यकृत रोग में अनुभूत और अचूक नुस्खे जो कई बार परीक्षित है अवश्य लाभ ले |
मानव शरीर यंत्र में यकृत एक ऐसा अवयव है जहा रुधिर उत्पन्न होता है|इसलिए मानव का जीवन बहुत अंश तक इस पर आश्रित है|व्रक्क और प्लीहा आदि इसी के अधीन है इसलिए यदि यकृत में कोई विकार आ जाता है तो शरीर में अनेक दोष उत्पन्न हो जाते है|यकृत के ठीक रहने पर ही स्वास्थ्य निर्भर है|यकृत का पूरा-पूरा ध्यान रखना हमारे लिए परमावश्यक है| निचे इसके सम्बन्ध में कुछ योग लिख रहे है आप परिक्षण करे,अवश्य लाभप्रद सिद्ध होंगे| यकृत रोगों के उपचार में बढ़ी सावधानी से काम ले|
1 .-यकृत दुर्बलता – यकृत के सभी दोष इसके सेवन से दूर हो जाते है|शरीर में शुद्ध स्वच्छ रुधिर पैदा होने लगता है|अनुभूत और अचूक है विधि – बालछड और नागरमोथा दोनों को समान मात्रा में ले|बारीक़ पीसकर शीशी में डाल ले|इसकी प्रातः ,दोपहर और सांयकाल 1-1 ग्राम की मात्रा ठंडे पानी के साथ दिया करे|कुछ दिनों के सेवन से पूर्ण आराम हो जायेगा|
2.-द्धितीय योग – यह रोग भी बड़ा सरल और सफल है|परन्तु कुछ लम्बा अवश्य है कुछ भी परिश्रम नही करना पड़ता|20 दिनों के निरंतर सेवन से वर्षो का रोग जड से मिट जाता है| विधि – 50 ग्राम साबुत चने पका ले|स्वाद के अनुसार थोडा-सा नमक मिला करके प्रतिदिन प्रातः-काल खिलाया करे| मिर्च बिल्कुल भी न हो|पन्द्रह दिवस तक तो इसी प्रकार खिलाते रहे|पिछले पांच दिनों में थोड़े-से घी में भूनकर दिया करे|20 दिनों के सेवन के उपरांत पुराने से पुराना रोग भी न रहेगा|अनुपम और अनुभूत योग है|
3.-विचित्र विधि- इसके एक सप्ताह के सेवन से निश्चय ही रोग का नाश हो जाता है|और पूरा आराम हो जाता है|परीक्षित और सुगम योग है| विधि – लोहे का एक साफ टुकड़ा ले जिसका वजन 60 ग्राम हो| इसे आग में तपाकर लाल करे|एक लोहे के बर्तन में 250 ग्राम पानी डालकर लाल किये हुए टुकड़े को इसमें छोड़ दे|लोहे के बिना किसी दुसरे बर्तन से ढक दे|जब पानी ठंडा हो जाये तब 200 ग्राम गाय की छाछ मिलाकर तथा थोडा-सा मीठा मिला करके रोगी को प्रातः समय निराहार मुख दिया करे|ईश्वर क्रपा से 8-10 दिनों में रोग समूल नष्ट हो जायेगा|
4.-यकृत शोथ – सर्व प्रकार के यकृत शोथ के लिए यह ओषधि अत्यधिक लाभप्रद है|अत्यन्त गुणकारी ओषधि है|बनाकर अनुभव ले| विधि – मुलहठी और नोशादर दोनों को समान मात्रा में लेकर बारीक़ करके शीशी में डाले|आवश्यकता पड़ने पर दिन में 3 बार एक-एक ग्राम ओषधि ठंडे पानी के साथ दिया करे|शीघ्र लाभ होगा|
5.-यकृत शोथ की अचूक दवा – यकृत शोथ,दुर्बलता और यकृत पीड़ा आदि रोगों के लिए यह अत्यन्त लाभप्रद है|तेयार करके जनसाधारण का हित सम्पादन करे|स्तुत्य योग यह है| विधि- अफ़सनतीन 7 ग्राम और नोसादर 4 रती को 250 ग्राम पानी में ओटावे जब आधा पानी जल चुके तब उतार कर कपड़े से छान ठंडा करके रोगी को पिलाये|यकृत विकार से जो ज्वर बराबर आता हो या यकृत शोथ या यकृत पीड़ा हो उनके लिए बड़ा ही लाभप्रद है|थोड़े दिन के सेवन से पूर्ण आराम हो जायेगा|
अपथ्य – गर्म,खट्टी,तेल से तली हुई,देर से पचने वाली वस्तुए तथा चाय,अंडा,मद्द आदि वस्तुओ से परहेज करे|
भोजन -सुपाच्य वस्तुए ,साधारण शाक सब्जी यथा कददू,कुल्फा ,पालक और गेंहू दलिया देते रहे|