Tuesday , 19 March 2024
Home » Major Disease » Kidney » KIDNEY गुर्दे के रोग और उपचार – natural treatment of kidney in hindi

KIDNEY गुर्दे के रोग और उपचार – natural treatment of kidney in hindi

KIDNEY गुर्दे के रोग और उपचार – natural treatment of kidney in hindi

kidney ke rog aur inka upchar, kidney ka upchar, kidney ka rog

हम गुर्दे या वृक्क (Kidney) के बारे में बहुत ही कम जानते हैं। जिस प्रकार नगरपालिका शहर को स्वच्छ रखती है वैसे ही गुर्दे शरीर को स्वच्छ रखते हैं। रक्त में से मूत्र बनाने का महत्त्वपूर्ण कार्य गुर्दे करते हैं। शरीर में रक्त में उपस्थित विजातीय व अनावश्यक कचरे को मूत्रमार्ग द्वारा शरीर से बाहर निकालने का कार्य गुर्दों का ही है।

गुर्दा वास्तव में रक्त का शुद्धिकरण करने वाली एक प्रकार की 11 सैं.मी. लम्बी काजू के आकार की छननी है जो पेट के पृष्ठभाग में मेरुदण्ड के दोनों ओर स्थित होती हैं। प्राकृतिक रूप से स्वस्थ गुर्दे में रोज 60 लीटर जितना पानी छानने की क्षमता होती है। सामान्य रूप से वह 24 घंटे में से 1 से 2 लीटर जितना मूत्र बनाकर शरीर को निरोग रखती है। किसी कारणवशात् यदि एक गुर्दा कार्य करना बंद कर दे अथवा दुर्घटना में खो देना पड़े तो उस व्यक्ति का दूसरा गुर्दा पूरा कार्य सँभालता है एवं शरीर को विषाक्त होने से बचाकर स्वस्थ रखता है। जैसे नगरपालिका की लापरवाही अथवा आलस्य से शहर में गंदगी फैल जाती है एवं धीरे-धीरे महामारियाँ फैलने लगती हैं, वैसे ही गुर्दों के खराब होने पर शरीर अस्वस्थ हो जाता है।

अपने शरीर में गुर्दे चतुर यंत्रविदों (Technicians) की भाँति कार्य करते हैं। गुर्दा शरीर का अनिवार्य एवं क्रियाशील भाग है, जो अपने तन एवं मन के स्वास्थ्य पर नियंत्रण रखता है। उसके बिगड़ने का असर रक्त, हृदय, त्वचा एवं यकृत पर पड़ता है। वह रक्त में स्थित शर्करा (Sugar), रक्तकण एवं उपयोगी आहार-द्रव्यों को छोड़कर केवल अनावश्यक पानी एवं द्रव्यों को मूत्र के रूप में बाहर फेंकता है। यदि रक्त में शर्करा का प्रमाण बढ़ गया हो तो गुर्दा मात्र बढ़ी हुई शर्करा के तत्त्व को छानकर मूत्र में भेज देता है।

गुर्दों का विशेष सम्बन्ध हृदय, फेफड़ों, यकृत एवं प्लीहा (तिल्ली) के साथ होता है। ज्यादातर हृदय एवं गुर्दे परस्पर सहयोग के साथ कार्य करते हैं। इसलिए जब किसी को हृदयरोग होता है तो उसके गुर्दे भी बिगड़ते हैं और जब गुर्दे बिगड़ते हैं तब उस व्यक्ति का रक्तचाप उच्च हो जाता है और धीरे-धीरे दुर्बल भी हो जाता है।

आयुर्वेद के निष्णात वैद्य कहते हैं कि गुर्दे के रोगियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। इसका मुख्य कारण आजकल के समाज में हृदयरोग, दमा, श्वास, क्षयरोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप जैसे रोगों में किया जा रहा अंग्रेजी दवाओं का दीर्घकाल तक अथवा आजीवन सेवन है।

