Thursday , 18 April 2024
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अगर चाहते हैं कभी कब्ज ना हो तो करे ये उपाय।

कब्ज क्यों होता है-

हमारे अप्राकृतिक आहार,विहार और विचार के चलते कब्ज उत्पन्न होती है | जब शरीर में मल की अधिकता हो जाती है तब मल निष्कासक अंग इसे पूरी तरह से बाहर नही निकाल पाते फलस्वरूप यह शरीर में एकत्र होकर रक्त के साथ मिलकर अन्य अनेक रोग उत्पन्न कर देता है |

इसके मुख्य कारण ये है :-

अप्राकृतिक जीवन शैली

कम रेशायुक्त भोजन का सेवन करना

शरीर में पानी का कम होना

कम चलना या कम काम करना

कुछ खास दवाओं का सेवन करना

बड़ी आंत में घाव या चोट के कारण

थायरॉयड हार्मोन का कम बनना

कैल्सियम और पोटैशियम की कम मात्रा

मधुमेह के रोगियों में पाचन संबंधी समस्या

कंपवाद (पार्किंसन बीमारी)

कब्ज में व्यक्ति का मल बहुत कडा हो जाता है तथा मलत्याग में कठिनाई होती है। कब्ज अमाशय की स्वाभाविक परिवर्तन की वह अवस्था है, जिसमें मल निष्कासन की मात्रा कम हो जाती है, मल कड़ा हो जाता है, उसकी आवृति घट जाती है या मल निष्कासन के समय अत्यधिक बल का प्रयोग करना पड़ता है। कब्ज के रोगी को सिर में भारीपन या दर्द बना रहता है | गैस,एसिडिटी,अजीर्ण आदि लक्षण भी प्रगट होने लगते हैं |

करे इसका ये उपचार :-

सबसे पहले ध्यान रक्खे कि आप रेशायुक्त ( fibrous) भोजन का अत्यधित सेवन करे .

नास्ते में आप गेहूं का दलिया या कोई मौसमी फल ले .

दोपहर को आप हरी सब्जी (बिना मिर्च-मसाले की) + सलाद + चोकर समेत बनी आंटे की रोटी ले .

शाम 4:00 बजे- सब्जियों का सूप 250 मिली ले .

रात को मिक्स वेजिटेबल दलिया या कोई हरी सब्जी + चोकर सहित आंटे की रोटी ले .

अन्य उपाय :-

1. ताजा फल का ज़्यादा सेवन करे सेब फल को धो कर छिलके सहित खाए ज़्यादा से ज़्यादा पानी का सेवन करे तथा वसायुक्त भोजन का सेवन भी कम करे .

2. छोटी हरड और काला नमक समान मात्रा में मि‍लाकर पीस लें। नि‍त्‍य रात को इसकी दो चाय की चम्‍मच गर्म पानी से लेने से दस्‍त साफ आता हैं।

3. दो चाय चम्‍मच ईसबगोल 6 घण्टे पानी में भि‍गोकर इतनी ही मि‍श्री मि‍लाकर जल से लेने से दस्‍त साफ आता हैं। केवल मि‍श्री और ईसबगोल मि‍ला कर बि‍ना भि‍गोये भी ले सकते हैं।

4. कब्‍ज वालों के लि‍ए चना उपकारी है। इसे भि‍गो कर खाना श्रेष्‍ठ है। यदि‍ भीगा हुआ चना न पचे तो चने उबालकर नमक अदरक मि‍लाकर खाना चाहि‍ए। चेने के आटे की रोटी खाने से कब्‍ज दूर होती है। यह पौष्‍ि‍टक भी है। केवल चने के आटे की रोटी अच्‍छी नहीं लगे तो गेहूं और चने मि‍लाकर रोटी बनाकर खाना भी लाभदायक हैं। एक या दो मुटठी चने रात को भि‍गो दें। प्रात: जीरा और सौंठ पीसकर चनों पर डालकर खायें। घण्‍टे भर बाद चने भि‍गोये गये पानी को भी पी लें। इससे कब्‍ज दूर होगी।

