शारीरिक एवं मानसिक तनाव और कई समस्यों को दूर करने के लिए-शवासन
कितना भी कोई थका हो, दस मिंट शवासन करने से शीघ्र ही उसकी शरीरक और मानसिक थकान दूर हो जाती है। उच्च रक्तचाप में इस क्रिया का उचित ढंग से अभ्यास किसी वरदान से कम नहीं है। उच्च रक्तचाप ह्रदय-कष्ट एवं स्नायु संबन्धी रोगों में इस क्रिया से तत्काल लाभ होता है।
वास्तव में शवासन ह्रदय-विकार, निद्रानाश, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, सनयुदोर्बल्य और अन्य मानसिक विकारों को दूर करने के लिए उत्तम है।
विधि
शवासन के लिए जमीन पर पीठ के बल लेट जायें। दोनों हथेलियों को खोलकर नितम्ब के पास इस प्रकार टिकायें की हथेली ऊपर की और रहे और मुट्ठी आधी खुली आधी बंद हो। पांव की एड़ियां आपस में मिली हुई हो और पंजे खुले हुए हो। ततपश्चात सारे शरीर को ढीला छोड़ते चले जाए अर्थात सर्वप्रथम पैरों के अंगूठे को ढीला करने की क्रिया प्रारम्भ करें तथा क्रमश: पांव, हाथ, पिण्डली, घुटने, जघाएं, पीठ कमर, पेट, छाती, ह्रदय, कंधे, भुजाएं, गर्दन, सिर की मांस पेशियाँ को ढीला करते जायें। ध्यान रहे की शरीर का कोई भी छोटे से छोटा अंग-प्रत्यंग कड़ा न रहने पाये और कोई तनाव आपके तन या मन में न रहे। आँखे बंद कर समस्त शरीर को ढीला कर दें। इस समय सास बहुत धीरे-धीरे सहज भाव से लें। सोचना बंद क़र दें और मस्तिष्क को विचारों से खाली कर दें। इसके लिए एक आसान तरीका यह है की नाभि के स्पन्दन ( अर्थात ऊपर उठने और अंदर जाने में ) में मन को स्थिर करते हुए शांतिपूर्वक कभी बंद न होने काली शरीरिक क्रिया का ध्यान करते रहे। यही शवासन है।