इन अंग्रेजी दवाओं के जहरी प्रभाव के कारण ही गुर्दे एवं मूत्र सम्बन्धी रोग उत्पन्न होते हैं। कभी-कभी किसी आधुनिक दवा के अल्पकालीन सेवन की विनाशकारी प्रतिक्रिया (Reaction) के रूप में भी किडनी फेल्युअर (Kidney Failure) जैसे गम्भीर रोग होते हुए दिखाई देते हैं। अतः मरीजों को हमारी सलाह है कि उनकी किसी भी बीमारी में, जहाँ तक हो सके, वे निर्दोष वनस्पतियों से निर्मित एवं विपरीत तथा परवर्ती असर (Side Effect and After Effect) से रहित आयुर्वेदिक दवाओं के सेवन का ही आग्रह रखें। एलोपैथी के डॉक्टर स्वयं भी अपने अथवा अपने सम्बन्धियों के इलाज के लिए आयुर्वेदिक दवाओं का ही आग्रह रखते हैं।

आधुनिक विज्ञान कहता है कि गुर्दे अस्थि मज्जा () बनाने का कार्य भी करते हैं। इससे भी यह सिद्ध होता है कि आज रक्त कैंसर की व्यापकता का कारण भी आधुनिक दवाओं का विपरीत एवं परवर्ती प्रभाव ही हैं।

किडनी विकृति के कारणः natural treatment of kidney in hindi

आधुनिक समय में मटर, सेम आदि द्विदलो जैसे प्रोटीनयुक्त आहार का अधिक सेवन, मैदा, शक्कर एवं बेकरी की चीजों का अधिक प्रयोग चाय कॉफी जैसे उत्तेजक पेय, शराब एवं ठंडे पेय, जहरीली आधुनिक दवाइयाँ जैसे – ब्रुफेन, मेगाडाल, आइबुजेसीक, वोवीरॉन जैसी एनालजेसिक दवाएँ, एन्टीबायोटिक्स, सल्फा ड्रग्स, एस्प्रीन, फेनासेटीन, केफीन, ए.पी.सी., एनासीन आदि का ज्यादा उपयोग, अशुद्ध आहार अथवा मादक पदार्थों का ज्यादा सेवन, सूजाक (गोनोरिया), उपदंश (सिफलिस) जैसे लैंगिक रोग, त्वचा की अस्वच्छता या उसके रोग, जीवनशक्ति एवं रोगप्रतिकारक शक्ति का अभाव, आँतों में संचित मल, शारीरिक परिश्रम को अभाव, अत्यधिक शारीरिक या मानसिक श्रम, अशुद्ध दवा एवं अयोग्य जीवन, उच्च रक्तचाप तथा हृदयरोगों में लम्बे समय तक किया जाने वाला दवाओँ का सेवन, आयुर्वेदिक परंतु अशुद्ध पारे से बनी दवाओं का सेवन, आधुनिक मूत्रल (Diuretic) औषधियों का सेवन, तम्बाकू या ड्रग्स के सेवन की आदत, दही, तिल, नया गुड़, मिठाई, वनस्पति घी, श्रीखंड, मांसाहार, फ्रूट जूस, इमली, टोमेटो केचअप, अचार, केरी, खटाई आदि सब गुर्दा-विकृति के कारण है।

सामान्य लक्षणः natural treatment of kidney in hindi

गुर्दे खराब होने पर निम्नांकित लक्षण दिखाई देते हैं-

आधुनिक विज्ञान के अनुसारः natural treatment of kidney in hindi

आँख के नीचे की पलकें फूली हुई, पानी से भरी एवं भारी दिखती हैं। जीवन में चेतनता, स्फूर्ति तथा उत्साह कम हो जाता है। सुबह बिस्तर से उठते वक्त स्फूर्ति के बदले उबान, आलस्य एवं बेचैनी रहती है। थोड़े श्रम से ही थकान लगने लगती है। श्वास लेने में कभी-कभी तकलीफ होने लगती है। कमजोरी महसूस होती है। भूख कम होती जाती है। सिर दुखने लगता है अथवा चक्कर आने लगते हैं। कइयों का वजन घट जाता है। कइयों को पैरों अथवा शरीर के दूसरे भागों पर सूजन आ जाती है, कभी जलोदर हो जाता है तो कभी उलटी-उबकाई जैसा लगता है। रक्तचाप उच्च हो जाता है। पेशाब में एल्ब्यमिन पाया जाता है।

