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फिटकरी (Alum) के गुण और 23 विभिन्न प्रकार के रोगों का आयुर्वेदिक इलाज !!!

परिचय (Introduction)

फिटकरी लाल व सफेद दो प्रकार की होती है। दोनों के गुण लगभग समान ही होते हैं। सफेद फिटकरी का ही अधिकतर प्रयोग किया जाता है। यह संकोचक अर्थात सिकुड़न पैदा करने वाली होती है। शरीर की त्वचा, नाक, आंखे, मूत्रांग और मलद्वार पर इसका स्थानिक (बाहृय) प्रयोग किया जाता है। रक्तस्राव (खून बहना), दस्त, कुकरखांसी तथा दमा में इसके आंतरिक सेवन से लाभ मिलता है।
दाढ़ी बनाने, बाल काटने के बाद फिटकरी रगडे़ या पानी में गीला कर दाढ़ी पर लगायें। इससे दाढ़ी की त्वचा सुन्दर और स्वस्थ होती है। जहां पर चींटिया व दीमक हो वहां पर सरसों का तेल लगाकर फिटकरी को डालने से चींटियां व दीमक वहां नहीं आती है।

जननांगों की खुजली
फिटकरी को गर्म पानी में मिलाकर जननांगों को धोने से जननांगों की खुजली में लाभ होता है।

टांसिल का बढ़ना:

टांसिल के बढ़ने पर गर्म पानी में चुटकी भर फिटकरी और इतनी ही मात्रा में नमक डालकर गरारे करें।
गर्म पानी में नमक या फिटकरी मिलाकर उस पानी को मुंह के अन्दर डालकर और सिर ऊंचा करके गरारे करने से गले की कुटकुटाहट, टान्सिल (गले में गांठ), कौआ बढ़ना, आदि रोगों में लाभ होता है।

5 ग्राम फिटकरी और 5 ग्राम नीलेथोथे को अच्छी तरह से पकाकर इसके अन्दर 25 ग्राम ग्लिसरीन मिलाकर रख लें। फिर साफ रूई और फुहेरी बनाकर इसे गले के अन्दर लगाने और लार टपकाने से टांसिलों की सूजन समाप्त हो जाती है।

घावों में रक्तस्राव (घाव से खून बहना):

घाव ताजा हो, चोट, खरोंच लगकर घाव हो गया हो, उससे रक्तस्राव हो। ऐसे घाव को फिटकरी के पानी से धोएं तथा घाव पर फिटकरी को पीसकर इसका पावडर छिड़कने, लगाने व बुरकने से रक्तस्राव (खून का बहना) बंद हो जाता है।
शरीर में कहीं से भी खून बह रहा हो तो एक ग्राम फिटकरी पीसकर 125 ग्राम दही और 250 मिलीलीटर पानी मिलाकर लस्सी बनाकर सेवन करना बहुत ही लाभकारी होता है।

खूनी बवासीर:

खूनी बवासीर हो और गुदा बाहर आती हो तो फिटकरी को पानी में घोलकर गुदा में पिचकारी देने से लाभ प्राप्त होता है। एक गिलास पानी में आधा चम्मच पिसी हुई फिटकरी मिलाकर प्रतिदिन गुदा को धोयें तथा साफ कपड़े को फिटकरी के पानी में भिगोकर गुदे पर रखें।
10 ग्राम फिटकरी को बारीक पीसकर इसके चूर्ण को 20 ग्राम मक्खन के साथ मिलाकर बवासीर के मस्सों पर लगाने से मस्से सूखकर गिर जाते हैं। फिटकरी को पानी में घोलकर उस पानी से गुदा को धोने खूनी बवासीर में लाभ होता है।
भूनी फिटकरी और नीलाथोथा 10-10 ग्राम को पीसकर 80 ग्राम गाय के घी में मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम बवासीर के मस्सों पर लगायें। इससे मस्से सूखकर गिर जाते हैं।
सफेद फिटकरी 1 ग्राम की मात्रा में लेकर दही की मलाई के साथ 5 से 7 सप्ताह खाने से रक्तार्श (खूनी बवासीर) में खून का अधिक गिरना कम हो जाता है।
भूनी फिटकरी 10 ग्राम, रसोत 10 ग्राम और 20 ग्राम गेरू को पीस-कूट व छान लें। इसे लगभग 3-3 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से खूनी तथा बादी बवासीर में लाभ मिलता है।

