उन्माद (पागलपन )को दूर करने के अनुभवी सरल आयुर्वेदिक प्रयोग
पागलपन होने के कई कारण हो सकते है जेसे – विषेला भोजन ,धतूरे के बीज मिले भोजन करने से और
कोई ऐसी खबर जिससे मन को एकाएक आघात लगे इस कारण से ,इनसे मस्तिष्क पर गलत प्रभाव पड़ने
से पागलपन हो जाता है .
पागलपन व्यक्ति के व्यवहार में अनेक परिवर्तन आ जाते है जेसे अपने आप ही हसना ,नाचने लगना
लोगो को मारने दोड़ना ,अजीबोगरीब बाते करना ,क्रोध में होना आदि आदते हो जाती है
1 .- पागलपन –
विधि —- बच चूर्ण 4 रती ,घी 5 ग्राम में मिला सुबह -सुबह चाटकर ऊपर से गरम दूध पिलाये .
2 .- पागलपन –
विधि —- सर्पगन्धा पंचांग 15 ग्राम ,गुलाब के सूखे फुल 10 ग्राम,कालीमिर्च 10 ग्राम इन तीनो को पीसकर
रखे और दोपहर व रात को भोजन के एक घंटे बाद 1 चम्मच एक गिलास पानी के साथ रोगी को दे और एक
घंटे तक कुछ भी न दे .इससे बहुत लाभ होगा
3 .- पागलपन केसा भी हो –
विधि —- ब्रह्मी चूर्ण 50 ग्राम ,अस्वगंधा चूर्ण 50 ग्राम ,शंखपुष्पि 50 ग्राम ,दधीय वच सफेद 20 ग्राम ,
सर्पगन्धा चूर्ण 25 से 40 ग्राम तक ,प्रवाल पिष्टी 10 ग्राम ,ग्लूकोस 110 ग्राम ,सबको कूट पीसकर मिला ले .
यह चूर्ण 3-4 ग्राम की मात्रा में खाली पेट ताजा पानी के साथ दे .एक माह में रोगी की बुद्धि का स्तर भी बढ़
जायेगा .और उसका क्रोध भी शांत हो जायेगा . और 6-7 महीने में रोगी ठीक हो जायेगा
4.- पागलपन ,गांजे के कारण –
विधि —- नीम गिलोय के 10 -11 पत्ते सिलबट्टे पर पिस ले तथा इसमें 250 ग्राम पानी मिलाकर उसमे थोड़ी
सी मिश्री मिला रोगी को सुबह शाम आधे आंवले चूर्ण के साथ पिला दे .इसी के साथ रोगी सुबह -शाम दूध में
घी डालकर भी पिता रहे तो गांजे की खुश्की दूर हो कर रोगी ठीक हो जाता है .
5 .- पागलपन नया –
विधि —- ब्रह्मी चूर्ण 2-2 ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार पानी के साथ ले .ब्राह्मी बूटी पीनियल ग्रन्थि पर
प्रभाव डालकर मस्तिष्क के केंद्र तक जाकर इन उतेजित स्नायुओ को शांत रखने में मदद करती है .