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Vaat rog ka ilaj – वात रोग कुछ दिन में बिलकुल सही हो जायेगा – vaat rog

Vaat rog ka ilaj – वात रोग कुछ दिन में बिलकुल सही हो जायेगा – vaat rog

वात रोग का इलाज – आयुर्वेद ।

Vaat rog ka ilaj – आयुर्वेदिक ग्रन्थों के अनुसार वात 80 प्रकार का होता है एवं इसी से सामंजस्य रखता हुआ एक और रोग है जिसे बाय या वायु कहते हैं। यह 84 प्रकार का होता है। यहाँ प्रश्न यह उठता है कि जब वात एवं वायु के इतने प्रकार हैं, तो, यह कैसे पता लगाया जाय कि यह वात रोग है या बाय रोग एवं यह किस प्रकार का है ? यह कठिन समस्या है और यही कारण है कि इस रोग की उपयुक्त चिकित्सा नहीं हो पाती है, जिससे इस रोग से पीड़ित 50 प्रतिशत व्यक्ति सदैव परेशान रहते हैं। उन्हें कुछ दिन के लिए इस रोग में राहत तो जरूर मिलती है, परन्तु पूर्णतया सही नहीं हो पाता है। इस रोग की चिकित्सा एलोपैथी के माध्यम से पूर्णतया सम्भव नहीं है, जबकि आयुर्वेद के माध्यम से इसे आज कल 90 प्रतिशत तक जरूर सही किया जा सकता है, शेष 10 प्रतिशत माँ भगवती जगत जननी की कृपा से ही सम्भव है।

वात रोग लक्षण एवं परेशानी – Vaat rog ke lakshan

Vaat rog ke lakshan – इस रोग के कारण शरीर के सभी छोटे-बडे़ जोडो़ं व मांसपेशियों में दर्द व सूजन हो जाती है। गठिया में शरीर के एकाध जोड़ में प्रचण्ड पीड़ा के साथ लालिमायुक्त सूजन एवं बुखार तक आ जाता है। यह रोग शराब व मांस प्रेमियों को सामान्य व्यक्तियों की अपेक्षा जल्दी पकड़ता है। यह धीरे-धीरे शरीर के सभी जोड़ों तक पहुँचता है। संधिवात उम्र बढ़ने के साथ मुख्यतः घुटनों एवं पैरों के मुख्य जोड़ों को क्रमशः अपनी गिरफ्त में लेता हैं।

वात रोग की शुरुवात – Vaat rog ki shuruwat

वात रोग की शुरूआत धीरे-धीरे होती है। शुरू में सुबह उठने पर हाथ पैरों के जोडा़ें में कड़ापन महसूस होता है और अंगुलियाँ चलाने में परेशानी होती है। फिर इनमें सूजन व दर्द होने लगता है और अंग-अंग दर्द से ऐंठने लगता है जिससे शरीर में थकावट व कमजोरी महसूस होती है। साथ ही रोगी चिड़चिड़ा हो जाता है। इस रोग की वजह सेे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम पड़ जाती है। इसी के साथ छाती में इन्फेक्शन, खांसी, बुखार तथा अन्य समस्यायें उत्पन्न हो जाती है। साथ ही चलना फिरना रुक जाता है।

[safed daag ka ilaj]

वात रोग का सबसे खतरनाक प्रकार  – Vaat rog khatarnaak

इन सबसे खतरनाक कुलंग वात होता है। यह रोग कुल्हे, जंघा प्रदेश एवं समस्त कमर को पकड़ता है एवं रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है। इस रोग में तीव्र चिलकन (फाटन) जैसा तीव्र दर्द होता है और रोगी बेचैन हो जाता है, यहाँ तक कि इसमें मृत्यु तुल्य कष्ट होता है। यह रोग की सबसे खतरनाक स्टेज होती हैै। इस का रोगी दिन-रात दर्द से तड़पता रहता है और कुछ समय पश्चात् चलने-फिरने के काबिल भी नहीं रह जाता है। वह पूर्णतया बिस्तर पकड़ लेता है और चिड़चिड़ा हो जाता है।