घाव:

फिटकरी को तवे पर डालकर गर्म करके राख बना लें। इसे पीसकर घावों पर बुरकाएं इससे घाव ठीक हो जाएंगे। घावों को फिटकरी के घोल से धोएं व साफ करें।
2 ग्राम भुनी हुई फिटकरी, 2 ग्राम सिन्दूर और 4 ग्राम मुर्दासंग लेकर चूर्ण बना लें। 120 मिलीग्राम मोम और 30 ग्राम घी को मिलाकर धीमी आग पर पका लें। फिर नीचे उतारकर उसमें अन्य वस्तुओं का पिसा हुआ चूर्ण अच्छी तरह से मिला लें। इस तैयार मलहम को घाव पर लगाने से सभी प्रकार के घाव ठीक हो जाते हैं।
फिटकरी, सज्जीक्षार और मदार का दूध इन सबको मिलाकर और पीसकर लेप बना लें। इस लेप को घाव पर लगाने से जलन और दर्द दूर होता है।
भुनी हुई फिटकरी को छानकर घाव पर छिड़कने से घाव से सड़ा हुआ मांस बाहर निकल आता है और दर्द में आराम रहता है।
आग से जलने के कारण उत्पन्न हुए घाव को ठीक करने के लिए पुरानी फिटकरी को पीसकर दही में मिलाकर लेप करना चाहिए।

5 ग्राम फूली फिटकिरी का चूर्ण बनाकर देशी घी में मिला दें, फिर उसे घाव पर लगायें। इससे घाव ठीक हो जाता है

वैज्ञानिको ने भी माना सेहत के अच्छी सेहत पाने के लिए नोनी से बढ़कर कुछ नहीं  

किसी भी अंग से खून बहना:

एक ग्राम फिटकरी पीसकर 125 ग्राम दही और 250 मिलीलीटर पानी मिलाकर लस्सी बनाकर पीने से कहीं से भी रक्तस्राव हो, बंद हो जाता है।

नकसीर (नाक से खून बहना):

गाय के कच्चे दूध में फिटकरी घोलकर सूंघने से नकसीर (नाक से खून आना) ठीक हो जाती है। यदि नकसीर बंद न हो तो फिटकरी को पानी में घोलकर उसमें कपड़ा भिगोकर मस्तक पर रखते हैं। 5-10 मिनट में रक्तबंद हो जाएगा। चौथाई चाय की चम्मच फिटकरी पानी में घोलकर प्रतिदिन तीन बार पीना चाहिए।
अगर नाक से लगातार खून बह रहा हो तो 30 ग्राम फिटकरी को 100 मिलीलीटर पानी में मिलाकर उस पानी में कोई कपड़ा भिगोकर माथे और नाक पर रखने से नाक से खून बहना रुक जाता है।
गाय के कच्चे दूध के अन्दर फिटकरी को मिलाकर सूंघने से नाक से खून बहना बंद हो जाता है।

मुंह का लिबलिबापन:

काला नमक और फिटकरी समान मात्रा में मिलाकर पीसकर इसके पाउडर से मंजन करने से दांतों और मुंह का लिबलिबापन दूर हो जाता है।

आंखों में दर्द:

एक ग्राम फिटकरी, 40 ग्राम गुलाब जल में भिगोकर शीशी में भर लें। इसकी दो-दो बूंद आंखों में प्रतिदिन डालें। इससे आंखों का दर्द, कीचड़ तथा लाली आदि दूर जाएगी। रात को सोते समय आंखों में डालने से तरावट रहती है। इसे रोजाना डाल सकते हैं।

