ह्रदय रोग के लिए अनुभूत व शीघ्र लाभाकरी अचूक नुस्खे -अवश्य अजमाए
ह्रदय उत्मांगो का शिरोमणि है शरीर में तीन उत्मांग है |मष्तिष्क ,ह्रदय और यकृत |परन्तु जो स्थान ह्रदय को
प्राप्त है वह अन्य को नही |यह शरीर का सम्राट है |मनुष्यों और पशुओ का जीवन केवल ह्रदय पर ही आश्रित है |
इसके रोगग्रस्त हो जाने से सारा शरीर भयग्रस्त हो जाता है |
निचे कुछ ऐसे योग लिख रहे हे जो कुछ पेसो में तेयार हो सकते है और बड़े -बड़े मूल्यवान योगो से उत्तम
प्रभाव दिखाते है |
1 .-ह्र्त्कम्प – संजीवनी
इस रोग में ह्रदय बहुत जोर -जोर से धडकता है और रोगी को ऐसा अनुभव होता की ह्रदय डूबता जाता है |
आँखों के सामने अँधेरा सा छाया रहता है किसी भय या क्रोध की दशा में अधिक धडकने लगता है |
विधि –
आवश्यकतानुसार सुखा आंवला लेकर खूब बारीक़ कर ले |इसके बराबर मिश्री मिलाकर रख ले ,जरूरत
पड़ने पर प्रातः समय निराहार मुख सात ग्राम की मात्रा प्रतिदिन पानी के साथ दिया करे |कुछ दिनों में ह्रदय के
सब रोग दूर हो जायेंगे ,बड़ा सरल और अनुपम योग है यह ह्रदय दुर्बलता ,ह्र्त्कम्प ,दोष और चेतना सुन्य
इत्यादि रोगों के लिए हितकारी है |
2 .-अन्य योग –
यह योग भी अपने गुणों में अद्धितीय है एक सप्ताह के सेवन से ह्रदय का ताप ,ह्रदय दुर्बलता इत्यादि रोग
दूर होकर पूरा आराम हो जाता है
विधि –
रेंहा के बीज 5 ग्राम ले ,रात के समय एक कूजे में डालकर ऊपर आधा किलो पानी डाले |रात भर बाहर हवा में पड़ा
रहने दे ,प्रातः थोडा सा मीठा मिलाकर सेवन किया जाये |एक सप्ताह के सेवन से रोग मिटना आरम्भ हो जायेगा |
3 .-ह्रदय ताप नाशक –
यह योग अति स्तुत्य है |ह्रदय के सब रोगों के लिए एकमात्र और अनुभूत उपचार है |अनेक बार का अनुभूत और
परीक्षित है |
विधि –
तरबूज के बीज 25 ग्राम रात के समय पानी में भिगोकर रखे |प्रातः काल भलीभांति घोट पिस कर थोड़ी खांड
मिलाएं |कपड़े से छानकर पिलाया करे |इसके समक्ष अति मूल्यवान ओषधिया पानी भरती है
4 .- ह्रदय पीड़ा –
ह्रदय की पीड़ा भी बहुत भयंकर रोग है |इसके लिए अत्यन्त सरल और अनुभूत योग प्रस्तुत किया जा रहा है |
विधि –
हिरन के सिंग का भीतरी भाग (गुदा) आवश्यकतानुसार ले | इसे एक मिटटी के कूजे में बंद करके आग में
भस्म बना ले |बारीक़ पीसकर सावधानी से शीशी में डाल ले , जरूरत पड़ने पर प्रातः समय एक से दो ग्राम
की मात्रा ठंडे पानी के साथ दिया करे |
5 .-अन्य योग –
आवश्यकतानुसार पुष्करमूल लेकर बारीक़ करके शीशी में रखे |आवश्यकता के समय 4 रती से 8 रती तक मधु
में मिलाकर दिया करे |इससे भी ह्रदय पीड़ा को आराम होता है और यह लेप ह्रदय पीड़ा और ह्र्त्कम्प के लिए
अत्यधिक लाभप्रद है |रेवन्द चीनी को पानी में घोल करके दोनों कन्धो के मध्य लेप करे |बड़ी गुकारी ओषधि है |