कब्ज constipation
साधारण कब्ज होने पर रात्रि सोते समे दस-बारह मुनक्के ( पानी से अच्छी तरह धोकर साफ कर बीज निकाल कर ) दूध में उबाल कर खाएं और ऊपर से वही दूध पी ले। प्रात: खुलकर शौच लगेगा। भयंकर कब्ज में तीन दिन लगातार ले और बाद में आवश्यकता अनुसार कभी-कभी ले।
विकल्प
त्रिफला चूर्ण चार ग्राम ( एक चम्मच ) २०० ग्राम हल्के गर्म दूध अथवा गर्म पानी के साथ रात्रि सोते समय लेने से कब्ज दूर होती है।
विकल्प
इसबगोल की भूसी पहली विधि- दस ग्राम ( दो चम्मच ) इसबगोल की भूसी छ: घंटे पानी में भिगोकर इतनी ही मिश्री मिलाकर रात सोते समय जल के साथ लेने से दस्त साफ आता है। इसे केवल पानी के साथ ही वैसे ही बिना भिगोये ही रात्रि सोते समय लिया जा सकता है।
दूसरी विधि- इसबगोल की भूसी पांच से दस ग्राम की मात्रा में २०० ग्राम गर्म दूध में भिगो दे। यह फूलकर गाढ़ी हो जाएगी। इसे चीनी मिलाकर खाएं और ऊपर से थोड़ा गर्म दूध पी ले। शाम को इसे ले तो प्रात; मल बंधा हुआ साफ आ जायेगा।
विशेष
कब्ज में एक से दो चम्मच इसबगोल की भूसी का प्रतिदिन रात सोते समय पानी में भिगोकर भी प्रयोग किया जा सकता है अथवा इसे गर्म पानी या दूध के साथ भी लिया जा सकता है। दस्तो और पेचिस में इसका ताजे दही अथवा छाछ के साथ सेवन किया जाता है। इस प्रकार कब्ज में पानी या दूध के साथ और दस्तो और पेचिश में दही के साथ इसका प्रयोग किया जा सकता है।
पेट के रोगो के लिए यह निदोर्ष और श्रेष्ट दवा है। यह दस्त, पेचिश और कब्ज की प्रसिद्ध और निरापद ओषधि है और बालक से लेकर वृद्ध तक सभी को बिना किसी हानि य दुष्परिणाम की आशंका से निसंकोच दी जा सकती है। यह आंतो के मार्ग को चिकना बनाती है और आंतो में फूलकर मल को ठीक प्रकार से बाहर निकालने सहायता देती है। अपचन के कारण आंव की शिकायत में निरन्तर लम्बे समय तक सेवन करने का परामर्श दिया जाता है क्योकि इसके नियमित प्रयोग से अन्य विरेचक औषधियों की भांति शरीर में अन्य प्रकार के विाकर नही होते।
विकल्प
हानि रहित जुलाब- एरंड का तेल अवस्थानुसार एक से पांच चम्मच की मात्रा एक कप गर्म पनी या दूध में मिलाकर रात सोते समय पीने से कब्ज ठीक होकर दस्त साफ आता है।
विशेष
व्यस्को को सामान्यतया दो-चार चम्मच एरंड का तेल लेना और नवजात शिशु को एक छोटा चम्मच लेना चाहिए। कठिन कब्ज वालो को आठ चम्मच तक एरंड का तेल लेना पद सकता है और अन्य को केवल तिस बुँदे से ही पाखाना आ जाता है।
एरंड का तेल बहुत ही अच्छा हानि रहित जुलाब है। इसे छोटे बच्चे को भी दिया जा सकता है और दूध के विकार से पेट दर्द तथा उलटी होने की अवस्था में भी इसका प्रयोग बहुत हितकारी होता है। इससे आमाशय और आंतो को किसी प्रकार की हानि नही होती। इसलिए हर प्रकार के रोगी को इसे बिना किसी हिचक के दिया जा सकता है। इसका प्रयोग कब्ज, बवासीर, आंव के अतिरिक्त आँखों की बीमारियां और खुजली आदि चर्म रोगो में भी हितकर है।
विकल्प
पुरान अथवा बिगड़ा हुआ कब्ज- दो संतरों का रस खाली पेट प्रात; आठ दस दिन लगातार पीने से ठीक हो जाता है।
विशेष
संतरों के रस में नमक, मसाला, या बर्फ न ले। रस लेने के बाद एक-दो घंटे तक कुछ न ले।
कब्ज में पथ्य
गेहूं और चना को मिलाकर बनाई गई मिस्सी रोटी, मोटे आटे की रोटी, चोकरयुक्त आटे की रोटी, चोकर की खीर, दलिया, भुने हुए चने, पालक या पालक का सूप, बथुआ, मेथी, टमाटर, संपूर्ण,कच्चा प्याज, सलाद,पुदीना, पपीता, चीकू, अमरुद, आंवला, संतरा, ताजे फ्लो का रस, निम्बू पानी, देशी घी, मक्खन, दूध, खजूर या अंजीर, पदार्थ आदि।
उपरोक्त हितकारी आहार के साथ-साथ यदि निम्नलिखित कब्जनाशक सप्त नियम पालन किये जाएँ तो कब्ज में आशचर्यजनक और स्थायी लाभ प्राप्त होता है।
१ भोजन में आग पर पके हुए पदार्थो की मात्रा में कुछ कमी करके उसके स्थान पर हरे ताजे मौसमी सब्जियां, अंकुरित अन्न आदि प्राकृतिक आहार की मात्रा में वृद्धि करना।
२ भोजन करते समय प्रतीक ग्राम को खूब चबा-चबाकर खाना।
३ पहले से अधिक पानी पीना।
४ प्रात; उठते ही खाली पेट रात में तांबे के बर्तन या मटके में रखा हुआ पानी पीना।
६ योगासन अथवा ४-५ किलोमीटर का पैदल भर्मण।
७ शाम को भोजन सर्य अस्त होने से पहले करना।
कब्ज में उपाथ्य
मैदा तथा मैदे की बनी वस्तुएं, तले हुए पदार्थ अधिक मिर्च मसले वाले पदार्थ, बाजारू चाट-पकौड़ियाँ, मिठाईया, कोका कोला जैसे मिलावटी पानी, केला, सोंठ, शराब, काफी, चाय, मांस, मछली, अंडे, रात देर का खाना, खाने के तुरंत बाद फ्रिज का पानी पीना, लगातार देर तक बैठे रहने की आदत आदि।