Sunday , 24 November 2024
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घरेलु उपायो से करे गठिया (arthritis) को अलविदा।

गठिया को आयुर्वेद में नामदिया भी कहा जाता है। आधुनिक चिकित्सा के अनुसार खून में यूरिक एसिड की अधिक मात्रा होने से गठिया रोग होता है। भोजन में शामिल खाद्द पदार्थों के कारण जब शरीर में यूरिक एसिड अधिक मात्रा में बनता है तब गुर्दे उन्हें खत्म नहीं कर पाते और शरीर के अलग- अलग जोड़ों में में यूरेट क्रिस्टल जमा हो जाता है। और इसी वजह से जोड़ों में सूजन आने लगती है तथा उस सूजन में दर्द होता है।

सबसे जरूरी और सबसे महत्वपूर्ण यह है कि मौसम के मुताबिक 3 से 6 लिटर पानी पीने की आदत डाले। ज्यादा पेशाब होगा और अधिक से अधिक हानिकारक पदार्थ और यूरिक एसीड बाहर निकलते रहेंगे।

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आलू का रस

आलू का रस 100 मिलि भोजन के पूर्व लेना हितकर है।

लहसुन, गिलोय, देवदारू,सौंठ, अरंड की जड

लहसुन, गिलोय, देवदारू,सौंठ, अरंड की जड ये पांचों पदार्थ 50-50 ग्राम लें। इनको कूट-छान कर शीशी में भर लें। 2 चम्मच की मात्रा में एक गिलास पानी में डालकर ऊबालें ,जब आधा रह जाए तो उतारकर छान लें और ठंडा होने पर पी लें। ऐसा सुबह शाम करने से गठिया में अवश्य लाभ होगा।

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लहसुन सैंधा नमक,जीरा,हींग,पीपल,काली मिर्च व सौंठ

लहसुन की कलियां 50 ग्राम लें। सैंधा नमक,जीरा,हींग,पीपल,काली मिर्च व सौंठ 2-2 ग्राम लेकर लहसुन की कलियों के साथ भली प्रकार पीसकर मिलालें। यह मिश्रण अरंड के तेल में भून कर शीशी में भर लें। आधा या एक चम्मच दवा पानी के साथ दिन में दो बार लेने से गठिया में आशातीत लाभ होता है।

हार सिंगार

हार सिंगार के ताजे पती 4-5 नग लें। पानी के साथ पीसले या पानी के साथ मिक्सर में चला लें। यह सुबह-शाम लें 3-4 सप्ताह में गठिया और वात रोग नियंत्रित होंगे। जरूर आजमाएं।

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गिलोय – देसी घी

गिलोय का रस पीने से गठिया रोग में सूजन और दर्द दूर होता है। देसी घी के साथ गिलोय का रस लेने से गठिया से मुक्ति मिलती है।

एरंड तेल

एरंड तेल के साथ गिलोय का रस लेने से गठिया खत्म होती है। अरण्डी के तैल से मालिश करने से भी गठिया का दर्द और सूजन कम होती है।

पंचामृत लोह गुगल, रसोनादि गुगल, रास्नाशल्ल

पंचामृत लोह गुगल, रसोनादि गुगल, रास्नाशल्ल की वटी तीनों एक-एक गोली सुबह और रात को सोते वक्त दूध के साथ 2-3 माह तक लेने से गठिया में बहुत फ़ायदा होता है।

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अश्वगंधारिष्ट ,महारास्नादि काढा और दशमूलारिष्टा

इस के साथ अश्वगंधारिष्ट ,महारास्नादि काढा और दशमूलारिष्टा 2-2 चम्मच मिलाकर दोनों वक्त भोजन के बाद लेना हितकर है।

हरी साग सब्जी

गठिया रोग में हरी साग सब्जी का प्रचुरता से इस्तेमाल करना बेहद फ़ायदेमंद रहता है। पत्तेदार सब्जियो का रस भी अति उपयोगी रहता है।

जेतुन तैल

भाप से स्नान करने और जेतुन के तैल से मालिश करने से गठिया में अपेक्षित लाभ होता है।

गुन गुने जल का एनिमा

गठिया रोगी को कब्ज होने पर लक्षण उग्र हो जाते हैं। इसके लिये गुन गुने जल का एनिमा देकर पेट साफ़ रखना आवश्यक है।

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सौंठ

सूखे अदरक (सौंठ) का पावडर 10 से 30 ग्राम की मात्रा में नित्य सेवन करना गठिया में परम हितकारी है।

परिश्रम

गठिया रोगी के लिये अधिक परिश्रम करना या अधिक बैठे रहना दोनों ही नुकसान कारक होते हैं। अधिक परिश्रम से अस्थिबंधनो को क्षति होती है जबकि अधिक गतिहीनता से जोडों में अकडन पैदा होती है।

गरम कपडे का सेक

एक लिटर पानी तपेली या भगोनी में आंच पर रखें। इस पर तार वाली जाली रख दें। एक कपडे की चार तह करें और पानी मे गीला करके निचोड लें । ऐसे दो कपडे रखने चाहिये। अब एक कपडे को तपेली से निकलती हुई भाप पर रखें। गरम हो जाने पर यह कपडा दर्द करने वाले जोड पर 3-4 मिनिट रखना चाहिये। इस दौरान तपेली पर रखा दूसरा कपडा गरम हो चुका होगा। एक को हटाकर दूसरा लगाते रहें। यह विधान रोजाना 15-20 मिनिट करते रहने से जोडों का दर्द आहिस्ता आहिस्ता समाप्त हो जाता है। बहुत ही साधारण परंतु कारगर उपाय है।

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6 comments

  1. अमुल्‍य जानकारी के लिए आप धन्‍यवाद के पात्र है ।

  2. अमुल्‍य जानकारी के लिए हम आप के आभारी हैं ।

  3. Uttam m. Chaudhari

    सामान्य जनजीवन के लिए बहूत उपयोगी धन्यवाद के लिए पात्र है आप

  4. Thanks for providing such a important information.

  5. Dat or masudo ke liye koe upchar he kiya

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