Vaat rog ka ilaj – वात रोग से छुटकारा

इस रोग से छुटकारा पाने हेतु कुछ सरलतम आयुर्वेदिक नुस्खे एवं तेल का विवरण नीचे दे रहे हैं, जो पूर्ण परीक्षित योग हैं। ये नुस्खे 90 प्रतिशत रोगियों को फायदा करते हैं। शेष 10 प्रतिशत अपने पिछले कर्मों की वजह से दुख पाते हैं, जिसमें दवा कार्य नहीं करती। उसमें मात्र माता आदिशक्ति जगत् जननी भगवती दुर्गा जी एवं पूज्य गुरुदेव जी की कृपा ही रोग को दूर कर पाती है। यद्यपि ये नुस्खे परीक्षित हैं, परन्तु अपने चिकित्सक की देख रेख में लेंगे तो ज्यादा अच्छा होगा। दवा खाने की मात्रा रोग के अनुसार कम या ज्यादा दी जा सकती है।

वात रोग के इलाज में सावधानी

एक बात ध्यान रखें कि जो जड़ी-बूटी औषधि रूप में आप उपयोग करें, वह पूर्णत: सही एवं ताजी हो। उसमें कीड़े न लगे हों, ज्यादा पुरानी न हो और साफ सुथरी हो, उन्ही दवाइयों के मिश्रण का उपयोग करें, लाभ अवश्य होगा।

वातान्तक वटी – Vaat rog nashak vatantak vati

सोंठ,सुहागा,सोंचर, गांधी,सहिजन के संग गोली बांधी।
80वात 84बाय कहै धनवन्तरि तड़ से जाये।।

वातान्तक वटी बनाने की विधि – सोंठ 50 ग्राम, सुहागा 50 ग्राम, सोंचर (काला नमक) 50 ग्राम, गांधी (हींग) 50 ग्राम, सहिजन (मुनगा – moringo) की छाल का रस आवश्यकतानुसार, सबसे पहले कच्चे सुहागे को पीसकर आग में लोहे के तवे पर डालकर उसे भून लें। वह लाई की तरह फूल जायेगा, सूखने के बाद इसको चूर्ण कर लो, यही फूला हुआ सुहागा काम में लें। सोंठ, सुहागा एवं काला नमक को कूट-पीसकर एक थाली में डाल लें। फिर दूसरे बर्तन में सहिजन की छाल का रस लें हींग घोल लें। और उसमें जब हींग घुल जाये तो सहिजन की छाल का रस कुछ दूधिया हो जायेगा। उसमें कुटा-पिसा, सोंठ, काला नमक व सुहागा का पाउडर मिला लें। फिर उसकी चने के आकार की गोली बना लें और छाया में सुखाकर बन्द डिब्बे में रख लें। फिर सुबह-दोपहर-शाम दो-दो गोली नाश्ते या खाने के बाद सादा पानी से लें। आपको आराम 10 दिन में ही मिलने लगेगा। कम से कम 30 दिन यह गोलियां लगातार अवश्य खायें तभी पूर्ण लाभ हो पायेगा। यह नुस्खा कई बार का परीक्षित है। इस दवा के द्वारा बवासीर के रोगी को भी अवश्य लाभ मिलता है। vaat rog nashak vatantak vati

वात नाशक चूर्ण – Vaat rog nashak churn

चन्दसूर 50 ग्राम, मेथी 50 ग्राम, करैल 50 ग्राम, अचमोद 50 ग्राम, इन चारों दवाओं को कूट-पीसकर ढक्कन वाले डिब्बे में रखें। सुबह नाश्ते के बाद एक चम्मच चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लें एवं रात्रि में भोजन के बाद गुनगुने दूध के साथ एक चम्मच लें। यह दवा भी कम से कम 60 दिन लें। निश्चय ही आराम मिलता है।

18 प्रकार के कोढ़ और 80 प्रकार के वात रोग कोढ़ , सफेद दाग, लकवा, मोटापा और नेत्र रोगों का काल

Sciatica ka ilaj – कुलंगवात (साइटिका)-

मीठा सुरंजान 50 ग्राम, बड़़ी हरड़ का छिलका 50 ग्राम, पठानी लोंध 50 ग्राम, मुसब्बर 50 ग्राम। इन चारों को कूट-पीसकर डिब्बे में रख लें। इस दवा का एक चम्मच पाउडर पानी के साथ लें। यह दवा कम से कम 60 दिन तक लें या जब तक पूर्ण लाभ न मिल जाये तब तक लें। इसके खाने से दस्त लग सकते हैं। चिन्ता न करें, न ही दवा बन्द करें, दस्त अपने आप बन्द हो जायेगा एवं रोग भी निर्मूल हो जायेगा, दस्त लगने पर दवा की मात्रा कुछ घटा लें।