उंगुलियों की सूजन:

पानी में ज्यादा काम करने से जाड़ों में उंगुलियों में सूजन या खाज हो जाए तो पानी में फिटकरी उबालकर इससे उंगुलियों को धोने से लाभ होता है।

पायरिया, मसूढ़ों में दर्द, सूजन, रक्त आना।

एक भाग नमक, दो भाग फिटकरी बारीक पीसकर मसूढ़ों पर प्रतिदिन तीन बार लगायें। फिर एक गिलास गर्म पानी में पांच ग्राम फिटकरी डालकर हिलाकर कुल्ले करें। इससे मसूढ़े व दांत मजबूत होंगे। इससे रक्त आना और मवाद का आना बंद हो जाएगा।

दांतों का दर्द:

भुनी फिटकरी, सरसों का तेल, सेंधानमक, नौसादर, सांभर नमक 10-10 ग्राम तथा तूतिया 6 ग्राम को मिलाकर बारीक पीसकर कपड़े से छान लें। इससे दांतों को मलने से दांतों का दर्द, हिलना, टीस मारना, मसूढ़ों का फूलना, मसूढ़ों से पीव का निकलना तथा पायरिया रोग ठीक होता है।
फिटकरी को बारीक पीसकर पॉउडर बना लें। इससे प्रतिदिन मंजन करने से दांतों का दर्द जल्द ठीक होता है।
फिटकरी को गर्म पानी में घोलकर लगातार कुल्ला करने से दांत में हो रहे तेज दर्द से जल्द आराम मिलता है।
भुनी फिटकरी 1 ग्राम, कत्था 1.5 ग्राम तथा भुना तूतिया 240 मिलीग्राम इन सबको बारीक पीस छानकर मंजन की तरह बना लें। इसे प्रतिदिन सुबह-शाम इस मंजन से दांतों को मलें। इससे दांत मजबूत होते हैं।
दांत में छेद हो, दर्द हो तो फिटकरी रूई में रखकर छेद में दबा दें और लार टपकाएं दांत दर्द ठीक हो जाएगा।

मलेरिया बुखार:

एक ग्राम फिटकरी, दो ग्राम चीनी में मिलाकर मलेरिया बुखार आने से पहले दो-दो घंटे से दो बार दें। मलेरिया नहीं आएगा और आएगा तो भी कम। फिर जब दूसरी बार भी मलेरिया आने वाला हो तब इसी प्रकार से दे देते हैं। इस प्रयोग के दौरान रोगी को कब्ज नहीं होनी चाहिए। यदि कब्ज हो तो पहले कब्ज को दूर करें।
लगभग 1 ग्राम फिटकरी को फूले बताशे में डालकर उसे बुखार आने से 2 घंटे पहले रोगी को खिलाने से बुखार कम चढ़ता है।

लगभग 1 ग्राम फिटकरी में 2 ग्राम चीनी मिलाकर मलेरिया बुखार आने से पहले 2-2 घण्टे के अंतराल में 2-2 बार दें। इससे मलेरिया बुखार कम होकर उतर जाता है।
फूली हुई फिटकरी के चूर्ण में 4 गुना पिसी हुई चीनी अच्छी तरह मिला लें। इसे 2 ग्राम की मात्रा में गुनगुने पानी के साथ 2-2 घंटे के अंतर पर 3 बार लें। इससे मलेरिया बुखार में लाभ होता है।

दस्त और पेचिश:

फिटकरी 20 ग्राम और अफीम 3 ग्राम को पीसकर मिला लें। सुबह-शाम इस चूर्ण को दाल के बराबर पानी के साथ रोगी को पिलाएं इससे दस्तों में लाभ होगा। फिर तीन घंटे बाद ईसबगोल की भूसी के साथ दें तो पेचिश बंद हो जाएगी और खून का आना भी बंद हो जाएगा।
120 मिलीग्राम फिटकरी को जलाकर शहद के साथ एक दिन में 4 बार पीने से खूनी दस्त और पतले दस्त का आना बंद हो जाता है। खाने में साबूदाने की खीर या जौ का दलिया लें।

