मूत्रक्रच्छ रोग में चमत्कारी और अनुभूत नुस्खे जो शीघ्र लाभकारी है -अवश्य अजमाए|
यह बड़ा भयानक रोग है|वे लोग भारी भूल करते है जो मूत्र क्रच्छ को साधारण-सा रोग समझते है इसके लिए कुछ सरल और अनुभूत योग प्रस्तुत किये जा रहे है|
1 .-गुलाब का चमत्कार – विधि — गुलाब के 25 ग्राम पत्ते रात को 250 ग्राम पानी में भिगो दे|रात भर बाहर खुले में पड़ा रहने दे प्रातः समय मलकर छान ले| थोड़ी -सी मिश्री मिलाकर पिलाया करे|दो सप्ताह के सेवन से रोग नष्ट हो जायेगा|
2 .-सुजाक का चूर्ण – विधि — गोंद कतीरा और कूजा मिश्री समान मात्रा में लेकर बारीक़ कर ले ,प्रतिदिन दोनों समय 6-6 ग्राम की मात्रा ठंडे पानी के साथ दिया करे ;कुछ दिनों में आराम हो जायेगा|
3 .-सरल योग – विधि — आवश्यकतानुसार पिली कोडियों आग में रखकर भस्म बना ले और बारीक़ पीसकर सावधानी से रखे जरूरत पड़ने पर तीन ग्राम की मात्रा मक्खन के साथ दिया करे ,थोड़ी देर बाद दूध की लस्सी कुछ मीठा मिलाकर भरपेट पिलायें ,पुराने से पुराना रोग चला जायेगा|
4 .-नाग भस्म – विधि — शुद्ध सीसा 15 ग्राम को कड़ाई में डालकर और आग पर रखकर कँघी बूटी की ताजा लकड़ी से हिलाते रहे थोड़ी देर के पश्यात नाग भस्म तेयार हो जाएगी बारीक़ पीसकर शीशी में रखे एक रती की मात्रा दूध की लस्सी से दिया करे|
5 .-पिली दवा – विधि — हल्दी और आंवला समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना ले|प्रतिदिन 6 ग्राम चूर्ण पानी के साथ प्रातः समय दिया करे ,एक सप्ताह के अंदर -अंदर काफी आराम हो जायेगा
6 .- अक्सीर सुजाक – विधि — सफेद राल और कलमीशोरा दोनों को समान मात्रा में लेकर बारीक़ कर ले .प्रतिदिन दो -चार ग्राम तक दिया करे ;पिप और मूत्र की टिस आदि सब दूर हो जाएगीं बड़ी लाभप्रद ओषधि है|
7 .-मूत्र क्रच्छ संजीवनी – विधि — लाल गेरू और सफेद फिटकड़ी दोनों को समान मात्रा में लेकर बारीक़ पिस ले इसके बराबर खांड मिलाकर रखे आवश्यकता के समय 5-5 ग्राम की मात्रा दूध की लस्सी के साथ दिया करे तदुपरान्त भी लस्सी पिलाया करे .
8 .-कुर्रा – हरा तूतिया 5 ग्राम रात के समय बारीक़ करके एक किलो पानी में भिगो दिया करे .प्रातः काल पिचकारी कराया करे ,5 दिनों के बाद तीन ग्राम फिटकड़ी 250 ग्राम पानी में घोल करके रात को हवा में रख दे . पिचकारी कराने के बाद यह पिलाया करे .एक सप्ताह में ही बहुत लाभ मिलने लगेगा ;
9 .-सुजाक पिचकारी – 1 रती रसकपूर को 1 किलो पानी में पकायें जब लगभग 750 ग्राम शेष रह जाये तब उतार ले फिर इसे थोड़े गर्म पानी से पिचकारी कराए दुसरे पानी को बोतल में सुरक्षित रखे इसकी तीन दिन तक निरंतर पिचकारी करने से इस रोग के दोषों का नाश हो जायेगा |