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Castor Oil in hindi – हर रोग की दवा – अरंडी के 120 रामबाण प्रयोग

Castor oil in hindi – 120 benefits OF CASTOR OIL

Castor Oil In Hindi – एरण्ड, जिसे अरण्ड, अरण्डी, अण्डी आदि और बोलचाल की भाषा में अण्डउआ भी कहते हैं। इसके बीज अत्यंत उष्णवीर्य, गुल्म, शूल, वायु, यकृत व प्लीहा के रोग, उदर विकार व बवासीर को दूर करने वाले और अत्यंत अग्निदीपक होते हैं। इसका तेल सौम्य विचेरक (हलका जुलाब) का काम करता है। एरण्ड के पत्ते, मूल, बीज और तेल उपयोग में लिए जाते हैं। इसका तेल इतना निरापद जुलाब है कि इसे बाल, वृद्ध, गर्भवती स्त्री और नवप्रसूता आदि भी बेखटके सेवन कर सकते हैं। इसको स्त्री पुरुष के गुप्त रोगो के साथ साथ सैंकड़ो अनेका अनेक जटिल बीमारियो में इसको उपयोग किया जाता हैं। आइये जाने अरण्ड के बारे में।

अरंडी का पौधा

Castor Oil In Hindi – एरंड का पौधा प्राय: सारे भारत में पाया जाता है। एरंड की खेती भी की जाती है और इसे खेतों के किनारे-किनारे लगाया जाता है। ऊंचाई में यह 2.4 से 4.5 मीटर होता है। एरंड का तना हरा और चिकना तथा छोटी-छोटी शाखाओं से युक्त होता है। एरंड के पत्ते हरे, खंडित, अंगुलियों के समान 5 से 11 खंडों में विभाजित होते हैं। इसके फूल लाल व बैंगनी रंग के 30 से 60 सेमी. लंबे पुष्पदंड पर लगते हैं। फल बैंगनी और लाल मिश्रित रंग के गुच्छे के रूप में लगते हैं। प्रत्येक फल में 3 बीज होते हैं, जो कड़े आवरण से ढके होते हैं। एरंड के पौधे के तने, पत्तों और टहनियों के ऊपर धूल जैसा आवरण रहता है, जो हाथ लगाने पर चिपक जाता है। ये दो प्रकार का होते हैं लाल रंग के तने और पत्ते वाले एरंड को लाल और सफेद रंग के होने पर सफेद एरंड कहते हैं। पेड़ लाली लिए हो तो रक्त एरण्ड और सफेद हो तो श्वेत एरण्ड कहलाता है। इसकी दो जातियां और भी होती हैं। एक मल एरंड और दूसरी वर्षा एरंड। वर्षा एरंड, बरसात के सीजन में उगता है। मल एरंड 15 वर्ष तक रह सकता है। वर्षा एरंड के बीज छोटे होते हैं, परन्तु उनमें मल एरंड से अधिक तेल निकलता है। एरंड का तेल पेट साफ करने वाला होता है, परन्तु अधिक तीव्र न होने के कारण बालकों को देने से कोई हानि नहीं होती है।

अरंडी की किस्मे

सफेद एरंड : सफेद एरंड, बुखार, कफ, पेट दर्द, सूजन, बदन दर्द, कमर दर्द, सिर दर्द, मोटापा, प्रमेह और अंडवृद्धि का नाश करता है।

लाल एरंड : पेट के कीड़े, बवासीर, रक्तदोष (रक्तविकार), भूख कम लगना, और पीलिया रोग का नाश करता है। इसके अन्य गुण सफेद एरंड के जैसे हैं।

अरंड के फूल : एरंड का फूल एक लिंगी, लाल बैंगनी रंग के होते हैं। एरंड के फूल ठंड से उत्पन्न रोग जैसे खांसी, जुकाम और बलगम तथा पेट दर्द संबधी बीमारी का नाश करता है।

अरंड के फल : एरंड के फल के ऊपर हरे रंग का आवरण होता है। प्रत्येक फल में तीन बीज होते हैं।

एरंड के पत्ते : एरंड के पत्ते वात पित्त को बढ़ाते हैं और मूत्रकृच्छ्र (पेशाब करने में कठिनाई होना), वायु, कफ और कीड़ों का नाश करते हैं।

एरंड के अंकुर : एरंड के अंकुर फोड़े, पेट के दर्द, खांसी, पेट के कीड़े आदि रोगों का नाश करते हैं।

अरंड के बीज : Castor oil seeds

एरंड के बीज सफेद चिकने होते हैं। एरंड के बीजों का गूदा बदन दर्द, पेट दर्द, फोड़े-फुंसी, भूख कम लगना तथा यकृत सम्बंधी बीमारी का नाश करता है।

एरंड का तेल : Castor oil

पेट की बीमारी, फोड़े-फुन्सी, सर्दी से होने वाले रोग, सूजन, कमर, पीठ, पेट और गुदा के दर्द का नाश करता है।

अरंड का स्वभाव : Nature of castor oil

एरंड गर्म प्रकृति का होता है।

अरंड के नुकसान: Disadvantages of castor oil in hindi

Castor Oil In Hindi – एरंड आमाशय को शिथिल करता है, गर्मी उत्पन्न करता है और उल्टी लाता है। इसके सेवन से जी घबराने लगता है। लाल एरंड के 20 बीजों की गिरी नशा पैदा करती है और ज्यादा खाने से बहुत उल्टी होता है एवं घबराहट या बेहोशी तक भी हो सकती है। यह आमाशय के लिए अहितकर होता है। राइसिन नामक विषैला तत्त्व होने के कारण एरंड के 40-50 दाने खाने से या 10 ग्राम बीजों के छिलकों का चूर्ण खाने से उल्टी होकर व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।

अरंड की तुलना :

एरंड की तुलना जमालघोटा से की जा सकती है।

अरंड के दोषों को दूर कैसे करें :

कतीरा और मस्तगी एरंड के गुणों को सुरक्षित रखकर इसके दोषों को दूर करता है।

विशेष नोट : लाल एरंड का तेल 5 से 10 ग्राम की मात्रा में गर्म दूध के साथ लेने से योनिदर्द, वायुगोला, वातरक्त, हृदय रोग, जीर्णज्वर (पुराना बुखार), कमर के दर्द, पीठ और कब्ज के दर्द को मिटाता है। यह दिमाग, रुचि, आरोग्यता, स्मृति (याददास्त), बल और आयु को बढ़ाता है और हृदय को बलवान करता है।

अरंड के गुण : Benefits of Castor oil in hindi

लाल व सफेद दोनों प्रकार के एरण्ड मधुर, गर्म, भारी होते हैं, शोथ, कमर, वस्ति स्थान तथा सिर की पीड़ा, उदर रोग, ज्वर, श्वास, कफ, अफरा, खाँसी, कुष्ठ और गठिया रोग के नाशक हैं। एरंड पुराने मल को निकालकर पेट को हल्का करती है। यह ठंडी प्रकृति वालों के लिए अच्छा है, अर्द्धांग वात, गृध्रसी झानक बाई (साइटिका के कारण उत्पन्न बाय का दर्द), जलोदर (पेट में पानी की अधिकता) तथा समस्त वायुरोगों की नाशक है इसके पत्ते, जड़ और बीज उसका तेल सभी औषधि के रूप में इस्तेमाल किए जाते है। यहां तक कि ज्योतिषी और तांत्रिक भी ग्रहों के दुष्प्रभावों को दूर करने के लिए एरंड का प्रयोग करते हैं।

