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अदरक के शक्तिशाली औषधीय गुण, जानकार हैरान रह जाएगे..!!

अदरक में आपको स्वस्थ रखने की जबरदस्त शक्ति होती है। भारतवासियों को 5,000 साल पहले से अदरक में पाए जाने वाले गुणों के विषय में जानकारी है।अदरक में बहुत सारे विटामिन्स के साथ-साथ मैग्नीज और कॉपर भी पाए जाते हैं जिनकी शरीर को सुचारु रूप से चलाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अदरक कई सारे गुणों की खान है और इसे विभिन्न तरीकों से उपयोग में लाया जा सकता है, पर अदरक का ज्यूस इसे इस्तेमाल करने का सबसे अच्छा तरीका समझा जाता है। एक भूमिगत रूपान्तरित तना है। यह मिट्टी के अन्दर क्षैतिज बढ़ता है। इसमें काफी मात्रा में भोज्य पदार्थ संचित रहता है जिसके कारण यह फूलकर मोटा हो जाता है। अदरक का इस्तेमाल अधिकतर भोजन के बनाने के दौरान किया जाता है। अक्सर सर्दियों में लोगों को खांसी-जुकाम की परेशानी हो जाती है जिसमें अदरक प्रयोग बेहद ही कारगर माना जाता है। इसके अलावा भी अदरक कई और बीमारियों के लिए भी फ़ायदेमंद मानी गई है।

अदरक के फायदे  :–

सर चकराने पर  –

अगर आप का सर चकरा रहा है तो आप अदरक की सहायता ले सक्ते है | खुराक बनाने के लिए किन चीजों की आवश्यकता होगी :

· पीसी हुयी सूंड

· देसी चीनी (चूरन )

· देशी घी

बिधि :

पीसी हई सूंड का एक चमच , चीनी का चूरन दो चमच और देसी घी तीन चमच तीनो को एकसाथ मिला कर यह एक खुराक बन जाये गी जिस को दिन में तीन बार चाटने से आप को सर चकराने से छुटकारा मिल जाये गा |

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गुर्दे के पथरी के दर्द में –

गुर्दे की पथरी के कारन होने वाले दर्द को कम करने के लिए आप अदरक की वरतों कर सकते है |

दो गिलास पानी को पहले उबाल लें और उस में चार से पांच चमच अदरक का रस डाल लीजये और इन  को अच्छी तरह से मिला लीजये | और एक सूती कपडे को इस में भिगो कर दर्द से पर्भावित जगह पर लगा कर सेक दे दर्द से आराम मिलेगा |

हिचकी –

*सभी प्रकार की हिचकियों में अदरक की साफ की हुई छोटी डली चूसनी चाहिए।
*अदरक के बारीक टुकड़े को चूसने से हिचकी जल्द बंद हो जाती है। घी या पानी में सेंधानमक पीसकर मिलाकर सूंघने से हिचकी बंद हो जाती है।
*एक चम्मच अदरक का रस लेकर गाय के 250 मिलीलीटर ताजे दूध में मिलाकर पीने से हिचकी में फायदा होता है।
*एक कप दूध को उबालकर उसमें आधा चम्मच सोंठ का चूर्ण डाल दें और ठंडा करके पिलाएं।
*ताजे अदरक के छोटे-छोटे टुकड़े करके चूसने से पुरानी एवं नई तथा लगातार उठने वाली हिचकियां बंद हो जाती हैं। समस्त प्रकार की असाध्य हिचकियां दूर करने का यह एक प्राकृतिक उपाय है।

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कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने में सक्षम –

आधुनिक शोधों में अदरक को विभिन्न प्रकार के कैंसर में एक लाभदायक औषधि के रूप में देखा जा रहा है और इसके कुछ आशाजनक नतीजे सामने आए हैं।

मिशिगन यूनिवर्सिटी कांप्रिहेंसिव कैंसर सेंटर के एक अध्ययन में पाया गया कि अदरक ने न सिर्फ ओवरी कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट किया, बल्कि उन्हें कीमोथैरेपी से प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने से भी रोका जो कि ओवरी के कैंसर में एक आम समस्या होती है।

इस अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने ओवरी कैंसर कोशिकाओं पर अदरक पाउडर और पानी का एक लेप लगाया। हर परीक्षण में पाया गया कि अदरक के मिश्रण के संपर्क में आने पर कैंसर की कोशिकाएं नष्ट हो गईं। हर कोशिका ने या तो आत्महत्या कर ली, जिसे एपोप्टोसिस कहा जाता है या उन्होंने एक-दूसरे पर हमला कर दिया, जिसे ऑटोफेगी कहा जाता है।

