Friday , 15 November 2024
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बिस्तर में पेशाब करना (Bed Wetting)

बिस्तर में पेशाब करना (Bed Wetting)

छोटे बच्चों का कहीं भी पेशाब कर देना आम बात होती है, खास करके रात में सोते समय नींद में पेशाब करना। यदि 3-4 वर्ष की आयु होने पर भी बच्चा बिस्तर पर पेशाब करे तो यह एक बीमारी मानी जायेगी। बच्चे को इस बीमारी से बचाने के लिए शैशवकाल से ही कुछ सावधानियां रखना जरूरी होता है। उसे सोने से पहले शू-शू कि आवाज करते हुए पेशाब करा देनी चाहिए। शाम को 8 बजे के बाद ज्यादा पानी नही पिलाना चाहिए। रात 1-2 बजे के लगभग उसे धीरे से जगाइए और शौचालय में ले जाइए, जहाँ उसे पेशाब करने के लिए फुसलाइए या प्रेरित कीजिए। यदि बच्चा नहीं जागता है, तो उसे धीरे से उठाकर शौचालय में ले जाइए और पेशाब कराइए। जिस कमरे में बच्चा सोता है, उस कमरे में रात्रि में मंद लाइट जलाकर रखें, जिससे बच्चा रात्रि में खुद अकेले जाकर बाथरूम में मूत्र का त्याग कर सकें । अगली सुबह जब बच्चा उठे और बिस्तर सूखा मिले तो बिस्तर गीला नहीं करने के लिए उसकी तारीफ करें। किसी योग्य चिकित्सक से भी सलाह लेने में संकोच न करें। कुछ बच्चों में बिस्तर में पेशाब करने कि आदत सी हो जाती है। इस आदत को दूर करने के लिए बच्चे के साथ अत्यंत स्नेहपूर्ण व्यवहार करना चाहिए। उसे डांटना-फटकारना, धिक्कारना या शर्मिंदा करना कदापि उचित नहीं है। उसके साथ स्नेहपूर्ण व्यवहार करना चाहिए और प्यार से समझाना चाहिए। यदि बच्चा दस वर्ष की उम्र के बाद भी बिस्तर पर पेशाब करता है, तो फिर किसी बीमारी का पता लगाने के लिए विशेषज्ञ की सेवा लेना जरूरी होता है। इसे उचित चिकित्सा से ठीक क्या जा सकता है। आइये हम कुछ लाभप्रद उपायों पर विचार करते हैं

घरलू चिकित्सा :-

एक कप ठंडे फीके दूध में एक चम्मच शहद मिलाकर सुबह शाम चालीस दिनों तक पिलाइए और तिल-गुड़ का एक लड्डू रोज खाने को दीजिए। अपने शिशु को लड्डू चबा-चबाकर खाने के लिए कहिए और फिर शहद वाला एक कप दूध पीने के लिए दें। बच्चे को खाने के लिए लड्डू सुबह के समय दें। इस लड्डू के सेवन से कोई नुकसान नहीं होता। अत: आप जब तक चाहें इसका सेवन करा सकते हैं।

सोने से पूर्व एक ग्राम अजवाइन का चूर्ण कुछ दिनों तक नियमित रूप से खिलाएं या अजवाइन को पानी में काढ़ा बनाकर भी सेवन कराया जा सकता है।

जायफल को पानी में घिस कर एक चम्मच की चौथाई मात्रा में लेकर एक कप कुनकुने दूध में मिला कर सुबह शाम पिलाने से भी यह बीमारी दूर हो जाती है।

गूलर के पेड़ की भीतरी छाल 50 ग्राम + पीपल की छाल 50 ग्राम + अर्जुन की छाल 50 ग्राम + सोंठ 50 ग्राम + राई 25 ग्राम + काले तिल 100 ग्राम, इन सबको मिला कर अच्छी तरह बारीक पीस लें। यदि संभव हो तो इसमें शिलाजीत 50 ग्राम मिला कर दो-दो रत्ती की गोलियां बना लें। इससे बच्चे को दवा लेने में आसानी होगी साथ ही आपका बच्चा एकदम स्वस्थ और पुष्ट बना रहेगा।

आयुर्वेदिक चिकित्सा :-

नवजीवन रस की 1-1 गोली सुबह और शाम को दूध के साथ देने से यह बीमारी दूर हो जाती है।

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2 comments

  1. Very good

  2. please write about remedy for eyes

  3. Brijendra chaurasiya

    Site samay bed par

  4. Brijendra chaurasiya

    Site samay bed par hona

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