अरंड की सेवन मात्रा :

बीज 2 से 6 दाने। तेल 5 से 15 मिलीलीटर। पत्तों का चूर्ण 3 से 4 ग्राम। जड़ की पिसी लुगदी 10 से 20 ग्राम । जड़ का चूर्ण 1 से 3 ग्राम।

अरंड का स्वाद :

एरंड खाने में तीखा, बेस्वाद होता है।

120 Castor oil benefits In hindi

चर्म (त्वचा) के रोग – castor oil for skin in hindi

एरंण्ड की जड़ 20 ग्राम को 400 मिलीलीटर पानी में पकायें। जब यह 100 मिलीलीटर शेष बचे तो इसे पिलाने से चर्म रोगों में लाभ होता है।एरंड के तेल की मालिश करते रहने से शरीर के किसी भी अंग की त्वचा फटने का कष्ट दूर होता है।

सिर पर बाल उगाने के लिए castor oil for regrow hair in hindi

ऐसे शिशु जिनके सिर पर बाल नहीं उगते हो या बहुत कम हो या ऐसे पुरुष-स्त्री जिनकी पलकों व भौंहों पर बहुत कम बाल हों तो उन्हें एरंड के तेल की मालिश नियमित रूप से सोते समय करना चाहिए। इससे कुछ ही हफ्तों में सुंदर, घने, लंबे, काले बाल पैदा हो जाएंगे।

सिर दर्द castor oil for headache in hindi

एरंड के तेल की मालिश सिर में करने से सिर दर्द की पीड़ा दूर होती है। एरंड की जड़ को पानी में पीसकर माथे पर लगाने से भी सिर दर्द में राहत मिलती है।

जलने पर castor oil for burning in hindi

एरंड का तेल थोड़े-से चूने में फेंटकर आग से जले घावों पर लगाने से वे शीघ्र भर जाते हैं। एरंड के पत्तों के रस में बराबर की मात्रा में सरसों का तेल फेंटकर लगाने से भी यही लाभ मिलता है।

पायरिया castor oil for pyorrhea in hindi

एरंड के तेल में कपूर का चूर्ण मिलाकर दिन में 2 बार नियमित रूप से मसूढ़ों की मालिश करते रहने से पायरिया रोग में आरम मिलता है।

लिंग की शक्ति बढ़ाने के लिए –  ling badhane ke liye arandi ka tel

मीठे तेल में एरंड के पीसे बीजों का चूर्ण औटाकर शिश्न पर नियमित रूप से मालिश करते रहने से लिंग की शक्ति बढ़ती है।

मोटापा दूर करना – castor oil for weight reduce in hindi

एरंड की जड़ का काढ़ा छानकर एक-एक चम्मच की मात्रा में शहद के साथ दिन में तीन बार सेवन करें।एरंड के पत्ते, लाल चंदन, सहजन के पत्ते, निर्गुण्डी को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें, बाद में 2 कलियां लहसुन की डालकर पकाकर काढ़ा बनाकर रखा रहने दें इसमें से जो भाप निकले उसकी उस भाप से गला सेंकने और काढ़े से कुल्ला करना चाहिए।एरंड के पत्तों का खार (क्षार) को हींग डालकर पीये और ऊपर से भात (चावल) खायें। इससे लाभ हो जाता है।अरण्ड के पत्तों की सब्जी बनाकर खाने से मोटापा दूर हो जाता है। Castor Oil In Hindi

दूध वृद्धि और स्तन सूजन में – Castor oil for breast milk in hindi

  • एरंड के पत्तों का रस दो चम्मच की मात्रा में दिन में तीन बार कुछ दिनों तक नियमित पिलाएं। इससे स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।अरण्ड (एरंड) पाक को 10 ग्राम से लेकर 20 ग्राम की मात्रा में गुनगुने दूध के साथ प्रतिदिन सुबह और शाम को पिलाने से प्रसूता यानी बच्चे को जन्म देने वाली माता के स्तनों में दूध में वृद्धि होती है। मां के स्तनों पर एरंड के तेल की मालिश दिन में 2-3 बार करने से स्तनों में पर्याप्त मात्रा में दूध की वृद्धि होती है।
  • स्तनों के सूजन से पीड़ित महिला के स्तनों में एरंड के पत्तों की पुल्टिस बांधनी चाहिए। इससे स्तनों की सूजन और दर्द में बहुत अधिक लाभ मिलता है।
  • जब किसी स्त्री के स्तनों में दूध आना बंद हो जाता है और स्तनों में गांठें पड़ जाती हैं, तब एरंड के 500 ग्राम पत्तों को 20 लीटर पानी में घंटे भर उबालें, तथा गर्म पानी की धार 15-20 मिनट स्त्री के स्तनों पर डाले, एरंड तेल की मालिश करें, उबले हुए पत्तों की महीन पुल्टिस स्तनों पर बांधे। इससे गांठें बिखर जायेगी और दूध का प्रवाह पुन: प्रारम्भ हो जायेगा।स्तन के चारों ओर की त्वचा फट जाने पर एंरड तेल लगाने से तुरन्त लाभ होता है।एरंड के पत्तों को सिरके में पीसकर स्तनों पर प्रतिदिन मलने से कुछ ही दिनों में स्तन कठोर हो जाते हैं। इसके अलावा गांठें पिघलकर दूध उतरने लगता है तथा सूजन की तकलीफ दूर हो जाती हैं। Castor Oil In Hindi

बालकों के पेट के कृमि (कीड़े) – Castor oil for tape worm in hindi

एरंड का तेल गर्म पानी के साथ देना चाहिए अथवा एरंड का रस शहद में मिलाकर बच्चों को पिलाना चाहिए। इससे बच्चों के पेट के कीडे़ नष्ट हो जाते हैं। एरंड के पत्तों का रस नित्य 2-3 बार बच्चे की गुदा में लगाने से बच्चों के चुनने (पेट के कीड़े) मर जाते हैं।

योनि शूल (दर्द) – Castor Oil for vagina pain in hindi

एरंड की जड़ और सोंठ को घिसकर योनि पर लेप करें। इससे योनि दर्द ठीक हो जाता है।एरंड तेल में रूई का फोहा भिगोकर योनि में धारण करने से योनि का दर्द मिट जाता है।

