलीलीटर मजीठ (मंजिष्ठ) का काढ़ा बनाकर रोजाना 2 से 3 बार लेने से नाखून की खुजली का रोग दूर हो जाता है।

20. दाद के लिए मंजीठ.

मजीठ को पीसकर शहद के साथ मिलाकर लगाने से सभी तरह के दाद और त्वचा के रोग ठीक हो जाते हैं।

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