Monday , 2 December 2024
Home » आयुर्वेद » जड़ी बूटियाँ » apamarg » अपामार्ग है अनेक असाध्य रोगों को ठीक करने वाली ग़ज़ब की औषिधि

अपामार्ग है अनेक असाध्य रोगों को ठीक करने वाली ग़ज़ब की औषिधि

Apamarg, Apamarg ka istemal, Apamarg ke fayde, Apamarg ke ayurvedic prayog

अपामार्ग के अन्य भाषाओँ में नाम.

संस्कृत – शिखरी, अध्:शल्य, मयूरक, दुर्ग्रहा, किणही, खरमंजरी, प्रत्यकपुष्पी,

हिंदी – चिरचिटा, लटजीरा, चिरचिरा, चिचड़ा

उर्दू – चिरचिटा

असमिया – अपंग

कन्नड़ – उतरनी

कोंकणी – कांटमोगरो

गुजरती – अघेड़ो

तमिल – नायु रूवी

तेलुगु – अपमार्गम

बंगाली – अपांग, चिरचिटा

नेपाली – दतिवन

पंजाबी – कुत्री, पुठकंडा

मराठी – अघाडा

मलयालम – वनकटलकी, कटलकी

अंग्रेजी – Washerman’s Plant, rough chaff flower

अरबी – अत्कुमह

फारसी – खरेवाज्हुम

अपामार्ग श्वेत, रक्त, अपमर्गी, गिरी अपामार्ग, रक्त्पुश्पमार्ग, पक्षपत्रापामार्ग आदि किस्मो में पाया जाता है. यह अनेक रोगों में काम में लिया जाता है, यह छोटे मोटे सिरदर्द से लेकर मोटापा मिर्गी बवासीर आदि रोगों में रामबाण की तरह काम करता है. आइये जाने.

श्वेत अपामार्ग – 

यह अपामार्ग कफ वात नाशक तथा कफपितसंशोधक होती है .श्वेत अपामार्ग ,भारंगी,अपराजिता ये सभी कफ,मेद एव विष के नाशक होते है.

लाल अपामार्ग –

इसके पत्र रक्तपित शामक होते है .इसकी मूल कटु,शीत,कषाय,वामक ,विबन्धकारक,म्रदुकारी,क्षतिविरोहक,वेदानाशामक तथा विषनाशक होती है .

अपमर्गी, गिरी अपामार्ग-

इसका पंचांग आमवात नाशक ,तिक्त,पाचक,मूत्रल,आर्त्ववर्धक,तथा प्रदर नाशक होता है.

रक्त्पुश्पमार्ग-

कई स्थानों पर अपामार्ग के स्थानो पर इसका प्रयोग होता है .इसके पंचांग में सूक्ष्म जीवाणुरोधी क्रिया होती है.

पक्षपत्रापामार्ग-

इस पोधे में प्रचुर मात्रा में पोटाश पाया जाता है .

क्या आपने एक ऐसी औषधि के बारे में जाना है ? जिसे दोषों का संशोधन करने वाली,भूख बढानेवाली एवं असाध्य रोगों को ठीक करने वाली औषधि के रूप में जाना जाता है और यह औषधि प्रायः सम्पूर्ण भारत में पायी जाती है नाम है “अपामार्ग ” मयूरक ,खरमंजरी,मर्कटी ,शिखरी आदि नामों से प्रचलित यह वनस्पति समस्त भारत में पायी जाती है ,इसके फूल हरे या गुलाबी कलियों से युक्त होते हैं तथा बीजों का आकार चावल की तरह होता है !बाहर से देखने में इसका पौधा 1 से 3 फुट उंचा होता है ,शाखाएं पतली,पत्ते अंडाकार एक से पांच इंच लम्बे होते हैं ,फूल मंजरियों में पत्तों के बीच से निकलते हैं. अपामार्ग क़ी क्षार का प्रयोग विभिन्न आयुर्वेदिक औषधियों में बहुतायात से किया जाता है. अपामार्ग कफ़-वात शामक तथा कफ़-पित्त का संशोधन करने वाले गुणों से युक्त होता है. इसे रेचन ,दीपन ,पाचन ,कृमिघ्न,रक्तशोधक ,रक्तवर्धक ,शोथहर,डायुरेटिक गुणों से युक्त माना जाता है.

