Sunday , 22 December 2024
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क्या आप को पता है टिटनेस इंजेक्‍शन से हो सकती हैं ये दिक्‍कतें और परेशानिया

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टिटनेस के दुष्‍परिणामों के बारे में हम सभी ने सुना ही होगा। टिटनेस एक प्रकार का गंभीर बैक्‍टीरियल संक्रमण होता है जिसका प्रत्‍यक्ष प्रभाव, व्‍यक्ति के तंत्रिका तंत्र पर पड़ता है।
टिटनेस को लॉकजॉ भी कहा जाता है क्‍योंकि इसकी चपेट में आने पर व्‍यक्ति की मांसपेशियों में भयानक कठोरता आ जाती है और मौत हो जाती है।
टिटनेस एक प्रकार का रोग है जो क्‍लोस्‍ट्रीडियम टीटनी बैक्‍टीरिया के कारण हो जाता है। यह बैक्‍टीरिया, दुनिया की हर जगह की जमीन, मलबे और पशुमल में पाया जाता है। यह मानव की त्‍वचा पर भी होता है।
ऐसे में अगर शरीर में कहीं कट लग जाता है या त्‍वचा कहीं से खुल जाती है तो ये बैक्‍टीरिया शरीर में अंदर प्रवेश कर जाता है और अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर देता है।
शरीर के जिन हिस्‍सों में ऑक्‍सीजन सबसे कम पाई जाती हैं वहां भी यह बैक्‍टीरिया  अच्‍छी खासी ग्रोथ कर लेते हैं। ऐसे में अगर किसी भी व्‍यक्ति को चोट या खरोंच लग जाती है तो उसे शीघ्र की इस इंजेक्‍शन लगवाने की सलाह दी जाती है।
यह इंजेक्‍शन इन कीटाणुओं को नष्‍ट करने के लिए अपना प्रभाव दिखाता है और कभी-कभी व्‍यक्ति को इसकी वजह से कुछ हल्‍की सी समस्‍या भी हो सकती है।
जब  टॉक्सिन शरीर में एक्टिव होते हैं तो वे एक प्रकार का विष छोड़ने लगते हैं जो नर्व से कनेक्‍ट हो जाता  हैं और घाव के आसपास फैल जाता  हैं। टिटनेस टॉक्सिन, इस प्रकार बढ़ता जाता है और बाद में स्‍पाइन कॉर्ड पर बुरा असर डालता है।
लोकल टिटनेस, चोट की जगह तक ही सीमित रहता है, सेफालिक टिटनेस एक असामान्‍य प्रकार का होता है जो पूरे नर्व सिस्‍टम पर प्रभाव डालता है, गंभीर चोट लगने पर या कोई एक्‍सीडेंट होने पर या सिर में चोट लगने पर इस इंजेक्‍शन को दिया जाता है। नियोनेटल टिटनेस इंजेक्‍शन, नवजात शिशुओं को दिया जाता है ताकि उन्‍हें टिटनेस होने से बचाया जा सकें।
शायद अब आपको समझ में आ गया होगा कि चोट लगने पर यह इंजेक्‍शन जल्‍द से जल्‍द क्‍यों लगवा लेना चाहिए। टिटनेस इंजेक्‍शन लगने पर, हल्‍का बुखार, थकान, जोड़ों में दर्द, मतली और मांसपेशियों में दर्द हो सकता है।
कई बार उस जगह पर सूजन, दर्द और खुजली भी होती है। पर आप परेशान ना हो, इंजेक्‍शन लगवाने के बाद संक्रमण होने का खतरा दूर हो जाता है और व्‍यक्ति को अगले कुछ दिनों तक भी चोट लगने पर टिटनेस होने का खतरा नहीं रहता है
 

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