Friday , 29 March 2024
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जानलेवा थकान कहीं मायस्थीनिया रोग तो नहीं..!!

जानलेवा थकान कहीं मायस्थीनिया रोग तो नहीं..!!

क्‍या आप थोड़ा चलने या थोड़ी सी एक्‍सरसाइज करने के बाद बुरी तरह से थक जाते हैं। या थोड़ा सा काम करने के बाद ही आपको ऐसा लगता है, जैसे पता नहीं आपने ऐसा क्‍या कर लिया कि शरीर में जान हीं नहीं रहीं। अगर ऐसा है तो हो सकता है कि आप मायस्‍थीनिया रोग से पीड़ि‍त है। मायस्‍थीनिया एक क्रोनिक प्रगतिशील रोग है, जो न्यूरोमस्कुलर जो़ड़ पर एसीटाइलकोलीन की कमी के कारण क्रोनिक थकान और मांसपेशियों में कमजोरी के कारण होता है। यह समस्‍या विशेष रूप से चेहरे और गर्दन के आसपास होती है।  मायस्‍थीनिया रोग पैदाइशी होता है या फिर बहुत ज्‍यादा शारीरिक परिश्रम या बहुत अधिक इंफेक्‍शन के कारण होता है।

मायस्‍थीनिया के कारण –

  • मायस्थीनिया किसी भी आयु की महिला या पुरुष को हो सकता है।
  • लेकिन पुरुषों की तुलना में यह रोग महिलाओं में कम या ज्‍यादा उम्र में होता है।
  • कभी-कभी बहुत ज्‍यादा ठंड या बहुत ज्‍यादा गर्मी मायस्‍थीनिया का कारण होती है।
  • प्रथम मासिक धर्म के पहले या बाद में लड़कियां मायस्थीनिया की शिकार हो सकती हैं।
  • कभी-कभी जबरदस्त उत्तेजना या तनाव के कारण भी मायस्थीनिया पनप सकता है।

आखिर क्यों होता है मायस्थीनिया रोग?

ब्‍लड में एसीटाइलकोलीन रेसेप्‍टर नामक केमिकल तत्‍व की कमी के कारण यह रोग होता है। यह केमिकल तत्‍व शरीर की मांसपेशियों को एक्टिव और एनर्जी से भरपूर बनाये रखता है। इस तत्‍व की कमी के कारण मांसपेशियां ढीली और सुस्‍त हो जाती है, जिसके चलते हल्‍का चलने या काम करने पर भी ऐसा लगता है कि जैसे पता नहीं क्‍या हो गया।

मायस्थीनिया रोग का मुख्य कारण सामने की चेस्‍ट के अंदर एक विशेष ग्रंथि यानी थाइमस ग्लैंड के आकार में बड़ा होना है। यह थाइमस ग्‍लैंड चेस्‍ट के अंदर दिल के बाहरी सतह पर होती है। अक्सर इस थाइमस ग्‍लैंड में ट्यूमर होता है, जिसके कारण ये आकार में बड़ी हो जाती हैं। मायस्थीनिया रोग के 90 प्रतिशत मरीजों में यह थाइमस ग्लैंड ही जिम्मेदार होता है, बाकी 10 प्रतिशत मामलों में इसके लिए ऑटो इम्यून रोग जिम्मेदार होते हैं।

माय‍स्‍थीनिया रोग के लक्षण

  • प्रारंभिक अवस्था में मायस्थीनिया में बालों में कंघा करने में दिक्कत महसूस होना।
  • बहुत ही हल्के सामान को उठाने पर थककर चूर हो जाना।
  • सीढ़ियों पर 2-3 कदम चढ़ने पर या साधारण चलने पर कठिनाई महसूस होना।
  • रोग बढ़ जाने पर आंखे की पलकें ऊपर की तरफ उठना बंद कर देना।
  • दोनों आंखों को काफी देर तक खुली रखना मुश्किल।
  • आंखों का पूरी तरह से बंद करना कठिन।
  • आंखों को केंद्रित करने की क्षमता खोना।
  • चेहरे का बिलकुल भावरहित व शून्य हो जाना।
  • होंठ बाहर की तरफ ज्यादा निकल आना।

माय‍स्‍थीनिया रोग का इलाज

अगर इलाज में लापरवाही बरती जाये तो खाना खाने में और सांस लेने में कठिनाई और बढ़ जाती है और एक‍ स्‍थिति ऐसी आ जाती है कि मरीज की जान खतरे में पड़ जाती है। इसलिए मायस्थीनिया रोग के शुरुआती दिनों में ही इलाज की संभावनाएं तलाशनी शुरू कर देना चाहिए।

इस रोग का प्रमुख कारण थाइमस ग्रंथि है जो दिल की बाहरी सतह पर स्थित होती है। इस रोग के इलाज में इस ग्रंथि को मरीज की छाती से निकाल दिया जाता है। यही इसका कारगर उपचार है। इस सर्जरी से संभावित कैंसर या ट्यूमर से भी छुटकारा मिल जाता है।

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