Tuesday , 17 December 2024
Home » Supplement » दही तुलसी अमृत

दही तुलसी अमृत

इसके तीन महीने तक सेवन करने से खांसी, सर्दी, ताजा जुकाम या जुकाम की प्रवृत्ति, जन्मजात जुकाम, श्वास रोग, स्मरण शक्ति का अभाव, पुराना से पुराना सिरदर्द, नेत्र-पीड़ा, उच्च अथवा निम्न रक्तचाप, ह्रदय रोग, शरीर का मोटापा, अम्लता, पेचिश, मन्दाग्नि, कब्ज, गैस, गुर्दे का ठीक से काम न करना, गुर्दे की पथरी तथा अन्य बीमारियां, गठिया का दर्द, वृद्धावस्था की कमजोरी, विटामिन ए और सी की कमी से उत्पन्न होने वाले रोग, सफेद दाग, कुष्ठ तथा चर्म रोग, शरीर की झुर्रियां, पुरानी बिवाइयां, महिलाओं की बहुत सारी बीमारियां, बुखार, खसरा आदि रोग दूर होते हैं।

Dahi aur tulsi ke fayde

तुलसी की 21 से 35 पत्तियाँ स्वच्छ खरल (जिसमे रसोई में मसाला कूटा जाता है) या सिलबट्टे (जिस पर मसाला न पीसा गया हो) पर चटनी की भांति पीस लें और 10 से 30 ग्राम मीठी दही (ताज़ा दही, खट्टा ना हो) में मिलाकर नित्य प्रातः खाली पेट तीन मास तक खायें। ध्यान रहे दही खट्टा न हो और यदि दही माफिक न आये तो एक-दो चम्मच शहद मिलाकर लें। छोटे बच्चों को आधा ग्राम दवा शहद में मिलाकर दें। दूध के साथ भुलकर भी न दें। औषधि प्रातः खाली पेट लें। आधा एक घंटे पश्चात नाश्ता ले सकते हैं। दवा दिनभर में एक बार ही लें परन्तु कैंसर जैसे असह्य दर्द और कष्टप्रद रोगो में २-३ बार भी ले सकते हैं।

यह प्रयोग कैंसर जैसे असाध्य रोगों में बहुत लाभप्रद है।

2 comments

  1. बहुत ही सुन्दर बात बताई है जीवन् जींने के लिए

  2. Ur tall tips r v. Nice

  3. Kripa ker ke betaye ki her roj 21-35 pettioon ka pest bena ker lena hai jaa sirf ek baar hi itna paste benana hai???

  4. Useful tips. Iluv Ayurveda.

  5. अतुल आहूजा

    दही तो ठीक है परंतु शायद आप जानते नहीं कि तुलसी की पत्तियों में पारा होता है, जिसका सेवन खतरनाक है । इसलिये तुलसी की पतियो को निगला जाता है चबा कर खाया नहीं जाता नहीं तो दांत ख़तम

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

DMCA.com Protection Status