Saturday , 21 December 2024
Home » Health » ulcer » acidity » अम्लपित्त acidity में लौंग गुड और हरड़ का प्रयोग।

अम्लपित्त acidity में लौंग गुड और हरड़ का प्रयोग।

अम्लपित्त acidity के लिए लौंग गुड और हरड़ का प्रयोग।

लौंग

भोजन करने के बाद दोनों समय सुबह और शाम एक-एक लौंग चूसने से अम्लपित्त ठीक हो जाता है और अम्लपित्त से होने वाले सभी रोगों में लाभ होता है। लौंग कफ, पित, वातनाशक है।

लौंग से होने वाले फायदे।

1. लौंग पाचन क्रिया के ऊपर सीधा हितकारी प्रभाव डालता है। इससे भूख बढ़ती है। आमाशय की रस-क्रिया को बल मिलता है। खाने की रूचि पैदा होती है और मन में प्रसन्ता होती है। लौंग कृमिनाशक और मूत्रल भी है।
2. अम्लपित्त के रोगी को धीरे-धीरे चाय छोड़ देना हितकर है।
3. लौंग बलगम हटाती है, श्वास की शिकायत मिटती है तथा रक्त के श्वेत कणो की वृद्धि में सहायक है।

अम्लपित्त में पथ्य (जो खा सकते हैं)

गाय का दूध, अनार का रस, मौसमी, अंगूर, सोंफ, मुनक्का, आंवला, अंजीर, पुराना चावल, खीर, सभी, रस युक्त पदार्थ, पेठा, सत्तू का घोल आदि।

अपथ्य (खाने में परहेज)

उष्ण (गर्म प्रकृति वाले), अम्ल(खट्टे) और कटु(कड़वे) रस युक्त पदार्थ, मांस, मदिरा, तेल, उड़द की दाल व् सभी पित प्रकोपक खाद्य पदार्थ।

सावधानी – लौंग ज़्यादा खाने से बवासीर की समस्या भी हो सकती हैं।

अम्लपित्त में अन्य उपयोग।

1. गुड।

रोजाना दोनों समय खाना खाने के बाद छोटी-सी गुड की डली ( दस ग्राम ) मुंह में रखकर धीरे-धीरे चूसे। इससे मुंह में खट्टा पानी आना बंद होता है। अम्लपित्त नाश के अलावा इससे पेट में वायु नही बनती। पेट में गैस बनने की दशा में इससे लाभ होता है क्योकि खाना खाने के बाद गुड चूसना शरीर का कचरा बाहर निकालने में सहायक है। मुंह के छाले में भी इससे आराम होता है। यह प्रयोग ह्रदय की दुर्लब्ता और शरीर की शिथिलता में भी लाभकारी है। एक साल पुराना गुड अधिक उपयोगी है।

2. काली छोटी हरड़।

काली छोटी हरड़ का चूर्ण दो ग्राम (आधा चम्मच) बराबर वजन गुड में मिलाकर खाएं और ऊपर से पानी पिए। प्रतिदिन सायं खाना खाने के आधे घंटे बाद केवल तीन दिन के प्रयोग से अम्लपित्त नष्ट हो जाता है।

एसिडिटी के लिए अन्य महत्वपूर्ण पोस्ट यहाँ क्लिक कर के पढ़े।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

DMCA.com Protection Status