वात रोग परहेजः- चावल, बैगन, कद्दू, बेसन या चने की बनी कोई वस्तु न खायें तथा तली चीजें या बादी चीजें भी न लें।

Vaat rog nashak kadha  वातनाशक काढ़ाः-

हारसिंगार के हरे पत्ते 20 नग को अधकुचला कर 300 ग्राम पानी में डालकर धीमी आँच में पकायें। जब पानी 50 ग्राम रह जाये, तो आग से उतार लें और कपड़े से छानकर दो खुराक बनायें एक खुराक सुबह नास्ता के पहले गरम-गरम पी लें एवं दूसरी खुराक शाम को आग में हल्का गरम कर पी लें। प्रतिदिन नया काढ़ा ऊपर लिखी विधि से बनायें और सुबह शाम पियें। यह क्रिया 30 दिन लगातार करें। वात रोग में निश्चय ही आराम होगा।

Gout In hindi गठिया(संधिवात) :-

आँवला चूर्ण 20 ग्राम, हल्दी चूर्ण 20 ग्राम, असंगध चूर्ण 10 ग्राम, गुड़ 20 ग्राम इन चारों औषधियों को 500 ग्राम पानी में डालकर धीमी आँच में पकाये, जब पानी 100 ग्राम रह जाये तो उसे आग से उतार कर कपड़े या छन्नी से छान लें एवं इस काढ़े की तीन खुराक बनायें। सुबह, दोपहर एवं रात्रि में खाने के बाद पियें। इस प्रकार प्रतिदिन सुबह यह दवा बनायें, लगातार 30 दिन पीने पर गठिया में निश्चित रूप से आराम होता है।
परहेज-ज्यादा तली हुईं, खट्टी, गरिष्ठ चीजें व चावल आदि दवा सेवन के समय न लंे।

Gathiya ki dawa – गठिया की दवाः-

सुरंजान 30ग्राम, चोवचीनी 30ग्राम, सोठ 30ग्राम, पीपर मूल 30ग्राम, हल्दी 30ग्राम, आँवला 50ग्राम, इन सब को कूट-पीसकर चूर्ण बनायें और उसमें 100ग्राम गुड़ मिलाकर रख लें। प्रतिदिन सुबह एवं शाम को 10ग्राम दवा में 10ग्राम शहद मिलाकर खायें। सुबह हल्का नाश्ता करने एवं राात्रि में खाना खाने के बाद ही दवा लें। यह दवा लगातार 30दिन लेने से गठिया वात जरूर सही होगा।
परहेज-खट्टी चीजें, गरिष्ठ चीजें, चावल आदि न लें।

vaat rog nashak tel वातनाशक तेलः-

100ग्राम तारपीन का तेल, 30ग्राम कपूर, 10ग्राम पिपरमिण्ट, इन सबको मिलाकर धूप में एक दिन रखें। जब यह सब तारपीन में मिल जाये, तो दवा तैयार हो गई। जिन गाठों में दर्द हो, वहां पर यह दवा लगाकर धीरे-धीरे 15मिनट तक मालिश करें और इसके बाद कपड़ा गरम करके उस स्थान की सिकाई कर दें। एक सप्ताह में ही दर्द में आराम मिलने लगेगा।

Vaat rog ka tel वात हेतु तेलः-

500 ग्राम सरसों का तेल (कडुआ तेल), 10ग्राम मदार(आक) का दूध, 50 ग्राम करील की जड़ का छिलका, 1 काला धतूरा का एक फल, 50 ग्राम अमरबेल, लाजवन्ती पंचमूल 50 ग्राम, 5ग्राम तपकिया हरताल, कुचला 2नग, इन सब को अधकुचला करके तेल में पकायें। जब ये सब दवायें जल जायें तो तेल उतार लें। इस तेल को गांठो में मलें एवं धूप सेंक करें या तेल लगाकर आग से सेकें। दो या तीन दिनों में यह अपना लाभ दिखायेगा, यह तेल कुलंग वात के लिये भी पूर्णतया लाभदायक है।
नोट-यह तेल जहरीला बनता है। इसलिये इसे आँखों से दूर रखें। आँखों में लगने से पानी निकलने लगता है। इसे गांठों में लगाकर हाथ साबुन से धो लें।

