Friday , 8 November 2024
Home » Uncategorized » त्रिफला से कायाकल्प

त्रिफला से कायाकल्प

त्रिफला से कायाकल्प
त्रिफला के चूर्ण का विधिवत सेवन अमृत तुले है और कायाकल्प करने में अमृत है। यह वात, पित्त, कफ-त्रिदोषनाशक व रसायन है।

निर्माण विधि
हरड़ ( पिली ), बहेड़ा, आंवला( त्रिफला ) इन तीनो फलों ( स्वच्छ एवं बिना कीड़े लगे ) की गुठली निकालने के बाद छिलकों को कूट-पीसकर कपड़छान करके प्रत्येक का अलग-अलग चूर्ण बना लें और फिर १ : २ : ४ के अनुपात में मिलाकर रख लें। यथा- यदि हरड़ का चूर्ण १० ग्राम हो तो बहेड़े का चूर्ण २० ग्राम और आंवलों का चूर्ण ४० ग्राम लेकर मिलाना चाहिए और इस मिश्रण को किसी शीशी में कार्क लगाकर बरसाती हवा से बचाते हुए रखना चाहिए। सदैव निरोग रहने और कायाकल्प के इच्छुक व्यक्ति को चाहिए की वे त्रिफला चूर्ण बाजार से कभी नही खरीदे बल्कि उपरोक्त विधि से स्वयं अपने घर पर ही एक बार इकट्ठा बनाकर चार महीने तक उपयोग में लाएं। चार महीने बाद चूर्ण उतना प्रभावी नही रहता पूर्ण कायाकल्प के लिए त्रिफला चूर्ण को बाहर वर्ष तक नियमपूर्वक लेने का विधान है।

सेवन विधि
प्रात: मुंह-हाथ धोने और कुल्ला करने के बाद खाली पेट त्रिफला-चूर्ण ताजा पानी के साथ प्रतिदिन केवल एक बार लें। मात्रा-बच्चे हो या वयस्क, जितने साल जिसकी आयु हो, उसे उतनी रत्ती चूर्ण लेना चाहिए। जितना वर्ष उतनी रत्ती जैसे यदि आप ३२ वर्ष के है तो आपको बत्तीस रत्ती चूर्ण( चार ग्राम ) ताजा पानी के साथ लेना चाहिए। त्रिफला सेवन के पश्चात एक घंटे तक दूध या चाय या नाश्ता न लें। दूसरे शब्दों में ओषधि लेने के एक घंटे तक पानी के आलावा कुछ न लें। इस नियम का कठोरता से पालन करना आवश्यक है। त्रिफलासेवन काल में नित्य एक दो बार पतला पाखाना भी आ सकता है, यह ध्यान रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

DMCA.com Protection Status