Hydrocele Meaning – Hydrocele Causes in hindi- Hydrocele treatment in hindi
Hydrocele Meaning in hindi
Hydrocele Meaning – Hydrocele का अर्थ है अंडकोष में पानी का भरना, इससे Testis me pain होता है, Testis enlarge हो जाते हैं. Hydrocele पुरुषों में पायी जाने वाली एक विकराल समस्या है, कुपित हुई हवा अण्डकोशों को शिराओं को रोक कर अण्डों की और चमड़ी की वृद्धि करती है जिस से Testiculars का साइज़ बढ़ जाता है, कई बार ये एक तरफ के और कई कई बार ये दोनों तरफ ही बढ़ जाता है. इसको फोतों का बढ़ना या वृद्धि रोग भी कहा जाता है.
Hydrocele Causes in hindi
Hyodrocele Causes – यौन अंगों में दूषित मल के इकठ्ठा हो जाने के कारण होता है. अन्डकोशों में चोट लग जाने से या नसों में दबाव होने पर भी ये हो सकता है. गलत खान पान या कब्ज के कारण भी ये हो सकता है. तेज़ एलॉपथी दवाओं के कु प्रभाव के कारण भी ये हो सकता है. कई बार पुरुष सम्भोग के समय वीर्य को स्खलित होने से या पेशाब को अधिक देर तक रोक लेते हैं, या अधिक यौन क्रिया करने से भी ये रोग हो सकता है. अगर कोई खिलाडी बिना लंगोट के दौड़ करता है या जिम में एक्सरसाइज करता है या अधिक वजन उठाता है तो भी उसको ये समस्या हो सकती है. Hydrocele causes in hindi
अंत्रवृद्धि के लक्षण – aant utarna – Hernia ka ilaj
Hernia ka ilaj – वात कोपकारक आहार विहार सेवन करने, शीतल जल में घुसकर नहाने, आये हुए मल मूत्र आदि के वेग को रोकने, बिना हाजत हुए ज़बरदस्ती मल त्यागने की कोशिश करने से, भारी बोझ उठाने से वायु क्षुभित हो जाती है यही वायु छोटी छोटी आँतों के प्रदेश को दूषित करके उनको उनकी जगह से नीचे ले जाती है. इसके बाद यह संकुचित होकर संधिस्थल से गाँठ की जैसी सूजन उत्पन्न कर देता है यही अंत्रवृद्धि कहलाता है. अगर इसका समय रहते इलाज ना किया जाए तो यह असाध्य हो सकती है, यह मल मूत्र इत्यादि वेगों को रोक कर अण्डवृद्धि कर देती है. Hernia ka ilaj
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अण्डवृद्धि Hydrocele के लक्षण – andkosh me sujan
अगर वृद्धि छूने से वायु भरी हुई पानी की थैली के समान हो, रूखी हो और बिन वजह के या सामान्य कारण से दुखने लगे तो उसे वात की अण्डवृद्धि Hydrocele समझना चाहिए.
पित्त की अण्डवृद्धि Hydrocele के लक्षण – andkosh me sujan
जो वृद्धि पके हुए गूलर के फल के सामान लाल हो, जिसमे पित्त के लक्षण – दाह, जलन और पाक हो, उसे पित्त की अण्डवृद्धि Hydrocele समझना चाहिए.
कफ़ज की अण्डवृद्धि Hydrocele के लक्षण
जो वृद्धि शीतल हो, भारी हो, चिकनी हो, जिसमे खुजली चलती हो, जो कठिन या सख्त हो और जिसमे थोडा दर्द होता हो उसको कफ़ की अण्डवृद्धि Hydrocele समझना चाहिए.
रुधिर (khoon) की अण्डवृद्धि Hydrocele के लक्षण
जो वृद्धि काले काले फोड़ों में व्याप्त हो और जिसमे पित्त की वृद्धि के सब लक्षण मिलते हों, वह रुधिर की अण्डवृद्धि Hydrocele है.
मेद (motapa) की अण्डवृद्धि Hydrocele के लक्षण
जो वृद्धि छूने में नर्म हो, जो ताड़ फल के समान नीली और गोल हो, अथवा जो आकार में पके हुए ताड़ फल के जैसी हो और जिसमे कफ की वृद्धि के सब लक्षण मिलते हों उसको मेद की अण्डवृद्धि Hydrocele समझें.
मूत्र की अण्डवृद्धि Hydrocele के लक्ष्ण
जो मनुष्य आते हुए पेशाब को रोकते हैं. उनको ही मूत्र की अण्डवृद्धि Hydrocele होती है. यह चलते समय पानी की भरी हुई थैली की तरह प्रतीत होती है और यह छूने में भी नर्म होती है. इसमें दर्द और मूत्रकच्छ की सी पीड़ा होती है, फल और अण्ड दोनों इधर उधर भटकते हैं. इस रोग में चीर फाड़ कर पानी निकलवाना ही अच्छा रहता है.