आइये अब इसके कुछ औषधीय प्रयोगों क़ी चर्चा करें :-

आधासीसी

यदि आप आधे सिर के दर्द से परेशान हों तो इसके बीजों के पाउडर को सूंघने मात्र से दर्द में आराम मिलता है I-यदि साइनस में सूजन (साईनोसाईटीस) जैसी समस्या से आप परेशान हो रहे हों जिस कारण नाक हमेशा बंद रहती हो और सिर में अक्सर भारीपन बना रहता हो तो इसके चूर्ण को सूंघने मात्र से लाभ मिलता है 

ओषधिय प्रयोग ,मात्रा एवं विधि –

नेत्र रोग :-

2 ग्राम अपामार्ग मूल चूर्ण में मधु मिलाकर 2-2 बूंद आँख में डालने से आँखों के सभी विकारो में लाभ होता है .

मुह के रोगों में उपयोग :-

अपामार्ग कि जड़ से प्रतिदिन दातुन करने से दन्त चमकने लगते है तथा दांतों का हिलना ,मसुडो कि कमजोरी ,तथा मुंह कि दुर्गन्ध को दूर करता है .

दांत दर्द में.

दांतों के दर्द में इसके पत्तों का स्वरस रूई में लगाकर स्थानिक रुप से दांत पर लगाने से दर्द में आराम मिलता है . यदि अपामार्ग की ताज़ी जड़ का प्रयोग दातून के रूप में कराया जाय तो दांतों क़ी चमक बरकार रहेगी और दाँतों क़ी विभिन्न समस्याओं जैसे दाँतों का हिलना,मसूड़ों क़ी दुर्गन्ध एवं दाँतों के हिलने जैसे स्थितियों में लाभ मिलता है.

कानो के रोग के लिए.

अपामार्ग क़ी जड़ को साफ़ से धो कर इसका रस निकालकर बराबर मात्रा में तिल का तेल मिलाकर आग में पकाकर ,तेल शेष रहने पर छानकर किसी शीशी या बोतल में भरकर रख लें,हो गया ईयर ड्राप तैयार ,अब इसे दो-दो बूँद कानों में डालने से कान के विभिन्न रोगों में लाभ मिलता है

खांसी और दमा

अपामार्ग क़ी जड़ को बलगमयुक्त खांसी और दमे जैसी स्थितियों में चमत्कारिक रूप से प्रभावी पाया गया है. ]

अपामार्ग क़ी क्षार क़ी 500 मिलीग्राम क़ी मात्रा में लेकर इसमें शहद मिलाकर सुबह शाम चाटने मात्र से कफ़उत्क्लेषित होकर बाहर आ जाता है, यह योग बच्चों में विशेष रूप से फायदेमंद होता है.


यदि आप बार- बार आनेवाली खांसी से परेशान हों या कफ़ बाहर निकलने में परेशानी हो रही हो तो कफ़ गाढा निकल रहा हो तो अपामार्ग के क्षार को 250 मिलीग्राम एव 250 मिलीग्राम मिश्री के साथ मिलाकर गुनगुने पानी से देने से काफी लाभ मिलता है.


यदि रोगी सांस (दमे ) के कारण सांस लेने में कठिनाई महसूस कर रहा हो तो अपामार्ग क़ी जड़ का पाउडर पांच ग्राम, ढाई ग्राम काली मिर्च के पाउडर के साथ प्रातः सायं लेने से लाभ मिलता है. 

बवासीर.