आयुर्वेद के अनुसारः natural treatment of kidney in hindi

सामान्य रूप से शरीर के किसी अंग में अचानक सूजन होना, सर्वांग वेदना, बुखार, सिरदर्द, वमन, रक्ताल्पता, पाण्डुता, मंदाग्नि, पसीने का अभाव, त्वचा का रूखापन, नाड़ी का तीव्र गति से चलना, रक्त का उच्च दबाव, पेट में किडनी के स्थान का दबाने पर पीड़ा होना, प्रायः बूँद-बूँद करके अल्प मात्रा में जलन व पीड़ा के साथ गर्म पेशाब आना, हाथ पैर ठंडे रहना, अनिद्रा, यकृत-प्लीहा के दर्द, कर्णनाद, आँखों में विकृति आना, कभी मूर्च्छा और कभी उलटी होना, अम्लपित्त, ध्वजभंग (नपुंसकता), सिर तथा गर्दन में पीड़ा, भूख नष्ट होना, खूब प्यास लगना, कब्जियत होना – जैसे लक्षण होते हैं। ये सभी लक्षण सभी मरीजों में विद्यमान हों यह जरूरी नहीं।

गुर्दा रोग से होने वाले अन्य उपद्रवः natural treatment of kidney in hindi

गुर्दे की विकृति का दर्द ज्यादा समय तक रहे तो उसके कारण मरीज को श्वास (दमा), हृदयकंप, न्यूमोनिया, प्लुरसी, जलोदर, खाँसी, हृदयरोग, यकृत एवं प्लीहा के रोग, मूर्च्छा एवं अंत में मृत्यु तक हो सकती है। ऐसे मरीजों में ये उपद्रव विशेषकर रात्रि के समय बढ़ जाते हैं।
आज की एलोपैथी में गुर्दो रोग का सरल व सुलभ उपचार उपलब्ध नहीं है, जबकि आयुर्वेद के पास इसका सचोट, सरल व सुलभ इलाज है।

आहारः natural treatment of kidney in hindi

प्रारंभ में रोगी को 3-4 दिन का उपवास करायें अथवा मूँग या जौ के पानी पर रखकर लघु आहार करायें। आहार में नमक बिल्कुल न दें या कम दें। नींबू के शर्बत में शहद या ग्लूकोज डालकर 15 दिन तक दिया जा सकता है। चावल की पतली घेंस या राब दी जा सकती है। लौकी का जूस आधा गिलास देना शुरू करे। फिर जैसे-जैसे यूरिया की मात्रा क्रमशः घटती जाय वैसे-वैसे, रोटी, सब्जी, दलिया आदि दिया जा सकता है। मरीज को मूँग का पानी, सहजने का सूप, धमासा या गोक्षुर का पानी चाहे जितना दे सकते हैं। किंतु जब फेफड़ों में पानी का संचय होने लगे तो उसे ज्यादा पानी न दें, पानी की मात्रा घटा दें।

विहारः natural treatment of kidney in hindi

गुर्दे के मरीज को आराम जरूर करायें। सूजन ज्यादा हो अथवा यूरेमिया या मूत्रविष के लक्षण दिखें तो मरीज को पूर्ण शय्या आराम (Complete Bed Rest) करायें। मरीज को थोड़े परम एवं सूखे वातावरण में रखें। हो सके तो पंखे की हवा न खिलायें। तीव्र दर्द में गरम कपड़े पहनायें। गर्म पानी से ही स्नान करायें। थोड़ा गुनगुना पानी पिलायें।

