उपदंश रोग -के लिए सरल और अनुभूत नुस्खे अवश्य अजमाए
यह बड़ा भयंकर रोग है ,दो प्रकार का होता है एक मनुष्य को जन्म से माता पिता के कारण मिला हो और दूसरा
स्वंय अपने कुकर्मो से खरीद लिया हो .दोनों प्रकार के रोगियों के लिए निचे कुछ अनुभूत और सरल योग
लिख रहे है
1.अनुभूत योग –
यह योग इसके लिए बड़ा लाभप्रद है और अनेक बार रोगियों पर अजमाया हुआ हे इस नुस्खे से कई सालो का
रोग कुछ दिनों में नष्ट हो जाता है
विधि — 25 ग्राम ताजा नकछीकनी को बारीक़ पिस करके सुरमे के समान बना ले .बाद में एक पित्ता मेढ़ा
की झिल्ली समेत डालकर खूब खरल करे .इसमें झिल्ली भी घुल मिल जाये इसकी तीन बराबर गोलिया बना ले
एक गोली प्रातः आठ बजे और दूसरी चार बजे और तीसरी ग्यारह बजे रात को थोडा गर्म पानी से पिलावे .
रोगी को बोले की दिन रात को बिल्कुल भी ना सोये और कुछ भी खाने को नही दे यदि प्यास लगे तो थोडा हा
गुनगुना पानी पिला दे बेचेनी हो तो पान चबवाये .एक दो दस्त होकर रोग समूल नष्ट हो जायेगा और
घाव सुख जायेंगे .
2 .- उपदंश की सन्यासी दवा –
विधि — रीठे का छिलका आवश्यकता के अनुसार लेकर बारीक़ करे और चन ले .इसमें कुछ बुँदे पानी डालकर
चने के बराबर गोलिया बना ले .जरूरत के समय एक गोली सुबह 125 ग्राम दही के साथ दे और शाम को पानी
से दे 15 दिनों में बहुत पुराना रोग भी जड से चला जायेगा .बहुत अच्छा और गुणकारी योग है.
3. -उपदंश के घाव .-
विधि — 25 ग्राम त्रिफला को किसी बर्तन में डालकर आग पर रख करके जला ले और चूर्ण बनाकर उसमे शहद
मिलाकर मरहम सी बना ले .प्रतिदिन घावो पर लगाया करे तीन चार दिनों में बड़े घाव ठीक होना आरम्भ हो
जायेंगे .अनुभत ओषधि है .
4 .-नाग भस्म –
विधि — 20 ग्राम शुद्ध सीसे को मिटटी की प्याली में डालकर तेज कोयलों की आग में रख .जब पिघल जाये
तब अगुठे जेसी मोटी नीम की ताजा लकड़ी से घोलते जाये जब तक की नाग का रंग लाल रंग का चूर्ण ना बन
जाये .इसे उतारकर बारीक़ करके शीशी में रख ले आवश्यकता के समय घाव पर छिड़का करे .