कर्ण रोगो (कान के रोग)के अचूक और रामबाण घरेलू आयुर्वेदिक नुस्खे -एक बार अवश्य आजमाएं
1. विधि
मुली का पानी 50 ग्राम और तिल का तेल 20 ग्राम |दोनों को मंद मंद आग पर रखकर पकायें |जब पानी
जलकर केवल तेल शेष रह जाये तब उतार ले और शीशी में भर ले |कान में दो बूंद डाले बहुत जल्दी
बहरापन,झनझनाहट में लाभ मिलेगा
2.-कान से पिप निकलना –
विधि
अंजरुत (लाही ) को थोडा बारीक़ करके इसमें थोडा सा मधु मिलाये |इसमें रुई की एक बत्ती तर करके
कान में रखे |एक दो बार के लगाने से कान का सारा मल निकल जायेगा और कान बिल्कुल साफ हो जायेगा |
बड़ा विचित्र और विस्मयकारी योग है
3. कर्ण स्राव-
विधि
नीम के हरे पत्ते बारीक़ करके शहद मिला करके खूब अच्छी तरह पिस ले | इसे किसी कपड़े से छानकर
सावधानी से शीशी में भर ले |आवश्यकता के समय दिन में तीन बार दवाई डाले | तीन चार दिन प्रयोग
से ही पूर्ण आराम हो जायेगा
4 .कर्ण के कीड़े
विधि
एलवा 5 ग्राम , पण्डालू का रस 10 ग्राम | एलवा पण्डालू के रस में अच्छी तरह घोल ले |आवश्यकता के समय
थोडा सा कान में डाले सारे कीड़े मरकर बाहर गिर पड़ेंगे | यह बड़ा प्रभाव दिखाता है इससे कीड़ो के सात
कान की पीड़ा भी मिटती है
5 . सर्व कर्ण पीड़ा नाशक
विधि
12 ग्राम गाय के घी में लहसुन की तीन पोथिया जलाये | जब लहसुन काले पड़ जाये तो बाहर निकालकर
फेंक दे |और घी को शीशी में भर ले | सदा दो से तीन बूंद कानो में डाला करे | इससे सर्व प्रकार की कर्ण पीड़ा
मिट जाती है | पीप निकलना इत्यादि बंद हो जाती है | यह बहुत बार अजमाया और अचूक दवा है