लोक कहावतों में स्वास्थ्य दर्शन.
भारतीय संस्कृति में स्वास्थ्य को बहुत महत्त्व दिया गया है, यही कारण है के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए अनेक लोक कहावतों का भी जन्म हुआ, ये लोक कहावतें अपने आप में स्वास्थ्य के बड़े बड़े राज़ खोल देती हैं. आज हम आपको ऐसी ही 11 विशेष लोक कहावतों से अवगत करवाएंगे. आइये जानते हैं इन मजेदार लोक कहावतों के बारे में.
इस कहावत में समय के महत्त्व के बारे में बताया है, के हर काम समय रहते ही कर लेना चाहिए, भोजन सबसे ज्यादा गुणकारी तभी है जब ये भूख लगने पर किया जाए, उसी प्रकार अगर ठिठुरते हुए आदमी को रजाई ना मिले तो उसका कोई फायदा नहीं, और इसी प्रकार अगर जवानी निकल जाए और फिर स्त्री मिले तो उसका तो कोई मतलब ही नहीं. हर काम उचित समय पर हो जाना चाहिए. यही स्वस्थ जीवन का सार है. आज कल की युवा पीढ़ी समय पर शादी नहीं करती, जिस कारण स्त्रियों को अनेक रोग होते हैं और संतान भी स्वस्थ नहीं रहती.
यह एक बहु प्रचलित लोक कहावत है, जिसमे सुबह उठ कर दांतों में मंजन और आँखों में सुरमा लगाने के लिए कहा गया है, पुराने ज़माने में लोग घी का दिया जला कर या जड़ी बूटियों को जला कर घर पर सुरमा तैयार करते थे, जिसके उपयोग से आँखे सो बरस तक भी निरोगी रहती थी. इसी प्रकार नाक में ऊँगली करने और कान में तिनका करने के लिए मन किया गया है. ये दोनों ही हानिकर है.
यह लोक कहावत स्वर तंत्र के महत्त्व को बताती है, के किस प्रकार बायीं करवट लेटने पर दायाँ स्वर चालू होता है और सोते समय दायाँ स्वर चालू रहने से स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है..
उषा पान का महत्त्व हमारे शास्त्रों में बहुतायत मिलता है. उषापान करने वाला व्यक्ति अनेक रोगों पर सहज ही जीत पा लेता है. इसको आयुर्वेद में अमृत समान माना गया है. [उषा पान के लिए आप हमारी ये पोस्ट यहाँ क्लिक कर के पढ़ सकते है. – उषा पान के फायदे]
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