Vayugola ka ilaj वायगोला का दर्दः-

सफेद अकौवा (मदार), इसे स्वेतार्क भी कहते है। इसका एक फूल को गुड़ में लपेटकर रोगी को खिलाकर पानी पिला दें, आधा घंटे में ही रोगी का दर्द सही हो जायेगा।

18 प्रकार के कोढ़ और 80 प्रकार के वात रोग कोढ़ , सफेद दाग, लकवा, मोटापा और नेत्र रोगों का काल

(10) लहसुन का उपयोग:-  सभी प्रकार के वातरोगों में लहसुन का उपयोग करना चाहिए। इससे रोगी शीघ्र ही रोगमुक्त हो जाता है तथा उसके शरीर की वृद्धि होती है। कश्यप ऋषि के अनुसार लहसुन सेवन का उत्तम समय पौष व माघ महीना (दिनांक 22 दिसम्बर से 18 फरवरी 2011 तक) है।

प्रयोग विधिः 200 ग्राम लहसुन छीलकर पीस लें। 4 लीटर दूध में ये लहसुन व 50 ग्राम गाय का घी मिलाकर दूध गाढ़ा होने तक उबालें। फिर इसमें 400 ग्राम मिश्री, 400 ग्राम गाय का घी तथा सोंठ, काली मिर्च, पीपर, दालचीनी, इलायची, तमालपात्र, नागकेशर,पीपरामूल, वायविडंग, अजवायन, लौंग, च्यवक, चित्रक, हल्दी, दारूहल्दी, पुष्करमूल, रास्ना,देवदार, पुनर्नवा, गोखरू, अश्वगंधा, शतावरी, विधारा, नीम, सोआ व कौंचा के बीज का चूर्ण प्रत्येक 3-3 ग्राम मिलाकर धीमी आँच पर हिलाते रहें। मिश्रण में से घी छूटने लग जाय,गाढ़ा मावा बन जाय तब ठंडा करके इसे काँच की बरनी में भरकर रखें।

10 से 20 ग्राम यह मिश्रण सुबह गाय के दूध के साथ लें (पाचनशक्ति उत्तम हो तो शाम को पुनः ले सकते हैं।

12 comments

  1. मेरे पिता जी को वात रोग है इसका इलाज बताए

  2. Pls mere bhai ke hath main vibration hota hai iska ka koi treatment ho to plz share it sirji plz aapki badi kripa hogi

  3. Very useful infirmation. Thanks

  4. सुनील कुमार

    नमस्कार श्रीमान,
    आपके द्वारा एक औषधि 250 gm मेथी + 100gm अजवाइन + 50gm काली जिरी
    के प्रयोग में लोगों की प्रतिक्रिया थी की काली जीरी तो जहर है।
    पंसारी ने भी उन्हें सलाह दी एक बार दुबारा पूछ कर आये।

    कृपया कर इस का समाधान करें।

  5. Mera spanal cord tutne ki vajah se kamar ke niche kam nahi karta hai 2year ho gaya hai koi upchar batabe

  6. sarvjeet kumar

    R/sir,
    Kindly tell me how can i get book ‘RasyanSaar’ written by shyam sundar ji.

    Thanks

  7. R/sir,
    Kindly tell me how can i get book ‘RasyanSaar’ written by shyam sundar ji.

    Thanks

  8. agar ye dawai bana nahi sakte to kahan se milegi

  9. Sir mere mummy ko bhot dard or vabth ka problem pliess call me Sir

  10. Sir my father is suffering from kulang vaat disease and syndromes are like spinal cord pain,left thigh pain from top to knee,hips pain,and they are not like to move his body here and there,having pain in throat so please sir provide me the exact solution of this disease as soon as possible.

  11. रोज सुबह उठने पर हमारी हड्डियों में दर्द रहता है और कमर में दर्द होता है हड्डियां कुट कुट कुट बोलती हैं हाथ पैरों में दर्द मालूम पड़ता है इसका इलाज क्या है

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