Friday , 3 May 2024
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प्रमेह के लिए अनुभूत और शीघ्र लाभाकरी नुस्खे –

प्रमेह के लिए अनुभूत और शीघ्र लाभाकरी नुस्खे – परिचय- विक्रत मूत्र का बार-बार होना ही प्रमेह का अर्थ है .आयुर्वेद में 20 प्रकार के प्रमेह होते है उनमे से एक प्रकार के                       प्रमेह को ही मधुमेह कहते है .आयुर्वेद का मानना है की प्रमेहो की चिकित्सा में उपेक्षा करने …

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बहु मूत्र (पोलियुरिया) अधिक मात्रा में पेशाब आना बीमारी में अनुभूत नुस्खे |

बहु मूत्र (पोलियुरिया) अधिक मात्रा में पेशाब आना बीमारी में अनुभूत नुस्खे | परिचय – बहुमूत्र के दो अर्थ हे -बहुत समय तक थोडा -थोडा पेशाब उतरते रहना अथवा अधिक मात्रा में पेशाब का बार -बार होना . बहुमूत्र — थोड़ी -थोड़ी देर बाद पेशाब आना .हर बार इतना पेशाब आना ,जितना आधा घंटा या 15-20 मिनट पहले आया था …

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सर्दी में तिल के फायदे क्यों और कैसे लें ?

सर्दी में तिल के फायदे क्यों और कैसे लें ? तिल Til हजारो सालों से उपयोग में लाया जा रहा है। इसे अंग्रेजी में सेसेमी (Sesame) कहते है। तिल का तेल विशेष औषधीय गुणों से युक्त होता है तथा इसमें बहुत से लाभदायक एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते है। तेल के लिए उगाई जाने वाली यह दुनिया की सबसे पुरानी फसल है। जिन कठिन …

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उपदंश ,सुजाक ,पुयमेह रोगों के अनुभूत आयुर्वेदिक चिकित्सा- लाभ ले>

उपदंश ,सुजाक ,पुयमेह रोगों के अनुभूत आयुर्वेदिक चिकित्सा- लाभ ले> परिचय – इस प्रकार के रोग पहले नही हुआ करते थे क्योंकि पहले लोग संयमी हुआ करते थे आजकल लोग ज्यादा कामुक हो गये है 7 से 14 दिनों में इस रोग के लक्षण पैदा होते है सबसे पहले इंद्री पर मसूर के दाने के बराबर एक दाना निकलता है …

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नजला /झुखाम के अनुभूत नुस्खे जो बहुत कारगर हे लाभ ले .

नजला /झुखाम के अनुभूत नुस्खे जो बहुत कारगर हे लाभ ले . शरीर में रोग पैदा केसे होते है ; पहले वात ,पित और कफ विपरीत आहार -विहार के कारण बढकर शरीर में इकट्ठा होते है .ऐसी स्थिति को दोषों का अपचय या संचय कहा जाता है .उसके बाद दोषों का प्रकोप होता है .प्रकोप होने पर पुरे शरीर में …

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पांडू रोग (पीलिया )के लिए अनुभूत आयुर्वेदिक उपचार :जरुर लाभ ले.

पांडू रोग (पीलिया )के लिए अनुभूत आयुर्वेदिक उपचार :जरुर लाभ ले. आयुर्वेद के अनुसार रंजक पित का विनाश ही पांडू रोग है .रक्त रंजक व लाल कण की कमी ही पांडू रोग है जिस रोग में रोगी का मल-मूत्र पिला हो ,रोगी का रंग भेक के समान हो जाये उसे कामला कहते है . पांडू को बोलचाल की भाषा में …

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उल्टियां (वमन :जी मचलाना ) रोग के लिए अनुभूत रोगनाशक नुस्खे लाभ ले

उल्टियां (वमन :जी मचलाना ) रोग के लिए अनुभूत रोगनाशक नुस्खे लाभ ले उल्टियां कई कारण से होती है ,अम्लपित भी उसमे से एक कर्ण हो सकता है यदि अम्लपित के कारण उल्टियां हो तो अम्लपित को मिटाने की चिकित्सा साथ में करे . 1.- उल्टियां – दवा —- अविप्तिकर चूर्ण 2 ग्राम और मधुरक्षार 2 रती दिन में 3 …

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संग्रहणी रोग के लक्षण,कारण व अनुभूत आयुर्वेदिक ईलाज:

संग्रहणी रोग के लक्षण,कारण व अनुभूत आयुर्वेदिक ईलाज: संग्रहणी के लक्षण : खाना खाने के तुरंत बाद रोगी को दस्त के लिए जाना पड़ता है कभी दस्त पतला कभी बंधा हुआ आना,खट्टी डकार आना,उल्टी आना.थोड़ी भी भारी चीज खाते ही टट्टी की हाजत हो जाती है,रोगी को बराबर पतले दस्त आते है पेट में दर्द के साथ टट्टी पतली आती …

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खांसी (khansi) का ईलाज -15 सहज आयुर्वेद नुस्खे:

खांसी (khansi) का ईलाज -15 सहज आयुर्वेद नुस्खे: दिन हो या रात बदलते मौसम के साथ खांसी होना आम है। खांसी के कारण न सिर्फ़ दिन का चैन ख़त्म हो जाता है, बल्कि रातों की नींद भी ख़राब हो जाती है। हालांकि, लोग ठीक होने के लिए खांसी की दवा लेते हैं, लेकिन कुछ दिनों बाद खांसी वापस आ जाती …

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अतिसार (दस्त) प्रवाहिका के लिए अनुभव किये नुस्खे.आजमाकर लाभ ले:

अतिसार (दस्त) प्रवाहिका के लिए अनुभव किये नुस्खे.आजमाकर लाभ ले: 1.- दस्त – दवा —- हिंग्वाष्टक चूर्ण 1-2 ग्राम ,शंख भस्म 2 रती ये एक खुराख  की मात्रा है इसे सुबह शाम पानी के साथ ले दस्त बंध कर आने लगेंगे . 2.- दवा — शंख भस्म 2-3 रती की मात्रा में शहद संग लेते ही दस्त तुरंत बंद होते …

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