अदरक को स्तन कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर और कोलोन कैंसर के इलाज में भी बहुत लाभदायक पाया गया है।

जर्नल ऑफ बायोमेडिसिन एंड बायोटेक्नोलॉजी में प्रकाशित शोध में पता चला कि अदरक के पौधे के रसायनों ने स्वस्थ स्तन कोशिकाओं पर असर डाले बिना स्तन कैंसर की कोशिकाओं के प्रसार को रोक दिया। यह गुण बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि पारंपरिक विधियों में ऐसा नहीं होता। हालांकि बहुत से ट्यूमर कीमोथैरैपी से ठीक हो जाते हैं, मगर स्तन कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करना ज्यादा मुश्किल होता है। वे अक्सर बच जाती हैं और उपचार के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेती हैं।

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अदरक के इस्तेमाल के दूसरे फायदे ये हैं कि उसे कैप्सूल के रूप में दिया जाना आसान है, इसके बहुत कम दुष्प्रभाव होते हैं और यह पारंपरिक दवाओं का सस्ता विकल्प है।

आधुनिक विज्ञान प्रमाणित करता है कि अदरक कोलोन में सूजन को भी कम कर सकता है जिससे कोलोन कैंसर को रोकने में मदद मिलती है। मिशिगन यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 30 मरीजों के एक समूह को 28 दिनों में दो ग्राम अदरक की जड़ के सप्लीमेंट या प्लेसबो दिए। 28 दिनों के बाद शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन मरीजों ने अदरक की जड़ का सेवन किया था, उनमें कोलोन की सूजन के चिह्नों में काफी कमी पाई गई। इससे यह कोलोन कैंसर के रिस्क वाले लोगों में एक कारगर प्राकृतिक बचाव विधि हो सकती है।

कई और तरह के कैंसर, जैसे गुदा कैंसर, लिवर कैंसर, फेफड़ों के कैंसर, मेलानोमा और पैंक्रियाज के कैंसर को रोकने में अदरक के तत्वों की क्षमता पर भी अध्ययन किए गए हैं। यह एक दिलचस्प बात है कि एक कैंसर रोधी दवा बीटा-एलिमेन अदरक से बनाई जाती है।

अदरक हृदय के लिए लाभकारी –

अदरक सालों से हृदय रोगों के उपचार में इस्तेमाल होती रही है। चीनी चिकित्सा में कहा जाता है कि अदरक के उपचारात्मक गुण हृदय को मजबूत बनाते हैं। हृदय रोगों से बचाव और उसके उपचार में अक्सर अदरक के तेल का प्रयोग किया जाता था।

आधुनिक अध्ययन दर्शाते हैं कि इस जड़ी-बूटी के तत्व कोलेस्ट्रॉल को कम करने, ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने, रक्त प्रवाह में सुधार लाने और अवरुद्ध आर्टरियों तथा रक्त के थक्कों से बचाव करने का काम करते हैं। ये सारी चीजें हृदयाघात (हार्ट अटैक) और स्ट्रोक के जोखिम को कम करती हैं। 

अदरक मोशन सिकनेस को कम करती है –

अलग-अलग तरह की मतली और उल्टी को ठीक करने में अदरक बहुत मददगार होती है। गर्भवती स्त्रियों में मॉर्निंग सिकनेस, सफर पर रहने वाले लोगों में मोशन सिकनेस और कीमोथैरेपी के मरीजों में भी मितली की समस्या में यह राहत देती है। कीमोथैरेपी के दौरान वमन रोकने वाली दवाएं दिए जाने के बावजूद 70 फीसदी मरीजों को मितली की परेशानी होती है। वयस्क कैंसर रोगियों पर किए गए एक हालिया अध्ययन में पाया गया कि रोजाना कीमो से पहले आधा से एक ग्राम अदरक की डोज दिए जाने पर अध्ययन में हिस्सा लेने वाले 91 फीसदी मरीजों में तेज मितली की गंभीरता काफी हद तक कम हुई।

अदरक चक्कर आने के साथ आने वाली मितली को भी कम करने में मदद करती है। इस संबंध में हुए शोध से पता चलता है कि इस मसाले के उपचारात्मक रसायन, मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र में काम करते हुए उबकाई के असर को कम करते हैं।