अण्डवृद्धि वालों के लिए परहेज – andkosh me sujan ka ilaj
अण्डवृद्धि Hydrocele वाले रोगियों को मल मूत्र के वेग को रोकना नहीं चाहिए, हाथी घोड़े की सवारी नहीं करनी चाहिए, दंड कसरत नहीं करना चाहिए, स्त्री प्रसंग नहीं करना चाहिए, नए चावलों का भात, दही, उड़द, पका केला, अधिक मीठा, ठंडा पानी, दिन में सोना, अजीर्ण रहने पर भोजन और तेल की मालिश आदि भी अण्डवृद्धि Hydrocele में नहीं करने चाहिए.
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अण्डवृद्धि वालों के लिए पथ्य – andkosh badh gaye hai
अण्डवृद्धि Hydrocele वाले करेला, ककोडा, जमीकंद, आलू, मेथी, लहसुन, प्याज, जौ, गेंहू, मूंग, दूध, घी, और तेल आदि खा सकते हैं. रोगी को पानी भी गर्म करके नार्मल टेम्परेचर पर कर के पिलाना चाहिए, और ऐसे ही पानी से नहलाना चाहिए. पुराने चावल, मूंग, मसूर, और अरहर की दाल, बैंगन, आलू, परवल, गाजर, करेला, अदरख, लहसुन और प्याज आदि की सब्जी खा सकते हैं.
सभी प्रकार के अण्डवृद्धि अंत्रवृद्धि का इलाज. hernia aur hydrocele ka ilaj
- गर्म दूध में अरंडी का तेल (रेंडी का तेल – Castor Oil) मिला कर पीना बहुत लाभदायक है. 250 ग्राम दूध में २ चमच अरंड का तेल मिला कर दिन में दो बार पीना चाहिए. यह नुस्खा अण्डवृद्धि अंत्रवृद्धि के साथ साथ सभी प्रकार के उदर रोगों में रामबाण है.
- खिरेंटी को सिल पर पीस कर उसके साथ दूध पकाओ, फिर इस दूध में अरंडी का तेल 10 ग्राम मिला कर पीने से अण्डवृद्धि अंत्रवृद्धि रोग नष्ट हो जाता है. इससे आध्मान पेट फूलना और शूल सहित अंत्रवृद्धि आराम हो जाती है.
- रास्ना, मुलेठी, गिलोय, अरंडी की जड़, खिरेंटी और गोखरू इनका काढ़ा बनाकर अरंडी का तेल मिलाकर पीने से अंत्रवृद्धि रोग नष्ट हो जाता है. आंत उतरती है जिसको आंत उतरना भी बोलते हैं, उसके लिए यह नुस्खा परमोत्तम है.
- सौंठ, अरंडी के फल, तिल और जौ इनको कांजी में पीसकर गर्म लेप करने से अण्डवृद्धि नष्ट हो जाती है.
- इन्द्रायण की जड़ का चार माशे चूर्ण आध पाव दूध में पीस छान कर और 10 ग्राम अरंडी का तेल मिलाकर सात दिन तक पीने से अण्डवृद्धि रोग आराम हो जाता है. आंड लटक गए हैं तो ये नुस्खा परमोत्तम है.
- रास्ना, मुलेठी, गिलोय, अरंडी की जड, कडवे पटोलपत्र (परवल के पत्ते), रेणुका, खिरेंटी और अडूसा इनके काढ़े में 10 ग्राम अरंडी का तेल मिला कर पीने से सब तरह के अण्डवृद्धि रोग शांत हो जाते हैं. इसको रास्नादी क्वाथ कहते हैं.
- रास्ना, मुलेठी, गिलोय, अरंडी की जड, कडवे पटोलपत्र (परवल के पत्ते), अमलताश का गूदा, गोखरू, खिरेंटी और अडूसा इनके काढ़े में 10 ग्राम अरंडी का तेल मिला कर पीने से सब तरह के अण्डवृद्धि रोग शांत हो जाते हैं. इसको भी रास्नादी क्वाथ कहते हैं. आंड लटक जाने पर या अंत्रवृद्धि होने पर ऊपर वाले प्रयोग से ये प्रयोग अधिक प्रभावी है.
- बच और सरसों पानी में पीस कर लेप करने से अथवा सहजने की छाल और सरसों पानी में पीस कर लेप करने से सब तरह की अण्डवृद्धि की सूजन शांत हो जाती है.
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