वागभट्ट जी ने कहा है कि सुबह की लार बहुत महत्वपूर्ण होती है. राजीव भाई ने इस बात को ध्यान में रखते हुए कुछ मरीजों पर इसका परिक्षण किया. उनके पास बहुत सारे मरीज ऐसे थे जो डाईबिटिज से पीड़ित थे और डाईबिटिज की कंडीशन में आगर कोई घाव हो जाये तो जल्दी भरता नही है. ऐसे ही 8-10 डाईबिटिज के मरीज जिन्हें फोड़े हैं, फुंसी हैं, घाव बढ़ गया और वो भरता नही, राजीव भाई ने उनकी होमिओपेथिक दवाई बंद की और उन्हें कहा कि सुबह सुबह मुह की लार है, उसे घाव पे लगाओ और जब सबने इसका इस्तेमाल किया तो चमत्कार हो गया.
15 से 20 दिन में घाव भरना शुरू और तीन महीने में बिल्कुल ठीक हो गया. एक ऐसा ही गैंगरिन (अंग का सड़ जाना) का रोगी जिसको डॉक्टर ने कहा कि पैर काटना पड़ेगा. उसने बेचारे ने साल भर तक लार लगा लगा कर ही ठीक कर लिया. तब राजीव भाई को समझ में आया कि जानवर हमसे ज्यादा समझदार क्यूँ होते है क्योंकि वो चोट लगते ही वो चाटना शुरू कर देता है . और ऐसे ही अपने घाव ठीक कर लेते है.
कुछ चश्मे के पेशेंट राजीव भाई के पास थे,जो छोटे छोटे बच्चे थे तो उन्हें कहा गया कि सुबह जब सो कर उठो तो मुँह की लार आँख में काजल की तरह लगाओ. और आप तो जानते है कि बच्चे बहुत सीधे होते हैं उन्हें जो कहा जाए तुरंत कर लेटे हैं. अब आपको हेरानी होगी कि कुछ महीनों में ही उनके चश्मे उतर गये. आप भी करके देख लीजिये. बस अंतर इतना है कि बच्चों को जल्दी उतर गये, आपको थोडा देर में उतरेंगे क्योंकि कम उम्र में बहुत जल्दी उतर जाते है. आँखों की रौशनी अगर बढ़नी है तो सुबह की लार काजल की तरह आँखों में लगाइए.
एक बीमारी है आँखों की जिसको हम कन्जक्टीविटी कहते हैं. अक्सर उसमे आँखें लाल हो जाती है, जलन होने लगती है. जैसे खून उतर आया हो आँखों में वो कंडीशन हो जाती है. कोई भी आयुर्वेदिक दवाई खायेंगे तो 3 से 4 दिन में ठीक होगी. लेकिन अबकी बार जब भी आपको ये बीमारी हो तो मुँह की लार लगाना. आप देखेंगे कि 24 घंटे के अंदर ही आपकी आंख ठीक हो जाएगी.
एक 8 साल के बच्चे की आँखें टेडी थी वो देखता कहीं है और दिखता कहीं है. उसके माता पिता ऑपरेशन का खर्चा नही उठा सकते, लगभग 4 महीने से उस बच्चे पर यही लार वाला एक्सपेरिमेंट किया जा रहा है. और उसका टेढ़ापन(बेंघापन) लगातार कम हो रहा है. और आँखों की पुतलियाँ बिलकुल बीच में सेट हो रही हैं.
ये सब रिजल्ट मिलने के बाद राजीव भाई ने दिल्ली में एक वैज्ञानिक से पूछा कि ऐसा इस लार में क्या है. उसका एक्टिव इन ग्रेडिएंट क्या है. तो उन्होंने बताया कि जितने एक्टिव इन ग्रेडिएंट मिटटी में हैं वो सारे इस लार में हैं. और मिटटी में 18 ऐसे माइक्रोन्यूट्रीयंट्स पाए जाते हैं वो ही ग्रेडिएंटस इस लार में पाए जाते हैं.
इसीलिए लार शरीर के लिए बहुत कीमती है इसको कभी नष्ट मत करना. इसकी मदद से आप शरीर के बहुत सारे रोग ठीक होते हैं शरीर में अगर दाद, धब्बा हो जाए, अगर कहीं से जल जाए तो उस जगह पर ये लार लगाते रहे 6-8 महीने में दाद-धब्बा बिलकुल साफ़ हो जायेगा. शरीर में अगर सफ़ेद दाद दिख रहे हैं एक्सिमा हो जाए मान लो. रोज सुबह की लार एक्सिमा या दाद पे लगाते रहिये 6-8 महीने बाद बिल्कुल साफ़ हो जायेगा और एक्सिमा से भी भयंकर बीमारी है सेरोईसिस वो भी साल भर में ठीक हो जायेगा. मुफ्त का इलाज है फ़ोकट का इलाज है.
तो आप त्वचा की बीमारी में, आँखों की बीमारी में, शरीर में कही घाव हो जाए उस पर एक्सपेरिमेंट कीजिये, फोड़े फुंसियों पर इसका एक्सपेरिमेंट कीजिये बहुत लाभ मिलेगा और दूसरों को भी बताइए तभी आपके लिए मोक्ष के दरवाजे खुलेंगे.
आँखों के नीचे काले धब्बे आ गये हैं तो क्या करें? इसका सबसे अच्छा उपाय यही है कि सुबह सबसे पहले उठते ही मुँह का सबसे पहली लार है, इसको आँखों के नीचे लगाके मालिश करें हल्की हल्की मालिश करें. आपके सारे डार्क सर्किल ख़त्म हो जायेंगे.