1 ग्राम फिटकरी को 1 कप छाछ के साथ एक दिन में 3 बार पीने से गर्मी के कारण आने वाले खूनी दस्तों में लाभ मिलता है।

20 ग्राम फिटकरी और 3 ग्राम अफीम को मिलाकर पीसकर चूर्ण बनाकर रख दें, फिर इस बने चूर्ण को थोड़े से पानी के साथ पीने से दस्त में लाभ मिलता है।
फिटकरी को भूनकर लगभग 2 ग्राम बेल के रस में मिलाकर पीने से लाभ मिलता है।
भुनी हुई फिटकरी को गुलाब के जल के साथ मिलाकर पीने से खूनी दस्त आना बंद हो जाता है।

आंतरिक चोट:

चार ग्राम फिटकरी को पीसकर आधा किलो गाय के दूध में मिलाकर पिलाने से लाभ प्राप्त होता है।<

सूजाक:

सूजाक में पेशाब करते समय जलन होती है। इसमें पेशाब बूंद-बूंद करके बहुत कष्ट से आता है। इतना अधिक कष्ट होता है कि रोगी मरना पसन्द करता है। इसमें 6 ग्राम पिसी हुई फिटकरी एक गिलास पानी में घोलकर पिलाएं। कुछ दिन पिलाने से सूजाक ठीक हो जाता है।
साफ पानी में पांच प्रतिशत फिटकिरी का घोल बनाकर लिंग धोना चाहिए।

फिटकरी, पीला गेरू, नीलाथोथा, हराकसीस, सेंधानमक, लोध्र, रसौत, हरताल, मैनसिल, रेणुका और इलायची इन्हें बराबर लेकर बारीक कूट पीस छान लें। इस चूर्ण को शहद में मिलाकर लेप करने से उपदंश के घाव ठीक हो जाते हैं।

हाथ-पैरों में पसीना आना:

यदि पसीना आए तो फिटकरी को पानी में घोलकर इससे हाथ-पैरों को धोएं। इससे पसीना आना बंद हो जाता है।

सूखी खांसी:

लगभग 10 ग्राम भुनी हुई हुई फिटकरी तथा 100 ग्राम चीनी को बारीक पीसकर आपस में मिला लें और बराबर मात्रा में चौदह पुड़िया बना लेते हैं। सूखी खांसी में एक पुड़िया रोजाना 125 मिलीलीटर गर्म दूध के साथ सोते समय लेना चाहिए। इससे सूखी में बहुत लाभ मिलता है।

गीली खांसी:

10 ग्राम भुनी हुई फिटकरी और 100 ग्राम चीनी को बारीक पीसकर आपस में मिला लें और बराबर मात्रा में 14 पुड़िया बना लें। सूखी खांसी में 125 ग्राम गर्म दूध के साथ एक पुड़िया प्रतिदिन सोते समय लेना चाहिए तथा गीली खांसी में 125 मिलीलीटर गर्म पानी के साथ एक पुड़िया रोजाना लेने से गीली खांसी लाभ होता है।

फिटकरी को पीसकर लोहे की कड़ाही में या तवे पर रखकर भून लें। इससे फिटकरी फूलकर शुद्ध हो जाती है। इस भुनी हुई फिटकरी का कई रोगों में सफलतापूर्वक बिना किसी हानि के उपयोग किया जाता है। इससे पुरानी से पुरानी खांसी दो सप्ताह के अन्दर ही नष्ट हो जाती है। साधारण दमा भी दूर हो जाता है। गर्मियों की खांसी के लिए यह बहुत ही लाभकारी है।

श्वास, दमा:

आधा ग्राम पिसी हुई फिटकरी शहद में मिलाकर चाटने से दमा, खांसी में आराम आता है। एक चम्मच पिसी हुई फिटकरी आधा कप गुलाब जल में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से दमा ठीक हो जाता है।