पेट में दर्द या दस्त – Castor oil for stomach in hindi

  • एरंड और चूहे की लेण्डी का चूर्ण नींबू के रस में मिलाकर बच्चों की नाभि और गुदा पर लेप करना चाहिए। इससे बच्चों का दस्त आना बंद हो जाता है।
  • पेट में दर्द या बार-बार दस्त होने पर एरंड के तेल का जुलाब देना चाहिए। इसका जुलाब बहुत ही उत्तम होता है। इससे पेट में दर्द नहीं होता और पानी की तरह पतले दस्त भी नहीं होते, केवल मल-शुद्धि होती है। यदि इसका जुलाब फायदा नहीं पहुंचाता तो यह कोई हानि नहीं पहुंचाता। छोटे बच्चों से लेकर बूढ़ों तक के लिए यह समान उपयोगी है। सोंठ के काढ़े के साथ पीने से एरंड के तेल की दुर्गन्ध कम हो जाती है अथवा मट्ठे से कुल्ला करके एरंड का तेल पीने से उससे अरुचि नहीं होती ।
  • यदि मल के साथ आंव और खून निकलता हो तो आरम्भ में ही 10 ग्राम एरंड तेल देने से आंव आना कम हो जाता है और खून का गिरना भी कम हो जाता है।
  • एरंड के बीजों के बीच के भाग को पीसकर, गाय के चौगुने दूध में पकायें जब यह खोवा की तरह हो जाय तो उसमें दो भाग चीनी मिला लें। इसे प्रतिदिन 15 ग्राम खाने से पेट की गैस मिटती है। पुराने पेट के दर्द में रोज रात को सोने के समय 125 ग्राम गर्म पानी में एक नींबू का रस निचोडकऱ, एरंड का तेल डालकर पीने से कुछ समय में ही दर्द दूर हो जाता है।
  • आँव – Castor oil for Dysentery in hindi आँव में चिकना, चीठा मल निकलता है और मल विर्सजन के समय पेट में हल्‍की-हल्‍की मरोड़ भी होती है। आँव का जल्दी इलाज न हो तो यही आगे चलकर आमातिसार, आमवात, सन्धिवात, अमीबायोसिस आदि रोगों को उत्पन्न कर देती है। रात को एक गिलास दूध में आधा चम्मच पिसी सोंठ डालकर खूब उबालें फिर उतारकर ठण्डा करके इसमें 2 चम्मच केस्टर ऑइल डालकर सोते समय पिएँ। 2-3 दिन यह प्रयोग करने पर पेट की सारी आँव मल के साथ निकल जाती है। Castor Oil In Hindi

पिसा हुआ कांच खा लेने पर – Castor oil in case of swallow glass in hindi

पिसा हुआ कांच खा लेने पर 30 ग्राम एरंड का तेल पिलाने से लाभ मिलता है।

Castor Oil additional benefits in hindi

  • होंठों के फटने पर रात्रि को एरंड तेल होठ पर लगाने से लाभ मिलता है।
  • एरंड की जड़ का काढ़ा जवाखार के साथ देने से हृदय रोग और कमर के दर्द का नाश हो जाता है।
  • एरंड की जड़ को भांगरे के रस में घिसकर नाक में लगाकर सूंघे, इससे छींक आकर मस्तक शूल नष्ट हो जाता है।
  • एरंड के तेल को गाय के पेशाब में मिलाकर देना चाहिए। इससे पीठ, कमर, कन्धे, पेट और पैरों का शूल (दर्द) नष्ट हो जाता है।
  • एरंड के अंकुर बारीक पीसकर उसमें थोड़ा सा दूध मिलाकर लेप बना लें। इस लेप को कपाल (सिर) तथा कान के पास लेप करने से नींद का कम आना दूर हो जाता है।
  • एरंड के तेल को तपाकर रख लें और जिस ओर नाक में पीनस हो गया हो, उस ओर के नथुने से, उस तेल को दिन में कई बार सूंघने से पीनस नष्ट हो जाती है।
  • एरंड के पंचाग की 10 ग्राम राख को 40 ग्राम गौमूत्र में मिलाकर पिलाने से प्लीहोदर मिट जाता है।
  • एरंड और मेंहदी के पत्तों को पीसकर लेप करने से वादी की पीड़ा मिट जाती है।

21 : अंडकोष अंत्रवृद्धि – Castor oil for Hernia and Testicle enlargement in hindi

2 चम्मच एरंड तेल सुबह-शाम दूध में मिलाकार सेवन करने से अंडकोष के बढे़ हिस्से से आराम मिलता है। साथ ही इस तेल की मालिश भी करनी चाहिए।10 ग्राम एरंड तेल को 3 ग्राम गुग्गुलु और 10 ग्राम गाय के पेशाब के साथ सुबह-शाम पीने से एवं अंडकोष पर एरंड पत्ते गर्म करके बांधने से अंडकोष वृद्धि ठीक हो जाती है। एरण्ड की जड़ को सिरके में कूट-पीसकर महीने लेप बना कर गर्म करें, कुनकुना गर्म अण्डकोषों पर लेप करें। इस उपाय से अण्डकोषों की सूजन उतर जाती है। Castor Oil In Hindi

एपैन्डिक्स – Castor oil for Appendix in hindi

इस रोग के प्रारम्भ में ही एरंड तेल 5 से 10 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन देने से आपरेशन करने की आवश्यकता नहीं रहती। और एपैन्डिक्स रोग ठीक हो जाता है।

आंखों के रोग में – Castor oil for eyes in hindi

एरंड के तेल के अंजन से आंखों से पानी बहता है, इसलिए इसे नेत्र विरेचन कहते हैं। एरंड तेल दो बूंद आंखों में डालने से, इनके भीतर का कचरा निकल जाता है और आंखों की किरकरी बंद हो जाती है।एरंड के पत्तों की जौ के आटे के साथ पुल्टिस बनाकर आंखों पर बांधने से आंखों पर आई पित्त की सूजन नष्ट हो जाती है।

अर्श (बवासीर) – Castor oil for Piles in hindi

एरंड के पत्तों के 100 ग्राम काढ़े में घृतकुमारी का रस 50 ग्राम मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है।एरंड तेल और घृत कुमारी का स्वरस मिलाकर बवासीर के मस्सों पर लगाने से जलन शांत हो जाती है।मस्से और गुदा की त्वचा फट जाने पर प्रतिदिन रात्रि को एरंड तेल देने से बहुत लाभ होता है।एरंड के तेल की मालिश नियमित रूप से करते रहने से बवासीर के मस्से, पैरों की कील (कार्नस), मुहासें, मस्से, बिवाई, धब्बे, गठानों पर की सारी तकलीफें धीरे-धीरे दूर हो जाएंगी।नीम और एरंडी के तेल को गर्म करें तथा उसमें 1 ग्राम अफीम व 2 ग्राम कपूर का चूर्ण डालकर मलहम (गाढ़ा पेस्ट) बना लें। इस पेस्ट को मस्सों पर लगाने से मस्से सूखकर झड़ जाते हैं।एरंड का तेल लेकर प्रतिदिन मस्सों पर लगाने से कुछ ही दिनों में बादी बवासीर ठीक हो जाती है।

[Bawaseer]