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जोड़ों के दर्द और आर्थराइ‍टिस में राहत –

अदरक में जिंजरोल नामक एक बहुत असरदार पदार्थ होता है जो जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द को कम करता है। एक अध्ययन के मुताबिक, अदरक गंभीर और स्थायी इंफ्लामेटरी रोगों के लिए एक असरकारी उपचार है।

कई और वैज्ञानिक अध्ययन भी जोड़ों के दर्द में अदरक के असर की पुष्टि करते हैं। गठिया के शुरुआती चरणों में यह खास तौर पर असरकारी होता है। ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित बहुत से मरीजों ने नियमित तौर पर अदरक के सेवन से दर्द कम होने और बेहतर गतिशीलता का अनुभव किया।

हांग कांग में हुए एक अध्ययन से पता चलता है कि अदरक और संतरे के तेल से मालिश करने पर घुटने की समस्याओं वाले मरीजों में थोड़ी देर के लिए होने वाली अकड़न और दर्द में राहत मिलती है।

अदरक कसरत से होने वाले सूजन और मांसपेशियों के दर्द को भी कम कर सकती है। जार्जिया यूनिवर्सिटी द्वारा करवाए गए एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने लगातार 11 दिन तक 34 और 40 वाटंलियरों के दो समूहों को कच्ची और पकाई हुई अदरक खिलाई। अध्ययन के नतीजों से यह निष्कर्ष निकाला गया कि अदरक के सप्लीमेंट्स का रोजाना इस्तेमाल, कसरत से होने वाले मांसपेशियों के दर्द में 25 फीसदी तक राहत देती है।

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माइग्रेन और मासिक धर्म की पीड़ा को कम करती है –

शोध से पता चलता है कि अदरक माइग्रेन (सिरदर्द) में राहत दे सकती है। ईरान में किए गए और फाइटोथैरेपी रिसर्च जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि माइग्रेन के लक्षणों के उपचार में अदरक पाउडर माइग्रेन की आम दवा सुमाट्रिप्टन जितना ही असरदार है।

क्लीनिकल ट्रायल में तीव्र लक्षणों वाले 100 माइग्रेन पीड़ितों में से कुछ को सुमाट्रिप्टन दिया गया और बाकियों को अदरक पाउडर। शोध में पाया गया कि दोनों की प्रभावक्षमता एक जैसी थी और अदरक पाउडर के दुष्प्रभाव सुमाट्रिप्टन के मुकाबले बहुत कम थे। इससे यह पता चलता है कि यह माइग्रेन का अधिक सुरक्षित उपचार है।

माइग्रेन का हमला शुरू होते ही अदरक की चाय पीने से प्रोस्टेग्लैंडिन दब जाते हैं और असहनीय दर्द में राहत मिलती है। इससे माइग्रेन से जुड़ी उबकाई और चक्कर की समस्याएं भी नहीं होतीं।

अदरक डिस्मेनोरिया (पीड़ादायक मासिक धर्म) से जुड़े दर्द को भी काफी कम करने में मददगार है। ईरान में किए गए एक शोध में 70 महिला विद्यार्थियों को दो समूहों में बांटा गया। एक समूह को अदरक के कैप्सूल और दूसरे को एक प्लेसबो दिया गया। दोनों को उनके मासिक चक्र के पहले तीन दिनों तक ये चीजें दी गईं। शोधकर्ताओं ने पाया कि अदरक के कैप्सूल लेने वाली 82.85 फीसदी महिलाओं ने दर्द के लक्षणों में सुधार बताया जबकि प्लेसबो से सिर्फ 47.05 फीसदी महिलाओं को ही राहत मिली।

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श्वास की समस्याओं और दमा के उपचार में असरकारी –

श्वास संबंधी समस्याओं के उपचार में अदरक के तत्वों के सकारात्मक नतीजे दिखे हैं। शोध से पता चलता है कि दमा से पीड़ित मरीजों के उपचार में इसका प्रयोग आशाजनक रहा है। दमा एक स्थायी बीमारी है जिसमें फेफड़ों की ऑक्सीजन वाहिकाओं के स्नायुओं में सूजन आ जाती है और वे विभिन्न पदार्थों के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं, जिससे दौरे पड़ते हैं।