एक गांठ सोंठ, सफेद फिटकरी का फूला दो ग्राम, हल्दी एक गांठ, 5 कालीमिर्च को चीनी में मिलाकर खाने से श्वास और खांसी दूर हो जाती है। बारहसिंगा की भस्म 2 ग्राम, भुनी हुई फिटकरी एक ग्राम, मिश्री 3 ग्राम मिलाकर पानी से सुबह के समय पांच दिनों तक लगातार सेवन करना चाहिए। इससे श्वास रोग नष्ट हो जाता है।

आग पर फुलाई हुई फिटकरी 20 ग्राम तथा मिश्री 20 ग्राम इन दोनों को पीसकर रख लें। इस चूर्ण को 1 या 2 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह के समय सेवन करने से श्वास रोग नष्ट हो जाता है।

फूली हुई फिटकरी 120 मिलीग्राम की मात्रा में मुंह में डाल लें और चूसते रहें। इससे न कफ बनता है और न ही दमा रोग होता है।

फूली हुई फिटकरी और मिश्री 10-10 ग्राम पीसकर रख लेते हैं। इसे दिन में एक-दो बार डेढ़ ग्राम की फंकी ताजा पानी के साथ लेना चाहिए। इससे पुराना दमा भी ठीक हो जाता है। दूध, घी, मक्खन, तेल, खटाई, तेज मिर्च मसालों से परहेज रखना चाहिए। मक्खन निकला हुआ मट्ठा तथा सब्जियों के सूप (रस) आदि लेना चाहिए।

पिसी हुई फिटकरी एक चम्मच, आधा कप गुलाबजल में मिलाकर सुबह-शाम पीने से दमा ठीक हो जाता है।

गर्भपात:

पिसी हुई फिटकरी चौथाई चम्मच एक कप कच्चे दूध में डालकर लस्सी बनाकर पिलाने से गर्भपात रुक जाता है। गर्भपात के समय दर्द, रक्तस्राव हो रहा हो तो हर दो-दो घंटे से एक-एक खुराक दें।

 

वैज्ञानिको ने भी माना सेहत के अच्छी सेहत पाने के लिए नोनी से बढ़कर कुछ नहीं  

बांझपन:

मासिक-धर्म ठीक होने पर भी यदि सन्तान न होती हो तो रूई के फाये में फिटकरी लपेटकर पानी में भिगोकर रात को सोते समय योनि में रखें। सुबह निकालने पर रूई में दूध की खुर्चन सी जमा होगी। फोया तब तक रखें, जब तक खुर्चन आती रहे। जब खुर्चन आना बंद हो जाए तो समझना चाहिए कि बांझपन रोग समाप्त हो गया है।

योनि संकोचन:

बांझपन की तरह योनि में रूई का फाया रखें तथा फिटकरी पानी में घोलकर योनि को दिन में तीन बार धोएं। इससे योनि सिकुड़कर सख्त हो जाएगी और योनि का ढीलापन समाप्त हो जाएगा।

फिटकरी 30 ग्राम और 10 ग्राम माजूफल को लेकर अच्छी तरह पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इस चूर्ण को मलमल के कपड़े में डालकर पोटली बनाकर सोने से पहले रात को योनि में रखने से योनि का ढीलापन दूर होकर सिकुड़ जाती है।

2 ग्राम फिटकरी को 80 मिलीलीटर पानी में घोलकर योनि को धोने से योनि की आकृति कम यानी योनि सिकुड़ने लगती है।

कान में चींटी चली जाने पर:

कान में चींटी चली जाने पर कान में सुरसरी हो तो फिटकरी को पानी में घोलकर पीने से लाभ मिलता है।

बिच्छू के काटने पर:

बिच्छू के काटने पर फिटकरी को पानी में पीसकर लेप करने से बिच्छू का विष उतर जाता है।

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