औषध-उपचारः natural treatment of kidney in hindi

गुर्दे के रोगी के लिए कफ एवं वायु का नाश करने वाली चिकित्सा लाभप्रद है। जैसे कि स्वेदन, वाष्पस्नान (Steam Bath), गर्म पानी से कटिस्नान (Tub Bath)।

रोगी को आधुनिक तीव्र मूत्रल औषधि न दें क्योंकि लम्बे समय के बाद उससे गुर्दे खराब होते हैं। उसकी अपेक्षा यदि पेशाब में शक्कर हो या पेशाब कम होता हो तो नींबू का रस, सोडा बायकार्ब, श्वेत पर्पटी, चन्द्रप्रभा, शिलाजीत आदि निर्दोष औषधियों या उपयोग करना चाहिए। गंभीर स्थिति में रक्त मोक्षण (शिरा मोक्षण) खूब लाभदायी है किंतु यह चिकित्सा मरीज को अस्पताल में रखकर ही दी जानी चाहिए।
सरलता से सर्वत्र उपलब्ध पुनर्नवा नामक वनस्पति का रस, काली मिर्च अथवा त्रिकटु चूर्ण डालकर पीना चाहिए। कुलथी का काढ़ा या सूप पियें। रोज 100 से 200 ग्राम की मात्रा में गोमूत्र पियें। पुनर्नवादि मंडूर, दशमूल, क्वाथ, पुनर्नवारिष्ट, दशमूलारिष्ट, गोक्षुरादि क्वाथ, गोक्षुरादि गूगल, जीवित प्रदावटी आदि का उपयोग दोषों एवं मरीज की स्थिति को देखकर बनना चाहिए।
रोज 1-2 गिलास जितना लौहचुंबकीय जल (Magnetic Water) पीने से भी गुर्दे के रोग में लाभ होता है।

दोस्तों आपने पूरी पोस्ट पढ़ी आपका धन्यवाद, अब आपका फ़र्ज़ हैं इसको शेयर करना । हो सकता हैं आप को आज जिस पोस्ट की ज़रूरत ना हो वो किसी और को बहुत ज़रूरी हो। ये सेवा आपको करनी हैं।

Kidney ReActivator बचा सकता है आप को Kidney Transplant और Dialysis से !!!

कैसे सिर्फ 15 दिनों में रुका अनेक लोगों का डायलिसिस – पढने के लिए फोटो पर क्लिक करे.

17 comments

  1. very very useful remedies,must be used for kidney diseases.

  2. Sir ji namaskar mere peshab me 10-12 Pus calls aa rahi he iska ilaj batae

  3. Hello sir, myself Vishal,i am suffering from kidney failure and undergoing treatment from Muradnagar, famous Hakim JI,but in vain please help

  4. Mary ko javad hinde ma by kidney my Weston hy 8.13 upcar bty

  5. devender diwan

    Kidney की विक्रति के लिए treatment kahan se lein
    Jaldi btaane ki kirpaa karein

  6. priya aggarwal

    Agar dono kidney karabiner ho gai ho to kya kare

  7. alok kumar singh

    Sir my father creatin level is 2.1 plz unke liye btiey

  8. Sir pls call on this no 9999988412 sir mere left side mai ek cyst hai 12*11 mm ki is problem ho sakti hai kya

  9. hello sir mera ek frnd ki ek kedni show ho rai he usb me or use patri be ho gai he use Kuch problem to nhi hoge na

  10. Sir Mera Larka 3 sal ka hai aur us ke sarir me sujan hogya hai is thik hone ka upaye btaye sir mere no 8521399408 ek miscell dijiye sir

    • आप एक बार उसकी जांच वगरह करवा लीजिये. और पता कर लीजिये के सूजन किस कारण से है. फिर उसका कोई इलाज बता देंगे…

  11. Sir ji mujhe bar bar peshab ata hai iska mujhe ilaj bataiye

  12. Kidney patent ko that ko jhansi ho to kiya kare

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

DMCA.com Protection Status