Castor Oil for jaundice in hindi – पीलिया

गर्भवती महिला को यदि पीलिया हो जाये और गर्भ शुरुआती अवस्था में हो तो, एरंड के पत्तों का 10 ग्राम रस सुबह-सुबह 5 दिन पिलाने से पीलिया दूर हो जाता है और सूजन भी दूर हो जाती है।एरंड के पत्तों के 5 ग्राम रस में पीपल का चूर्ण मिलाकर नाक में डालकर सूंघने से या आंखों में अंजन करने से पीलिया रोग मिटता है और सूजन भी दूर हो जाती है।एरंड की जड़ का रस 6 ग्राम, दूध 250 ग्राम में मिलाकर पिलाने से कामला रोग मिटता है।एरंड की जड़ के 80 मिलीलीटर काढे़ में दो चम्मच शहद मिलाकर चाटने से खांसी दूर हो जाती है।एरंड के पत्तों का रस 10 ग्राम से 20 ग्राम तक गाय के कच्चे दूध में मिलाकर सुबह-शाम पिलाने से 3 से 7 दिन में पीलिया नष्ट हो जाता है। रोगी को दही-चावल ही खिलायें और यदि कब्ज हो तो दूध अधिक पिलाएं।10 ग्राम एरंड के पत्ते लेकर, उन्हें 100 ग्राम दूध में पीसकर छान लें और उसमें 5 ग्राम शक्कर मिलाकर दिन में 3 बार पीने से कामला रोग शांत हो जाता है।एरंड का रस डाभ (कच्चे नारियल के पानी) में मिलाकर खाली पेट पीएं। इससे पीलिया का रोग ठीक हो जाता है।

[piliya ka ilaj]

25 : खांसी
एरंड के पत्तों का क्षार 3 ग्राम, तेल एवं गुड़ आदि को बराबर मात्रा में मिलाकर चाटने से खांसी दूर हो जाती है।

32 : पेट की चर्बी
पेट पर चढ़ी हुई चर्बी को उतारने के लिए हरे एरंड की 20 से 50 ग्राम जड़ को धोकर कूटकर 200 ग्राम पानी में पकाकर 50 ग्राम शेष रहने पर पानी को प्रतिदिन पीने से पेट की चर्बी उतरती है।

33 : प्रसव कष्ट (डिलीवरी के दौरान स्त्री को होने वाली पीड़ा)
प्रसवकाल में कष्ट कम हो सके इसके लिए गर्भवती स्त्री को 5 महीने बाद, एरंड तेल का 15-15 दिन के अन्तर से हलका जुलाब देते रहें। प्रसव के समय 25 ग्राम एरंड तेल को चाय या दूध में मिलाकर देने से प्रसव शीघ्र होता है।

34 : मासिक-धर्म
एरंड के पत्तों को गर्मकर पेट पर बांधने से मासिक-धर्म नियमित रूप से होने लगता है।

35 : गुर्दे (वृक्कशूल) के दर्द में
एरंड की मींगी को पीसकर, गर्म लेप करने से गुर्दे की वात पीड़ा व सूजन में लाभ होता है।

36 : वातरक्त
वातरक्त में एरंड का 10 ग्राम तेल एक गिलास दूध के साथ सेवन करना चाहिए।

37 : रक्त विकार
एरंड की गिरी एक, दूध 125 ग्राम, जल 250 ग्राम मिलाकर उबालते हैं जब केवल दूध मात्र शेष रह जाए तो इसमें 10 ग्राम चीनी या मिश्री डालकर पिला दें, इस प्रकार एक गिरी से शुरू करके, 7 दिन तक 1-1 गिरी बढ़ाकर घटायें। एक गिरी पर लाने से रक्त के रोग मिटते हैं। यह प्रयोग अत्यंत वात शामक भी है।

38 : विषनाशक
एरंड के पत्तों का 100 ग्राम रस पिलाकर वमन (उल्टी) कराने से सांप तथा बिच्छू के विष में लाभ होता है। इसी प्रकार अफीम तथा दूसरी तरह के जहर में भी इससे लाभ होता है।एरंड के 20 ग्राम फलों को पीस-छानकर पिलाने से अफीम का विष उतरता है।

39 : नहरूआ
एरंड के पत्तों को गर्म कर बांधने से नहरूआ की सूजन मिट जाती है।एरंड की जड़ को गाय के घी में मिलाकर पीने से नहरूआ रोग नष्ट हो जाता है। नहरूआ के रोगी को 20 ग्राम एरंडी के पत्तों का रस और 60 ग्राम घी मिलाकर 3 दिन तक पीने से नहरूआ रोग में आराम मिलता है।

40 : नाड़ी घाव (व्रण)
एरंड की कोमल कोपलों को पीसकर लेप करने से नाड़ी का घाव मिटता है।

41 : शय्याक्षत (बिस्तर पर पडे़ रहने से होने वाले घाव)
एरंड तेल लगाने से शय्याक्षत बड़ी जल्दी मिटते हैं। बच्चों के उल्टी, दस्त और बुखार में एरंड तेल से लाभदायक कोई और वस्तु नहीं है।

42 : दुष्ट व्रण (घाव)
बिगड़े हुए घाव और फोड़ों पर एरंड के पत्तों को पीसकर लगाने लाभ मिलता है।

43 : वात प्रकोप और वात शूल
एरंड के बीजों को पीसकर लेप करने से छोटी संधियों और गठिया की सूजन मिटती है।वात रोग में एरंड तेल उत्तम गुणकारी है। कमर व जोड़ों का दर्द, हृदय दर्द, कफ और जोड़ों की सूजन, इन सब रोगों में एरंड की जड़ 10 ग्राम और सोंठ का चूर्ण 5 ग्राम का काढ़ा बनाकर सेवन करना चाहिए तथा दर्द पर एरंड तेल की मालिश करनी चाहिए।

44 : विद्रधि (फोड़ा) होने पर
एरंड की जड़ को पीसकर घी या तेल में मिलाकर कुछ गर्म कर गाढ़ा लेप करने से फोड़ा मिट जाता है।

45 : किसी भी प्रकार की सूजन
किसी भी प्रकार की सूजन, आमवात इत्यादि में एरंड के पत्तों को गर्म कर तेल चुपड़कर बांधने से लाभ होता है।

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46 : बुखार की जलन
बुखार में होने वाली जलन में एरंड के पत्ते धोकर साफकर शरीर पर धारण करने से जलन नष्ट हो जाती है।

47 : तिल मस्से
पत्ते के वृन्त पर थोड़ा चूना लगाकर तिल पर बार-बार घिसने से तिल निकल जाता है।एरंड के तेल में कपड़ा भिगोकर मस्से पर बांधने से मस्से मिट जाते हैं।चेहरे या पूरे शरीर पर तिल, धब्बे या भूरे-भूरे दाग (लीवर स्पोंटस) हो या गाल या त्वचा पर छोटी-छोटी गिल्टियां (गांठे), सख्त गुठलियां निकलने पर रोजाना दिन में 2 से 3 बार लगातार एरंड के तेल की मालिश करने से धीरे-धीरे सब समाप्त हो जाते हैं। एरंड का तेल लगाने से जख्म भी भर जाते हैं और इसकों मस्सों पर लगाने से मस्सा ढीला होकर गिर जाता है।एरंड के तेल को सुबह और शाम 1-2 बूंद हल्के हाथ से मस्से पर मलने से 1 से 2 महीनों में मस्से गिर जाते हैं।