अपामार्ग के बीजों को पीस लें और प्राप्त चूर्ण को 2.5 ग्राम क़ी मात्रा में सुबह-शाम चावल को धोने के बाद शेष बचे पानी के साथ प्रातः सायं देने से खूनी बबासीर (ब्लीडिंग पाइल्स ) में लाभ मिलता है.

अपामार्ग क़ी पत्तियों को 5 क़ी संख्या में लेकर इसे काली मिर्च के पांच टुकड़ों के साथ पानी में पीसकर सुबह-शाम लेने से पाइल्स (अर्श ) में लाभ मिलता है और इस कारण निकलने वाला खून भी बंद हो जाता है.

पेट दर्द में.

यदि रोगी पेट के दर्द से परेशान हो तो अपामार्ग की पंचांग को दस से पंद्रह ग्राम की मात्रा में लेकर इसे आधा लीटर पानी में पकाने के बाद चार भाग शेष रहे तो इसमें 250 मिलीग्राम नौसादर का पाउडर और लगभग 2.5 ग्राम काली मिर्च पाउडर मिलाकर दिन में दो बार सात से दस दिन तक लगातार देने से लाभ मिलता है.

भूख ना लगना – अरुचि

यदि आप भूख न लगने जैसी समस्या से परेशान हों तो घबराएं नहीं बस अपामार्ग की पंचांग (जड़,तने,पत्ती,फूल एवं फल ) का क्वाथ बनाकर इसे बीस से पच्चीस मिली की मात्रा में खाली पेट सेवन करें तो इससे पाचक रसों की वृद्धि होकर भूख लगने लगती है तथा हायपरएसिडिटी में भी लाभ मिलता है.

मासिक की समस्याएँ.

स्त्रियों में अनियमित मासिक चक्र ,अधिक रक्तस्राव आदि कारणों से गर्भ धारण में हो रही समस्या में भी अपामार्ग अत्यंत ही लाभकारी औषधि के रूप में जानी जाती है ..बस इसके बीजों के पाउडर को पांच से दस ग्राम की मात्रा में या इसकी जड़ को साफकर सुखाकर बनाए गए पाउडर को पांच से दस ग्राम की मात्रा में गाय के दूध के साथ पिलाने से लाभ मिलता है.

सुखी प्रसव के लिए – Easy Delivery

अपामार्ग,वासा ,पाठा ,कनेर इनमें से किसी एक औषधि की जड़ को स्त्री की नाभि,मूत्र प्रदेश या योनि के आसपास लेपन करने मात्र से सुख-प्रसव होना विदित है …!

अपामार्ग की जड़ को पीसकर योनि के आसपास रुई में मिलाकर योनि में रखने मात्र से योनिशूल और मासिक धर्म की रुकावर दूर होती है.

जोड़ों की सूजन में इसके ताजे पत्तों को पीसकर लेप करने मात्र से सूजन घटने लग जाती है.

एंटी वायरल

अपामार्ग की ताज़ी पत्तियों को आठ से दस की संख्या में लेकर काली मिर्च के पांच से आठ टुकड़े एवं तीन से पांच ग्राम लह्शुन के साथ एक साथ पीसकर गोली बनाकर ..एक गोली बुखार आने से पूर्व सेवन करने पर यह ज्वर मुक्त करने में मदद करता है I-हल्दी के साथ अपामार्ग की जड़ का प्रयोग बराबर मात्रा में नियमित रूप से करने पर एंटीवाइरल प्रभाव प्राप्त होता है.

मिर्गी

इसके हरे पौधे का रस भूरी मिर्च और सौफ के पाउडर के साथ गोली बना कर देने से मिर्गी के रोगी को बहुत आराम मिलता है.

इसके लिए आप हमारी ये पोस्ट भी पढ़ सकते हैं.

मोटापा.

मोटापा कम करने के लिए भी यह एक ग़ज़ब की औषिधि है, इसके लिए आपको अपामार्ग के पत्तों को दूध में उबाल कर पीना होता है. इसके लिए आप हमारी ये पोस्ट पढ़ सकते हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

DMCA.com Protection Status