द्रव्य –यशद भस्म १ तोला , बीजकंद २ तोले , प्रवाल पिष्टी १ तोला , खुरासानी अजवाइन २ तोले , सुवर्णमाक्षिक भस्म १ तोला , कुलफा के बीज २ तोले , काहू के बीज २ तोले , शिलाजीत १ तोला , त्रणकान्तमणि पिष्टी १ तोला, बबूल का गोंद २ तोले , बंसलोचन १ तोला , इमली के बीज की गिरी २ तोले , हीरादोखी गोंद २ तोले , मिश्री ४० तोले .
बिधि –
सर्वप्रथम भस्म व पिष्टी मिलावें फिर शिलाजीत मिलावें . वंशलोचन को प्रथक खरलकर बारीक करके मिलावें . बाकी की बची हुई औषधियों को कूट का सूती कपडे मैं छान करके मिलावें . अंत मैं मिश्री ४० तोले का चूर्ण मिलाकर खरल कर लेवें.
मात्रा — ६-६ माशे सुबह – शाम दूध से लेवें .
उपयोग – यह चूर्ण , शामक , ग्राही , व वीर्य शोधक है . यह शुक्र स्थान को बल देता है और स्वप्न विकार को दूर करता है . व शरीर को बलवान बनाता है .