48 : पित्तज गुल्म
पित्तजगुल्म एवं पैत्तिक शूल में यष्टिमधु के 50 ग्राम काढे़ में एरंड तेल 5-10 मिलीलीटर मिलाकर पिलाने से लाभ होता है।

49 : सौंदर्यवर्धक
एरंड के तेल में चने का आटा मिलाकर चेहरे पर रगड़ने से झांई आदि मिटकर चेहरा सुंदर हो जाता है।

50 : नाखून
एरंड के गुनगुने (हल्के गर्म) तेल में नाखूनों को कुछ मिनट डुबोये रखें, फिर उसी तेल की मालिश करें। यदि डूबोना सम्भव नहीं हो तो गर्म तेल में रुई डुबोकर नाखूनों पर रखें। इससे नाखून चमकने लगेंगे।

51 : सांप के काटे जाने पर
एरंड की कोपलें दस ग्राम, पांच कालीमिर्च, दोनों को पीसकर पानी में मिलाकर पिला दें। इससे उल्टी होगी, कफ निकलेगा। थोड़ी देर बाद पुन: इसी तरह पिलायें। इससे जहर बाहर निकलेगा।

52 : घाव
यदि कहीं चोट लगकर खून आने लगे, घाव हो जाए तो एरंड का तेल लगाकर पट्टी बांधने से लाभ होता है।एरंडी के तेल को घाव पर लगायें।एरंडी के तेल में नीम का तेल मिलाकर घाव पर लगायें।

53 : दाग-धब्बे
तिल, मस्से, चेहरे पर धब्बे, घट्टा-आटन, कील-मुंहासे हो तो एक दो महीने तक सुबह-शाम एरंड के तेल की मालिश करें। इससे उपर्युक्त विकार ठीक हो जाते हैं। मस्से, औटन पर तेल में गाज (कपड़ा) भिगोकर पट्टी बांधकर रखना चाहिए। एरंड के तेल में चने का आटा मिलाकर चेहरे पर रगड़ने से झांई आदि दूर होकर चेहरा साफ हो जाता है।

54 : बिवाइयां (एड़ी का फटना)
पैरों को गर्म पानी से धोकर उनमें एरंड का तेल लगाने से बिवाइयां (फटी एड़ियां) ठीक हो जाती हैं।

55 : आंख में कुछ गिर जाना
आंख में मिट्टी, कंकरी गिर जाये, धुआं, तीव्र गंध से दर्द हो तो एरंड के तेल की एक बूंद आंख में डालने से लाभ होता है। तेल डालने के बाद हर 25 मिनट में सेंक करें।

56 : वायु गोला और गुल्म
पेट में गांठ की तरह उभार को वायुगोला कहते हैं। यह घटता बढ़ता है। एरंड का तेल 2 चम्मच, गर्म दूध में मिलाकर पीने से इसमें लाभ होता है।

57 : गठिया (जोड़ का दर्द)
पेट में आंव दब जाने से गठिया हो जाती है। गठिया में एरंड का तेल कब्ज दूर करने हेतु सेवन करें। इससे आंव बाहर निकलेगी और गठिया में आराम होगा।घुटने के दर्द को दूर करने के लिए 1 ग्राम हरड़ और एरंड का तेल साथ सेवन करने से रोगी के घुटनों का दर्द दूर होता है। 25 ग्राम एरंड का तेल रोजाना सुबह-शाम खाली पेट पीये इससे गठिया के रोग में लाभ होता है।एरंड के बीजों को पानी में पीसकर गर्म कर सूजन व दर्द के स्थानों पर बांधने से राहत मिलती है।

58 : आंत्रवृद्धि
एक कप दूध में 2 चम्मच एरंड का तेल डालकर 1 महीने तक पीने से आंत्रवृद्धि ठीक हो जाती है।खरैटी के मिश्रण के साथ अरंडी का तेल गर्मकर पीने से पेट का फूलना, दर्द, आंत्रवृद्धि व गुल्म खत्म होती है। इन्द्रायण की जड़ का पाउडर, अरंडी के तेल या दूध में मिलाकर पीने से निश्चित रूप से अंत्रवृद्धि खत्म हो जायेगी।250 ग्राम गर्म दूध में 20 ग्राम एरंड का तेल मिलाकर 1 महीने तक पीयें इससे वातज अंत्रवृद्धि ठीक हो जाती है।2 चम्मच एरंड का तेल और बच का काढ़ा बनाकर उसमें 2 चम्मच एरंड का तेल मिलाकर खाने से लाभ होता है।

[hernia ka ilaj]

59 : दांत घिसना या किटकिटाना
कई बच्चे रात को सोने के बाद भी दांत घिसते (किट-किटाते) रहते हैं। इस प्रकार के रोग में बच्चे के गुदा में एरंड का रस डाल लें। इससे सभी कीड़े नष्ट हो जाते हैं और दांत का घिसना बंद हो जाता है।

60 : आंखों का फूला, जाला
30 ग्राम एरंड के तेल में 25 बूंद कार्बोलिक एसिड मिलाकर सुबह और शाम 2-2 बूंद आंख में डालने से आंखों के फूले और जाले से छुटकारा मिलता है।

61 : पेट का साफ होना
यदि मल त्यागने में कठिनाई का अनुभव हो तो एरंड के तेल को दूध के साथ देने से लाभ होता है।

62 : बिलनी
एरंड के बीज, स्फटिका और टंकण का आंखों पर लेप लगाना चाहिए।

63 : वायु का विकार
एरंड के तेल की 2 चम्मच मात्रा को गर्म दूध में मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।

64 : कांच निकलना (गुदाभ्रंश)
एरंडी के तेल को हरे कांच की शीशी में भरकर 1 सप्ताह तक धूप में सुखाये। इस तेल को गुदाभ्रंश पर रूई से लगाएं। इससे गुदाभ्रंश निकलना बंद होता है।एरंडी का तेल आधे से एक चम्मच की मात्रा में उम्र के अनुसार हल्के गर्म दूध में मिलाकर रोज रात को सोते समय दें। यह कब्ज और आमाशय दोनों शिकायतें को खत्म कर गुदा रोग को ठीक करता है।

65 : बालों का झड़ना (गंजेपन का रोग)
अरंडी (एरंड) या सरसों के तेल में हल्दी जलाकर छान लें और इसमें थोड़ा सा कपूर मिलाकर सिर के गंजे जगह पर मालिश करें। इससे सिर पर बाल उगना शुरू हो जाते हैं।एरंड के गूदे को पीसकर बाल गिर जाने के बाद लगाने से बाल फिर से उग आते हैं।

66 : पलकें और भौहें
एरंड (अरंडी) के तेल की मालिश 1-1 दिन के अन्तराल पर करने से पलकों और भौहें के बाल उग आते हैं।

67 : स्तनों से दूध का टपकना
अरण्ड के पत्तों को पानी में पीसकर छाती (सीने) पर सुबह-शाम के समय लेप करने से छाती से दूध का टपकना बंद हो जाता है।

