त्वचा को निखारने के लिए मुल्तानी मिटी का लेप
पुराने समय से ही मुलताई मिट्टी का लेप सौंदर्य और बालों के लिए किया जा रहा है। पर आजकल इसका इस्तमाल पहले से बहुत कम हो गया है। कहि न कहि इसकी वजा लोगों में कम जागरूकता है। पर आज हम आपको इसके फायदे और प्रयोग विधि के बारे में बताने जा रहे है, जिससे आप अपनी त्वचा को निखार सकते है। मुल्तानी मिट्टी का प्रयोग शुष्क या तैलीय किसी भी प्रकार की त्वचा के लिए, किसी भी मौसम में किया जा सकता है।
विधि
एक कटोरे में लगभग 100 ग्राम मुलतानी मिटी पानी में भिगों दें। दो घंटे में वह फूलकर लुगदी-सी बन जाए तो हाथ से मसलकर गाढ़ा घोल तैयार कर लें। ध्यान रहे की डलियां न रहने पाए। आवश्यकता अनुसार घोल बनाकर इसे चेहरे और शरीर पर लगाएं। सर्दी के दिनों मुल्तानी मिटी को लगाकर धुप में आधा घंटा बैठने के बाद गुनगुने पानी से स्नान करें और गर्मी के दिनों में मिटी के लेप के बाद छाया में बैठे और आधा घंटे बाद ठंडे या ताजे पानी से स्नान करें। इससे रोम छिद्रों का मेल साफ़ होगा और त्वचा की रंगत निखारेंगी।
विशेष
1. साबुन के स्थान पर मुल्तानी मिटी का घोल लगाने से त्वचा मुलायम और स्निग्ध बनती है।
2. एक बार प्रयोग की हुई मिटी दूसरी बार काम में न लाएं।
3. रुसी ( डैन्ड्रफ ) युक्त अथवा कान्तिहीन केशों में मुल्तानी मिटी के लेप( मेहन्दी की तरा ) लगाकर 20-30 मिनट बाद सिर को अच्छी तरह धो लें। इससे रुसी समाप्त होगी, बालों में चमक आएगी और दिमाग में ठंडक बनी रहेगी।
4. गर्मियों में पित्त व अम्होरियों से भरी त्वचा पर मुल्तानी मिटी के लेप से शीघ्र आराम मिलता है। जिन महिलायों को पसीना अधिक या जिनके पसीने से तीव्र गंध आती है उन्हें मुल्तानी मिटी के लेप से अवश्य लाभ होगा।
5. मुल्तानी मिटी जंग लगी जैसी भूरे रंग की इस्तेमाल न करें बल्कि इसकी रंगत हल्की पिली होनी चाहिए।
6. चेहरे की रंगत निखारने के लिए उपरोक्त मुल्तानी मिटी के घोल में दो चम्म्च गुलाबजल और दो चम्म्च कच्चा दूध मिलाकर चेहरे पर लगाएं। 10-20 मिनट बाद गर्मियों में ठंडे और सर्दियों में हल्का गर्म पानी से धो डालें। इससे चेहरे की रंगत तो निखरेगी ही और साथ में फुंसियों, कील-मुंहासों, दाग–धब्बे, चेहरे की झाइयाँ आदि से एक-दो मास में छुटकारा मिल जाता है।