पका हुआ बेल का गूदा पानी में मसल कर मि‍लाकर शर्बत बनाकर पीना कब्‍ज के लि‍ए बहुत लाभदायक हैं। यह आँतों का सारा मल बाहर नि‍काल देता है।

नीम्‍बू का रस गर्म पानी के साथ रात्रि‍ में लेने से दस्‍त खुलकर आता हैं। नीम्‍बू का रस और शक्‍कर प्रत्‍येक 12 ग्राम एक गि‍लास पानी में मि‍लाकर रात को पीने से कुछ ही दि‍नों में पुरानी से पुरानी कब्‍ज दूर हो जाती है।

सुबह नाश्‍ते में नारंगी का रस कई दि‍न तक पीते रहने से मल प्राकृति‍क रूप से आने लगता है। यह पाचन शक्‍ति‍ बढ़ाती हैं।

मैथी के पत्‍तों की सब्‍जी खाने से कब्‍ज दूर हो जाती है।

गेहूं के पौधों (गेहूँ के जवारे) का रस लेने से कब्‍ज नहीं रहती है।

सोते समय आधा चम्‍मच पि‍सी हुई सौंफ की फंकी गर्म पानी से लेने से कब्‍ज दूर होती है।

दालचीनी ,सोंठ, इलायची जरा सी मि‍ला कर खाते रहने से लाभ होता है।

रात में चुकंदर (बीट) की सब्जी खाएं.

रात में दूध में 8-10 मुनक्का डालकर उबालें और बीज निकाल कर खा लें |

सुबह उठकर दो ग्लास तांबे के बर्तन में रखा पानी पियें ।

रात में अजवाईन (आधी चम्मच) गुड के साथ खायें और ऊपर से गुनगुना दूध पी लें ।

एरण्ड तेल में २-४ काली छोटी हरड सेककर सुबह खाली पेट खायें ।

दूध मे गुलकन्द मिलाकर ले ।

टिण्डा, तोरइ का प्रयोग, दोपहर के भोजन के बाद छाछ पियें ।

टमाटर कब्‍ज दूर करने के लि‍ए अचूक दवा का काम करता है। अमाशय, आँतों में जमा मल पदार्थ नि‍कालने में और अंगों को चेतनता प्रदान करने में बडी मदद करता है। शरीर के अन्‍दरूनी अवयवों को स्‍फूर्ति‍ देता है।

कब्ज का प्रमुख कारण शरीर मे तरल की कमी होना है। पानी की कमी से आंतों में मल सूख जाता है और मल निष्कासन में जोर लगाना पडता है। अत: कब्ज से परेशान रोगी को दिन मे २४ घंटे मे मौसम के मुताबिक ३ से ५ लिटर पानी पीने की आदत डालना चाहिये। इससे कब्ज रोग निवारण मे बहुत मदद मिलती है।

किसी भी प्रकार का रिफाइंड तेल और सोयाबीन, कपास, सूर्यमुखी, पाम, राईस ब्रॉन और वनस्पति घी का प्रयोग विषतुल्य है । उसके स्थान पर मूंगफली, तिल, सरसो व नारियल के घानी वाले तेल का ही प्रयोग करें ।

चीनी/शक्कर का प्रयोग ना करें, उसके स्थान पर गुड़ या धागे वाली मिश्री (खड़ी शक्कर) का प्रयोग करें ।

आयोडीन युक्त नमक से नपुंसकता होती है इसलिए उसके स्थान पर सेंधा नमक या ढेले वाले नमक प्रयोग करें । जब से आयोडीन नमक का प्रचार -प्रसार जादा हुआ घेंघा तो कम नहीं हुआ हाँ नपुंसकता जरुर जादा बढ़ गई है जबकि पहले के लोग देशी नमक खा के भी आज के लोगो से जादा स्वस्थ थे .

मैदे का प्रयोग शरीर के लिये हानिकारक है इसलिए इसका प्रयोग ना करें ।

 

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