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68 : कब्ज (कोष्ठबद्धता)
एरंड के तेल की 10 बूंदों को रात को सोते समय पानी में मिलाकर सेवन करने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) की बीमारी में लाभ होता है।एरंड का तेल 30 ग्राम को गर्म दूध में मिश्री के साथ पीने से कब्ज दूर हो जाता है। 1 कप दूध में 2 चम्मच एरंड का तेल मिलाकर सोते समय पिलाएं। इससे पेट की कब्ज नष्ट हो जाती है। एरंडी के तेल की 2 से 4 बूंद को माता के दूध में मिलाकर दें।अरंडी के तेल की पेट पर मालिश करने से पेट साफ हो जाता हैं।6 ग्राम अरंडी के तेल में 6 ग्राम दही मिलाकर आधे-आधे घंटे के अन्तर के बाद पिलाने से वायुगोला हमेशा के लिए समाप्त हो जाता है।अरंडी का तेल 20 ग्राम और अदरक का रस 20 ग्राम मिलाकर पी लें, फिर ऊपर से थोड़ा-सा गर्म पानी पीने से वायु गोला में तुरन्त होता है।अरण्ड का तेल और उसकी 2 से 3 कलियां खाने से पेट साफ हो जाता है।अरंडी का तेल 3 चम्मच, बादाम रोगन 1 चम्मच को 250 ग्राम दूध में गर्म कर सोने से पहले लें।1 चम्मच एरंड का तेल दूध में मिलाकर सोने से पहले पीने से लाभ होता है।एरंड के तेल की 30 बूंदों तक की मात्रा को 250 ग्राम तक दूध में मिलाकर सेवन करने से सामान्य पेट की गैस दूर हो जाती है। नवजात शिशुओं को छोटी चम्मच में दी जा सकती है।कोष्ठबद्धता (कब्ज) को नष्ट करने के लिए रात को सोते समय एरंड के 5 ग्राम तेल को हल्के गर्म पानी के साथ लेने से लाभ मिलता है।सोते समय 2 चम्मच एरंड का तेल पीने से कब्ज दूर होती है, दस्त साफ आता है। इसे गर्म दूध या गर्म पानी में मिलाकर पी सकते हैं।

69 : उल्टी और दस्त
10 ग्राम एरंड की जड़ को छाछ के साथ पीसकर पिलाने से उल्टी और दस्त बंद हो जाते हैं।

70 : गर्भनिरोध
मासिक-धर्म के बाद तीन दिन तक एरंड की मींगी (अरंड के अन्दर की गिरी) खाने से एक वर्ष तक गर्भ नहीं ठहरता है।एरंड का एक बीज छीलकर माहवारी खत्म होने के दो दिन बाद सुबह के समय खाली पेट बिना चबाएं पानी से निगल लेते हैं। इससे एक वर्ष तक गर्भ नहीं ठहरता है।

71 : बुखार
एरंड की जड़, गिलोय, मजीठ, लाल चंदन, देवदारू तथा पद्याख का काढ़ा पिलाने से गर्भवती स्त्री का ज्वर (बुखार) दूर हो जाता है।

72 : गर्भाशय की सूजन
एरंड के पत्तों का रस छानकर रूई भिगोकर गर्भाशय के मुंह पर 3-4 दिनों तक रखने से गर्भाशय की सूजन मिट जाती है। गर्भाशय की सूजन प्राय: प्रसव के बाद होती है। इसमें महिला को बहुत तेज बुखार होता है। ऐसी अवस्था में एरंड के पत्तों के रस में शुद्ध रूई का फोहा भिगोकर योनि में रखने से आराम होता है।

73 : नपुंसकता (नामर्दी)
अरण्ड के बीज 5 ग्राम, पुराना गुड़ 10 ग्राम, तिल 5 ग्राम, बिनौले की गिरी 5 ग्राम, कूट 2 ग्राम, जायफल 2 ग्राम, जावित्री 2 ग्राम, अकरकरा 2 ग्राम। इन सबको कूट-पीसकर एक साफ कपड़े में रखकर पोटली बना लें और इस पोटली को बकरी के दूध में उबालें। दूध जब अच्छी तरह पक जाये, तो इसे ठंडा करके 5 दिन तक पियें तथा पोटली से शिश्न (लिंग) की सिंकाई करें।

74 : आमातिसार
1 चम्मच एरंड तेल को गर्म-गर्म दूध में मिलाकर पिलाने से आमातिसार रोग में लाभ मिलता है।

75 : बहरापन
असगंध, दूध, अरण्ड की जड़, शतावर और काले तिल के तेल को बराबर मात्रा में लेकर 200 ग्राम सरसों के तेल में डालकर पका लें। इस तेल को कान में डालने से कान के सारे रोग ठीक हो जाते हैं।

76 : कमर का दर्द
एरंड के बीज के अंदर का गूदा, दूध में पीसकर पिलाने से कमर दर्द में लाभ होता है।कमर दर्द होने पर एरंड के बीज की 5 मींगी दूध में पीसकर पिलाने से लाभ होता है।एरंड के पत्तों पर तेल लगाकर कमर में बांधकर हल्का-सा सेंकने से शीत ऋतु में उत्पन्न कमर का दर्द शांत हो जाता है।एरंड की जड़ और सोंठ को जल में उबालकर काढ़ा बनायें। काढ़े को छानकर उसमें भुनी हींग और काला नमक मिलाकर पीने से शीत लहर के कारण उत्पन्न कमर के दर्द से राहत मिलती है।35 ग्राम अरंडी के बीजों की गिरी पीसकर 250 ग्राम दूध में पकायें। जब इसका खोया बन जाये तो इसे 70 ग्राम घी में भून लें। इसमें 70 ग्राम चीनी मिलाकर सुबह 3 चम्मच लगातार खायें, इससे कमर दर्द मिट जाता है।

[Safed Daag ka ilaj]

77 : चोट लगने पर
चोट लगकर खून आने लगे, घाव हो तो एरंड का तेल लगाकर पट्टी बांधने से लाभ होता है। एरंड के पत्ते पर तिल का तेल लगाकर गर्म करके बांधने से चोट से सूजन एवं दर्द में लाभ होता है।

78 : आंवरक्त
पेचिश के रोगी को एरंड का तेल हल्के गुनगुने दूध में मिलाकर रात को सोते समय सेवन करने से रोग पेचिश ठीक हो जाता है।

79 : अग्निमान्द्यता (अपच)
अरनी की जड़ का चूर्ण खाने से भूख बढ़ती है।2 चम्मच अरंडी का तेल गौमूत्र (गाय का पेशाब) या दूध में मिलाकर सेवन करने से आंतें स्वस्थ होती हैं।

80 : प्रदर रोग
अरण्ड (एरंडी) की जड़ की राख दूध के साथ सेवन करने से प्रदर में लाभ होता है।

81 : मोच
एरंड के पत्ते पर सरसों और हल्दी गर्म करके मोच वाले स्थान पर लगायें और पत्ते को उस पर रखकर पट्टी बांध दें।अरण्ड के बीज की गिरी 10 ग्राम काले तिल 10 ग्राम दूध में पीसकर हल्का गर्म करके मोच पर बांध दें।

82 : जलोदर (पेट में पानी की अधिकता)
अरंडी के तेल के साथ गोरखमुण्डी मिलाकर खाने से जलोदर में लाभ होगा।