हाल में हुए एक अध्ययन से पता चलता है कि अदरक दो तरीके से दमा के उपचार में लाभदायक होता है। पहला हवा के मार्ग की मांसपेशियों को संकुचित करने वाले एंजाइम को अवरुद्ध करते हुए और दूसरे हवा के मार्ग को आराम पहुंचाने वाले दूसरे एंजाइम को सक्रिय करते हुए।

अदरक अपने शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट, सूजन रोधी (एंटी-इंफ्लामेटरी) और दर्दनिवारक तत्वों के कारण असरकारी होती है। इसके गुण नॉन स्टेरायडल एंटी इंफ्लामेटरी दवाओं के समान होते हैं मगर इसके नकारात्मक दुष्प्रभाव नहीं होते। जबकि दमा की बीमारी के उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवाओं के चिंताजनक दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। इसलिए अदरक जैसे वैकल्पिक, सुरक्षित उपचार का मिलना इस रोग के उपचार में एक आशाजनक खोज है।

अदरक सर्दी-खांसी में लाभदायक –

अदरक प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है जिससे यह सर्दी-खांसी तथा फ्लू का जाना-माना उपचार है। ऊपरी श्वास मार्ग के संक्रमण में आराम पहुंचाने के कारण यह खांसी, खराब गले और ब्रोंकाइटिस में भी काफी असरकारी होती है।

अदरक सर्दी के समय उत्तेजित होने वाले दुखदायी साइनस सहित शरीर के सूक्ष्म संचरण माध्यमों को भी साफ करती है। सर्दी-खांसी और फ्लू में नींबू तथा शहद के साथ अदरक की चाय पीना बहुत लोकप्रिय नुस्खा है जो पूर्व और पश्चिम दोनों में कई पीढ़ियों से हमें सौंपा जाता रहा है।

अदरक में गर्मी लाने वाले गुण भी होते हैं, इसलिए यह सर्दियों में शरीर को गरम कर सकती है और सबसे अहम बात यह है कि यह सेहत के लिए हितकारी पसीने को बढ़ा सकती है। शरीर को विषमुक्त करने और सर्दी-जुकाम के लक्षणों में लाभदायक इस तरह का पसीना बैक्टीरियल और फंगल संक्रमणों से भी लड़ने में मददगार साबित होती है।

सबसे अच्छी बात यह है कि अदरक में सक्रिय पदार्थ होते हैं, जो आसानी से शरीर द्वारा सोख लिए जाते हैं इसलिए आपको उसका फायदा उठाने के लिए उसे ज्यादा मात्रा में इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं होती।

अदरक एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है –

दुनिया में हुए बहुत से अध्ययनों में पाया गया है कि अदरक में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो लिपिड पेरोक्सिडेशन और डीएनए क्षति को रोकती है।

एंटीऑक्सीडेंट बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि वे फ्री रेडिकल्स के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करते हैं। इससे उम्र के साथ आने वाली तमाम तरह की बीमारियों जैसे कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह, आर्थराइटिस, अल्जाइमर्स और बाकी रोगों से बचाव में मदद मिलती है।

हालांकि सभी मसालों में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, अदरक उनमें ज्यादा प्रभावशाली है। इसमें अपनी 25 अलग-अलग एंटीऑक्सीडेंट विशेषताएं हैं। इसके कारण यह शरीर के अलग-अलग हिस्सों में तमाम तरह के फ्री रेडिकल्स से लड़ने में बहुत असरदार है।

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ध्यान देने योग्य बातें –

  • दो साल से कम उम्र के बच्चों को अदरक नहीं दी जानी चाहिए।
  • आम तौर पर, वयस्कों को एक दिन में 4 ग्राम से ज्यादा अदरक नहीं लेनी चाहिए। इसमें खाना पकाने में इस्तेमाल किया जाने वाला अदरक शामिल है।
  • गर्भवती स्त्रियों को 1 ग्राम रोजाना से अधिक नहीं लेना चाहिए।
  • आप अदरक की चाय बनाने के लिए सूखे या ताजे अदरक की जड़ का इस्तेमाल कर सकते हैं और उसे रोजाना दो से तीन बार पी सकते हैं।
  • अत्यधिक सूजन को कम करने के लिए आप रोजाना प्रभावित क्षेत्र पर कुछ बार अदरक के तेल से मालिश कर सकते हैं।
  • किसी विशेष समस्या के लिए अदरक की खुराक की जानकारी और संभावित दुष्प्रभावों के लिए हमेशा डॉक्टर से संपर्क करें।

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