83 : शीतपित्त
कूठ का चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से 1.80 ग्राम में एरंड का तेल मिलाकर दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने से आमवात में लाभ होता है। इसका बाहरी प्रयोग भी किया जाता है। एरंड के तेल में तारपीन का तेल बराबर मिलाकर मालिश करने से पित्ती में लाभ होता है। पित्ती उछलने पर सबसे पहले चार चम्मच एरंड का तेल पीसकर पेट साफ कर लें। इसके बाद 5 ग्राम छोटी इलायची के दाने, 10 ग्राम दालचीनी, पीपर 10 ग्राम सबको पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से आधा चम्मच चूर्ण मक्खन के साथ खायें।

84 : स्तनों का सुडौल और पुष्ट होना
एरंड के तेल से स्तनों की मालिश करने से स्तन सुडौल, पुष्ट और बढ़ते हैं।

85 : पेट के कीड़ों के लिए
एरंड के पत्तों के रस में हींग डालकर पीने से पेट की आंतों में फंसे कीड़े मरकर बाहर आ जाते हैं।

86 : वात रोग
अरण्ड के तेल में गाय का मूत्र मिलाकर 1 महीने तक रोज खाने से हर तरह के वात रोग खत्म हो जाते हैं। अरण्ड की लकड़ी जलाकर उसकी 10 ग्राम राख को पानी के साथ खाने से वात रोग में लाभ होता है। एरंड की जड़ को घी या तेल में पीसकर गर्म करके लगाने से वात विद्रधि (फोड़ा) रोग खत्म होते हैं।

87 : स्तनों के आकार में वृद्धि
एरंड के तेल की मालिश करने से स्तनों का आकार बढ़ने लगता है।

88 : स्तनों की घुंडी का फटना
एरंड के तेल से स्तन या स्तनों की चूंची विदार (घुंडी फटने) में मालिश करने से लाभ मिलता है।

89 : शिरास्फीति
हाथ की शिराओं के रोग में 2 चम्मच एरंड का तेल दूध में मिलाकर रात में सेवन करें एवं एरंड तेल से मालिश करें। इससे रोगी शीघ्र ही ठीक हो जाता है।

90 : नाक के रोग
एरंड के नये मुलायम पत्तों को पीसकर चूने में अच्छी तरह मिलाकर नाक की बवासीर पर लगाने से कुछ ही समय में यह रोग ठीक हो जाता है। (चूना घोंघे वाला या सीप वाला ही होना चाहिए)।अरंडी (एरंड) के छिलकों की राख बनाकर नाक के नथुनों (छेदों) से सूंघने से नकसीर (नाक से खून बहना) रुक जाती है।

91 : सभी प्रकार के दर्द
एरंड के पेड़ की जड़, सोंठ, कंटकारी, कटेरी, बिजौरा नींबू की जड़, पाषाणभेद और त्रिकुटा की जड़ों को अच्छी तरह पीसकर बारीक चूर्ण को 20 ग्राम की मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें, इस बने काढ़े में जवाखार, हींग, सेंधानमक और अरंडी का तेल मिलाकर सेवन करने से आमजशूल, दिल का दर्द (हृदय शूल), स्तनशूल, लिंग शूल यानी लिंग (शिश्न) का दर्द और अनेक प्रकार के दर्द समाप्त हो जाते हैं।

92 : स्तनों की रसौली (गांठे)
एरंड के तेल से स्त्री के स्तनों की मालिश करें और एरंड के पत्तों को स्तन पर बाँधे। इससे स्तन में होने रसूली (गांठें, गिल्टी) धीरे-धीरे कम होकर समाप्त हो जाती हैं। इसके साथ ही साथ स्तनों के आकार में बढ़ोत्तरी होती जाती है।

93 : पेट में दर्द होने पर
एरंड का तेल 10 ग्राम दूध में मिलाकर पीने से कब्ज के कारण होने वाला पेट का दर्द समाप्त हो जाता है।एरंड के तेल में हींग को बारीक पीसकर मिलाकर पेट के ऊपर लेप करने से पेट के दर्द में आराम मिलता है।एरंड के पत्तों को निचोड़कर प्राप्त हुए रस में थोड़ी-सी मात्रा में सेंधानमक मिलाकर प्रयोग करें।एरंडी के तेल में जवाखार मिलाकर सेवन करने से `कफोदर´ को समाप्त होता है।

94 : आसान प्रसव (बच्चे का जन्म आसानी से होना)
एरंड का तेल नाभि पर मलने से बच्चा आसानीपूर्वक हो जाता है। लगभग 20 से 25 मिलीलीटर एरंड का तेल गर्म दूध के साथ प्रसव (डिलीवरी) के पूर्व पिलाने से प्रसव (डिलीवरी) आसानी से होता है।अरण्ड का तेल 50 मिलीलीटर गर्म दूध में मिलाकर पिला दें। अगर प्रसव में दर्द हो तो दर्द तेज होकर बंद हो जायेगा।

95 : बंद पेशाब खुल जायें
1 छोटा चम्मच अरंडी का तेल बच्चे को पिलाने से बंद पेशाब खुल जाता है।

96 : योनि की जलन और खुजली
एरंड का तेल लगभग 7 मिलीलीटर से लेकर 14 मिलीलीटर को 100-250 मिलीलीटर दूध के साथ 1 दिन में सुबह और शाम पीने से योनि की खुजली मिटती है।

97 : चेहरे की झांई के लिए
अरंडी के तेल में बेसन मिलाकर लगाने से चेहरा साफ होकर खूबसूरत बनता है।

98 : घट्टा रोग
सुबह-शाम एरंड का तेल मलते रहने से घट्टे ठीक हो जाते हैं। तेल में कपड़ा भिगोकर पट्टी बांधे। इसका प्रयोग 2 महीनों तक करने से घट्टे ठीक हो जाते हैं।

99 : हाथ-पैरों की अकड़न
एरंडी के तेल से हाथ व पैरों पर 2 से 3 मिनट तक धीरे-धीरे मालिश करने से ठंड के कारण उत्पन्न अकड़न खत्म हो जाती है।25 ग्राम एरंड की जड़ का छिलका (छाल) को कूटकर 500 ग्राम पानी में उबालें। पानी आधा रह जाने पर उसको छानकर इसमें 125 ग्राम तिल का तेल डालकर फिर गर्म करें। पानी जल जाने पर ठंडाकर कम गर्म तेल से पैरों के जोड़ों पर मालिश करने से लाभ मिलता है।

100 : हाथ-पैरों की जलन
30 ग्राम शुद्ध एरंडी के तेल को 100 ग्राम गाय के पेशाब में मिलाकर पीने से हाथ-पैरों की ऐंठन दूर हो जाती है।एरंड के तेल को बकरी के दूध में मिलाकर हाथ-पैरों पर मालिश करने से लाभ मिलता है।पैरों के तलवों की जलन दूर करने के लिए अरण्ड के बीज और गिलोय को पीसकर लगाने से लाभ होता है।

101 : दिल की बीमारी के लिए
एरंड तेल में भुना हुआ हरीतकी फल मज्जाचूर्ण 1 से 3 ग्राम, अंगूर, शर्करा, परूषक फल व शहद बराबर मात्रा में लेकर, दिन में 2 बार सेवन करना चाहिए।एरंड तेल में भुनी हुई हरीतकी फल मज्जा 20 ग्राम, सेंधानमक 10 ग्राम, श्वेत जीरा का बारीक पिसा हुआ चूर्ण एक भाग मिलायें। इसे 2 से 6 ग्राम की मात्रा में 5 से 10 ग्राम शर्करा के साथ दिन में 2 बार सेवन करना चाहिए।

102 : चेहरे के लकवा के रोग में
10 से 20 ग्राम एरंड के तेल को पकाकर गर्म दूध में मिलाकर सुबह और शाम रोगी को दें अगर रोगी को पैखाना (टट्टी) साफ आने लगे तो सिर्फ एक बार दें। इसके सेवन करने से पक्षाघात, चेहरे का लकवा ठीक हो जाता है। यह शरीर में शक्ति पैदा करता है।

103 : नासूर (पुराने घाव)
एरंड के पौधे के नये पत्तों को पानी में पीसकर नासूर पर लगाने से रोगी को लाभ मिलता है।

104 : फीलपांव (गजचर्म)
20 ग्राम एरंडी का तेल और 20 ग्राम हरड़ का चूर्ण को 250 ग्राम गाय के पेशाब में मिलाकर 7 दिन तक सेवन करने से फीलपांव का रोग ठीक होता है। एरंडी के तेल में छोटी हरड़ भूनकर चूर्ण बना लें। 6 ग्राम दवा को 100 ग्राम गाय के पेशाब के साथ पीने से फीलपांव का रोगी ठीक हो जाता है।

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105 : तुंडिका शोथ (टांसिल)
10-10 ग्राम एरंड, शहतूत की पत्तियां और निर्गुण्डी तीनों को लेकर 400 ग्राम पानी में उबालकर उसकी भाप लेने से गले की सूजन समाप्त होती है।

106 : सिर का दाद
बराबर मात्रा में एरंड और शुद्ध नारियल के तेल को मिलाकर इसमें नीम की पत्तियों को डालकर औंटायें और पानी से सिर को धोकर इस मिश्रण को सिर पर लगाने से सिर के दाद में काफी आराम मिलता है।

107 : फोड़े-फुंसियां
अरण्ड, मालकांगनी और सज्जीक्षार के बीज को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। फिर इसमें पानी डालकर गर्म-गर्म लेप कर फोड़े-फुंसियों पर लगाने से लाभ होता है।

108 : कुष्ठ (कोढ़)
एरंड के पत्तों को मट्ठे (लस्सी) में पीसकर मालिश करने से हर प्रकार का `कोढ़´ दूर हो जाता है।सफेद फूलों वाली अरंडी की जड़ को रविवार के दिन लाकर पीसकर रोजाना 10 ग्राम पीने से सफेद कोढ़ ठीक हो जाता है।

109 : शरीर की जलन
एरंड के बीज के भीतर के भाग को पीसकर बकरी के दूध में मिलाकर पैरों के तलवों में मालिश करने से रोगी के शरीर की जलन दूर हो जाती है। एरंडी के तेल से भी मालिश करने से रोगी को लाभ मिलता है।

110 : डब्बा रोग
बच्चे के पेट पर अरंडी के तेल की मालिश करके ऊपर से बकायन की पत्ती गर्म करके बांधने से डब्बा रोग (पसली चलना) ठीक हो जाता है।

111 : मानसिक उन्माद (पागलपन)
20 ग्राम एरंड के तेल को दूध के साथ रात को सोते समय पिलाने से कब्ज के उत्पन्न मानसिक उन्माद ठीक हो जाता है।

112 : साइटिका (गृध्रसी)
6-6 ग्राम एरंडी की जड़, बेलगिरी, बड़ी कटेरी तथा छोटी कटेरी को 320 ग्राम पानी में उबालें। 40 ग्राम पानी शेष रहने पर उतार लें और छानकर थोड़ा-सा कालानमक मिलाकर पीयें। एरंड के बीज की गिरी 10 ग्राम, को दूध में पकाकर खीर बनाकर खिलाने से गृध्रसी, कमर दर्द, आमवात में लाभ होता है।

113 : पृष्टार्बुद (गर्दन के पिछले हिस्से में से मवाद निकलना)
पृष्टार्बुद (गर्दन के पिछले हिस्से में से मवाद निकलना) के ऊपर रीठा का लेप करने से आराम आता है।

114 : लिंग दोष
तिल, एरंडी, अजवायन, मालकंधनी, बादाम रोगन, लौंग, मछली और दालचीनी का तेल 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर एक साथ मिला लें। उसके बाद 2-4 बूंद लिंग पर डालकर मालिश कर ऊपर से पान के पत्ते रखकर धागे से लिंग पर थोड़ा ढीला बांध दें। इससे लिंग से सम्बंधित सभी दोष दूर हो जाते हैं।

115 : नाड़ी का दर्द
एरंड तेल में और तारपीन का तेल बराबर मात्रा में मिलाकर मालिश करने से नाड़ी का दर्द कम होता है।

116 : शरीर में सूजन
एरंड के पत्तों पर सरसों का गर्म तेल लगाकर सूजन वाले अंग पर बांधने से सूजन दूर हो जाती है।एरंड के तेल को हल्का गर्म करके मालिश करने से घुटनों का दर्द और सूजन दूर हो जाती है।छिले हुए एरंड के बीजों और गोधूम को पीसकर चूर्ण बना लें, और इस चूर्ण को घी में मिलाकर दूध में उबालें, और गर्म-गर्म इस मिश्रण को लेप की तरह से शरीर पर लगाने से बदन की सूजन दूर हो जाती है।

117 : बच्चों के विभिन्न रोग
बच्चे के पेट पर अरंडी का तेल मलकर, उसके ऊपर बकायन की पत्तियां गर्म करके बांधने से `डब्बे का रोग´ (पसली का रोग) दूर हो जाता है।लाल एरंड की जड़ को पीसकर चावलों के पानी में मिलाकर लेप करने से गलगण्ड रोग ठीक हो जाता है।लाल फूलों वाली एरंड की जड़ को पीसकर चावल के पानी में मिलाकर सुबह और शाम लेप करने से घेंघा रोग ठीक हो जाता है।

118 : गर्दन में दर्द
एरंड के बीज की मींगी को दूध में पीसकर रोगी को पिलाने से गर्दन और कमर दोनों जगह का दर्द चला जाता है।

119 : जुलाब
अरण्डी के तेल को मुख्यतः जुलाब लेने के लिए उपयोग में लिया जाता है। एक कप दूध में 2 चम्मच तेल डालकर सोते समय पीना चाहिए। बच्चों को आधा चम्मच दें। गोद के शिशु को 8-10 बूँद दें। असर न होने पर इसकी मात्रा दूसरे दिन बढ़ाकर लेना चाहिए। इस जुलाब से कमजोर व्यक्ति, रोगी या गर्भवती स्त्री को कोई खतरा नहीं रहता।

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